Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 03
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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कमा
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दुर्विनीत
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54
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124
230 283 161
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दुष्पूरा तृष्णा देखो, चलो देवाधिदेव वीतराग देश-कालज्ञ देह-पोषण के लिए वध-त्याज्य देह-त्याग दोष-परित्याग
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129 58 130 65 131
187 1327 13356 134 77 135 174
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197
208 212
137 138 139 140
249 252
दम्भ-विजय-विधि धन्य अंतेवासी धर्म से अनभिज्ञ धर्म है सन्तजनों का शणगार धर्म-मूल धर्म-बीज धर्म-प्रतीक धर्म उत्तम शरण धर्म-द्वीप धर्माचरण दुर्लभ धर्म-श्रवण अति दुर्लभ ध्यान न भाषा न पाण्डित्य नमस्कार आते-जाते नम्रता नरक-द्वार है; अहंकार नाविक और नौका निर्ग्रन्थ-प्ररूपित निर्दोष-ग्राह्य निर्मल-चित्त निरवद्य-वक्ता
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 . 149
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