Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 565
________________ १५० द्वितीयं परिशिष्टम् ५३७ ५३७ गाथा पृष्ठाङ्कः | गाथा पृष्ठाङ्कः एत्थ य अणभिग्गहियं ..... असणाईया चउरो..... निशीथभा० २५००] ५३६ [बृहत्कल्प० ४२८२] ५३३ अंतेउरं च तिविहं जुन्नं ..... असिवादिकारणेहिं अहवा _[निशीथभा० २५१३] ५३७ [बृहत्कल्प० ४२८३] ५३३ | एतेसामन्नयरं रत्नो अंतेउरं छक्कायविराहणया आवडणं ..... [निशीथभा० २५१४] [बृहत्कल्प० २७३६] ५३३ | सद्दाइइंदियत्थोवओगदोसा . अक्खुन्नेसु पहेसुं पुढवी ..... निशीथभा० २५१८] [बृहत्कल्प० २७३७] ५३३ | बहिया वि होंति ..... आबाहे दुब्भिक्खे भए ... [निशीथभा० २५१९] ५३७ [बृहत्कल्प० २७३९] ५३४ बितियपद मणाभोगा..... इअ सत्तरी जहन्ना असिई ..... [निशीथभा० २५२०] [बृहत्कल्प० ४२८५] ५३४ | मासि मासि रज:.....[ ] ५३९ काऊण मासकप्पं तत्थेव | पूर्णषोडशवर्षा स्त्री, ..... [ ] ५३९ [बृहत्कल्प० ४२८६] ५३४ | वीर्यवन्तं सुतं सूते, ..... [ ] ५३९ दव्वट्ठवणाऽऽहारे विगई .... |ऋतुस्तु द्वादश निशा:, .....[ ] ५३९ [निशीथभा० ३१६६] ५३४ | पद्मं सङ्कोचमायाति, ..... [] ५३९ असिवे ओमोयरिए ....निशीथभा० ३१२९, मासेनोपचितं रक्तं .....[ ] बृहत्कल्प० २७४१] ५३५ | थेवं बहुनिव्वेसं [ओघनि० ५३०] ५४० संतिमे सुहमा पाणा [दशवै० ६।२४-२६] ५३५ नानिव्विर्यु लब्भइ [पिण्डनि० ३७०] ५४० जइ वि हु फासुगदव्वं ..... भयणपयाण चउण्हं ..... [बृहत्कल्प० २८६३] ५३५| निशीथभा० २३४६] ५४१ जइ वि य पिवीलिगाइ . असणादिं वाऽऽहारे उच्चारादिं ..... [बृहत्कल्प० २८६४] ५३५] [निशीथभा० २३४७] तण-छार-डगल-मल्लग.....निशीथभा० ११५४, सो आणा-अणवत्थं बृहत्कल्प० ३५३५] ५३५| निशीथभा० २३४८] ५४२ तित्थकरप्पडिकुट्ठो अन्नायं ..... बीयपयमणप्पज्जे..... [निशीथभा० २३४९] ५४२ [पञ्चा० १७/१८] ५३६ / जे भिक्ख ऊ सचेले,..... पडिबंधनिराकरणं केई अन्ने ..... [निशीथभा० ३७७७] ५४२ [पञ्चा० १७१९] ५३६ इय संदसणसंभासणेहिं जो मुद्धा अभिसित्तो पंचहिं ..... । [बृहत्कल्प० ३७१३] ५४२ [निशीथभा० २४९७] ५३६ | संवरिए वि हु.....[निशीथभा० ३७८१] ५४२ ५३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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