Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाथा
अडयालीसं निरया .. [विमान० १५ ] एक्वेक्को य दिसासुं मज्झे.... [ विमान० १६ ] सीमंतकप्पभो खलु ...[विमान० २०] सीमंतावत्तो पुण निरओ.... [ विमान० २१] लोले तह लोलुए चेव [ विमान० ३०] उड्ढे चेव निड्डे [विमान० २७] जर तह चेव पज्जरए [विमान० २९] मज्झा उत्तरपासे [विमान० ३२]
आरे मारे नारे तत्थे
.. [विमान० १० ]
]
तेरस १-२ बारस.... ... [विमान० १२९] पुव्वा तिन्निय मूलो मह.....[ असा साई उत्तर तिनि विसाहा
[
[
[
उक्तक्रमेण नक्षत्रैर्युज्यमानस्तु आसाढबहुलपक्खे भद्दवए..... [ अणुगामिओऽणुगच्छइ गच्छंतं [विशेषाव० ७१५] पइसमयमसंखेज्जइ....[विशेषाव० ७३०] पेच्छइ विवड्डमाणं....[विशेषाव० ७३१] उक्कोस लोगमित्तो पडिवाइ
अन्नेण घाइए दद्दुरम्मि
]
.....
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[आव० नि० ५३, विशेषाव० ७०३] अरिरे माहणपुत्ता.... [बृहत्कल्प० ६११६] खामिय वो मियाई . [ बृहत्कल्प ० ६११८,
निशीथभा० १८१८]
ओमो चोइज्जंतो दुपहियाईसु
[बृहत्कल्प ० ६१३५ ]
द्वितीयं परिशिष्टम्
पृष्ठाङ्कः गाथा
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[बृहत्कल्प० ६१३६] मोसम्म संखडीए.... [ बृहत्कल्प ० ६१४२] दीण-कलुणेहिं....[बृहत्कल्प० ६१४३] जेट्ठज्जेण अकज्जं .... [बृहत्कल्प० ६१५० ]
६२८
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तइओ त्ति कहं जाणसि ?
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[बृहत्कल्प० ६१५७] ६२७ | देहेण वी विरूवो..... [बृहत्कल्प० ६१५८] ६३६ ६२८
केइ सुरूव विरूवा खुज्जा
६३५
[बृहत्कल्प ० ६१५३]
दीसइ य पाडिरूवं ठिय-.
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६२९
कुच अवस्यन्दन [
६३७
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६३८
६२९ ठाणे सरीर भाषा.... [बृहत्कल्प० ६३१९] ६२९| करगोफणधणु.....[बृहत्कल्प० ६३२३] ६२९ | छेलिअ मुहवाइत्ते.... [बृहत्कल्प० ६३२४] ६३८ ६३२ मुखरिस्स गोन्ननामं.... [बृहत्कल्प ० ६३२७] ६३८ आलोयंतो वच्चइ....[बृहत्कल्प ० ६३३०] ६३८ छक्कायाण विराहण....
६३५
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[ बृहत्कल्प ० ६१५४] खरउत्ति कहं जाणसि ? .....
[बृहत्कल्प ० ६१५९ ]
दव्वम्मि मंथओ..... [बृहत्कल्प ० ६३१६]
]
[बृहत्कल्प० ६३६१] आचेलक्कु १ देसिय...
[बृहत्कल्प० ६३६२] आचेलक्कु १ देसिय.... परिहारिय छम्मासे....
पृष्ठाङ्कः
[बृहत्कल्प० ६३३१]
६३८
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इच्छालोभो उ .. [ बृहत्कल्प० ६३३२] इहपरलोगनिमित्तं
... [बृहत्कल्प ० ६३३४] ६३९ पडिसिद्धे वि दोसे .....[ 1 ६३९ आहारोवहिदेहेसु इच्छालोभो ..... [ सिज्जायरपिंडे या १ चाउज्जामे य......
] ६३९
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.... [ बृहत्कल्प० ६३६४]
[बृहत्कल्प० ६४७४] गच्छम्मि उ निम्माया...
[बृहत्कल्प० ६४८३]
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