Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Uvasagdasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 214
________________ २१ मित महत्थं जाव पाहुडं १११७११६ ११२२० महत्थं जाव पाहुडं रायारिह १११३१५ ११५२० महत्थं जाव रायाभिसेय ११श६२११६।३७ ११११११६ महब्बले जाव महया १८।१६ १॥५॥३४ मयाहय जाव विहरह २।११० राय० सू०८ महालियं जाव बंधित्ता अत्थाह जाव उदगंसि १११४१७७ १।१४।७५ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि ११११११० १।१।१०६ महिडीए जाव महासोक्खे सूय०२।२।७३ महुरालाउयं जाव नेहावागाद १११६ १।१६८ माणुस्सगाई जाव विहरइ ११५१६ १६११६७ माया इ वा जाव सुण्हा ११४१७१ सूय० २।२७ मासाणं जाव दारियं १।१६।१२४ ११२।२० माहण जाव वणीमगाण १११४१३८ आयारचूला १।१६ माहणी जाब निसिरइ ११६२४ १।१६।१४ १७।२२ ११२८१ मित्त जाव चउत्थ १७:१० १९७६ मित्त जाव बहवे १७।३० ११७२५,११ मित्त जाव संपरिवुडा ११।२० १॥२।१२ मित्त नाइ गणनायग जाव सद्धि १।२८१ शश८१ मित्तपक्खं जाव भरहो १११११८ मुडावियं जाव सयमेव १६११६१ १।१।१४६ मुंडे जाव पव्वयाहि १।१६।१४ १५१११०१ मुच्छिए जाद अज्झोववण्णे १।१६।२६ १११६२८ मेहे जाव सवणाए ।१५४ १।१।१०६ य णं जाव परमसुइभूए १।१२।२२ ११८१ रज्जइ जाव नो विप्पडिघाय. १११६६४६ १२१७४२५ रज्जं च जाव अंतेउरं १११६।२६ १।१।१६ रज्जे जाव अंतेउरे १।१४।६० १।१४।२१ रज्जे य जाव अतेउरे श८.१५१:१।१६।१८७१।१६।२६ १११११६ रज्जे य जाव वियंगेइ जाव अंगमगाइ १११४१२२ १।१४।२१ रज्जे य जाव वियत्तेइ १३१४१२२ १।१४।२१ रणो जाव तहत्ति श१६१३०३ १८५१०४ रणो वा जाव एरिसए १८.१५३ १।८।६७ रयण जाव आभागी १।१८५६ १११६१:१११८१५१ वृत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242