Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 12
________________ श्रीवास्तुकपुजा. काव्य प्रथम प्रमाणे॥ पुजा बीजी संपूर्ण ॥ . · पुजा त्रिजी॥दुहा॥वास्तुक पुजाभावथीभावमांही तेसाते अधिकार ते वरण।समजी लेजोविचार॥१॥ ढाल ३जी॥ धनधन ते जग प्राणीश्रा मन मोहन मेरे। ए देशी॥ वास वसो स्वनावमा मन मोहन मेरे॥ तजी तुमे पर दुर॥ मन मोहन मेरे। काल अनादी अनंतनी॥ मन मोहन मेरो।मोहदशामां पुर॥ मन मोहन मेरे॥१॥ तेहथी भवभ्रमण कर्य।मन०॥चौगती संसारामनाला ख चोरासी योनी विशे ॥मन०॥नाव्यो दुःखनो पार॥ म०२॥असं व्यवहार नीगोदमे॥मन०॥ काल अनादी संतमन०॥ पुनरपी पुनरपी उपन्यो ॥मन०॥ जोगव तो दुःख अनंत मन:३॥ कोइक कर्म विवर थकी म न०॥ अकाम निर्जरा जाणमन०॥ व्यवहार रासीमां आवियोमन०॥थावरादी वखाणामन०४॥ बे ती चोरें द्रीमां नम्यो मन०॥ तेम असंज्ञी विचार मन०॥ज लचर थलचर खेचरा ॥मन०॥ उरपरीभुज परीधाम न०५॥ संज्ञी पंचेंद्रीने विषे॥मन०॥ नरक त्रीजंच धार ॥मन०॥ देव मनुष पण तेम थयो।मन०॥पण नही वा स्तु उदारमन०६॥जेह जेह वास्तु जीहां करयुमन०॥ ते ते पाप उपचार ॥मन०॥ जीवहंसाथी सुख नही॥ म नासमजो सवी संसारमन०७॥ते कारण होम यज्ञ -

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