Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 571
________________ १५६ गाथा अडयालीसं निरया .. [विमान० १५ ] एक्वेक्को य दिसासुं मज्झे.... [ विमान० १६ ] सीमंतकप्पभो खलु ...[विमान० २०] सीमंतावत्तो पुण निरओ.... [ विमान० २१] लोले तह लोलुए चेव [ विमान० ३०] उड्ढे चेव निड्डे [विमान० २७] जर तह चेव पज्जरए [विमान० २९] मज्झा उत्तरपासे [विमान० ३२] आरे मारे नारे तत्थे .. [विमान० १० ] ] तेरस १-२ बारस.... ... [विमान० १२९] पुव्वा तिन्निय मूलो मह.....[ असा साई उत्तर तिनि विसाहा [ [ [ उक्तक्रमेण नक्षत्रैर्युज्यमानस्तु आसाढबहुलपक्खे भद्दवए..... [ अणुगामिओऽणुगच्छइ गच्छंतं [विशेषाव० ७१५] पइसमयमसंखेज्जइ....[विशेषाव० ७३०] पेच्छइ विवड्डमाणं....[विशेषाव० ७३१] उक्कोस लोगमित्तो पडिवाइ अन्नेण घाइए दद्दुरम्मि ] ..... Jain Education International — [आव० नि० ५३, विशेषाव० ७०३] अरिरे माहणपुत्ता.... [बृहत्कल्प० ६११६] खामिय वो मियाई . [ बृहत्कल्प ० ६११८, निशीथभा० १८१८] ओमो चोइज्जंतो दुपहियाईसु [बृहत्कल्प ० ६१३५ ] द्वितीयं परिशिष्टम् पृष्ठाङ्कः गाथा ६२७ ६२७ ६२७ ६२७ ६२७ [बृहत्कल्प० ६१३६] मोसम्म संखडीए.... [ बृहत्कल्प ० ६१४२] दीण-कलुणेहिं....[बृहत्कल्प० ६१४३] जेट्ठज्जेण अकज्जं .... [बृहत्कल्प० ६१५० ] ६२८ ६२८ ६३३ ६३३ ६३३ ६३४ ६३४ ६३४ तइओ त्ति कहं जाणसि ? ६२७ ६३६ [बृहत्कल्प० ६१५७] ६२७ | देहेण वी विरूवो..... [बृहत्कल्प० ६१५८] ६३६ ६२८ केइ सुरूव विरूवा खुज्जा ६३५ [बृहत्कल्प ० ६१५३] दीसइ य पाडिरूवं ठिय-. ६३६ ६३७ ६२९ कुच अवस्यन्दन [ ६३७ ६३८ ६३८ ६२९ ठाणे सरीर भाषा.... [बृहत्कल्प० ६३१९] ६२९| करगोफणधणु.....[बृहत्कल्प० ६३२३] ६२९ | छेलिअ मुहवाइत्ते.... [बृहत्कल्प० ६३२४] ६३८ ६३२ मुखरिस्स गोन्ननामं.... [बृहत्कल्प ० ६३२७] ६३८ आलोयंतो वच्चइ....[बृहत्कल्प ० ६३३०] ६३८ छक्कायाण विराहण.... ६३५ ६३५ ६३५ ६३६ [ बृहत्कल्प ० ६१५४] खरउत्ति कहं जाणसि ? ..... [बृहत्कल्प ० ६१५९ ] दव्वम्मि मंथओ..... [बृहत्कल्प ० ६३१६] ] [बृहत्कल्प० ६३६१] आचेलक्कु १ देसिय... [बृहत्कल्प० ६३६२] आचेलक्कु १ देसिय.... परिहारिय छम्मासे.... पृष्ठाङ्कः [बृहत्कल्प० ६३३१] ६३८ ६३९ इच्छालोभो उ .. [ बृहत्कल्प० ६३३२] इहपरलोगनिमित्तं ... [बृहत्कल्प ० ६३३४] ६३९ पडिसिद्धे वि दोसे .....[ 1 ६३९ आहारोवहिदेहेसु इच्छालोभो ..... [ सिज्जायरपिंडे या १ चाउज्जामे य...... ] ६३९ ६३६ .... [ बृहत्कल्प० ६३६४] [बृहत्कल्प० ६४७४] गच्छम्मि उ निम्माया... [बृहत्कल्प० ६४८३] For Private & Personal Use Only ६३६ ६३९ ६४० ६४० ६४० ६४० www.jainelibrary.org

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