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८६-८७. कूट
महाद्रह और तत्रस्थित देवियां
४. महानदियां और अन्तर्नदियां
६५. ऋतुएं
६६. अवमरात
२७. अतिरात्र
८. अर्थावग्रह के प्रकार
६६. अवधिज्ञान के प्रकार
१००. अवचन के प्रकार
१०१. कल्प के प्रस्तार ( प्रायश्चित्त के विकल्प )
१०२. कल्प के परिमं
१०३. कल्पस्थिति के प्रकार
१०४ १०६. महावीर का अपानक छट्टभक्त १०७. विमानों की ऊंचाई
१०८. देवों के शरीर की ऊंचाई
१०६. भोजन का परिणाम
११०. विष का परिणाम
१११. प्रश्न के प्रकार
११२ ११५. उपपात का विरहकाल ११६. आयुष्य-बंध के प्रकार
११७-११८. सभी जीवों का आयुष्य-बन्ध
११६- १२३. विभिन्न जीवों के परभव के आयुष्य का बंध
१२४. भाव के प्रकार
१२५. प्रतिक्रमण के प्रकार १२६-१२७. नक्षत्रों के तारे
१२८. पाप कर्मरूप में निर्वर्तित १२६-१३२. पुद्गल-पद
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पुद्गल
सातवां स्थान
१. गण के अपक्रमण करने के हेतु
२. विभंगज्ञान के प्रकार और उनके विषय
स्थान
८- १०. प्रतिमाएं
११-१२. आयारचूला १३. प्रतिमा
३. योनियों के प्रकार
४-५. जीवों की गति आगति
६-७. आचार्य तथा उपाध्याय के संग्रह तथा असंग्रह
१४-२२. अधोलोक स्थिति
२३-२४. अधोलोक की पृथिवियों के नाम-गोल २५. बादर वायुकाय के प्रकार २६. संस्थान
( ३५ )
२७. भयस्थान
२८. छद्मस्थता के हेतु २६. केवली की पहचान ३०-३७. गोत्र और उनके भेद ३८. नयों के प्रकार
३६. स्वरों के प्रकार
४०. स्वर-स्थान
४१. जीव- निश्रित स्वर
४२. अजीव - निश्रित स्वर
४३. स्वरों के लक्षण
४४. स्वरों के ग्राम
४५-४७. ग्रामों की मूच्र्च्छनाएं
४८. स्वर-मंडल की विविध जानकारी ४६. कायक्लेश
५०-६०. विभिन्न द्वीपों के क्षेत्र, वर्षधर पर्वत तथा महानदियाँ
६१-६२. कुलकरों के नाम
६३. कुलकरों की भार्याएं
६४. कुलकरों के नाम
६५. कुलकरों के वृक्ष ६६. दंडनीतियां
६७-६८. चक्रवर्ती के एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय रत्न
६९-७०. दुःषमा और सुसमाकाल को जानने के हेतु
७१. संसारी जीवों के प्रकार
७२. आयुष्य भेद के हेतु
७३. जीवों के प्रकार
७४. ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती
७५. तीर्थंकर मल्ली के साथ प्रव्रजित होने वालों का निर्देश
७६. दर्शन के प्रकार
७७. छद्मस्थ वीतराग की कर्म - प्रकृतियां
७८. छद्मस्थ और केवली का सर्वभाव से जाननादेखना
७६. महावीर का संहनन, संस्थान और ऊंचाई ८०. विकथा के प्रकार
८१. आचार्य और उपाध्याय के अतिशेष ८२-८३. संयम और असंयम के प्रकार ८४-८५. आरंभ-अनारंभ के प्रकार ८६-८७. सारंभ - असारंभ के प्रकार ८८. समारंभ - असमारंभ के प्रकार ६०. धान्यों की योनि स्थिति ६१. वायुकाय की स्थिति
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