Book Title: Aagam 01 ACHAR Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम (०१)
प्रत
सूत्रांक
[१७९ ]
दीप
अनुक्रम
[...]
५४० ]
66
अंगसूत्र - १ (मूलं निर्युक्तिः + वृत्तिः )
"आचार" श्रुतस्कंध [२. ], चुडा [३], अध्ययन [ - ], उद्देशक [-], मूलं [ १७९ ], निर्युक्ति: [ ३४१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..... आगमसूत्र - [०१], अंग सूत्र [०१] “आचार” मूलं एवं शिलांकाचार्य कृत् वृत्तिः
Jan Estication matinal
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अणायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए, केवली वूया० - आयाणभंडमत्तनिक्स्प्रेषणाअसमिए से निग्ये पाणाई भूवाई जीवाई सत्ताई अहिणिजा वा जान उद्दविज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निगगंधे, नो आयाणभंडनिक्खेवणाअसमिपत्ति उत्था भावणा ४ अहावरा पंचमा भावणा-आलोश्वपाणभोवणभोई से निग्गंध तो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली वूया० – अणालोईयपाणभोयणभोई से निग्र्गये पाणाणि वा ४ अभिहणिज्न वा जाव उवि वा तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निगांये नो अणालोईयपाणभोयणभोईति पंचमा भावणा ५ । एयावता महव्वए सम्मं कारण फांसिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्टिए आणाए आराहिए यावि भवइ पढमे भंते! महत्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ अहावरं दुषं महत्वयं पचक्खामि सव्वं मुसावायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिज्जा नेवनेणं मुखं भासाविजा अनंपि मुसं भासतं न समणुमन्निजा तिविहं तिबिहेणं मणसा वयसा कायसा तस्स भंते! पडिकमामि जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति तत्थिमा पढमा भावणा - अणुवीभासी से निम्गंथे नो अणुवी भासी, केवली बूया०-अणणुवीइभासी से निम्नगंधे समावज्जिज्ज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निग्गंधे नो अणुवी भासित्ति पढमा भावणा । अहावरा दुच्चा भावणा - कोई परियाणा से निम्गंधे नो कोहणे सिया, केवली वूया - कोहपत्ते कोहत्तं समावइज्जा भोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंथे न य कोहणे सियन्ति दुच्चा भावणा । अहावरा तथा भावणा-लोमं परिया से निग्ये नो अ लोभणए सिया, केवली वूया -लोभपत्ते लोभी समावइज्जा मोसं वयणाए, लोभं परियाणा से निगंधे तो य लोभणए सियत्ति तथा भावणा | अवरा चढत्या भावणा-भयं परिजाणइ से
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