Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 03
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सूक्ति का अंश
अभिधान राजेन्द्र कोव भाग पृष्ठ
SHETTES
239.
छंदं से पडिलेहए।
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991
143. छिंद गिद्धिं सिणेहं च ।
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751
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332
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26. जहा आसाविणिं णावं ।
जहा लाभो तहा लोभो ।
जगनिस्सिएहिं भूसहि । 84. जह नाम महुर सलिलं ।
जम्हा विणयइ कम्मं । 87. जह दूओ रायाणं । 172.. जह भमरमहुयरिंगणा ।
जरामरणवेगेणं बुड्ढमाणाण पाणिणं ।
जसं संचिण खंतिए। 277. जहा दड्ढाण बीयाण ।
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525 877 965 1054
208.
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254.
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1184
50.
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135.
जायाए घासमेसेज्जा । जावन्तिऽविज्जा पुरिसा, सव्वे ते दुक्ख सम्भवा। 3 जावइया नयवाया । जा उ अस्साविणी नावा ।
390 750 794 965
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158. 209.
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1057
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256. जिय कोह माण माया । 243. जीवा सोहि मणुप्पत्ता, आययंति मणुस्सयं ।। 284. जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जति । 285. जीवाहारो भण्णइ आयासे ।।
1052 1336
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1343
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11. 148. 164. 181. (
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जे एगं णामे से बहुं णामे । जे केइ सरीरे सत्ता । जे मोहदंसी से गब्भदंसी।
3 जे गुणे से आवट्टे, जे आवट्टे से गुणे । अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 . 133
840 908
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