Book Title: Acharanga Stram Part 02
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie आचा० 45- 15 सूत्रम् ॥२२॥ ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ॥ श्रीआचारांगसूत्रम् ॥ ( मुळ अने शीलांकाचायें रचेली टीकार्नु भाषान्तर ) (भाग बीजो) छपावी प्रसिद्ध करनार-पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगर) ॥२२१॥ HOREOGRACEUROCESCREEG नमः श्रीवर्कमानाय, वर्डमानाय पर्ययैः । उक्ताचार प्रपञ्चाय, निष्प्रपञ्चायतायिने ॥१॥ श्री वर्धमान स्वामीने नमस्कार थाओ जेओ पर्याय (आत्माना उत्तम गुणो) वडे निरंतर वघेला छे. तथा आचारनो विस्तार जेमणे कयो छे तथा संसारी प्रपंच (रागद्वेष) थी सर्वथा मुक्त छे अने सर्व जीवोना रक्षक छे. शस्त्रपरिज्ञाविवरणमतिगहनमितीव किल वृतं प्रज्यैः । श्रीगन्धहस्तिमिद्वेर्विवृणोमि ततोऽहमवशिष्टम् ॥२॥ 3 45696 For Private and Personal Use Only

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