Book Title: Adhyatmasara
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Bhadrankarvijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 11
________________ वन्यात्म-5 * विशिष्टविषयानुक्रमः * (रचयिता.-पू. श्रा. श्री भदंकर सू म.) प्रथमः प्रबन्धः-प्रथमाधिकारे-जैनजगति पञ्चती रूपेण प्रसिद्धान् नामेयाचिरेयशैवेयवामेय. त्रैशलेयसंज्ञकान नीर्थकरान प्रथमं प्रणम्यान्यजिनान नमस्कृत्य गुरूनपि वन्दित्वाऽध्यात्ममार-प्रक्रियाप्रकटकरणविषयकोत्माहवानहमम्मि शास्त्रतः परितश्चयनान्विता, गणधराचार्यादि-धीमत-सम्यग सम्प्रदायरूपगरुक्रमपरिचिता स्वमंवेदनानमररूपयोगतः परिचितां अपवा प्रक्रियां कथयित प्रतिजानीते ग्रन्थकार अर्थात् येनाध्यात्ममारप्रक्रिया पठनां वाचकानां शास्त्रपरिचयः धीमत्सम्यक्सम्प्रदाय-परिचयो, ऽनुभवयोगपरिचयः प्राप्यते इत्याशयः. । एषा प्रक्रिया पद्यात्मिका योगिनीतिकारिकेच. अध्यात्मशास्त्रास्वादसुख-सागगग्रता, दिव्यादि-कामसुखं विन्दतल्यं अध्यात्मशास्त्रप्रयोज्या गणित-सुखशाली, चक्रेश-शक्रेशादिकं न गणयति. . • अभ्यात्मशास्त्रशिक्षाशून्यो न पण्डितोऽपितु मृढ एष. सारल्य-मौहार्द-सम्यक्त्वादिजनकमध्यात्मशास्त्रमेव. Jain Education Intema For Private & Personal use only |www.jainelibrary.org

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