Book Title: Adhyatma Prakaran Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand Publisher: Hirachand Vajechand View full book textPage 9
________________ श्रीवास्तुकपुजा. श्रीगुरुभ्यो नमः श्री शांतीजीनेश्वर समरिये ॥ पंचमा चक्री जेह ॥ ती र्थकर सोलमा नमुं ॥शांतीकरण गुण गेह ॥ १ ॥ श्रीस्नात्र पुजा नली ॥ करुं स्तवना सार ॥ वास्तुक पुजा घरत णी ॥ करतां हरख पार ॥२॥ प्रथम घर प्रवेशमां ॥ पुजा भणावो उदार ॥ श्रवर वास्तुक दुर करो ॥ जे मी थ्या उपचार ॥ ३ ॥ पुजा पुजादीक प्रते ॥ जल कलसा सुखकार ॥ पांच जरी नवराविए ॥ श्रीजीन अंगे धार ॥४॥ फल फुल नैवेद तेम ॥ वास दीप धुप जेह ॥ प्रभु या गल ते धोइए ॥ शांती होए संत तेह ॥ ५ ॥ अथः ढाल १ ली श्री हिंत पद ध्याइए ॥ए देसी ॥ शांतीजीनेश्वर पुजतां ॥ होवे शांती अपाररे ॥ वास्तुक घर मांहे कीजीए ॥ ए पुजा मनुहाररे ॥ शांतीजीनेश्वर पुजी ॥ १ ॥ वास्तुक दोय प्रकारनं ॥ द्रव्य भाव ते जा गोरे ॥ द्रव्य वास्तुक दोय भेदथी । शुभ अशुभ कहा गोरे ॥शांती ० २॥ होमादीक घरमा करे ॥ ब्राह्मण भो जन जासरे ॥ कोला प्रमुख वीदारतो ॥ मनुष घात होय तासरे ॥ शांती० ३ ॥ श्रीफल प्रमुख होमता ॥ पंचेंद्री ठरावी तासरे ॥ ए त्रपमंगलीक जाणीए ॥ जीहां जीवPage Navigation
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