Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 03
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सूक्ति
182.
237.
273.
73.
193.
101.
177.
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17.
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106.
214.
117.
सूक्ति का अंश
जे गुणे से मूलट्ठाणे, जे मूलट्ठाणे से गुणे । जे न वंदे न से कुप्पे वंदिओ न समुक्कसे ।
जे कंते पिए भए ।
जो संजओ पत्तो । जोगिइ गुरुवणं
ण
ण कम्मुणा कम्म खवेंति बाला ।
य किंचि अणुन्नायं ।
इमं चित्त समादाय, भुज्जो लोयंसि जायति ।
णा
णाणस्स होइ भागी ।
णि
णिद्धूय कम्मं ण पवञ्चवेति ।
णो
सुलभं बोहिं च आहितं ।
अभिधान राजेन्द्र कोष
भाग
पृष्ठ
ते काम भोग रस गिद्धा ।
ते आततो पासति सव्वलोए ।
तं
तं ठाणं सासयं वासं
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त
तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहिं पवेइयं । तव संजम गुणधारी ।
तपः स्वाध्यायेश्वर प्रणिधानानि क्रिया योगः ।
3
तस्मात् चारित्रमेव प्रधानं मुक्ति कारणं
3
ते
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3
3
3
थ
थति लुप्पंति तसंति कम्मी ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-3• 134
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