Book Title: Acharanga Sutram Uttar Bhag
Author(s): Tattvadarshanvijay, 
Publisher: Parampad Prakashan

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Page 12
________________ श्रीमोतीलाल बनारसीदास'नाभपुस्तक प्रकाशनसंस्थया प्रकाशिता दुन्यादुद्धतम् पूज्यपाद विद्वद्र्य मुनिप्रवर श्रीजम्बूविजयमहोदयै विहितम् 3२८०, 'यचित 316010 मायारम्सु 330 A1 यर्थप साधुः शम्यायाः संस्कारे विधातव्ये प साधुः शय्यायाः संस्कार किया 331 AS "विषिप्रति 3400, तत्र पञ्चमो' खलु भगवया मीसजाए त्ति 337 8८ तत्र भक्ताओं 3१८803 समारंभ 3310८ "राले 'से' तस्व 3308 २६ गाणिमो 321A1 सप्त सप्तकका 334AT 'लापका: 330 8.10 'मेकम्यम् 32163 कुक्कुटस्य . Ae पुरा पजूहिए 6१२हुस्था वा 321AY "घिमासकस्वभावा A१२ प्रवर्तनाधि 8 3 'स्तमेवाश्रयं [प्र.] 32.8 3 वचन: [प्र.] 8११ सिहरिणि 2 A ५ पवियारणा [प्र.] 322A२ से य पाहच्चेत्यादि AS पूर्व भगवन्तः 330 AS तां ककः कश्चि। ३२२017 अभिरकताभज्जियं 33 A . "त्येवं कुर्यात् [प्र.] 3328 1 केवल रजो 323AS चतुर्थ, भङ्गके १० 'लोय' इन्द्रियानु' 83265 तरेतरकुला' 335 323०१२ प्रणभिक्कताभज्जिय B५ प्रासंषणादि 32 Be पिण्डादिदोषरहितं 323810 तथा तिलगोषमादेः 335 B20 परिभुज्जमाण 30 823 प्राइनोवमाणं ३२५A ५ अस्सिंपडियाए 339 A 3. 'दयोऽप्यम मन' 3243 'कृत वा तेनैव दात्रा ५ तथाऽर्गला बा तपागलापाशका वा 3२५९ उद्दिशन् प्रगणय्य A 27 'भिसंधार्य 330A 3 'ल्पसरजस्क B५ जुगुप्साउनेषणी 325A२ खलुशब्दो वाक्या' 330AS पोवाए वाखाणं वा A५ परितापा (पाता? )दिरक्षणा' 325BE प्रमाणाङ्गारधूम [प्र.] 330A ९० प्रति प्रतिपच तस्मिन् A संनिवयमा 3२० र विशोधिकोटि' । 330 AM रिच्छ ति अक्षम् [१०] 8 3 बृहदारो ३२०१३ कलोवादि ति पच्छी पिटक वा B1 बृहदारं 3368 3 कुर्यात, तयथा - तमाहारं गृहीत्वा 3294.3 सनिधिः तूष्णीको गच्छन्नवमुत्प्रेक्षेत B4/5 संस्तृतान्329B5 बोकसानियकुलागि 3368. युप्मम् B८ यथा षण्मास [प्र.] ३२८१२. 'थेण्यादिः [प्र०] 337A3 प्रतिगृह्णीयात् 336 87 सह, माम्भोगिकः सहाप्यालोचना بیا بیا يي ليا به لي به لي لما لها لنا لما فيا لها في 33. يا لنا ليا لي في نيا نيا نيه له لنا ليا لما نيا با لبا بيا ا لا لا ليا يا نا لیا ہو

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