Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Uvasagdasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 217
________________ २४ १।१६।१५७ ११२५ शक्षा२०३ १०६४ १११५११६ १३१६२४८ ११६:१३४२१८३५ श१६२५१ १।१६।२३६ ११३७ १०८१५७ १॥श२४ ११८७६ १४११५६ २३१२४ ११।३२ शरा३२ १।२।३२ १४२०३२ शहा३६ ११८७३ श८७७ सकोरेंट हयगय सक्का जाव नन्नस्थ सखिखिणियाई जाव वत्थाई सगज्जिया जाव पाउससिरी सज्जइ जाव अणु परियट्टिस्सइ सण्णद्ध० सण्णद्ध जाव गहिया सण्णद्ध जाद पहरणा सण्णद्धबद्ध जाव गहियाउह० सत्तट्ठ जाव उप्पयइ सत्तटुतलाई जाव अरहन्नगं सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ एवं खलु जंबू जाव चत्तारि सत्तुस्सेहे जाव अज्जसुहम्मस्स सत्थवज्झा जाव कालमासे सद्द जाव गंधाणं सहफरिसरसरूवगंधे जाव भुजमाणे सदहति जाव रोएंति सद्दावेइ जाव जेणेव सद्दावेइ जाव तं सद्दावेइ जाव तहेव पहारेत्थ सद्दावेइ जाव पहारेत्थ सद्दावेह जाव सद्दावेंति सद्देणं जाव अम्हे समणस्स जाव पवइत्तए समणस्स जाव पव्वइस्ससि समणाउसो जाव पंच समणाउसो जाव पव्वइए समणाउसो जाव माणुस्सए समणाणं जाव पमत्ताणं समणाणं जाव वीईवइस्सइ समणाणं जाव सावियाण समणाण य जाव परिवेसिज्जइ समत्तजालाकुलाभिरामे जाव अंजणगिरि० २१७११,२ २।२।१,२ ११११६ ओ० सू० ८२ १।१६।३१ १।१६३१ ४१११७२ १।१७।२२ ११५४९ ओ० सू० १५ १११११०१ १८१६६,१०० १।८।६२,६३ १७४१० ११७१६,७,६ ११८११२,११३ १८६६,१०० १८११५५,१५६ ११८।६६,१०० ११११३६ १११११३८ श३।१६ २३११८ ११।१०७ १११११०४ १।११०८,११२ १।११०६ ११७२७ १।१०।५१।१८४८,१११६।४२,४७ १।३।२४ शा५३ शहा४४ १११११८ ११५।११७ १।३३४ १।२१७६ १४१७१३६ ११२१७६ ११।२०० १८१६६,१६७ २१६।१४० ओ० सू० ६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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