Book Title: 24 Tirthankar Darshan Chaityavandan Stuti aur Thoy
Author(s): Ajaysagar
Publisher: Z_Aradhana_Ganga_009725.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ श्री सुमतिनाथ भगवान चैत्यवंदन सुमतिनाथ सुहंकरूं, कोसल्ला जस नयरी, मेघराय मंगला तणो, नंदन जितवयरी. क्रौंच लंछन जिनराजियो, त्रणशें धनुषनी देह, चाळीश लाख पूरवतणुं, आयु अति गुणगेह. सुमति गुणे करी जे भर्या ए, तर्या संसार अगाध तस पदपद्म सेवा थकी, लहो सुख अव्याबाध. Wwod सोभागी०१ सोभागी०२ स्तवन सुमतिनाथ गुणशुं मिलीजी, वाधे मुज मन प्रीति, तेल बिंदु जिम विस्तरेजी, जलमांहे भली रीति, सोभागी जिन शुं लाग्यो अविहड रंग सज्जनशुं जे प्रीतडीजी, छानी ते न रखाय; परिमल कस्तुरी तणोजी, महीमांहे महकाय. आंगळीए नवि मेरु ढंकाये, छाबडीए रवि तेज; अंजलीमां जिम गंग न माये, मुज मन तिम प्रभु हेज. हुओ छीपे नहीं अधर अरुण जिम, खातां पान सुरंग; पीवत भर भर प्रभु गुण प्याला, तिम मुज प्रेम अभंग. ढांकी ईक्षु पराळशुंजी, न रहे लही विस्तार; 'वाचक यश' कहे प्रभु तणोजी, तिम मुज प्रेम प्रकार. सोभागी०३ सोभागी०४ सोभागी०५ 6 स्तुति सन्मति धारे दुर्मति, त्यागी जे नरनारी,सुमति प्रभु भक्तो खरा, नीतिरीति धारी; सुमति ग्रही शुद्ध भावथी, आत्मभावे रमंता,निश्चयनय सुमति प्रभु, आपोआप नमंता. १ HOMMONOKARKONKOROLAMORON) SHALA SESANEL

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50