Book Title: Aagam 01 ACHAR Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 849
________________ आगम (०१) “आचार" - अंगसूत्र-१ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) श्रुतस्कंध [२.], चुडा [३], अध्ययन -1, उद्देशक [-1, मूलं [१७६], नियुक्ति: [३४१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] “आचार" मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत् वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१७६] दीप अनुक्रम [५१०] नोपभिइ इमं कुलं विपुलेणं हिरनेणं० संखसिलापवालेणं अतीव २ परिबइ वा होउ ण कुमारे बद्धमाणे, सभी थे समणे भगवं महावीरे पंचधाइपरिबुडे, तं०-खीरधाईए १ मजणधाईए २ भंडणधाईए ३ खेलावणधाइए ४ अंकथा०५ अंकाभो अकं साहरिजमाणे रम्मे मणिकुट्टिमतले गिरिकंदरसमुल्लीणेविव चंपथपायवे अहाणुपुवीए संवडइ, तओ णं समणे भगवं विनायपरिणय (मित्ते) विणियत्तबालभावे अप्पुस्सुयाई उरालाई माणुस्सगाई पंचलक्खणाई कामभोगाई सरफरिसरसरूवगंधाई परियारेमाणे एवं च णं विहरइ । (सू०१७६)। समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते तस्स णं इमे तिन्नि नामधिज्जा एषमाहिजंति, संजहा-अम्मापिउसंति वद्धमाणे १ सहसंमुइए समणे २ भीमं भयभेरवं उरालं अवेलयं परीसहसहत्तिकटु देवेहि से नाम कयं समणे भगवं महावीरे ३, समणस्स गं भगवओ महावीरस्स पिया कासवगुत्तेणं तस्स गं तिन्नि नाम० त०-सिद्धत्थे इ वा सिजसे इ वा जसंसे इवा, समणस्स f० अम्मा वासिहरसगुत्ता तीसे णं तिनि ना०, तं०-तिसला इ वा विदेहविना इ वा पियकारिणी इ वा, समणस्स णं भ० पित्तिअए सुपासे कासवगुत्तेणं, समण जितु भाया नंदिवद्धणे कासवगुत्तेणं, समणस्स णं जेट्ठा भइणी सुदंसणा कासवगुत्तेणं, समणस्स णं भग० भज्जा जसोया कोडिनागुत्तेणं, समणस्स f० धूया कासवगोत्रेणं तीसे णं दो नामधिज्जा एवमा०-अणुज्या इ वा पियदसणा इवा, समणस्स णं भ० नत्तूई कोसिया गुत्तेणं तीसे णं दो नाम० त०-सेसवई इ वा जसवई इवा, (सू०१७७)। समणस्स गं० ३ अम्मापियरो पासावचिजा समणोबासगा यावि हुत्या, ते णं बहूई बासाई समणोबासगपरियागं पालइक्ता छण्हं जीवनिकायाणं सारक्यणनिमित्तं आलोइत्ता निदित्ता गरिदित्ता पटिकमित्ता अहारिहं उत्तरगुणपायच्छित्ताई पडिवजित्ता कुससंथारगं दुरू wwwandltimaryam ~848~#

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