Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Uvasagdasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 188
________________ दसम अज्झयण (लेइयापिता) ५३५ पच्चवखाण-पोसहोववासे हि अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वीइक्कंताइं पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था --एवं खलु अहं सावत्थीए नयरीए बहूर्ण जाव' आपूच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्मपण्णत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । १६. तए णं से लेतियापिता समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि परिजणं च प्रापुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहारो पडिणिक्ख मइ, पडिणिक्खमित्ता सात्थि नरि मझमझेणं निगच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दभसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवणे ववगयमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्मपण्णत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरइ ।। लेतियापियस्स उवासगपडिमा-पदं २०. तए णं से लेतियापिता समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ॥ २१. तए णं से लेतियापिता समणोवासए पढम उवासगपडिमं अहासत्तं महाकप्प अहामगं अहातच्च सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ पाराहेइ ।। २२. तए ण से लेतियापिता समणोवासए दोच्चं उवासगपडिम, एवं तच्चं, चउत्थं, पंचम, छटुं, सत्तम, अट्ठमं, नवम, दसमं एक्कारसमं उवासगपडिम अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ॥ २३. तए णं से लेतियापिता समणोवासए तेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए । लेतियापियस्स अणसण-पदं २४. तए णं तस्स लेतियापियस्स समणोवासगस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल ३. पू०-उवा० ११५७-५६ । १. उदा० ११३॥ २. उवा० १६१३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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