Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 03
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सूक्ति
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188.
40.
138.
63.
67.
8.
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199.
255.
72.
249.
सूक्ति का अंश
लज्जा दया संजम बंभचेरं ।
लाभा लोभो पवड्ढई ।
ला
लु
लुप्पन्ति बहुसो मूढा, संसारम्मि अनंतए ।
लो
लोभो सव्वविणासणो ।
लोभं संतोसओ जिणे ।
व
वयसा वि एगे बुइता कुप्पति माणवा ।
वसुंधरेयं जह वीर भोज्जा ।
वपनं धर्मबीजस्य ।
वस्तुतस्तु गुणैः पूर्ण ।
वा
वाएणविणापोओ, न चएइ महण्णवं तरिउं ।
वि
अभिधान राजेन्द्र कोष
भाग
५४
विन्नाणेणं समागम्म, धम्मसाहणमिच्छ्यिं ।
fafe कम्णो हे ।
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विजहित्तु पुव्वसंजोगं ।
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वियमूलो धम्मोति ।
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विसुद्ध पायच्छित्ते य जीवे निवुयहियए ओहरिय । 3
विणओसासणे मूलं ।
3
विसन्ना विसयं गणाहि ।
3
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3
वी
वीयराग भाव पडिवन्ने वियणं ।
वीरियं पुण दुल्लहं ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3• 139
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