Book Title: 24 Tirthankar Darshan Chaityavandan Stuti aur Thoy
Author(s): Ajaysagar
Publisher: Z_Aradhana_Ganga_009725.pdf
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श्री सुपार्श्वनाथ भगवान
चैत्यवंदन
सुपार्श्वनाथ छे सातमा, तीर्थंकर जिनराजा; पासे प्रभु सुपार्श्व तो, आतम जगनो राजा. आतममां प्रभु पास छे, बाहिर मूर्खा शोधे; अंतरमां प्रभु ध्यानथी, ज्ञानी भक्तो बोधे. द्रव्यभावथी वंदीए ए, ध्याईजे प्रभु पास; एकवार पाम्या पछी, टळे नहीं विश्वास.
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२
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स्तवन
अहा सुंदर शी छबी तारी रे, श्री सुपार्श्व जिणंद मनोहारी.... तुज चोत्रिस अतिशय छाजे रे, गुण पांत्रीश वाणी ए गाजे रे, तुज अद्भुत कांति सारी रे....
प्रभु आंखडी कामणगारी, अति हर्षने उपजावनारी
संसारने छेदनकारी रे...
प्रभु मायामां मनडु लाग्युं, मारुं भवनुं दुखडु भांग्युं रे, हुं भक्ति करुं नित्य ताहरी रे....
हुं विषय रसमांही राच्यो, आठे मदमांही माच्यो रे प्रभु आव्यो शरण ल्यो उगारी रे....
तुज पदकज सेवा पामी, विजय गुलाब सवि दुख वामी रे, मणीविजयने आनंद भारी रे....
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५
६
स्तुति
सुपास जिन वाणी, सांभळे जेह प्राणी, हृदये पहेंचाणी, ते तर्या भव्य प्राणी; पांत्रीश गुण खाणी, सूत्रमां जे गुंथाणी, षट् द्रव्यशुं जाणी, कर्म पीले ज्युं घाणी.

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