Book Title: Achar Dinkar Part-2
Author(s): Vardhmansuri,
Publisher: Kesrisingh Oswal Khamgamwala Mumbai
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Jain Education Interna
विषयनाम प्रायश्चित्तानुचारककर्तृलक्षणम् आलोचनाग्रहणकालः प्रायश्चित्तानाचरणे दोषः
प्रायश्चित्ताचरणे गुणाः प्रायश्चित्तग्रहणविधिः आलोचनाई प्रायश्चित्तम्
प्रतिक्रमणा यथा आलोचनाप्रतिक्रमणोभयार्हम् विवेकाप्रायश्चित्तम् कायोत्सर्गार्हम्
तपोईप्रायश्चित्तम् सूक्ष्मसूक्ष्मतपोविभागसंकलना ज्ञानातिचारेषु प्रायश्चित्तम्
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पत्र | विषयनाम
२४० तपआचारे प्रायश्चित्तम् २४० वीर्यातिचारे खण्डिते प्राय०
२४० पुरुषप्रतिसेवायाम् २४१ छेदार्ह प्रायश्चित्तम्
२४१ मूलाई प्रायश्चित्तम्
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२४२ अनावृत्तार्ह
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२४२ पराश्चिकं
२४२ श्रावकजीतकल्पः
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२४२ लघुजीतकल्पः
२४२ व्यवहारजीतकल्पे यतिश्रावक२४३ प्रायश्चित्तविधिः २४३ प्रकीर्णप्रायश्चित्तं भावप्रायश्चित्तं च २४४ स्नानार्ह प्रायश्चित्तम्
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पत्रं विषयनाम
२४६ तपोप्रायश्चित्तम् २४६ | दानार्हप्रायश्चित्तम् २४७ विशोधनार्हप्रायश्चित्तम् २४७ प्रायश्चित्तकोष्टकम्
२४७
२४७ जीतकल्पयत्रम्
२४८ कोषत्रयोदशक्रमेण यत्रम् २४८ निरपेक्षकृतादियत्रम् .... २४९ ऋतुपरत्वेन दानकोष्टकम् स्वाध्याय चातुर्विध्यम्
अथावश्यकाधिकारः ३८
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२५४ | चतुर्विंशतिस्तवः २५७ चैत्यस्तवव्याख्या
२५८ श्रुतस्तवव्याख्या
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पत्र
२५८
२५९
२५९
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