Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 11
________________ श्रीवास्तुकपुजा. टीएरे ॥ तेम तेम पाप पलाय सलुणा ए देशी ॥ स्नात्र नावी प्रभु तणुरे || पुजा रचो मनुहार सलुणा ॥ श्रां ॥ गी रचो नव नव पेरेरे ॥ दीपक झाक झमाल सलुषा ॥ श्रीशांतीजीन पुजी एरे॥तेम तेम मंगलीक थाय सलुणा ॥ ए श्रांकणी ॥१॥ गर्ज थकां मरगी हरेरे ॥ हेवो गुण छे जास सलुणा ॥ सर्व उपद्रव हरे सहीरे ॥ याधी व्याधी नही तास सलु ॥ श्री शांती ० २ ॥ द्रव्य वास्तुक पुजा वीशेरे ॥ पुजा भावो एह सलुषा ॥ जथा शक्ती तुमे वावरोरे ॥ स्वामीवछल गुण गेह सलु|| || श्रीशांती३ ॥ एम वास्तुक पुजा करोरे ॥ तजी वर पक्ष सलुणा ॥ अन्य मती कह्युं नवी करोरे ॥ समजी ज्ञान दक्ष सलु णा ॥ श्री शांती ०४॥ द्रव्य वास्तुक एम जाखीयुरे ॥ मा हामंगलीकनुं घर सलुषा । एणी वीधी वास्तुक कीजी एरे ॥ होवे वंछीत सर सलणा ॥ श्री शांती० ५॥ हवे भाव वास्तुक दाखवुंरे ॥ आगमने अनुसार सलुणा ॥ समजी लेजो प्राणीयारे ॥ ज्ञानी वचन सुखकार सलुणा ॥ श्री शांती ०६ ॥ नाव वास्तुक जे करेरे ॥ तेह लहे भव पार सलुणा ॥ संक्षेपे ते वरणबुंरे ॥ ते सुणजो अधीकार स लुणा ॥ श्री शांती० ७ ॥ नाव वास्तुक श्री शांतीजीरे ॥ करी पाम्या सीव वास सलुणा ॥ मुनी हुकम वास्तुक करेरे ॥ क्षय पद उल्लास सलुणा ॥ श्री शांती ० ८ ॥ ३

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