Book Title: Achar Dinkar Part-2
Author(s): Vardhmansuri, 
Publisher: Kesrisingh Oswal Khamgamwala Mumbai

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Page 13
________________ अनुक्रम दिनकरः माचार विषयनाम दि प्रतिश्रुतदेवतास्तवः सामायिकातिचारः ॥४॥ योगत्रयसमस्तातिचारः ... सार्वातिचारानाह सम्यग्दृष्टेरल्पं कर्मबन्धमाह ... कायोत्सर्गाः भङ्गकरान्तराणि कायोत्सर्गस्य प्रत्याख्यानं व्याख्या च प्रत्याख्यानशुद्धिः षडिधा .... आवश्यकसामायिकम् पौषधविधिः चैत्यवन्दनयोजना है वन्दनकयोजना पत्रं विषयनाम 'पत्रं | विषयनाम ३०५ ईर्यापथिकी ३२५४ सर्वाङ्गसुन्दरादिफलतपासि ३०८ चैत्यवन्दनादीनां प्रतिक्रमणयुक्तिः ३२५/५ इन्द्रियजयतपः ३०९ पाक्षिके विशेषः ३२८६ कषायजयतपः ३०९ कायोत्सर्गयोजना ३३०७ योगशुद्धितपः ३१० दशविधप्रत्याख्यानानि ३३१८ धर्मचक्रतपः ३११ पिण्डितप्रत्याख्यानानि ३३१ ९।१० लघुअष्टाहिकातपोद्वयं ३११ अभिग्रहाः ३३२ ११ कर्मसूदनतपः .... ३१२ नृपादीनामावश्यकविधिः .... ३३३ गीतार्थाचीर्णानि तपांसि .... ३१७ अथ तपोविध्यधिकारः ३९ द्वितीया कल्याणतकपोरीतिः ३१९ वपस्वरूपम् ३३४१ कल्याणकतपः ३२०१ जिनोक्तानि तपांसि .... ३३५२ ज्ञानादित्रीणि तपांसि ३२३२ कल्याणकादितपांसि ३३६३ दर्शनतपः ३२४३ गीतार्थानि तपांसि .... ३३६४ चारित्रतपः ur999 __mmmmmmmmmmmm Emr mr mmmmmm 00000 ० ० ० ० ० Au Jain Education Inter For Private & Personal Use Only Klaw.jainelibrary.org

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