Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र ॥ श्री आगम-गुण-मञ्जूषा ॥ ।। श्री भागम-गुण-मंभूषा ।। II Sri Agama Guna Manjusa II (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू. आ. भ. स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३) श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है। जीव और अजीव के बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताई है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पन्नवणासूत्र के ही पदार्थ है। यह आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४) श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है। इसमे ३६ पदो का वर्णन है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। ५) ६) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, २२०० श्लोक है। ७) श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है । ६ आरे के स्वरूप बताया है । ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। ९) ८) श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे गये उसका वर्णन है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्मकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है। चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। १२) श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली परचक भी कहते है। दश प्रकीर्णक सूत्र १) श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है । २) श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना और मृत्युसुधार ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार ( १ ) भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है । ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन है । इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। ७) श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने में समजाया गया है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित अन्य बातों का वर्णन है। १०) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। MO६५६६५६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ श्री आगमगुणमंजूषा H Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ (3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas. (5) Surya-prajñapti-sūtra and (6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas. (7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas. Nirayavali-pancaka: (8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age. (9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others. (10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others. (12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03 JARNANAK one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha. JARD DA DA DA DA DAS III Ten Payanna-sutras : (1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved). (2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee (4) Padapopagamana, etc. (4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka. ** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. ** (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life. (6) Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death. (7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death. (9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations. (10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology. These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas. Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās. Only « KAAKAKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKOYOX www.jainelibrary.o Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** IV Six Cheda-sūtras ********** (2) Nisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-sutra, YU MUNU AM VIÀO QUN ********¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ (1) Vyavahara-sutra, (3) Mahānisitha-sutra, (5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. V Four Malasitras (1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups 2010 03 of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa. VI Two Culikäs (1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas. (2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 Ślokas. ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶__¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 11111 sssssી સગવાતીબાવધ કકકકકકકકકકકકકકકડડડડડડડડડoછે. વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૭ : આમાં સૂર્યમંડળોના સંસ્થાન સંબંધી આઠ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાકૃત-પ્રાભૃત - ૮: આમાં સૂર્યમંડળોના આયામ, વિખંભ વગેરે તેમજ તદનુસાર દિવસ-રાતના મુહૂર્તોની હાનિવૃદ્ધિ નું વર્ણન છે. પ્રાભૃત - ૨ પ્રાભૃત - પ્રાભૃત - ૧: આમાં સૂર્યની ત્રાંસી ગતિ વિષે આઠ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાકૃત – પ્રાભૃત - ૨ : આમાં સૂર્યના એક મંડળમાંથી બીજા મંડળમાં સંક્રમણ વિષે આગમ - ૧૬, ૧૭ વર્ણન છે. ગણિતાનુયોગમય સૂર્યપ્રાપ્તિ સૂત્ર - ચંદ્રપ્રશસિ - ૧૬, ૧૭ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૩: આમાં એક મુહૂર્તમાં સૂર્યની ગતિના પરિમાણ વિષે નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત - : આમાં સૂર્યના તાપનું ક્ષેત્ર તેમજ ચંદ્રના ઉદ્યોતનું ક્ષેત્ર તે વિષે ૧૨ અન્ય નામ:- સૂરપણત્તિ, સૂરિયાણત્તિ, ચંઇપણત્તિ. પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. અધ્યયન -... પ્રાભૃત - Y: આમાં ચંદ્ર-સૂર્યના સંસ્થાનના ભેદ અને તે વિષે ૧૬ પ્રતિપત્તિઓ તથા પ્રાભૃત ------- ----- ૨૦ + ૨૦ દરેક મંડળમાં ઉદ્યોત, તાપ અને અંધકારના ક્ષેત્રોના સંસ્થાનનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત પ્રાભૃત --- -----૩૧ + ૩૧ પ્રાકૃત - ૫ : આમાં સૂર્યના લેસ્યા-તાપના પ્રતિઘાતક વિષે ૧૦ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. ઉપલબ્ધ પાઠ - ૨૨૦૦ + ૨૨ ૦૦ શ્લોક પ્રમાણ પ્રાભૃત - ૬: આમાં સૂર્યની ઓન- સંસ્થિતિ વિષે ૨૫ પ્રતિપત્તિઓ તેમજ અવગાહિત ગધસૂત્ર ---- -૧૦૮ + ૧૦૮ - અનવગાહિત અને અવસ્થિત - અનવસ્થિત મંડળનું વર્ણન છે. પઘસૂત્ર ---- ---- ૧૦૩ + ૧૦૩ પ્રાભૃત - ૭ : આમાં સૂર્ય દ્વારા પ્રકાશિત થતા સ્થૂળ-સૂક્ષ્મ પદાર્થ વિષે ૨૦ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૂત - ૧ પ્રાભૃત - ૮: આમાં સૂર્યની ઉદયદિશાવિષે ત્રણ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ તથા જંબુદ્વીપના પ્રાભૃત - પ્રાભૃત - ૧ : આમાં અરિહંતને વંદના કરીને મિથિલા વગેરેના વર્ણન પછી દક્ષિણાર્ધ અને ઉત્તરાર્ધમાં ઋતુ, અયન વગેરે વિભિન્ન ક્ષેત્રોના દિવસ-રાત તેમજ ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, ઈન્દ્રભૂતિ ગૌતમની જિજ્ઞાસા અને ૨૦ પ્રાભૂતોનો વચ્ચે ઉત્સર્પિણી – અવસર્પિણી કાળનું વર્ણન છે. વિષય, મુહૂર્તોની હાનિ-વૃદ્ધિ વગેરે વર્ણન છે. પ્રાભૂત - ૯ : પૌરુષી છાયાપ્રમાણ નામના આ પ્રાભૃતમાં પૌરુષી છાયાના મૂલકારણ, પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૨ : આમાં સૂર્યના દક્ષિણાયન અને ઉત્તરાયણના જઘન્ય - ઉત્કૃષ્ટ મૂળ વિભાગ અને તે વિષે ૨૫ પ્રતિપત્તિઓ વગેરેનું વર્ણન કરી અને પુરુષની ૨૫ પ્રકારની મુહૂર્ત અને તેના હાનિ-વૃદ્ધિનું વર્ણન છે. છાયાનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૩ : આમાં ભરતક્ષેત્ર તથા ઐરાવત ક્ષેત્રના સૂર્યના ઉદ્યોત ક્ષેત્રનું 3 પ્રાભૃત - ૧૦ વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧ : આમાં ચંદ્ર-સૂર્ય સાથે નક્ષત્રોના યોગ અને તે વિષે પાંચ ક પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૪ : આમાં એક સૂર્યની ગતિના અંતરની વાત છે, પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત – ૫ : આમાં સૂર્ય દ્વારા દ્વીપ- સમુદ્રોના અવગાહન સંબંધી વર્ણન છે. પ્રાકૃત-પ્રાભૃત - ૨ : આમાં ચંદ્ર-સૂર્ય સાથે યોગમાં આવતા નાત્રોના મુહૂર્ત-પરિમાણ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૬ : આમાં સૂર્ય દ્વારા એક દિવસ-રાતમાં સ્પર્શ કરાતા ક્ષેત્રોના વિષે કે વર્ણિત છે. BUCyYyyH5 544555 ભાગમગુvમંગૂષા - ૪૦ Fકકકકક કકકકકક કકક શ©. Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C$$$$$%玩玩乐乐玩玩乐乐明纸听听听听听听听听听听听听听垢乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 GOwk y k kË સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ k¥ÉÉ ¥ÉÉ¥ÉÉH OF પ્રાભૃત- પ્રાભૃત - ૭ : આમાં પૂર્વ-પશ્ચિમ અને ઉભય ભાગોથી ચંદ્ર સાથે યોગ કરનારા નિરૂપણ છે. નક્ષત્રોનું નિરૂપણ છે. - પ્રાભૃત - ૧૨: પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૪ : આમાં યુગારંભે યોગ કરનારા નક્ષત્રોના પૂર્વાદિ વિભાગોનું વર્ણન છે. આમાં પાંચ પ્રકારના સંવત્સરોના મુહૂર્ત, દિવસ-રાત વગેરે, છ ઋતુઓ, ક્ષયતિથિપ્રાભૃત-પ્રાભૃત ૫ : આમાં નક્ષત્રોના કુળ – ઉપકુળ - કુળોપકુળ નું નિરૂપણ છે. વૃદ્ધિતિથિ વગેરેના વર્ણન પછી પાંચ પ્રકારના સંવત્સરોના યોગ, યોગકાળ વગેરે વર્ણન પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૬ : આમાં ૧૨ પૂર્ણિમા તેમજ ૧૨ અમાવાસ્યામાં નક્ષત્રોના યોગ છે. છે તથા તેમના નક્ષત્રોના કુળ - ઉપકુળ - કુળોપકુળનું વર્ણન છે. પ્રાકૃત - ૧૩: પ્રાભૃત - પ્રાભૃત - ૭ : આમાં એકસરખા નક્ષત્રોથી યુક્ત પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યાનું આમાં કૃષ્ણ શુક્લ પક્ષમાં ચંદ્રની હાનિ-વૃદ્ધિ તથા ચંદ્ર-સૂર્યનો રાહુ સાથે યોગ ૪ નિરૂપણ છે. વગેરે વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત – ૮-૯ : આ બંનેમાં અનુક્રમે નક્ષત્રોના સંસ્થાન અને તારાઓનું પ્રાભૃત - ૧૪ વર્ણન છે. આમાં કૃષ્ણ-શુક્લ પક્ષમાં ચંદ્રપ્રકાશ અને અંધકારનું પ્રમાણ છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૦ : આમાં વર્ષ, હેમંત તેમજ ગ્રીષ્મ ઋતુઓમાં માસ ક્રમાનુસાર પ્રાભૃત - ૧૫ નક્ષત્રોના યોગ તથા પૌરુષી પ્રમાણનું વર્ણન છે. આમાં ચંદ્ર વગેરે જ્યોતિષી દેવોની ગતિ, મંડલગતિ, નક્ષત્રમાસ તેમજ ચંદ્રમાસ પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૧૧ : આમાં દક્ષિણ-ઉત્તર અને ઉભયમાર્ગે ચંદ્ર સાથે યોગ કરનારા વગેરેમાં સૂર્ય વગેરેની મંડલગતિ તેમજ ચંદ્ર, સૂર્ય વગેરે ગ્રહોની એક યુગમાં મંડલગતિ નક્ષત્રો તથા નક્ષત્રરહિત ચંદ્રમંડળ, સૂર્યરહિત ચંદ્રમંડળ વગેરે વાતો છે. વગેરે વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૧૨ : આમાં નક્ષત્રોના દેવતા જણાવ્યા છે. પ્રાભૃત - ૧૬ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૩ : આમાં ૩૦ મુહૂર્તોના નામ આપ્યાં છે. આમાં ચંદ્રિકા, તડકો તેમજ અંધકારના પર્યાયો આવ્યા છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧ ૧૫ : આ બંનેમાં અનુક્રમે ૧૫ દિવસ તથા ૧૫ રાત્રિના પ્રાભૃત - ૧૭ તેમજ તેમની તિથિઓના નામ બતાવ્યા છે. આમાં ચંદ્ર- સૂર્યના ચ્યવન-મરણ તેમજ ઉપપાત-જન્મ વગેરે વિષે ૨૫ કે પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૧૬-૧૭ : આ બંનેમાં અનુક્રમે નક્ષત્રોના ગોત્ર તેમજ તે નક્ષત્રોમાં પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. ભોજન-વિધાનનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત – ૧૮ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૮ : આમાં એક એક યુગમાં ચંદ્ર-સૂર્ય સાથેના નક્ષત્રોના યોગનું આમાં ભૂમિથી ચંદ્ર, સૂર્ય વગેરેની ઊંચાઈનું પરિમાણ અને તે વિષે ૨૫ ૨ વર્ણન છે. પ્રતિપત્તિઓ, જ્યોતિષી-દેવો, દ્વીપો વગેરેના એક બીજાથી અંતર તે દેવોની રાણીઓ છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૯ : આમાં સંવત્સરના માસતથા લૌકિક અને લોકોત્તર માસના નામ વગેરે તેમજ તે રાણીઓની જઘન્ય- ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ વગેરે વર્ણન છે. આપ્યાં છે. પ્રાકૃત - ૧૯ કે પ્રાભૃત-પ્રાકૃત – ૨૦.: આમાં સંવત્સર, નક્ષત્ર સંવત્સર, યુગ સંવત્સર, પ્રમાણ સંવત્સર, આમાં ચંદ્ર-સૂર્યના પ્રકાશિત વિભાગ વિષે ૧૨ પ્રતિપત્તિઓ તેમજ લવણ સમુદ્ર, પ લક્ષણ સંવત્સર તથા શનૈશ્વર સંવત્સરના પ્રકાર - પેટાપ્રકારનું નિરૂપણ છે. ઘાતકીખંડ, કાલોદધિ, પુષ્કરદ્વીપ અને પુષ્કરાઈ વગેરેના સંસ્થાન, આયામ વગેરે તેમજ 5 પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૨૧: આમાં નક્ષત્રોના દ્વાર વગેરે વિષે પાંચ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. ત્યાંના ચંદ્ર-સૂર્ય વગેરેના વર્ણનને અંતે સ્વયંભૂરમણદીપ પર્યન્ત વર્ણન છે. પ્રાકૃત-પ્રાકૃત - ૨૨ : આમાં બે-બે ચંદ્ર-સૂર્ય તથા તે બંનેની સાથે યોગ કરનારા પ્રાભૃત - ૨૦ નક્ષત્રો, તેમનો પાંચ પ્રકારના સંવત્સરમાં યોગ, તેમનું કાલપ્રમાણ વગેરે વર્ણન છે, આમાં ચંદ્ર- રાહુ - સૂર્ય ના નામ વિષયક, તેમના જ ઘન્ય - ઉત્કૃષ્ટ કાળ, ' પ્રાભૃત - ૧૧: માનવભોગોની તુલના અને ૮૦ ગ્રહોના નામ ’અંતે આ પ્રાપ્તિના પાત્ર- અપાત્ર આમાં પાંચ પ્રકારના સંવત્સરોના આરંભ અને અંત તથા તેમાંના નક્ષત્રોના યોગનું અને વીરવંદનાથી ઉપસંહાર કરવામાં આવ્યો છે. વૈક ક૬ ૬૬É ¥ÉE F શ્રી માગમગુofમનૂવા - ૪૬ F**k # ક્રF 5 FF #FFF F S GO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听G Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 听听听听乐乐乐明乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐乐乐国乐乐历历明明明明明明明明明明明明明明明明明明6C ( 0955555555555555 सिरि उसहदेवसामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो। नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइमहावीर वद्धमाणसामिस्स। सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं मणमो । सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। श्रीसूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् । नमो अरिहंताणं ॥ तेणं कालेणं० मिथिला नाम नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा पमुइतजणजाणवया जाव पासादीया०, तीसे णं मिहिलाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं माणिभद्दे णामं चेइए होत्था वण्णओ, तीसेणं मिहिलाए जितसत्तू राया धारिणी देवी वण्णओ, तेणं कालेणं० तंमि माणिभद्दे चेइए सामी समोसढे परिसा निग्गता धम्मो कहितो पडिगया परिसा जाव राजा जामेव दिसिं पादुब्भूए तामेव दिसिंपडिगते ।१तेणं कालेणं० समणस्स भगवतो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती णामे अणगारे गोतमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसहनारायसंघयणे जाव एवं वयासी ।२। 'कइ मंडलाइं वच्चइ१, तिरिच्छा किं च गच्छइ २ । ओभासइ केवइयं ३, सेयाई किं ते संठिई ४॥१॥ कहिं पडिहया लेसा ५, कहिं ते ओयसंठिई ६ । के सूरियं वरयते ७, कहं ते उदयसंठिई ८ ॥२॥कइकट्ठा पोरिसीच्छाया ९, जोगे किं ते व आहिए १०॥ किं ते संवच्छराणादी ११, कइ संवच्छराइ य १२ ॥३॥ कहं चंदमसो वुड्ढी १३, कया ते दोसिणा बहु १४। के सिग्घगई वुत्ते १५, कहं दोसिणलक्खणं १६||४|| चयणोववाय १७ उच्चत्ते १८, सूरिया कइ आहिया १९। अणुभावे के व संवुत्ते २०, एवमेयाई वीसई ।।५||३| वड्ढोवड्ढी मुहुत्ताणमद्धमंडलसंठिई । के ते चिन्नं परियरइ, अंतरं किं चरंति य ॥६।। उग्गाहइ केवइयं, केवतियं च विकंपइ । मंडलाण य संठाणे, विक्खंभो अट्ठ पाहुडा ||७||४। छप्पंच य सत्तेव य अट्ठ तिन्नि य हवंति पडिवत्ती ।पढमस्स पाहुडस्स उ हवंति एयाउ पडिवत्ती ॥८॥५। पडिवत्तीओ उदए, तहा अत्थमणेसु य । भियघाए कण्णकला, मुहुत्ताण गतीति य ।।९।। निक्खममाणे सिग्घगई पविसंते मंदगई इय । चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसिं च पडिवत्तीओ ॥१०॥ उदयम्मि अट्ठ भणिया भेदग्घाए दुवे य पडिवत्ती। चत्तारि मुहुत्तगईए हुंति तइयंमि पडिवत्ती॥११॥६। आवलिय मुहुत्तग्गे एवंभागा य जोगस्सा । कुलाई पुन्नमासी य, सन्निवाए यम संठिई ॥१२॥ तार (य) ग्गं च नेता य १०, चंदमग्गति यावरे । देवताण य अज्झयणे, मुहुत्ताणं नामया इय ।।१३।। दिवसा राइ वुत्ता य, तिहि गोत्ता भोयणाणि य । आइच्चचार मासा य, पंच संवच्छरा इय २०||१४|| जोइसस्स य दाराई, नक्खत्तविजएऽविय २२ दसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहुडपाहुडा ||१५||७। ता कहं ते वद्धोवद्धी मुहुत्ताणं आहितेति वदेज्जा ?, ता अह एकूणवीसे मुहुत्तसते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वदेज्जा ।८। ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति सव्वबाहिरातो य मंडलातो सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति एस णं अद्धाकेवतियं रातिदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा?, ता तिण्णि छावढे रातिदियसए रातिदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा ।९। ता एताए अद्धाए सूरिए कति मंडलाइं चरति ?,ता चुलसीयं मंडलसतं चरति, बासीति मंडलसतं दुक्खुत्तो चरति, तं०-णिक्खममाणे चेव पवेसमाणे चेव, दुवे य खलु मंडलाई सइं चरति, तं०-सव्वब्भंतरं चेव मंडलं सव्वबाहिरं चेव मंडलं ।१०। जइ खलु तस्सेव आदिच्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति सइं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दुवालसमुहुत्ता राती भवति, पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अत्थि दुवालसमुहत्ते दिवसे णत्थि दुवालसमुहुत्ता राती भवति, दोच्चे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती अस्थि दुवालसमुहुत्ता राती णत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, पढमे छम्मासे दोच्चे छम्मासे णत्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थिपण्णरसमुहुत्ता राती भवति, तत्थ णं कं हेतुं वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं पं०, ता जता णं सूरिए सव्वभंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अन्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जयाणं सूरिए अब्भितराणंतरं मंडलं GC%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听 (सौजन्य :- श्रीमति लीना मलाल शाह परिवार नपापास (5२७) प्रेरा :जीशभार (राया) 55555555555 श्री आगमगुणमजूषा- ११०६ 9555555555555555555$OOR KORoy# Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROT955555555555555 स मूलरामह काट पाई-परश 155555555555yeRog 與男明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐听听听听 उपसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अभिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तदाणंतरा अणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्ठीभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे २ रतणिक्खेत्तस्स अभिवुड्ढेमाणे २ ॐ सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चार चरति, ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वब्भंतरमंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं तिण्णि छावढे एगट्ठिभागमुहुत्तसते दिवसखेत्तस्स णिवुड्डित्ता रतणिक्खेत्तस्स अभिवुडिढत्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति जहण्णए बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमछम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अ (आ) यमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमेत्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ताजया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमिता चारं चरति तदाणं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतरातो मंडलातो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रतणिखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदाणं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसतेणं तिन्निछावढे एगट्ठिभागमुहत्तसते रयणिखेत्तस्स निवुड्डित्ता दिवसखेत्तस्स अभिवढित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकठ्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, एसणं दोच्चे छम्मासे एसणं दुच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, एस णं आदिच्चे संवच्छरे एसणं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, इति खलु तस्सेवं आदिच्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति सई अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दुवालसमुहुत्ता राती भवति, पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे नत्थि दुवालसमुहुत्ता राई, दोच्चे वा छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई अत्थि दुवालसमुहुत्ता राई नत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थि पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, नन्नत्थ रातिदियाणं वड्ढोवड्ढीए मुहुत्ताण वा चयोवचएणं णण्णत्थ वा अणुवायगईए, 'पुव्वेण दुन्नि भागा० गाधाओभाणितव्वाओ। ★ ११॥ पढमस्सपाहुडस्स पढम पाहुडपाहुडं १-१ ॥ ता कहं ते अद्धमंडलसंठिती आहिताति वदेज्जा?, तत्थ खलु इमे दुवे अद्धमंडलसंठिती पं० तं०दाहिणा चेव अद्धमंडलसंठिती उत्तरा चेव अद्धमंडलसंठिती, ता कहं ते दाहिणअद्धमंडलसंठिती आहिताति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवं दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतर दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, से णिक्खममाणे सूरिएणवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते अभितराणंतरं ॥ उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए अभिंतराणंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्वंसि अहोरत्तंसि उत्तराए अंतराए भागाते तस्सादियपदेसाए अभिंतरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जयाणं सूरिए अभिंतरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता $$$听听听听听听听听听听听乐于乐乐乐乐听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听 marat4 %%%%%%%%$$$$$%/ श्री आगभगुणमंजूषा ११०७ 15555555555555555555 5 OOK Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति (१) पाहुडं पाहुड पाहुडे २,३४ [३] चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एणं वा णिक्खममाणे सूरिए तदाणंतरातो तदाणंतरं० तंसि २ देसंमि तं तं अद्धमंडलसंठिति संकममाणे २ दाहिणाए २ अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते सव्वबाहिरं उत्तरं अद्धमंडल संठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदाणं उत्तमकट्टपत्ता उक्को० अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जह० दुवालसमुहुत्ते दिवसे, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमछम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमीणे पढमंसि अहोरत्तंसि उत्तराते अंतरभागाते तस्सादिपदेसाते बाहिराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि दाहिणाते अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाए बाहिरं तच्चं उत्तरं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं उत्तरं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्ते हिं अधिये, एवं खलु एतेण उवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतराउ तदाणंतरं० तंसि २ देसंसि तं २ अद्धमंडलसंठितिं संकममाणे २ उत्तराए तयांतरभागाते तस्सादिपदेसाए सव्वब्भंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चसंवच्छरस्स पज्जवसाणे । १२। ता कहं ते उत्तरा अद्धमंडलसंठिती आहिताति वदेज्जा ?, ता अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव जाव परिक्खेवेणं, ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति जहा दाहिणा तहा चेव णवरं उत्तरद्विओ अब्भिंतराणंतरं दाहिणं उवसंकमइ दाहिणातो अब्भितरं तच्चं उत्तरं उवसंकमति, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव सव्वबाहिरं दाहिणं उवसंकमति सव्वबाहिरातो बाहिराणंतरं उत्तरं उवसंकमति उत्तरातो बाहिरं तच्चं दाहिणं तच्चातो दाहिणातो संकममाणे २ जाव सव्वब्भंतरं उवसंकमति तहेव एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, गाहाओ | १३॥ ★★★ पढमे बीयं पाहुडपाहुडं १-२ ॥ ★★★ ता के ते चिन्नं पडिचरति आहितेति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पं० तं०-भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए, ता एते णं दुवे सूरिया पत्तेयं २ तीसाए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं अद्धमंडलं चरंति, सट्ठीए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघातंति, ता णिक्खममाणे खलु ए दुवे सूरिया णो णमणस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं सतमेगं चोतालं, तत्थ को हेऊ वदेज्जा ?, ता अण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं, तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स० पाईणपडीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतियसूरियगताइं जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाइं पडिचरति उत्तरपच्चत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवतस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए . मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरच्छिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउति सूरियगताइं जाई सूरिए परस्स चिण्णाई पडिचरति दाहिणपच्चच्छिमिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि एकूण्णउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ अयं एरवए सूरिए० जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवा मंडलं चवीएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरत्थिमिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगयाई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडियरति दाहिणपुरत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउतिं सूरियगताइं जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाइं पडिचरति, तत्थ णं एयं एरवतिए सूरिए (१९५) भारहस्स KK HOTO श्री आगमगुणमंजूषा ११०८ 原 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) (१) पाहुडे ४ सूरिवस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणाताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छित्ता दाहिणपच्चत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चिणाइं पडिचरति ऊत्तरपुरत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, ता निक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं० 'सतमेगं चोतालं० गाहाओ | १४ || ★★★ पढमे तइयं पाहुडपाहुडं १.३ ★★★ ॥ ता केवइयं एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमातो छ पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे एवमाहंसु ता एवं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टूसूरिया चारं चरंति आहिताति वदेज्जा एगे एवमाहंसु, एगे पुण एवमाहंसु- ता एगं जोयणसहस्सं एगं चउतीसं जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहियत्ति वइज्जा एगे एव०, एगे पुण०ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वदेज्जा एगे एव०, एगे० एगं दीवं एगं समुद्दे अण्णमण्ण अंतरंड, एगे दो दीवे दो समुद्दे०, एगे० तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे०, वयं पुण एवं वयामो ता पंच २ जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवड्डेमाणा वा निवड्डेमाणा वा सूरिया चारं चरंति आहि०, तत्थ णं को हेऊ आहिताति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं पं०, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वब्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं णवणउतिजोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसते अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताि वदेज्जा, तताणं उवमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहत्ता राई भवति, ते निक्खममाणा सूरिया णवं संवच्छरं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता णं एते दुवे सूरिया जाव चारं चरंति तदा णं नवनवतिं जोयणसहस्साइं छच्च पणताले जोयणसते पणतीसं च एगद्विभागे जोयणस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वदेज्जा, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, ते णिक्खममाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता एते दुवे सूरिया अब्भिंतरं तच्चं मंडलं जाव चारं चरंति तया णं नवनवई जोयणसहस्साइं छच्च इक्कावण्णे जोयणसए नव य एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति०, तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एतेणुवाएणं णिक्खमाणा एते दुवे सूरिया ततोणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणा २ पंच २ जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवद्धेमाणा २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं एगं जोयणसतसहस्सं छच्च सट्टे जोयणसते अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता जाव राई भवइ जहण्णए दुवाल० जाव दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, ते पविसमाणा सूरिया दोच्चं छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं एवं जोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पण्णे जोयणसते छव्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति०, तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, ते पविमाणा सूरिया दोच्चसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवंसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता णं एते दुवे सूरिया बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं एवं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसते बावण्णं च एगट्टिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति, तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एग जाव ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं० जाव अहिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणा एते दुवे सूरिया ततोऽणंतरातो तदाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकमा पंच २ जोयणाइं पणतीसे एट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्संतरं णिवूड्डेमाणा २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, जया णं एते दुवे सूरिया YOKO US $ $ $ $ (४) फ्र [1] Education International 2010 03. www.jainelibrary.s HOVÁK HELE LEVELE LOVE ME LEVELEME VE LOVE LEVELE VE VELELE LE LETA. POR LLLLLELE LE LC LELE LE LELE LE LG LE LG LELE LE LC LELE LC LC LEYON Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति (१) पाहुडं ५, ६ [] सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं णवणउति जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसते अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति तता णं उत्तमकट्टपत्ते जाब दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आइच्चे संवच्छरे एस आइच्चसंवच्छरस्स पज्जवसाणे । १५★★★ ॥१४॥ ★★★ ता केवतियं ते दीवे समुद्दे वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति आहिता० ?, तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, एगे एवंमाहंसु ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०-ता एवं जोयणसहस्सं एगं चउत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० -ता एवं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं दीव वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० - ता अवड्ढं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एवं०, एगे पुण० -ता नो किंचि एवं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति०, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता एवं जोयणसहस्सं एगं तेतीसं जोयणसतं दीवं वा समुद्दं वा उग्गाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एवमाहंसु-जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं जंबुद्दीवं एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोणतं गाहित्ता सूरिए चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं लवणसमुद्दं एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं ओगाहित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एवं चोत्तीसेऽवि, पणतीसेऽवि एवं चेव भाणियव्वं, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता अवड्ढं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एवमा० जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं अवड्ढं जंबुद्दीवं ओगाहित्ता चारं चरति तता उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सव्वबाहिरएवि, णवरं अवड्ढं लवणसमुद्द, तता णं राइंदियं तहेव, तत्थ जे ते एव०-ता णो किञ्चि दीवं वा समुहं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एवमाहंसु-ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं णो किंचि दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तहेव, एवं सव्वबाहिरए मंडले, णवरं णो किंचि लवणसमुदं ओगाहित्ता चारं चरति, रातिदियं तहेव, एगे एव० ।१६। वयं पुण एवं वदामो-ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं जंबुद्दीवं असीतं जोयणसतं ओगाहित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसाए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सव्वबाहिरेव वरं लवणसमुदं तिण्णि तीसे जोयणसते ओगाहित्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, गाथाओ भाणितव्वाओ । १७★★★ ॥१.५॥ ★★★ ता केवतियं ते एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति आहितेति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ सत्त पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु- ता दो जोयणाइं अद्धदुचत्तालीसं तेसीतसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० ता अड्डातिज्जाई जोयणाई एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० ता तिभागूणाई तिन्नि जोयणाई एगमेगेणं . राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०- ता तिण्णि जोयणाई अद्धसीतालीसं च तेसीतिसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरंति एगे एव०, एगे पुण०- ता अछुट्टाई जोयणाई एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरंति एगे एव०, एगे पुण०- ता चउब्भागूणाई चत्तारि जोयणाइं एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० ता चत्तारि जोयणाइं अदबावण्णं च तेसीतिसतभागे जोयणस्स एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरिति एगे०, वयं पुण एवं वदामो- ता दो जोयणाई अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं इंदि विकंपइत्ता सूरिए चारं चरंति, तत्थ णं को हेतू इति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं पं०, ता जता णं सूरिए णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता HOW श्री आगमगुणमंजूषा १११० Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SRC555555555555/ एक मूरपति राड - ६,७,८ [६] 155555555yFOR Q明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听 चार चरतितताणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिएणवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति तदा णं दो जोयणाई अडयालीसंच F एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता चारं चरति तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहत्तेहिं ऊणे दुवालसमुत्ता राई भवति दोहिं ॥ एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्वंसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं पंचजोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरति तताणं अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओतदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ दो २ जोयणाई अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं विकम्पमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सव्वब्भंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं पंचदसुत्तरजोयणसते विकंपइत्ता चारं चरति तताणं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एसणं पढमछम्मासस्स पज्जवसाणे, से य पविसमाणे सूरिए दोच्च छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंढलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जताणं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति तयाणं दो दो जोयणाई अडयालीसंच एगट्ठिभागे जोयणस्सस एगमेगेणं राइंदिएणं विकम्पइत्ता चारं चरति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्वंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तयाणं पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइंदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरति, राईदिए तहेव, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए ततोऽणंतरातो तयाणंतरं मंडलाओ मंडल संकममाणे २ दो २ जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेण तेसीएणं राइंदियसतेणं पंचदसुत्तरे जोयणसते विकंपइत्ता चार चरति तताणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एसणं दोच्चे छम्मासे एसणं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एसणं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे ।१८**॥१-६||★★★ता कहं ते मंडलसंठिती आहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमातो अट्ठ पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु- ता सव्वावि मंडलवता समचउरंससंठाणसंठिता पं० एगे एव०, एगे पुण०- ता सव्वावि णं मंडलवता विसमचउरंससंठाणसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण० सव्वाविणं मंडलवया समचतुक्कोणसंठिता पं० एगे ए०, एगे पुण० सव्वावि मंडलवता विसमचउक्कोणसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण० ता सव्वावि मंडल० समचक्कवालसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण०- ता सव्वावि मंडलवता विसमचक्कवालसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण०- ता सव्वावि मंडलवता चक्कद्धचक्कवालसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण०- ता सव्वावि मंडलवता छत्तागारसंठिया पं० एगे एवमाहंसु, तत्थ जे ते एवमाहंसुता सव्वावि मंडलवता छत्ताकारसंठिता पं० एतेणं णएणं णेयव्वं, णो चेवणं इतरेहिं, पाहुडगाहाओ भाणियव्वाओ।१९★★★॥१-७||★★★ता सव्वाविणं मंडलवया केवतियं बाहल्लेणं केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहिताति वदेज्जा?, तत्थ खलु इमा तिणि पडिवत्तीओपं०, तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसतं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसहस्साई तिण्णि य नवणउए जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, एगे पुण०- ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एणं च चउत्तीसं जोयणसयं आयामविक्खंभेणं तिण्णि 听听听听听听听听F Education International 2010_03 For te Personal Use Only aorQEK५६६६६६६६६६६६६६६६६६६६८ श्री आगागाजपा- १११० 55555 www.jainelibrary.oral 555YOR Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 095555555555岁男男 (१६) सूरपन्नति (१) पाहुडं . ८ ७ 55555555555555QORY TO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听% 5CM जोयणसहस्साइं चत्तारि बिउत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, एगे पुण०- ता जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसहस्साइं चत्तारि पंचुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, पयं पुण०- ता सव्ववि मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं अणियता आयामविक्खंभेणं परिक्खेवेणं च आहिताति वदेज्जा, तत्थ णं को हेऊत्ति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउइजोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसते आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसतसहस्साई पण्णरसजोयणसहस्साई एगूणणउतिं जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं सा मंडलवता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवई जोयणसहस्साइं छच्च पणताले जोयणसते पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसतसहस्साइं पन्नरसं च सहस्साई एगं सत्तुत्तरं जोयणतं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं, तदा णं दिवसरातिप्पमाणं तहेव, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवतिजोयणसहस्साई छच्च एक्कावण्णे जोयणसते णव य एगट्ठिभागा जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसहस्साइं पन्नरसय सहस्साइं एगं च पणवीसं जोयणसयं परिक्खेवेणं पं०, तताणं दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेण उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं उवसंकममाणे २ पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंमबाहल्लेणं अभिवड्डेमाणे २ अट्ठारस जोयणाइं परिरयवुढिं अभिवड्डेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्व० जाव चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स एगं च जोयणसयसहस्सं छच्च सद्धे जोयणसते आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस संहस्साइं तिण्णि य पण्णरसुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं तदा णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढ़मंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च चउपण्णे जोयणसते छव्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसतसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं दोण्णि य सत्ताणउत्तेजोयरसते परिक्खेवेणं पं०, तताणं राइदिए तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं सा मंडलवता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं एगंजोयणसतसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए बावण्णं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसतसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं दोण्णि अउणासीते जोयणसते परिक्खेवेणं पं०, दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुढि णिवुड्डेमाणे २ अठारस जोयणाई परिरयवुद्धिं णिवुद्धेमाणे २ सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जताई णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति तता णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउति जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइंपण्णरस य सहस्साई अउणाणउतिंच जोयणाइं किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं पं०, तताणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एसणं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, ता सव्वावि णं मंडलवतरियो अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, सव्वावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाइंडी xevoEEEEEEEEEEE E श्री आगमगुणमंजूषा- १११२ 5555455555555555555555$$$$$OTORR Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOX9555555555555साकारूरकरारा पाड, पाड-पाट -१,२ 15texo 555555SAMASTI 1乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 सन, एसप असा तेसीयसतपहुप्पण्णो पंच दसुत्तरे जोयणसते आहि०, ता अभिंतरातो मंडलवताओ बाहिरं मंडलवतं बाहिराओ वा मंडलावताओ अम्भितरं मंडलवर्त एसणं अद्धा केवतियं आहि०?, तापंच दसुत्तरजोयणसते आहिताति वदेज्जा, अब्भितराते मंडलवताते बाहिरा मंडलवया बाहिराओ मंडलवतातो अभितरा मंडलवता एसणं अद्धा केवतियं आहि०?, ता पंच दसुत्तरे जोयणसते अडतालीसंच एगट्ठिभागे आहि०, ता अब्भंतरातो मंडलवतातो बाहिरमंडलवता बाहिरातो० अब्भंतरमंडलवता एसणं अद्धा केवतियं आहि०?, ता पंच णवुत्तरे जोयणसते तेरस य एगट्ठिभागे जोयणस्स आहि०, अब्भितराते मंडलवताए बाहिरा मंडलवया बाहिराते मंडलवताते अब्भंतरमंडलवया एस णं अद्धा केवतियं आहिताति वदेज्जा ?, ता पंच दसुत्तरे जोयणसए अआहियत्ति वदेज्जा ।२०★★★ ॥१.८॥ ता कहं ते तेरिच्छगती आहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु-ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पादो मरीची आगासंसि उठेति से णं इमं इमं लोयं तिरियं करेइत्ता पच्चत्थिमंसि लोगन्तंसि सायंमि सूरिए आगासंसि विद्धस्संति एगे एवमा०, एगे पुण०- ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पातो सूरिए आगासंसि उठेइ से णं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सूरिए आगासंसि विद्धंसति, एगे एव०, एगे पुण०- ता पुरत्थिमाओ लोयंतातो पादो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठति से इमं लोयं तिरियं करेति ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सायं सूरिए आगासं अणुपविसति त्ता अहे पडियागच्छति त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमातो लोयंतातो पातो सूरिए आगासंसि उत्तिकृति एगे एवमा०, एगे पुण०- ता पुरत्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिकृति, सेणं इमं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमिल्लंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढवीकार्यसि विद्धंसइ एगे एव०, एगे पुण- ता पुरत्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ ॥ उत्तिट्ठइ से णं इमं लोयं तिरियं करेइ त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढवीकार्य अणुपविसइ त्ता अहे पडियागच्छइ त्ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिट्ठइ एगे एव०, एगे पुण०- ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्ठइ से णं इमं लोयं तिरियं करेइत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकायंसि विद्धंसति एगे एव०, एगे पुण०- ता पुरत्थिमातो लोगंतातो पाओ सूरिए आउओ उत्तिट्ठति, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सायं सूरिए आउकायंसि पविसइ त्ता अहे पडियागच्छति त्ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमातो लोयंतातो पादो सूरिए आउओ उत्तिट्ठति एगे एव०, एगे पुण०- ता पुरत्थिमातो लोयंताओ बहूइं जोयणाइं बहूइं जोयणसताई बहूइं जोयणसहस्साइं उड्ढं दूरं उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठति से णं इमं दाहिणहूं लोयं तिरियं करेति त्ता उत्तरद्धलोयं तमेव रातो से णं इमं उत्तरद्धलोयं तिरियं करेइ त्ता दाहिणद्धलोयं तमेव राओ, सेणं इमाइं दाहिणुत्तरड्डलोयाई तिरियं करेइ त्ता पुरत्थिमाओ लोयंतातो बहूई जोयणाइं तं चेव उडे दूरं उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिकृति एगे एव०, वयं पुण एवं वयामो- ता जंबुद्दीवस्सपाईणपडीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरच्छिमंसि उत्तरपच्चत्थिमंसिय चउभागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो अट्ठजोयणसताइं उड्डे उप्पतित्ता एत्थ णं पादोदुवे सूरिया आगासाओ उत्तिटुंति, तेणं इमाइंदाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाई तिरियं करेंति त्ता पुरथिमपच्चत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तामेव रातो ते णं इमाइं पुरच्छिमपच्चत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेति त्ता दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तामेव रातो, ते णं इमाई दाहिणुत्तराइं पुरच्छिमपच्चत्थिमाणि य जंबुद्दीवभागाइं तिरियं (१९६) करेति त्ता जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायत० एत्थ णं पादो दुवे सूरिया आगासाओ उत्तिटुंति।२१ ***॥२-१||★★★ता कहं ते मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए चारं चरति आहि०?, तत्थ खलु इमातो दुवे पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु- ता मंडलातो मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं संकामइ एगे एव०, एगे पुण०- ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वेढेति, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता मंडलातो मंडलं संकममाणे भेयघाएणं संकमइ तेसिंणं अयं दोसे- ताजेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ सूरिए फू भेयघाएणं संकमति एवतियं च णं अद्धं पुरतो न गच्छति, पुरतो अगच्छमाणे मंडलकालं परिहवेति, तेसिंणं अयं दोसे, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता मंडलातो मंडलं : MONKOE #9254545553599999 श्री आगमगुणमंजूषा - U_155555555555555555555$$OF 明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听心 Ch历历历历历历万历历历 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति (२) पाहुडं, पाहुड पाहुडं - ३ [९] कममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वेढेति तेसिं णं अयं विसेसे- ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं पिव्वेढेति एवतियं च णं अद्धं पुरतो गच्छति पुरतो गच्छमाणे मंडलकालं ण परिहवेति तेसिं णं अयं विसेसे, तत्थ जे ते एवमाहंसु- मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वढेति एतेणं णएणं णेतव्वं, णो चैव णं इतरेणं ॥ २२ ★★★ ।। २.२॥ ★★★ ता केवतियं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति आहि० १, तत्थ खलु इमातो चत्तारि पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे० - ता छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे०, एगे पुण०- ता पंच पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे एव०, एगे पुण० - ता चत्तारि २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे०, एगे पुण०- ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्ते गच्छति एगे०, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एव०- जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तंसिं च णं दिवसंसि एवं जोयणसतसहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पं०, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसिं च णं दिवसंसि बावत्तरिं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पं०, तया णं छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एव०- ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तहेव दिवसराइप्पमाणं, तंसिं च णं तावखेत्तं नउइजोयणसहस्साईं, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं तं चेव राईदियप्पमाणं, तंसि च णं दिवसंसि सट्ठि जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पं०, तता णं पंच २ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एव० ता चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुत्तै गच्छति ते एव०- ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरिं जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पं०, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राइंदियं तथेव, तंसिं च णं दिवसंसि अड्यालीसं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पं०, तताणं चत्तारि २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एवमाहंसु छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एव० - ता सूरिए णं उग्गमणमुहुत्तंसि अत्थमणमुहुत्तंसि य सिग्घगती भवति तता णं छ छ जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमतावखेत्तं समासादेमाणे २ सूरिए मज्झिमगती भवति, तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमं तावखेत्तं संपत्ते सूरिए मंदगती भवति, तता चत्तारि जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ को हेऊत्ति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दिवसराई तहेव तंसि च णं दिवसंसि एक्काणउति जोयणसहस्साइं तावखेत्ते पं०, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राइंदियं तहेव, तस्सिं च णं दिवसंसि एगट्ठिजोयणसहस्साइं तावखेत्ते पं०, तता णं छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो- ता सातिरेगाई पंच २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ को हेतूत्ति वदेज्जा ?, ता अयण्णं बुद्दीवे० परिज्ञेवेणं, ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य एकावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इधगतस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहिं य तेवद्वेहिं जोयणसतेहिं एकवीसाए य सट्टिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तया णं दिवसराई तहेव, से णिक्खमाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य एकावण्णे जोयणसते सीतालीसं च सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं अउणासीते य जोयणसतेहिं सत्तावण्णा NORO DOKO श्री आगमगुणमंजूषा १११४ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) राति (२) पाहुडे, /(३) पाहुडे - ३ साहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिहा छेत्ता अउणावीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव, (१८२/६१, १२२/६१), से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य बावण्णे जोयणसते पंच य सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं छण्णउत्तीए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सद्विभागेहिं जोयणस्स सट्टिभागं च एगट्ठिधा छेत्ता दोहिं चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तताणं दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगतिं अभिवुढेमाणे २ चुलसीतिं २ जोयणाई पुरिसच्छायं णिवुड्डेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं तिन्नि य पंचुत्तरे जोयणसते पण्णरस य सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहिं एक्कतीसेहिं जोयणसतेहिं तीसाए य सद्विभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फा सं हव्वमागच्छति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं तिण्णि य चउरुत्तरे जोयणसते सत्तावण्णं च सट्ठिभाए जोयणस्स मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इधगतस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं नवहि य सोलेहिं जोयणसएहिं एगूणतालीसाए सद्विभागेहिं जोयणस्स सद्विभागं च एगट्ठिहा छेत्ता सट्ठीए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं राइंदियं तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए बाहिरं तच्वं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउरुत्तरे जोयणसते ऊतालीसं च सट्टिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स एगाधिगेहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एकावण्णाए य सद्विभागेहिं जोयणस्स सद्विभागं च एगट्ठिधा छेत्ता तेवीसाए चुणियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, राइंदियं तहेव, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तताणंतरं मंडलतो मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सट्टिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगइं णिवुड्डेमाणे २ सातिरेगाई पंचासीतिं २ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवुढेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जताणं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पञ्च २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य एक्कावण्णे जोयणसए अगुणतीसं च सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवट्ठेहिं जोयणसतेहिं एक्कवीसाए य सठ्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मास्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चसंवच्छरस्स पज्जवसाणे ★★★ | २३ || बितियं पाहुडं २-३ ॥ ★★★ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेति पगासंति आहि० १, तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमा० - ता एगं दीवं एवं समुदं चंदिमसूरिया ओभासेति० एगे एव०, एगे० ता तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एव०, एगे पुण० - ता अद्धचउत्थे (प्र० आउट्ठे) दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एव०, एगे पुण०- ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एव०, एगे पुण०- ता दस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे पुण०- ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे पुण०- बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे पुण०- बावत्तरं दीवे बावत्तरिं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे पुण०- ता बायालं दीवसतं बायालं समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति०, एग पुण०- ता बावत्तरं दीवसतं बावत्तरिं समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे पुण०- ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे पुण० श्री - १११५ 出 [१०] ॐ ॐ ॐ ॐ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडं - ३,४ [११] ता बावत्तरं दीवसहस्सं बावत्तरं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वदामो- अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं पं०, से णं एगाए जगतीए सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगती तहेव जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे २ चोइस सलिलासयसहस्सा छप्पन्नं च सलिलासहस्सा भवन्तीतिमक्खाता, जंबुद्दीवे णं दीवे पंचचक्कभागसंठिता आहिताति वदेज्जा, ता कहं ते जंबुद्दीवे पंचचक्क भागसंठिते आहि० ?, ता जता णं एते दुवे सुरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं जंबुद्दीवस्स तिण्णि पंचचउक्कभागे ओभासेति०, तं०- एगेवि एगं दिवडुं पंचचक्कभागं ओभासेति० एगेवि एगं दिवङ्कं पंचचक्कभागं ओभासेति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जता दुवे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं जंबुद्दीवस्स० दोण्णि चक्कभागे ओभासंति०, ता एगेवि एगं पंचचक्कवालभागं ओभासति० एगेवि एकं पंचचक्कवालभागं ओभासइ०, तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति ★★★ |२४|| ततियं पाहु ३ ॥ ★★★ ता कहं ते सेआते संठिई आहिता० ?, तत्थ खलु इमा दुविहा संठिती पं० तं० - चंदिमसूरियसंठिती य तावखेत्तसंठिती य, ता कहं ते चंदिमसूरियसंठि आहिता० ?, तत्थ खलु इमातो सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती एगे एव०, एगे पुण०, ता विसमचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, एवं समचउक्कोणसंठिता विसमचउक्कोणसंठिया समचक्कवालसंठिता विसमचक्कवालसंठिता चक्कद्रचक्कवालसंठिता पं० एगे एव०, एगे पुण०-ता छत्तागारसंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, गेहसंठिता गेहावणसंठिता पासादसंठिता गोपुरसंठिया पेच्छाघरसंठिता वलभीसंठिता हम्मियतलसंठिता वालग्गपोतियासंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, तत्थ जे ते एवमा० -ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंहिती पं० एतेणं णएणं णेतव्वं, णो चेव णं इतरेहिं, ता कह ते तावक्खेत्तसंठिती आहिता० ?, तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थ णं एगे एवमाहंसु-ता गेहसंठिता तावखित्तसंठिती पं०, एवं जाव वालग्गपोतियासंठिता तावखेत्तसंठिती, एगे पुण एवमा० ता जस्संठिते जंबुद्दीवे तस्संठिता तावक्खेत्तसंठिती एगे एव०, एगे पुण०-ता जस्संठिते भारहे वासे तस्सं०, एवं उज्जाणसंठिया निज्जाणसंठिता, एगतो णिसहसंठिता दुहतो णिसहसंठिता सेयणगससंठिता एगे एव०, एगे पुण० तो सेणगपट्ठसंठिता तावखेत्तसं० एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वदामो-ता उद्धीमुहकलंबु आपुप्फसंठिता तावखेत्तसंठिती पं० अंतो संकुडा बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिधुला अंतो अंकमुहसंठिता बाहि सत्थिमुहसंठिता उभतो पासेणं तीसे दुवे बाहाओ अवट्ठिताओ भवंति पणतालीसं २ जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवट्ठिताओ भवंति, तं०सव्वन्तरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तत्थ को हेतूत्ति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठिता तावखेत्तसंठिती आहिताति वदेज्जा अंतो संकुडा बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिधुला अंतो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थिमुहसंठिआ, दुहतो पासेणं तीसे तथेव जाव सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वब्भंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं णव जोयणसहस्साई चत्तारि य छलसीते जोयणसते णव य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिता०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहिता० ?, ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तीहिं गुणित्ता दसहिं छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिता०, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दतेणं चरणउति जोयणसहस्साइं अट्ठ य अट्ठसट्टे जोयणसते चत्तारि य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिता०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहिता० १, ता जेणं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवे तीहिं गुणित्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिताति वदेज्जा, तीसे णं तावक्खेत्ते केवतियं आयामेणं आहिताति वदेज्जा ?, ता अट्ठत्तरीं जोयणसहस्साइं तिण्णि य तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागे य आयामेणं आहितेति वदेज्जा, तया णं किंसंठिया अंधगारसंठिई आहितेति वदेज्जा ?, उदीमुहकलंबु आपुप्फसंठिता तहेव जाव बाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वब्भंतरिया बाहा मंदरपव्वतंतेणं छज्जोयणसहस्साइं तिण्णि य फ्र फ्रफ़ फ्राफ्र श्री आगमगुणमंजूषा १११६ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MO5555 9559 听听听听听听听听听听听听男 XO05555555555555555555555555555% HOROFFFFFFFFFFFFF वानर %%%%%%%%%%%% उवासेजोयणसते छच्च दसमागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहितेतिवदेज्जा, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहिते० ?, ताजे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं, परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता सेसं तहेव, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुहंतेणं तेवढिं जोयणसहस्साई दोण्णि य पणयाले जोयणसते छच्च दसभागे जोयणस्स है परिक्खेवेणं आहिते०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कत्तो आहिते०?, ताजे प्रां जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिंगुणित्ता दसहि छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस म णं परिक्खेवविसेसे आहिते०, ता से णं अंधकारे केवतियं आयामेणं आहिते० ?, ता अट्ठत्तरि जोयणसहस्साई तिण्णि य तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागं च आयामेणं आहितेति वदेज्जा, तताणं उत्तमकट्ठपत्ते अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं किंसंठिता तावखेत्तसंठिती आहिता०?, ता उद्धीमुहकलंबुयापुप्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती आहिता०, एवं जं अभिंतरमंडले अंधकारसंठितीए 5 पमाणं तं बाहिरमंडले तावक्खेत्तसंठितीए जंतहिं तावखेत्तसंठितीए तं बाहिरमंडले अंधकारसंठितीए भाणियव्वं जाव तताणं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, ता जंबुद्दीवे सूरिया केवतिया खेत्तं उड्ढं तवंति केवतियं खेत्तं अहे तवंति केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति ?, ता जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया एगं जोयणसतं उड्ढे तवंति अट्ठारस जोयणसताइं अधे तवंति सीतालीसं जोयणसहस्साई दुन्नि य तेवढे जोयणसते एक्कवीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स तिरिय तवंति ।२५|| चउत्थं पाहुडं ४||★★★ता कंसि णं सूरियस्स लेस्सा पडिहताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ वीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता मंदरंसि णं पव्वतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता० एगे एव०, एगे पुण एव०-ता मेरूंसि णं पव्वतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता० एगे एव०, एवं एतेणं अभिलावेणं भाणियव्वं, ता मणोरमंसिणं पव्वयंसि ता सुदंसणंसि णं पव्वयंसि ता सयंपभंसि णं पव्वतंसि ता गिरिरायंसि णं पव्वतंसि ता रतणुच्चयंसि णं पव्वतंसि ता सिलुच्चयंसिणं पव्वयंसि ता लोअमज्झंसि णं पव्वतंसि ता लोयणाभिसिणं पव्वतंसि ता अच्छंसि णं पव्वतंसि ता सूरियावत्तंसि णं पव्वतंसि ता सूरियावरणंसि णं पव्वतंसि ता उत्तमंसि णं पव्वयंसि ता दिसादिसि णं पव्वतंसि ता अवतंसंसि णं पव्वतंसि ता धरणिखीलंसि णं पव्वयंसि ता धरणिसिंगंसिणं पव्वयंसि ता पव्वतिंदसिणं पव्वतंसि ता पव्वयरायसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिहता आहिताति वदेज्जा एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता मंदरेवि पवुच्चति जाव पव्वयरायावि वुच्चति, ताजे णं पुग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पुग्गला सूरियस्स लेसं पडिहणंति, अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति चरिमलेसंतरगतावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति XX२६।। पंचमं पाहुडं ५॥★★★ता कहं ते ओयसंठिती आहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु-ता अणुसमयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जे अण्णा अवेति एगे एवमाहंसु, एगे पुण०-ता अणुमुहुत्तमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जति अण्णा अवेति, एतेणं अभिलावेणं णेतव्वा, ता अणुराइंदियमेव ता अणुपक्खमेव ता अणुमासमेव ता अणुउउमेव ता अणुअयणमेव ता अणुसंवच्छरमेव ता अणुजुगमेव ता अणुवाससयमेव ता अणुवाससहस्समेव ता अणुवाससयसहस्समेव ता अणुपुव्वमेव ता अणुपुव्वसयमेव ता अणुपुव्वसहस्समेव मता अणुपुव्वसतसहस्समेव ता अणुपलितोवममेव ता अणुपलितोवमसतमेव ता अणुपलितोवमसहस्समेव ता अणुपलितोवमसयसहस्समेव ता अणुसागरोवममेव ता अणुसागरोवमसतमेव ता अणुसागरोवमसहस्समेव ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव एगे एवमाहंसु ता अणुउस्सप्पिणीओसप्पिणिमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जति अण्णा अवेति एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वदामो-ता तीसं २ मुहुत्ते सूरियस्स ओया अवद्विता भवति, तेणं परं सूरियस्स ओया अणवद्विता भवति, छम्मासे सूरिए ओयं णिवुड्ढेति छम्मासे सूरिए ओयं अभिवड्ढेति, णिक्खममाणे सूरिए देसं णिवुड्ढेति पविसमाणे सूरिए देसं अभिवुड्ढेइ, तत्थ को हेतूति वदेज्जा?,ता अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उव० चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे ॥ भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, T$听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐乐 Se05555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १११0 NERY Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडं - ६, ७, ८ [१३] ता जया णं सूरिए अब्भितराणंतरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं एगेणं राइदिएणं एगं भागं ओयाए दिवसखित्तस्स णिवुड्ढित्ता रतणिक्खेत्तस्स अभिवडिढत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सतेहिं छित्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्ते हिं अहिया, सेणिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि ॲब्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं दोहिं राइदिएहिं दो भागे ओयाए दिवसखेत्तस्स णिवुढित्ता स्यणिखित्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एतेणुवाएणं निक्खममाणे सूरि तयाणंतराओ तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएण एगमेगं भागं ओयाए दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे २ रयणिखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वब्भंतरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं सगं तेसीतं भागसतं ओयाए दिवसखेत्तस्स णिव्वुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सयेहिं छेत्ता, तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्को० अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जह० दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढ छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं एगेणं राईदिएणं एगं भागं ओयाए रतणिक्खेत्तस्स णिव्वुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिए, से पविसमाणे सूरि दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दोहिं राइदिएहिं दो भाए ओयाए रयणिखेत्तस्स णिव्वुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं भागं ओयाए रयणिखत्तेस्स णिव्वुड्ढेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं (१९७) सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसएणं एवं तेसीतं भागसतं ओयाए रयणिखित्तस्स णिवुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे ★★★ । २७ । छटुं पाहुडं ६ ॥ ★★★ ता के ते सूरियं वरंति आहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ वीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसुता मंदरे णं पव्वते सूरियं वरयति आहितेति वदेज्जा एगे एवमा०, एगे पुण० ता मेरू णं पव्वते सूरियं वरति आहि०, एवं एएणं अभिलावेणं णेतव्वं जाव पव्वतराये णं पव्वते सूरियं वरयति आहिते० तं एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वदामो-ता मंदरेवि पवुच्चति तहेव जाव पव्वतराएवि पवुच्चति, ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते पोग्गला सूरियं वरयंति अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियं वरयंत, चरमलेसंतरगतावि णं पोग्गला सूरियं वरयति ★★★ ।२८।। सत्तमं पाहुडं ॥ ★★★ ता कहं ते उदयसंठिती आहितेति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पं०, तत्येगे एवमाहंसु-ता जा णं जंबुद्दीवे० दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं उत्तरड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं दाहिणड्ढेऽवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति, जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते HOK श्री आगमगुणमंजूषा - १११८ 原纸纸原纸纸 STOK Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ¶¶¶⌁K⌁SS[ (१६) सूरपनति पाहुडे ८ [१४] दिवसे भवति तदा णं दाहिणड्ढेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति, एवं परिहावेतव्वं, सोलसमुहुत्ते दिवसे पण्णरस० दिवसे चउदस० दिवसे तेरस० दिवसे जाव ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे तया णं उत्तरदेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं उत्तर बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं दाहिणद्धेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं दाहिणद्धे बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चत्थिमेणं सता पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति सदा पणरसमुहुत्ता राई भवति, अवट्टिता णं तत्थ राइंदिया पं० समणाउसो ! एगे एव०, एगे पुण० - जता णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तया णं उत्तरद्धेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरदे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तता णं दाहिणड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, एवं परिहावेतव्वं, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति सोलसमुहुत्ताणंतरे० पण्णरसमुहुत्ताणंतरे० चोद्दसमुहुत्ताणंतरे० तेरसमुहुत्ताणंतरे०, जया णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, जता णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणद्धेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णो सदा पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णो सदा पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, अणवट्ठिता तत्थ राइंदिया पं० समणाउसो ! एगे एव०, एगे पुण० - ता जया णं जंबुद्दीवे २ दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ता राई भवइ, जता णं उत्तरद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं दाहिणळे बारसमुहुत्ता राई भवति, एवं तव्वं सगलेहि य अणंतरेहि य एक्वेक्के दो दो आलावगा, सव्वहिं दुवालसमुहुत्ता राई भवति, जाव ता जता णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति जया णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्तांणंतरे दिवसे भवति तदा णं दाहिणद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तता णं जंबुद्दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णेवत्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णेवत्थि पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, वोच्छिण्णा णं तत्थ राइंदिया पं० समणाउसो ! एगे एवमा०, वयं पुण एवं वदामो-ता जंबुद्दीवे २ सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति, पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति, दाहिणपडीणमुग्गच्छ पडीणउदीणमागच्छन्ति पडीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छन्ति, ता जता णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्धे दिवसे भवति तदा णं उत्तरदे दिवसे भवति, जदा णं उ० तदा णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चच्छिमेण राई भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं पच्चच्छिमेणवि दिवसे भवति, जया णं पच्चत्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं राई भवति, ता जया णं दाहिणद्धेवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरद्धे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा उत्तरद्धे० तदा णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वतस्स पुरच्छिमेणं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं पच्चत्थिमेणं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं पच्चत्थिमेणवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं एएणं गमेणं णेतव्वं, अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवति, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता राई सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगतेरसमुहुत्ता राई सोलस दिवसे चोद्दसमुहुत्ता राई सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगचोद्दसमुहुत्ता राई पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई पण्णरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगपण्णरसमुहुत्ता राई भवइ चउद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसोलसमुहुत्ता राई तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसत्तरसमुहुत्ता राई, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, एवं भणितव्वं, ता जया गं बुद्दीवे दीवे दाहिण वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तता णं उत्तरद्धेवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जति, जता णं उत्तरद्धे वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तताणं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, ता जया णं जंबुद्दीवे० मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं & Personal Use Onl ELGI श्री आग१११९ TE LE LE LE LELE LEVELEVENCICL Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडे ८, ९ [१५] फ्रफ़ फ्र वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तता णं पच्चत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, जया णं पच्चत्थिमेणं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तता णं जंबुद्दी मंदरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकयकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवण्णे भवति, जहा समओ एवं आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरते पक्खे मासे उऊ, एवं दस आलावगा जहा वासाणं एवं हेमंताणं गिम्हाणं च भाणितव्वा, ता जता णं जंबुद्दीवे दाहिणन्द्रे पढमे अयणे पडिवज्जति तदा णं उत्तरदेवि पढमे अ पडिवज्जइ जता णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवज्जति तदा णं दाहिणद्धेवि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जता णं उत्तर पढमे अयणे पडिवज्जति तताणं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवज्जति, ता जया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवज्जति तताणं पच्चत्थिमेणवि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जया णं पच्चत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवज्जइ तदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवण्णे भवति, जहा अयणे तहा संवच्छरे जुगे वाससते, एवं वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुव्वे एवं जाव सीसपहेलिया पलितोवमे सागरोवमे, ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे ओसप्पिणी पडिवज्जति तता णं उत्तरदेवि ओसप्पिणी पडिवज्जति, जता णं उत्तरद्धे ओसप्पिणी पडिवज्जति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णेवत्थि ओसप्पिणी णेव अत्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिते णं तत्थ काले पं० समणाउसो !, एवं उस्सप्पिणीवि, ता जया णं लवणे समुद्दे दाहिणद्धे दिवसे भवति तता णं लवणसमुद्दे उत्तरद्धे दिवसे भवति जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं लवणसमुद्दे पुरच्छिमपच्चत्थिमेणं राई भवति, जहा जंबुद्दीवे तहेव जाव उस्सप्पिणी तहा धायइसंडे णं दीवे सूरिया ओदीण० तहेव, ता जता णं धायइसंडे दीवे दाहिणद्धे दिवसे भवति तता णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वताणं पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं राई भवति, एवं जंबुद्दीवे जहा तव जाव उस्सप्पिणी, कालोए णं जहा लवणे समुद्दे तहेव, ता अब्भंतरपुक्खरद्धे णं सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ तहेव ता जया णं अब्भंतरपुक्खरद्धेणं दाहिणद्धे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं अब्भिंतरपुक्खरदे मंदराणं पव्वताणं पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं राई भवति, सेसं जहा जंबुद्दीवे तहेव जाव ओस्सप्पिणीउसप्पिणीओ ★ ★ ★ |२९|| अट्टमं पाहुडं ८ ॥ ★★★ ता कतिकट्ठे ते सूरिए पोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति आहिते० ?, तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु जेणं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला संतप्पंति, ते णं पोग्गला संतप्पमाणा तदांतराई बाहिराई पोग्गलाई संतावेंतीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते एगे०, एगे पुण० ता जेणं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला नो संतप्यंति, ते णं पोग्गला असंतप्पमाणा तदणंतराइं बाहिराई पोग्गलाई णो संतावेंतीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते एगे एव०, एगे पुण०-ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला अत्थेतिया संतप्पंति अत्येगतिया णो संतप्पंति, तत्थ अत्थेगइआ संतप्पमाणा तदणतराई बाहिराई पोग्गलाई अत्थेगतियाइं संतावेति अत्थेगतियाइं णो संतावेंति, एस से समिते तावखेत्ते एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता जाओ इमाओ चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहिंतो लेसाओ बहित्ता उच्छूढा अभिणिसट्ठाओ एतावंति, एतासि णं लेसाणं अंतरेसु अण्णतरीओ छिण्णलेसाओ संमुच्छंति, तते णं ताओ छिण्णलेस्साओ समुच्छियाओ समाणीओ तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई संततीति एस से समिते तावक्खत्ते |३०| ता कतिकट्ठे ते सूरिए पोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति आहितेति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्ताओ पं०, तत्गे एवं ता अणुसमयमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेइं आहिते० एगे एव०, एगे पुण० ता अणुमुहुत्तमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेत आहिते०, एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, ता जाओ चेव ओयसंठितीए पणुवीसं पडिवत्तीओ ताओ चेव णेतव्वाओ जाव अणुउस्सप्पिणीमेव सूरिए पोरिसीए च्छायं णिव्वत्तेति आहिता० एगे एवं०, वयं पुण एवं वदामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेसं च पडुच्च छाउद्देसे उच्चत्तं च छायं च पडुच्च लेसुद्देसे लेसं च छायं च पडुच्च उच्चत्तोद्देसे, तत्थ खलु इमाओ दुवे पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवं०-ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसीदछायं निव्वत्ते, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए फ्र HOTO श्री आगमगुणमजूषा - ११२० SOYOR Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) मूल्याति पार्ट९ (१६) ॐॐॐॐॐ दुपोरिसीच्छायं निव्वत्तेइ० एगे०, एगे पुण०-अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसीदछायं णिव्वत्तेइ एगे एवं०, एगे पुण० -ता अत्थि णं से दिवसे जंसिणं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अत्थि णं से दिवसे जंसिणं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दोपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ ते एव० ता जता सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसीयं छायं निव्वत्तेति ता उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणुमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं णिव्वुड्ढेमाणे, ता जता णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपरिसियं छायं निव्वत्तेइ, तं० उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं निवुड्ढेमाणे, तत्थ णं जे ते एव०-ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए णो किंचिपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति ते एव०-ता जता सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तंसि दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति तं० उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे णो चेव णं णिव्वुड्ढेमाणे, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसीछायं णिव्वत्तेति तं० उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमहुत्तंसि य, नो चेव णं लेसं अभिवुड्ढेमाणे वा निवुड्ढेमाणे वा, ता कइकट्ठे ते सूरिए पोरिसीच्छायं निव्वत्तेइ आहियत्ति वइज्जा ?, तत्थ इमाओ छण्णउई पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु-अत्थि णं ते से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसीछायं निव्वत्तेइ एगे एव०, एगे पुण० -ता अत्थि णं से देसे जंसि देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, एवं एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, जाव छण्णउतिं पोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमातो सूरप्पडिहितो बहित्ता अभिणिसट्ठाहिं लेसाहिं ताडिज्जमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ जावतियं सूरिए उड्ढं उच्चत्तेणं एवतियाए एगाए अद्धाए एगेणं छायाणुमाणप्पमाणेणं उमाए तत्थ से सूरिए एगपोरिसीयं छायं णिव्वत्तेति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसिं छायं णिव्वत्तेति ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमातो सूरियपडिधीतो बहित्ता आभिणिसताहिं लेसाहिं ताडिज्जमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो जावतियं सूरिए उड़ढं उच्चत्तेणं एवतियाहिं दोहिं अद्धाहिं दोहिं छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थ णं से सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, एवं णेयव्वं जाव तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए छण्णउतिं पोरिसियं छायं णिव्वत्तेति ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहिद्विमातो सूरप्पडिधीओ बहित्ता अभिणिसद्वाहिं लेसाहिं ताडिज्नमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो जावतियं सूरिए उड़ढ उच्चत्तेणं एवतियाहिं छण्णवतीए अद्धाहिं छण्णवतीए छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थ णं से सूरिए छण्णउतिं पोरिसियं छायं णिव्वत्तेति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-सातिरेगअउणट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसीछायं णिव्वत्तेति, अवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता तिभागे गते वा सेसे वा, ता पोरिसी छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता चउब्भागे गते वा सेसे वा, ता दिवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता पंचमभागे गते वा सेसे वा, एवं अद्धपोरिसिं छोढुं पुच्छा, दिवसस्स भागं छोढुं वा करणं जाव ता अद्धअउणासहिपोरिसीछाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता एगूणवीससतभागे गते वा सेसे वा, ता अउणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, बावीससयसहस्सभागे गते वा सेसे वा, ता सातिरेगअउणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता णत्थि किंचि गते वा सेसे वा, तत्थ खलु इमा पणवीसनिविट्ठा छाया पं० तं० खंभछाया रज्जुछाया पागारछाया पासायछाया उवग्ग (प्र० sonal Use C MONALE LEVEL श्री आगमगणमंजया ११२१KAMA Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 明明明明明明明明明明明明明明 (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुई , पाहुड-पाहुर्ड - [१७] 国步步勇虽历历历步步取 1. LiLi天明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明师明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 , तर) छाया उच्चत्तछाया अणुलोमछाया पडिलोमछाया आरूभिता उवहिता (१०) समा पडिहता खीलच्छाया पक्खच्छाया पुरतोउदग्गा पुरिमकंठभाउवगता पच्छिमकंठभाउगता छायाणुवादिणी कट्ठाणुवादिणीछाया छायछाया (२०) छायाविकंप्पो वेहासछाया कडछाया गोलछाया पिट्ठओदग्गा, तत्थ णं गोलच्छाया अट्ठविहा पं० तं०-गोलच्छाया अवद्धगोलच्छाया गोलगोलछाया अवद्धगोलगोलछाया गोलावलिच्छाया अवड्ढगोलावलिछाया गोलपुंजछाया अवद्धगोलपुंजछाया , ★★★|३१॥णवमंपाहुडं९॥★★★दसमं पाहुडं ताजोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाते आहिते० ता कहं तेजोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाते आहिते०?, तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपज्जवसाणा एगे एव०, एगे पुण०-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता महादीया अस्सेसपज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण एव०-ता सव्वेसिणं णक्खत्ता धणिट्ठादीया सवणपज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता अस्सिणीआदीया रेवतिपज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण०-सव्वेवि णं णक्खत्ता भरणीआदिया अस्सिणीपज्जवसाणा पं० एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-सव्वेवि णं णक्खत्ता अभिईआदीया उत्तरासाढापज्जवसाणा पं० तं०-अभिई सवणो जाव उत्तरासाढा ।३२॥१०-१।। ता कहं ते मुहुत्तग्गे आहि० ?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थिणक्खत्तेजेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसंच सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थिणक्खत्ता जेणं पण्णरस मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं तीसं०, अत्थि णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसिणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जेणं नव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोएंति ?, कयरे नक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएंति ?, कतरे नक्खत्ताजेणं तीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोइंति ? कतरे नक्खत्ता जेणं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोइंति ?, ता एएसिणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोयं जोएंति सेणं एगे अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं पण्णरस मुहत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं०-सतभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोयंति ते पण्णरस, तं०-सवणे धणिट्ठा पुव्वाभद्दवता रेवती अस्सिणी कत्तिया मग्गसिर पुस्सो महा पुव्वाफग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुव्वआसाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएंति ते णं छ, तं०-उत्तराभद्दवदा रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा ।३३। ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति, अत्थि णक्खत्ता जेणं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एतेसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति ? कतरे णक्खत्ता जेणं छ अहोरत्ते एक्कवीसं मुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएंति ? कतरे णक्खत्ता जेणं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ? कतरे णक्खत्ता जेणं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ?, एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति से णं अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं०-सतभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा, तत्थ जे ते० तेरस अहोरते दुवालस य मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ते णं पण्णरस, तं०-सवणो धणिट्ठा पुव्वाभहवता रेवती अस्सिणी कत्तिया मग्गसिरं पूसो महा पुव्वाफग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराधा मूलो पुव्वआसाढा,तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं०-उत्तराभद्दवता रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा।३४||१०-२|| ता कहं ते एवभागा आहि० ?, एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं०, अत्थि णक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पं०, अत्थि णक्खत्ता णत्तंभागा अवड्ढखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं०, अत्थि णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्ढखेत्ता फु पणतालीसमुहुत्तापं०, ता एएसिंणं अट्ठावीसाएणक्खत्ताणं कतरे नक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्तातीसतिमुहत्तापं० कतरेणक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसतिमुहुत्ता GO乐乐乐乐乐明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明玩 TOMEducation international 2010.03.. ? Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (स्वाना सकार- पास ८] %%%%%%%%%%% IOS 其乐乐乐乐乐明的乐乐听听听听听听听听听听听听听明乐乐乐乐明纸纸纸听听听听听听听听听听乐乐男乐乐 पं०१ कतरेणक्खत्ताणत्तंभगा अवड्ढखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं० ? कतरे नक्खत्ता उभयंभागा दिवड्ढखेत्ता पणतालीसतिमुहुत्ता पं० १, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० ते णं छ, तं०-पुव्वापोट्ठवता कत्तिया मघा पुव्वाफग्गुणी मूलो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता पच्छंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० ते णं दस, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा रेवती अस्सिणी मिगसिर पूसो हत्थो चित्ता अणुराधा, तत्थ जे ते णक्खत्ता णतंभागा अवद्धखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं० ते णं छ, तं०-सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खता उभयंभागा दिवड्ढेखेत्ता पणतालीसं मुहुत्ता पं० ते णं छ, तं०-उत्तरापोट्ठवतारोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा |३५||१०-३|| ता कहं ते जोगस्स आदी आहिताति वदेज्जा ?, ता अभियीसवणा खलु दुवे णक्खत्ता पच्छाभागा समखित्ता सातिरेगऊतालीसतिमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ततो पच्छा अवरं सातिरेयं दिवसं, एवं खलु अभिईसवणा दुवे णक्खत्ता एगराइं एगं च सातिरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोगं जोएंति त्ता जोयं अणुपरियदृति त्ता सायं चंदं धणिट्ठाणं समप्पंति, ता धणिट्ठा खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोगंजोएति त्ता ततो पच्छा राइं अवरं च दिवसं, एवं खलु धणिट्ठाणक्खत्ते एगं च रॉई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियति त्ता सायं चंदं सतभिसयाणं समप्पेति, ता सतभिसया खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अवड्ढखेत्ते पण्णरसमुहुत्ते ता पढमताए सायं चंदेण सद्धि जाव जोएति णो लभति अवरं दिवसं, एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एगं राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं म अणुपरियट्टेति त्ता तो चंदं पुव्वाणं पोट्ठवताणं समप्पेति, ता पुव्वापोट्ठवता खलु नक्खत्ते पुव्वंभागे समखेत्ते तीसतिमुहुते तप्पढमताए पातो (१९८) चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छा अवरराइं, एवं खलु पुव्वापोट्ठवता णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राइं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टेति त्ता पातो चंदं उत्तरापोट्ठवताणं समप्पति, ता उत्तरापोट्ठवता खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवड्ढखेत्ते पणतालीसमुहत्ते तप्पढ़मयाए पातो चंदेण सद्धिं जोयं जोएति अवरं च रातिं ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु उत्तरापोट्ठवताणक्खत्ते दो दिवसे एगं च राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोगं अणुपरियट्टति त्ता सायं चंदं रेवतीणं समप्पेति, ता रेवती खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समखेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु रेवतीणक्खत्ते एगं राइंएगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टति त्ता सागं चंदं अस्सिणीणं समप्पेति, ता अस्सिणी खलु णक्खत्ते पच्छिमभागे समखेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु अस्सिणीणक्खत्ते एगं राइं एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोगं अणुपरियट्टइत्ता सागं चंदं भरणीणं समप्पेति, ता भरणी खलु णक्खत्ते णतंभागे अवड्ढखेत्ते पण्णरसमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेण सद्धि जोयं जोएति णो लभति अवरं दिवसं, एवं खलु भरणीणक्खत्ते एगं राइं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टति त्ता पादो चंदं कत्तियाणं समप्पेति, ता कत्तिया खलु णक्खत्ते पुव्वंभागे समक्खित्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढ़मताए सागं चंदेणं सद्धिं जोगं जोएति ततो पच्छा राई, एवं खलु कत्तिया णक्खत्ते एगं दिवसं एगं च राइंचंदेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टइत्ता पादो चंदं रोहिणीणं समप्पेति, रोहिणी जहा उत्तराभहवता मगसिरं जहा धणिट्ठा अद्दा जहा सतभिसया पुणव्वसू जहा उत्तराभद्दवता पुस्सो जहा धणिट्ठा अस्सेसा जहा सतभिसया मघा जहा पुव्वाफग्गुणी २ जहा पुव्वाभद्दवया उत्तराफग्गुणी जहा उत्तराभद्दवता जिट्ठा जहा हत्थो चित्ता य जहा धणिट्ठा साती जहा सतभिसया विसाहा जहा उत्तराभद्दवदा अणुराहा जहा धणिट्ठा सयभिसया मूला पुव्वासाढा य जहा पुव्वभद्दपदा उत्तरासाढा जहा उत्तराभद्दवता ।३६||१०-४॥ ता कहं ते कुला आहि०?, तत्थ खलु इमे बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पं०, बारस कुला, तं०-धणिट्ठाकुलं उत्तराभद्द (प्र० पोट्ठ) वता० अस्सिणी० कत्तिया० संठाणा० पुस्सा० महा० उत्तराफग्गुणी० चित्ता० विसाहा० मूला० उत्तरासाढाकुलं, बारस उवकुला तं०-सवणोउवकुलं पुव्वापोट्ठवता० रेवती० भरणी० रोहिणी० पुणव्वसु० अस्सेसा० पुव्वाफग्गुणी० हत्थो० साती० जेट्ठा० पुव्वासाढा०, चत्तारि कुलोवकुला तं०-अभीयीकुलोवकुलं सतभिसया० 2 अदा० अणुराधाकुलोवकुलं ।३७॥१०-५ ता कहं ते पुण्णिमासिणी आहि०?, तत्थ खलु इमाओ बारस पुण्णिमासिणीओ बारस अमावासाओ पं० तं०-साविट्ठी MYTHENNNNN NNNA श्री आगमगुणमजूषा - ११२३ 555555 95%95555555 E oyoy GO听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐 Education International 2010_03 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRO955555555555555 (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुई , पाहुड-पाहुडं -२ [१९] 5步步步步步步步步步步步 पोट्टवती आसोई कत्तिया मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती विसाही जेट्ठामूली आसाढी, ता साविट्ठिण्णं पुण्णमासिणी कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिण्णि णक्खत्ता जोइंति, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा, ता पुट्ठवतीण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिन्नि नक्खत्ता जोयंति तं०-सतिभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापुट्ठवता, ता आसोदिण्णं पुण्णिम कति णक्खत्ता जोएंति, ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं०-रेवती य अस्सिणी य, कत्तियण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति?, ता दोणि णक्खत्ता जोएंति तं०-भरणी कत्तिया य, ता मागसिरीपुन्निम कति णक्खत्ता जोएंति?, ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं०-रोहिणी मग्गसिरोय, ता पोसिण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं०-अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, ता माहिण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दोण्णि नक्खत्ता जोएंति, तं०-अस्सेसा महा य, ता फग्गुणीण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दुन्नि नक्खत्ता जोएंति तं०-पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य, ता चित्तिण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दोण्णि तं०-हत्थो चित्ता य, ता विसाहिण्णं पुण्णिम कति णक्खत्ता जोएंति ?, दोण्णि णक्खत्ता जोएंति तं०-साती विसाहा य, ताजेट्ठामूलिण्णं पुण्णिमासिणिं कति णक्खत्ता जोयंति?, ता तिन्नि णक्खत्ता जोएंति, तं०-अणुराहा जेट्ठा मूलो, आसाढिण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति?, ता दो णक्खत्ता जोएंति, तं०-पुव्वासाढा उत्तरासाढा ।३८ाता साविट्ठिण्णं पुण्णिमासिंणं किं कुलं जोएति उवकुल० कुलोवकुलं जोएति ?, ता कुलं वा० उवकुलं वा० कुलोवकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे धणिट्ठा णक्खत्ते० उवकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोएति, कुलोवकुलं जोएमाणे अभिईणक्खत्ते जोएति, साविट्ठि पुण्णिमं कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा जोएति, कुलेण वा उवकुलेण वा कुलोवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, ता पोद्ववतिण्णं पुण्णिमं + किं कुलं० उवकुल० कुलोवकुलं वा जोएति ?, ता कुलं वा० उवकुलं वा० कुलोवकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे उत्तरापोट्ठवया णक्खत्ते जोएति, उवकुलं जोएमाणे पुव्वापोट्ठवता णक्खत्ते जोएति, कुलोवकुलं जोएमाणे सतभिसया णक्खत्ते जोएति, पोट्ठवतिण्णं पुण्णमासिणिं कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा जोएति, कुलेण वा० जुत्ता पुट्ठवती पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, ता आसोई णं पुण्णिमासिणिं किं कुलं उवकुलं कुलोवकुल जोएति ?, णो लभति कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे अस्सिणी णक्खत्ते जोएति, उवकुलं जोएमाणे रेवतीणक्खत्ते जोएति, आसोई णं पुण्णिमं च कुलं वा उवकुलं वा जोएति कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता अस्सोदिणी पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया, एवं तव्वाउ (प्र० जाव आसाढी पुन्नमासिणी जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया) पोसं पुण्णिमं जेट्ठामूलं पुण्णिमं च कुलोवकुलंपि जोएति, अवसेसासु णत्थि कुलोवकुलं, ता सावट्ठिणं अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, दुन्नि नक्खत्ता जोएंति, तं०-अस्सेसा य महा य, एवं एतेणं अभिलावेणं तव्वं, पोट्ठवती दोन्नि णक्खत्ता जोएंति, तं०-पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, अस्सोई हत्थो चित्ता य, कत्तिई साती विसाहा य, मगसिरं अणुराधा जेट्ठामूलो, पोसिं पुव्वासाढा उत्तरासाढा, माहिं अभीयी सवणो धणिट्ठा, फग्गुणी सतभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवता, चेत्तिं रेवती अस्सिणी य, विसाहिं भरणी कत्तिया य, जेट्ठामूलिं रोहिणी मगसिरंच, ता आसाढिंणं अमावासिंकतिणक्खत्ता जोएंति?,ता तिन्नि नक्खत्ता जोएंति, तं०-अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, ता साविट्टिणं अमावासं किं कुलं वा जोएति उवकुलं वा जोएति कुलोवकुलं वा जोएइ ?, कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ नो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएति, उवकुलं जोएमाणे असिलेसा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी अमावासा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, एवं तव्वं णवरं मग्गसिराए माहीए फग्गुणीए आसाढीए य अमावासाए कुलोवकुलंपि जोएति, सेसासु णत्थि ।३९॥१०-६|| ता कहं ते सण्णिवाते आहि०?, ता जया णं साविट्ठी पुण्णिमा भवति तताणं माही अमावासा भवति जया णं माही पुण्णिमा भवति तताणं साविट्ठी अमावासा भवति, जताणं पुट्ठवती पुण्णिमा भवति तताणं फग्गुणी अमावासा भवति जया णं फग्गुणी पुण्णिमा भवति तताणं पुट्ठवती अमावासा भवति, जया णं आसोई पुण्णिमा भवति तता णं चेती अमावासा भवति जया णं चित्ती पुण्णिमा भवति तया णं आसोई अमावासा भवति, जया णं कत्तियी पुण्णिमा भवति तता णं वेसाही अमावासा भवति जता णं वेसाही पुण्णिमा भवति तता णं कत्तिया अमावासा भवति, जया णं मग्गसिरी पुण्णिमा भवति तता णं जेट्ठामूली अमावासा भवति जता णं जेट्ठामूली पुण्णिमा भवति तताणं मग्गसिरी अमावासा भवति, जता णं पोसी पुण्णिमा भवति तताणं Soro5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ११२४ 55555555555555555555555555553 MONOFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF C%听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C恩 听听听听听乐 乐乐乐乐乐明明乐乐乐乐 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ror$$555555555555 स्वातिएका पादुई, पाहुड पाहुई . [२०] 1555555555555550 明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明恶 आसाढी अमावासा भवति जता णं आसाढी पुण्णिमा भवति तता णं पोसी अमावासा भवति ।४०॥१०-७।। ता कहं ते नक्खत्तसंठिती आहि०?, ता एएसिंणं अट्ठवीसाएणक्खत्ताणं अभीयीणं णक्खत्ते किंसंठिते पं०?, गो०! गोसीसावालिसंठिते पं०, सवणे णक्खत्ते किंसंठिते पं०?, काहारसंठिते पं०, धणिट्ठाणक्खत्ते० सउणिपलीणगसंठिते पं०, सयभिसयाणक्खत्ते० पुप्फोवयारसंठिते, पुव्वापोट्ठवताणक्खत्ते० अवइढवाविसंठिते, एवं उत्तरावि, रेवतीणक्खत्ते णावासंठिते, अस्सिणीणक्खत्ते आसक्खंधसंठिते, भरणीणक्खत्ते भगसंठिए पं०, कत्तियाणक्खत्ते छुरघरसंठिते पं०, रोहिणीणक्खत्ते सगडुड्डिसंठिते, मिगसिराणक्खत्ते के मगसीसावलिसंठिते, अहाणक्खत्ते रूधिरबिंदुसंठिए, पुणव्वसू तुलासंठिए, पुप्फे वद्धमाण०, अस्सेसाण पडागसंठिए, महा० पागारसंठिते, पुव्वाफग्गुणी० अद्धपलियंकसंठिते, एवं उत्तरावि, हत्थे हत्थसंठिते, ता चित्ताणक्खत्ते मुहफुल्लसंठिते, साती० खीलगसंठिते, विसाहा० दामणिसंठिते, अणुराधा० एगावलिसंठिते, जेट्ठान० गयदंतसंठिते, मूले० विच्छुयलंगोलसंठिते, पुव्वासाढा० गयविक्कमसंठिते, उत्तरासाढाणक्खत्ते किंसंठिए पं०?, सीहनिसाइयसंठिते पं०।४१||१०-८|| है ता कहं ते तारग्गे आहि०?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीईणक्खत्ते कतितारे पं०?, तितारे पं०, सवणे णक्खत्ते० तितारे, धनिट्ठा पणतारे, सतभिसया कति० ?, सत्ततारे, पुव्वापोट्ठवता कति०?, दुतारे, एवं उत्तरावि, रेवतीण० कति० ?, बत्तीसतितारे, अस्सिणी० कति० ?, तितारे, एवं सव्वे पुच्छिज्जति, भरणी तितारे, कत्तिया छतारे, रोहिणी पंचतारे मगसिरेतितारे, अद्दा एगतारे, पुणव्वसू पंचतारे, पुस्से तितारे, अस्सेसा छत्तारे, महा सत्ततारे, पुव्वाफग्गुणी दुतारे, एवं उत्तरावि, हत्थे पंचतारे, चित्ता एकतारे, साती एकतारे, विसाहा पंचतारे, अणुराहा चउतारे, जेट्ठा तितारे, मूले एगारतारे, पुव्वासाढा चउतारे, उत्तरासाढाणक्खत्ते चउतारे पं०॥४२॥१०-९।। ता कहं ते णेता आहि०?, ता वासाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णिति, तं०-उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिट्ठा, उत्तरासाढा चोद्दस अहोरत्ते णेति, अभिई सत्त अहोरत्ते णेति, सवणे अट्ठ अहोरत्तेणेति, धणिट्ठा एगं अहोरत्तं नेइ, तंसिणं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाइं चत्तारि य अंगुलाणि पोरिसी भवति, ता वासाणं दोच्चं मासंकति णक्खत्ता णेति ?, ता चत्तारि णक्खत्ताणेति, तं०-धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापुट्ठवता उत्तरापोट्ठवया, धणिट्ठा चोइस अहोरत्ते णेति, सयभिसया सत्त अहोरत्तेणेति, पुव्वाभद्दवया अट्ठ अहोरत्ते णेइ, उत्तरापोट्ठवता एग अहोरत्तं णेति, तंसि णं मासंसि अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरमे दिवसे दो पादाइं अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवति, ता वासाणं ततियं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिण्णि णक्खत्ता णिति, तं०-उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी, उत्तरापोट्ठवता चोद्दस अहोरत्तेणेति रेवती पण्णरस० अस्सिणी एगं अहो०, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलपोरिसीछायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमदिवसे लेहत्थाई तिण्णि पदाइं पोरिसी भवति, ता वासाणं चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिन्नि नक्खत्ता णेति, तं०-अस्सिणी भरणी कत्तिया, अस्सिणी चउद्दस अहो० भरणी पन्नरस अहो० कत्तिया एणं अहो०, तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलपोरिसीछायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिन्नि पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ, ता हेमंताणं पढमं मासं कइणक्खत्ता णेति?, ता तिण्णि णक्खत्ता णेति, तं०-कत्तिया रोहिणी संठाणा, कत्तिया चोद्दस अहो० रोहिणी पन्नरस अहो० संठाणा एगं अहो०, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिण्णि पदाई अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवति, ता हेमंताणं दोच्चं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, चत्तारि णक्खत्ता णेति, तं०-संठाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, संठाणा चोद्दस अहोरत्ते णेति अद्दा सत्त अहो० पुणव्वसू अट्ठ अहो० पुस्से एगं अहोरत्तं णेति, तंसि च णं मासंसि चउवीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियति, तस्स प्र णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाणि चत्तारि पदाइं पोरिसी भवति, ता हेमंताणं ततियं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिण्णि णक्खत्ता णेति, तं०-पुस्से अस्सेसा महा, पुस्से चोद्दस अहोरत्तेणेति अस्सेसा पंचदस अहो० महा एगं अहो०, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलाइ पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्सणं मासस्स र चरिमे दिवसे तिण्णि पदाइं अटुंगुलाई पोरिसी भवति, ता हेमंताणं चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिण्णि नक्खत्ता णेति, तं०-महा पुन्वाफग्गणी orro935993555555555555599 श्री आगमगुणमंजूषा - SADRID555555555555555555555555555OMORR ISO国听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SOIC明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明O現 (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुई , पाहुड-पाहुई - २. (२१] 15555555555555EOXY उत्तराफग्गुणी, महा चोद्दस अहो० पुव्वाफग्गुणी पन्नरस अहो० उत्तराफग्गुणी एग अहो०, तंसिचणं मासंसि सोलसअंगुलाइपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियदृति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिण्णि पदाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवति, ता गिम्हाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिन्नि णक्खत्ता णेति, तं०उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफग्गुणी चोद्दस अहोरत्ते णेति हत्थो पण्णरस अहो० चित्ता एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालसअंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाइय तिण्णि पदाइं पोरिसी भवति, ता गिम्हाणं बितियं मासं कति णक्खत्ता णेति?, ता तिण्णि णक्खत्ता णेति, तं०-चित्ता साई विसाहा, चित्ता चोद्दस अहोरत्ते णेति साती पण्णरस अहो० विसाहा एग अहोरत्तं णेति, तंसि च णं मासंसि अट्ठगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पदाइं अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवति, गिम्हाणं ततियं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णेति, तं०-विसाहा अणुराधा जेट्ठा मूलो, विसाहा चोद्दस अहो० अणुराधा अट्ठ० जेट्ठा सत्त० मूलं एगं अहोरत्तं णेति, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाणि य चत्तारि अंगुलाणि पोरिसी भवति, ता गिम्हाणं चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिण्णि णक्खत्ता णेति, तं०-मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा, मूलो चोद्दस अहोरत्तेणेति पुव्वासाढा पण्णरस अहोरत्तेणेति उत्तरासाढा एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि वट्टाए समचउंरंससंठिताए णग्गोधपरिमंडलाए सक्कायमणुरंगिणीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाई दो पदाइं पोरिसी भवति 1४३।१०-१०॥ ता कहं ते चंदमग्गा अहि० ?, ता एएसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जेणं सता चंदस्स दाहिणेणं जोअं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं सता चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोयंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं सदा चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमपि जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जेणं चंदस्स दाहिणेणवि पमइंपिजोंयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जेणं चंदस्स सदा पमई जोअंजोएंति, ता एएसिणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कतरे नक्खत्ता जेणं सता चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति?, तहेव जाव कतरे नक्खत्ता जेणं सदा चंदस्स पमई जोयं जोएंति?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं तत्थ जेणं नक्खत्ता सया चंदस्सदाहिणेण जोंयं जोएंति ते णंछ, तं०-संठाणा अद्दा पुस्सो अस्सेसा हत्थो मूलो, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं सदाचंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति तेणं बारस, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी साती, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमपि जोयं जोएंति ते णं सत्त, तं०-कत्तिया रोहिणी पुणव्वसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ जे ते नक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमपि जोयं जोएंति ताओ णं दो आसाढाओ सव्वबाहिरे मंडले जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोएस्संति वा, तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं सदा चंदस्स पमई जोयं जोएंति साणं एगा जेट्ठा ।४४ता कति ते चंदमंडला पं०?, ता पण्णरस चंदमंडला पं०, ता एएसिंणं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं अत्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं अविरहिया, अत्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं विरहिया, अत्थि चंदमंडला जे णं रविससिणक्खत्ताणं सामण्णा भवंति, अत्थि चंदमंडला जे णं सया आदिच्चेहिं विरहिया, ता एतेसिणं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं कयरे चंदमंडलाजेणं सताणक्खत्तेहिं अविरहिया जाव कयरे चंदमंडला जेणं सदा आदिच्चविरहिता?, ता एतेसिंणं पण्णरसह चंदमंडलाणं जे ते चंदमंडला ते णं सदा णक्खत्तेहिं अविरहिता ते णं अट्ठ, तं०-पढमे चंदमंडले ततिए० छठे० सत्तमे० अट्ठमे० दसमे० एकादसे० पण्णरसमे चंदमंडले, तत्थ जे णं सदा णक्खत्तेहिं विरहिया ते णं सत्त, तं०-बितिए चउत्थे पंचमे नवमे बारसमे तेरसमे चउद्दसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं ससिरविनक्खत्ताणं सामण्णा भवंति ते णं चत्तारि, तं०-पढमे बीए इक्कारसमे पन्नरसमे चंदमंडले, तत्थ जेते चंदमंडला जेणं सदा आदिच्चविरहिता ते णं पंच, तं०छडे सत्तमे अट्ठमे नवमे दसमे चंदमंडले।४५||१०-११|| ता कहं ते देवताणं अज्झयणा आहि० ?, ता एएणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवताए पं०१, बंभदेवयाए पं०, सवणे विण्हुदेवयाए पं०, धणिठ्ठा वसुदेवयाए पं०, सयभिसया वरूणदेवयाए पं०, पुव्वापोट्ठ० अजदे० उत्तरापोठुवया अहिवड्डिदेवताए पं०, एवं ५ सव्वेपि पुच्छिज्जंति, रेवती पुस्सदेवता अस्सिणी अस्स० भरणी जम० कत्तिया अग्गि० रोहिणी पयावइ० संठाणा सोम० अद्दा रूद्द० पुणव्वसू अदिति० पुस्सो worrowLEASKA4%9501555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ११२६959555555555555555555555$OOR C明明明明明明明明明明乐乐乐明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C3 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ro.:5555555558 . -. 155555555555555555% 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 बास्सा अस्सेसा सप्य० महा पिति० पुव्वाफग्गुणी भग० उत्तराफग्गुणी अज्जम० हत्थे सविया० चित्ता तट्ठ० साती वायु० विसाहा इंदग्गी० अणुराहा मित्त० जेट्ठा इंद० मूले णिरिति० पुव्वासाढा आउ० उत्तरासाढा विस्सदेवयाए पं०१४६||१०-१२।। ता कहं ते मुहुत्ताणं नामधेज्जा आहि०?, ता एगमेगस्सणं अहोरत्तस्स तीसं मुहुत्ता पं० तं०-'रोद्दे सेते मित्ते वायु सुपीए तहेव अभिचंदे ।माहिंद बलव बंभो बहुसच्चे १० चेव ईसाणे ॥१६॥ तद्वै य भावियप्पा वेसमणे वारूणे य आणंदे। विजए य वीससेणे पायावच्चे उवसमे य २०||१७|| गंधव्व अग्गिवेसे सयरिसहे आयवं च अममे य। अणवं च भोम रिसहे सव्वद्वे रक्खसे चेव ३०||१८||४७||१०१३|| ता कहं ते दिवसा आहिय० ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पन्नरस २ दिवसा पं० तं०-पडिवा दिवसे बितिया जाव पण्णरसीदिवसे, ता एतेसिंणं पण्णरसण्हं दिवसाणं पन्नरस नामधेजा पं० तं०-'पुव्वंगे सिद्धमणोरमे य तत्तो मणोहरो चेव । जसभद्दे य जसोधर सव्वकामसमिद्धेति य ॥१९|| इंदे मुद्धाभिसित्ते सोमणस्स धणंजए य बोद्धव्वे । अत्थसिद्धे अभिजाते अच्चासणे य सतंजए |२०|| अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं नामधेज्जाइं । ता कहं ते रातीओ आहि० ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राईओ पं० तं०-पडिवा राई बिदिया राई जाव पण्णरसी राई, ता एतासिं णं पण्णरसण्हं राईणं पण्णरस नामधेज्जा पं० तं०-'उत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोधरा । सोमणसा चेव तवा, सिरिसंभूता य बोद्धव्वा ॥२१॥ विजया य वेजयंती जयंति अपराजिया य इच्छा य । समाहारा चेव तधा तेया य तहा य अतितेया ।।२२।। देवाणंदा निरती रयणीणं णामधेज्जाइं ।४८।१०-१४|| ता कहं ते तिही आहि० ?, तत्थ खलु इमा दुविहा तिही पं० तं०-दिवसतिही राइतिही य, ता कहं ते दिवसतिही आहितेति वदेज्जा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस २ दिवसतिही पं० तं०-णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पंचमी, पुणरवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी, पुणरवि णंदे भद्दे जये तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पण्णरसी, एवं ते तिगुणा तिहीओ सव्वेसि दिवसाणं, कहं ते राइतिधी आहि० ?, एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राति तिधी पं० तं०-उग्गवती भोगवती जसवती सव्वसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वसिद्धा सुहणामा, एते तिगुणा तिहीओ सव्वासिं रातीणं ।४९||१०-१५॥ ता कहं ते गोत्ता आहि०?, ताएतेसिंणं अट्ठावीसाएणक्खत्ताणं अभियी णक्खत्ते किंगोत्तेपं०?,तामोग्गल्लायणसगोत्तेपं०, सवणे णक्खत्ता किंगोत्ते?, संखायणगोत्तेपं०, धणिट्ठाणक्खत्ते अग्गितावसागोत्ते पं०, सतभिसयाणक्खत्ते कण्णलो (प्र० कल्लो) यणसगोत्ते पं०, पुव्वापोट्ठवताणक्खत्ते जोउकण्णियसगोत्ते पं०, उत्तरापोट्ठवताणक्खत्ते धणंजयसगोत्ते पं०, रेवतीणक्खत्ते पुस्सायणसगोत्ते पं०, अस्सिणीनक्खत्ते अस्सादणसगोत्ते पं०, भरणीणक्खत्ते भग्गवेससगोत्ते पं०, कत्तियाणक्खत्ते अग्गिवेससगोत्ते पं०, रोहिणीणक्खत्ते गोतमसगोत्ते पं०, संठाणाणक्खत्ते भारद्दायसगोत्ते पं०, अद्दाणक्खत्ते लोहिच्चायणसगोत्ते पं०, पुणव्वसुणक्खत्ते वासिट्ठगोत्ते पं०, पुस्से उमज्जायणसगोत्ते पं०, अस्सेसा मंडव्वायणसगोत्ते पं०, महाण० पिंगायणसगोत्ते पं०, पुव्वाफग्गुणी० गोवल्लायणसगोत्ते पं०, उत्तराफग्गुणी० कासवसगोत्ते पं०, हत्थे० कोसियगोत्ते पं०, चित्ता० दब्भियायणसगोत्ते पं०, साई० वामरछगोत्तेपं०, विसाहा० सुंगायणसगोत्तेपं०, अणुराधा० गोलव्वायणसगोत्ते पं०, जेट्ठा० तिगिच्छायणसगोत्ते पं०, मूले० कच्चायणसगोत्ते पं०, पुव्वासाढा० वज्झियायणसगोत्ते पं०, उत्तरासाढाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०?, वग्धावच्चसगोत्ते पं० ।५०॥१०-१६।। ता कहं ते भोयणा आहि० ?, ता एएसिं णं अट्ठवीसाए णक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कज्जं साधिति, रोहिणीहिं वसभमंस भोच्चा कज्जं साधेति, संठाणाहिं मिगमंसं० अद्दाहिणवणीतेण भोच्चा० पुणव्वसुणा घतेण० पुस्सेणं खीरेण अस्सेसाए दीवगमंसं० महाहिं कसरि० पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मढकमंसं० उत्तराहिं फग्गुणीहिं णक्खी (प्र० भी) मंसं० हत्थेण वत्थाणीपण्णं० चित्ताहिं मुग्णसूवेणं० सादिणा फलाइं० विसाहाहिं आसित्ति (प्र० न्नसि) याओ० अणुराहाहिं मिस्सकूरं० जेट्ठाहिं ओलटिंठएणं० मूलेणं मूलापन्नेणं० पुव्वाहिं आसाढाहिं आमलग (प्र० मालवे) सरीरे० उत्तराहिं आसाढाहिं विलेवि० अभीयिणा पुप्फेहिं० F सवणेणं खीरेणं० धणिट्ठाहिंजूसेण० सयभिसाए तुवरीओ० पुव्वाहिं पुठ्ठवयाहिं कारिल्लएहिं० उत्तराहिं पुट्ठवताहिं वराहमसं० रेवतीहिंजलयरमंसं० अस्सिणीहिं २ तित्तिरमंसं वट्टकमंसं वा० भरणीहिं तिलतंदुलकं भोच्चा कज्जं साधेति ।५१।१०-१७॥ ता कहं ते चारा आहि०?, तत्थ खलु इमा दुविहा चारा पं० तं०-आदिच्चचारा xex 5 555555 श्री आगमगुणमंजूषा -११२७ ॥ 5 OOK 乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明2 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2005555555555 (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुडं , पाहुड-पाहुडं -२२ २३] $$$$$$$$ 2 CE Pय चन्दचारा य, ता कहं ते चंदचारा आहि०?, ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे अभीइणक्खत्ते सत्तसद्विचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, सवणे णं णक्खत्ते सत्तट्ठि चारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति एवं जाव उत्तरासाढाणक्खत्ते सत्तट्ठिचारे चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति, ता कहं ते आइच्चचारा आहितेति वदेज्जा?, ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे अभीयीणक्खत्ते (१९९) पंचचा (वा) रे सूरेण सद्धिं जोयं जोएति, एवं जाव उत्तरासाढाणक्खत्ते पंचचा (वा) रे सूरेण सद्धिं जोयं जोएति ।५२||१०-१८|| ता कहं ते मासा आहि० ?, ता एगमेगस्स णं संवच्छरस्स बारस मासा पं०, तेसिंच दुविहा नामधेज्जा पं० तं०-लोइंया लोउत्तरिया य, तत्थ लोइया णामा-सावणे भद्दवते आसोए जाव आसाढे, लोउत्तरिया णामा-'अभिणंदे सुपट्टे य, विजये पीतिवद्धणे । सेज्जंसे सिवे यावि, सिसिरे य सहेमवं ॥२३॥ नवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे । एकादसमे णिदाहो, वणविरोही य बारसे ॥२४||५३||१०-१९॥ ता कति णं भंते ! संवच्छरा आहि०?, ता पंच संवच्छरा आहि०, तं०-णक्खत्तसंवच्छरे जुग० पमाण० लक्खण० सणिच्छरसंवच्छरे ।५४। ता णक्खत्तसंवच्छरे णं दुवालसविहे पं० तं०-सावणे भद्दवए जाव आसाढे, जं वा बहस्सती महग्गहे दुवालसहिं संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेति ।५५/ ता जुगसंवच्छरे णं पंचविहे पं० तं०-चंदे चंदे अभिवड्डिए चंदे अभिवड्डिए चेव, ता पढमस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पं० दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पं० तच्चस्सणं अभिवहितसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पं० चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पं० पंचमस्स णं अभिवड्डियसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउवीसे पव्वसते भवतीतिमक्खातं ।५६। ता पमाणसंवच्छरे पंचविहे पं० तं०-नक्खत्ते चंदे उडू आइच्चे अभिवड्डिए ।५७। ता लक्खणसंवच्छरे पंचविहे पं० तं०-नक्खत्ते चंदे उडू आइच्चे अभिवड्डिए, ता णक्खत्ते णं संवच्छरे णं पंचविहे पं०-'समगं णक्खत्ता जोयं जोएति समगं उदू परिणमंति । नच्चुण्हं नाइसीए बहुउदए होइ नक्खत्ते ।।२५।। ससिसमगपुन्निमासिं जोइंता विसमचारिनक्खत्ता । कडुओ बहुउद्दवओ य तमाहु संवच्छरं चंदं ॥२६।। विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुप्फफलं । वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं ॥२७|| पुढवीदगाणं च रसं पुप्फफलाणं च देइ आइच्चे । अप्पेणवि वासेणं संमं निप्फज्जए सस्सं ॥२८॥ आइच्चतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमन्ति। पूरेति निण्णथलये तमाहु अभिवहितं जाण ॥२९|| ता सणिच्छरसंवच्छरेणं अट्ठावीसतिविहे पं० तं०-अभियी सवणे जाव उत्तरासाढा, जंवा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेति ।५८॥१०-२०॥ ता कहं ते जोतिसस्स दारा आहि०?, तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु ता कत्तियादी णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पं० एगे एव०, एगे पुण० ता महादीया सत्त पुव्व० पं० एगे एव०, एगे पुण०-अणुराहाइया सत्त पुव्व० पं० एगे०, एगे पुण०-धणिट्ठादीया सत्त पुव्व० पं० एगे०, एगे पुण०-अस्सिणीयादीया णं सत्त पुव्व० पं० एगे०, एगे० पुण०-भरणीयादीआ णं सत्त णक्खत्ता पुव्व० पं०, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता कत्तियादी णं सत्त पुव्व० पं० ते एव० सं०-कत्तिया रोहिणी संठाणा अझ पुणव्वसूपुस्सो असिलेसा, सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पं० तं०-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराधादीया सत्तणक्खत्ता पच्छिमदारिया पं० तं०-अणुराधा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभियी सवणो, धणिट्ठादीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पं० तं०-धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता महादीया सत्त पुव्व० पं० ते एव० सं०-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साती विसाहा, अणुराधादीया सत्त दाहिण० पं० २०-अणुराधा जेट्ठा मूले पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभियी सवणे, धणिट्ठादीया सत्त पच्छिम० पं० तं०-धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी, कत्तियादीया सत्त उत्तर० पं० २०-कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा, तत्थ णं जेते एव० ता धणिट्ठादीया सत्त पुव्व० पं० ते एव० सं०-धणिट्ठा सत्तभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तराभद्दवया रेवती अस्सिणी भरणी, कत्तियादीया सत्त दाहिण० पं० २०-कत्तिया रोहिणी संटाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा, महादीया सत्त पच्छिम० पं० तं०-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साती विसाहा, अणुराधादीया सत्त उतर० पं० तं०-अणुराधा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा २ उत्तरासाढा अभीयी सवणो, तत्थ जे ते एव० ता अस्सिणीआदीया सत्त पुव्व० पं० ते एव० सं०-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसू, meroFFFFFFFFFFFFFFFFFF5555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११२८ 555555555555555555555555FORGY C明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐FSC G.65乐乐听听听听听听听听乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听QQ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ISONESISXxxs95%%% (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुड,पाहुड-पाहुड - २२ [२४] $ %%%%%%%%% % % पुस्सादिया सत्त दाहिण पं० तं०-पुस्सो अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, सादीयादीया सत्त पच्छिम पं० सं०-साती विसाहा अणुराहा म जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा, अभीयीआदीया सत्त उत्तर० पं०२०-अभिई सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तराभद्दवया रेवती, तत्थ जे ते एव० ता भरणिआदीया सत्त पुव्व० पं० ते एव० सं०-भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, अस्सेसादीया सत्त दाहिण० पं० तं०-अस्सेसा महा पुव्वाफारगुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई, विसाहादीयासत्त पच्छिम० पं० तं०-विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभिई, सवणादीया ॐ सत्त उत्तर० पं० २०-सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापोट्ठवया उत्तरापोट्ठवया रेवती अस्सिणी एगे एवं०, वयं पुण एवं वदामो ता अभिईयादिया सत्त पुव्वदा० पं० २०-अभियी सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवया रेवती, अस्सिणी आदीया सत्त दाहिण पं० तं०-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसू, पुस्सादीया सत्त पच्छिम० पं० तं०-पुस्सो अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, सातिआदीया सत्तणक्खत्ता उत्तरदारिया पं० तं०-साती विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूले पुव्वासाढा उत्तरासाढा ।५९||१०-२१॥ ता कहं ते णक्खत्तविजये आहि०?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जंबुद्दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासेति वा पभासिस्संति वा दो सूरिया तविंसु वा तवेति वा तविस्संति वा छप्पण्णं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा० त०.दो अभीयी दो सवणा दो धणिट्ठा दो सतभिसया दो पुव्वापोट्ठवता दो उत्तरापोट्ठवता दो रेवती दो अस्सिणी दो भरणी दो कत्तिया दो रोहिणी दो संठाणा दो अद्दा दो पुणव्वसू दो पुस्सा दो अस्सेसा दो महा दो पुव्वाफग्गुणी दो उत्तराफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो साई दो विसाहा दो अणुराधा दो जेट्ठा दो मूला दो पुव्वासाढा दो उत्तरासाढा, , ता एएसिंणं छप्पण्णाए नक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जे णं णव महुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति अस्थि नक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण० अत्थि णक्खत्ता जे णं तीसइमुहुत्ते० अत्थि णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण०, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ते जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहत्तस्स चंदेण० कतरे णक्खत्ता जेणं पन्नरस मुहुत्ते० कतरे णक्खत्ता जेणं तीसं मुहुत्ते० कतरे णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ?, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण० ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण० ते णं बारसतं०-दो सतभिसया दो भरणी दो अद्दा दो अस्सेसा दो साती दो जेट्ठा, तत्थ जे० णं तीसं मुहत्ते चंदेण० ते णं तीसं तं०-दो सवणा दो धणिट्ठा दो पुव्वभद्दवता दो रेवती दो अस्सिणी दो कत्तिया दो संठाणा दो पुस्सा दो महा दो पुव्वाफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो अणुराधा दो मूला दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता पणतालीसं मुहुत्ते० ते णं बारसतं०-दो उत्तरापोट्ठवता दो रोहिणी दो पुणव्वसू दो उत्तराफग्गुणी दो विसाहा दो उत्तरासाढा, ता एएसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति अस्थि णक्खत्ता जेणं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरेण० अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण० अत्थिणक्खत्ता जेणं वीसं अहोरत्ते तिन्नि य मुहुत्ते सूरेण०, एएसिंणं छप्पण्णाए मणक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं तं चेव उच्चारेयव्वं, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण० ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरेण ते णं बारस तं०-दो सतभिसया दो भरणी दो अद्दा दो अस्सेसा दो साती दो जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण० ते णं तीसं तं०- दो सवणा जाव दो पुव्वासादा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण के सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस तं०- दो उत्तरापोट्ठवता जाव उत्तरासाढा ।६०। ता कहं ते सीमा विक्खंभे आहितेति वदेज्जा ?, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं अत्थिणक्खत्ता जेसिंणं छ सयातीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो अत्थिणक्खत्ताजेसिंणं सहस्सं पंचोत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो अत्थि णक्खत्ता जेसिंणं दो सहस्सा दसुत्तरा संत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो अत्थि णक्खत्ता जेसिंणं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, ताएतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कतरेणक्खत्ता जेसिंणं छ सया तीसा तं चेव उच्चारतव्वं जाव तिसहस्संपंचदसुत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसइभागाणं PrevoS45555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-११२९ 19454545555555555555OROR C8乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐SO 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听Q Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ US$听听听听听听听听听听听听听 (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुड , पाहुड-पाहुडं - २२ [२५] । $$$%%% % %% C3 SOF听听听听听听听听听听听明听听听听听听明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听明明听听听听听FE सीमाविक्खंभो?, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिंणं छ सता तीसा सत्त भागतीससतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिंणं सहस्सं पंचुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस तं०- दो सतभिसया जाव दो जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिं णं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं तीसं, तं० - दो सवणा जाव दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिंणं तिण्णिसहस्सा पण्णरसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तं०- दो उत्तरापोट्ठवता जाव उत्तरासाढा।६१। एतेसिंणं छप्पणाए णक्खत्ताणं किं सता पादो चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं किं सया सायं चंदेणं० एतेसिंणं छप्पण्णाएणक्खत्ताणं किं सया दुहा पविसिय २ चंदेण०?, ता एएसिं णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं न किंपि तं जं सया पादो चंदेणं० नो सया सागं चंदेण० नो सया दुहुओ पविसित्ता २ चंदेण०, णण्णत्थ दोहिं अभीयीहि, ता एतेणं दो अभीयी पायंचिय २ चोत्तालीसं २ अमावासंजोएति णो चेवणं पुण्णिमासिणि।६। तत्थ खलु इमाओ बावट्ठी पुण्णमासिणीओ बावट्ठी अमावासाओ पं०, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएइ ?, ता जसिणं देसंसि चंदे चरिमं बावढेि पुण्णमासिणिंजोएति ताए पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवातिणावित्ता एत्थ णं से चंदे पढमं पुण्णमासिणिं जोएति, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति?, ताजंसिणं देसंसि चंदे पढमं पुण्णमासिणिं जोएति ताए पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउवीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दोच्चं पुण्णमासिणि जोएति, ता एएसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं तच्चं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे दोच्चं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं तच्चं चंदे पुण्णमासिणिं जोएति, ता एतेसिं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे तच्चं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दोण्णि अट्ठासीते भागसते उवायणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दुवालसमं पुण्णमासिणिं जोएति, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउवीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसभागं उवातिणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं पुण्णमासिणिं चंदे जोएति, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावढेि पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंबुद्दीवस्स णं पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवायणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसभागे उवातिणावेत्ता तीहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं पच्चत्थिमिल्लं चउब्भागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं चंदे चरिमं बावट्टि पुण्णमासिणिं जोएति।६३। ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं पुण्णमासिणिं सूरे कंसि देसंसि जोएति?, ता जंसिणं देसंसि सूरे चरिमं बावटुिं० पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणवति भागे उवातिणाववेत्ता एत्थ णं से सूरिए पढमं पुण्णमासिणिं जोएइ, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णमासिणि सूरे कसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे पढमं पुण्णमासिणिं जोएइ ताए पुण्णमासिणीठाणाओ मंडलं चउवीसेण सएणं छेत्ता चउणवइभागे उवाइणावित्ता एत्थ णं से सूरे दोच्चं पुण्णमासिणिंजोएइ, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं पुण्णमाणिणिं सूरे कंसि देसंसि जोएइ?, ताजंसिणं देसंसि सूरे दोच्चं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेण सतेणं छेत्ता चउणउतिभागे उवातिणावेत्ता एत्थ णं से सूरे तच्चं पुण्णमासिणिं जोएति, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसं पुण्णमासिणिं० जोएति?, ताते पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता अद्धछत्ताले भागसते उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरे दुवालसमं पुण्णमासिणिं जोएति, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउवीसेणं सतेण छेत्ता चउणउतिं २ भागे उवातिणावेत्ता तंसि णं २ देसंसि तं तं पुण्णमासिणिं सूरे जोएति, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावडिं पुण्णमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंबुद्दीवस्स णं पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता पुरच्छिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवातिणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं ५ वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तीहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं सूरे चरिमं बावढेि पुण्णिमं जोएति ।६४। ता Mero5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-११३०.5555555555555555555555EOHOR NO乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CO Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ داخل पालम पंचहे संवछराणं पढमं अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावट्ठि अमावासं जोएति ताते अमावासठ्ठाणातो मंडलं चवीसेणं सतेन छेत्ता बत्तीसं भागे उवादिणावेत्ता एत्थ णं से चंदे पढमं अमावासं जोएति, एवं जेणेव अभिलावेणं चंदस्स पुण्णमासिणीओ भणिताओ तेणेव अभिलावेणं अमावासाओ भणितव्वाओ, बिइया ततिया दुवालसमी, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ अमावासद्वाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दुतीसं २ भागे उवादिणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं अमावासं चंदेण जोएति, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावट्ठि अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावट्ठि पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता सोलसभागे ओसक्कावइत्ता एत्थ णं से चंदे चरिमं बावट्ठ अमावास जोएति । ६५ । ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावट्ठि अमावासं जोएति ताते अमावासट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणउतिभागे उवायणावेत्ता एत्थ णं से सूरे पढमं अमावासं जोएति, एवं जेणेव अभिलावेणं सूरियस्स पुण्णमासिणीओ तेणेव अमावासाओवि, तं० - बिदिया तइया दुवालसमी, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ अमावासद्वाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणउतिं २ भागे उवायणावेत्ता ता तंसि २ देसंसि तं तं अमावासं सूरिए जोएति, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएइ ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावट्ठ पुण्णमासिंजोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता सत्तालीसं भागे ओसक्कावइत्ता एत्थ णं से सूरे चरिमं बावट्ठि अमावासं जोएति |६६। ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता धणिट्ठाहिं, धणिट्ठाणं तिण्णि मुहुत्ता एकूणवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पण्णट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता मुव्वाफग्गुणीहिं, ता पुव्वाफग्गुणणं अट्ठावीस मुहुत्ता अट्ठतीसं च बावट्ठिभा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं पोट्ठवताहिं, उत्तराणं पोट्ठवताणं सत्तावीसं मुहुत्ता चोद्दस य बावद्विभागे मुहुत्तस्सस बावद्विभागं च सत्तद्विधा छत्ता बावट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराफग्गुणीणं सत्तं मुहुत्ता तेत्तीसं च बावट्ठभागा मुहुत्त बाद्विभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता एक्कतीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अस्सिणीहिं, अस्सिणीणं एक्कवीसं मुहुत्ता णव य एगट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेवट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केण णक्खत्तेणं जोएति ?, ता चित्ताहिं, चित्ताणं एक्को मुहुत्तो अट्ठावीसं च बावट्ठी भागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं छव्वीसं मुहुत्ता छवीसं च बावट्ठिभागा मुंहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता चउपण्णं चुण्णिया भागा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ठ य बावट्ठी भागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता वीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावट्ठि पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरमसमए, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुस्सेणं, पुस्सस्स एकूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागामुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तटिठधा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा |६७। एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अस्सेसाहिं, अस्सेसाणं एक्के मुहुत्ते चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छावट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं क्खत्ते जोएति ?, ता अस्सेसाहिं चेव, अस्सेसाणं एक्को मुहुत्तो चत्तालीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं सत्तट्ठिधा छेत्ता छावट्ठि चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं चत्तालीसं मुहुत्ता पणतीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पण्णट्ठि चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं चेव फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणी श्री आगमगुणमंजूषा - ११३१ ० Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听 MOROFFFFFFFFFF4550 (१६) सूरपन्नति (१०) पाहुडं , पाहुड-पाहुडं - २२ २७] $555555555523 तधेव जधा चंदस्स, ता एतेसिं णं पंचण्ह संवच्छराणं तच्चं अमावासं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति ?, ता हत्थेणं, हत्थस्स चत्तारि मुहुत्ता तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बावट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता हत्थेणं चेव, हत्थस्स जहा चंदस्स, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अद्दाहिं, अद्दाणं चत्तारि मुहुत्ता दस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता चउपण्णं चुणिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति ?, ता अद्दाहिं चेव, अद्दाणं जहा चंदस्स, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स बावीसं मुहुत्ता बायालीसं च बासट्ठिभागा मुहुत्तस्स सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा चेव, पुण्णव्वसुस्स णं जहा चंदस्स ।६८। ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाणि अट्ठ एकूणवीसाणि मुहुत्तसताई चउवीसं च बावट्ठिभागं मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बावढिं चुण्णियाभागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं सरिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई सोलस अट्ठतीस मुहुत्तसताइं अउणापण्णं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पण्णहि चुण्णियाभागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से णं चंदे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि, ता. जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि सेणं इमाइं चउप्पण्णं मुहुत्तसहस्साइं णव य मुहुत्तसताइं उवादिणावित्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं तारिसएणं णक्खत्तेणंजोयंजोएति तंसि देसंसि, ताजेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि सेणं इमं एगं मुहुत्तसयसहस्सं अट्ठाणउतिंच मुहुत्तसताइं उवायिणावित्ता पुणरवि से चंदे तेण चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाइं तिण्णि छावट्ठाई राइंदियसताई उवादिणावेत्ता पुणरवि से सुरिए अण्णेणं तारिसएणं चेव नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज नक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति तंसि देसंसि से णं इमाइंक सत्तदुतीसं राइंदियसताई उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेव नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोएति जंसि देसंसि से णं इमाइं अट्ठारस तीसाइं राइंदियसताइं उवादिणावेत्ता पुणरवि सूरे अण्णेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोयं जोएति जंसि देसंसि तेण इमाइंछत्तीसं सट्ठाइं राइंदियसयाइं उवाइणावित्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि।६९। ता जया णं इमे चंदे गतिसमावण्णए भवति तता णं इतरेवि चंदे गतिसमावण्णए भवति जता णं इतरे चंदे गतिसमावण्णए भवति तता णं इमेवि चंदे गतिसमावण्णए भवति, ता जया णं इमे सूरिए गइसमावण्णे भवति तया णं इतरेवि सूरिए गइसमावण्णे भवति जताणं इतरे सूरिए गतिसमावण्णे भवति तया णं इमेवि सूरिए गइसमावण्णे भवति, एवं गहेविणक्खत्तेवि, ता जयाणं इमे चंदे जुत्ते जोगेणं भवति तताणं इतरेवि चंदे जुत्ते जोगेणं भवति जया णं इयरे चंदे जुत्ते जोगेणं भवइ तताणं इमेवि चंदे जुत्ते जोगेणं भवति, एवं सूरेवि गहेवि पक्खत्तेवि, सतावि णं चंदा जुत्ता जोएहिं सतावि णं सूरा जुत्ता जोगेहिं सयावि (२००) णं गहा जुत्ता जोगेहिं सयावि णं नक्खत्ता जुत्ता जोगेहिं दुहतोवि णं चंदा जुत्ता जोगेहिं दुहतोवि णं सूरा जुत्ता जोगेहिं दुहतोवि णं गहा जुत्ता जोगेहिं दुहतोवि णं णक्खत्ता जुत्ता जोगेहि मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीए सतेहिं छेत्ता, इच्चेस णक्खत्तखेत्तपरिभागे णक्खत्तविजए पाहुडेति आहितेत्तिबेमि ★★★७०||१०-२२ दसमं पाहुडं| * ता कहं ते संवच्छराणादी आहि० ?, तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पं० २०-चंदे चंदे अभिवड्डिते चंदे अभिवहिते, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स के आदी आहितेति वदेज्जा ?, ता जे णं पंचमस्स अभिवहितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समए, ता सेणं किंपज्जवसिते आहि०?, ताजेणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स आदी से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं छव्वीसं मुहुत्ता छव्वीसं च बावट्ठीभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छित्ता 明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听CK in Education International 2010_03 FactoaaDoconalian Only Xerof55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११३२ 555555555555555555$$$5OR www.ernelibraryal Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र मूल्फाति पादुड- ११, १२ २८] %%% % %%%%%%% AC ECF玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩乐乐乐乐乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩FGO चउप्पण्णं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ठ य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठीभागं च । सत्तट्ठिहा छेत्ता वीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स के आदी आहि० ?, ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये, ता सेणं किंपज्जवसिते आहि०?, ताजे णं तच्चस्स अभिवडियसंवच्छरस्स आदी से णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुव्वाहिं आसाढाहिं, पुव्वाणं आसाढाणं सत्त मुहुत्ता तेवण्णं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता इगतालीसंचुण्णिया भागासेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणंजोएति?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स णं बायालीसं मुहुत्ता पणतीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सत्त चुण्णिया भागा सेसा, ता एतसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चस्स अभिवहितसंवच्छरस्स के आदी आहि० ?, ता जेणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं तच्चस्स अभिवढितसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समए, ता से णं किंपज्जवसिते आहिं० ?, ता जे णं चउत्थरस चंदसंवच्छरस्स आदी से णं तच्चस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तंसमयं चणं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं तेरस मुहुत्ता तेरस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सत्तावीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स दो मुहुत्ता छप्पण्णं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थमस्स चंदसंवच्छरस्स के आदी आहि०?, ताजेणं तच्चस्स अभिवहितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे सेणं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये, ता से णं किंपज्जवसिते आहि.?, ता जेणं चरिमस्स अभिवड्डियसंवच्छरस्स आदी से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चत्तालीसं मुहुत्ता चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता चउदस चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स अउणतीसं मुहुत्ता एक्कवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सीतालीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स के आदी आहिताति वदेज्जा?, ताजेणं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे सेणं पंचमस्स अभिवहितसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये, ता से णं किंपज्जवसिते आहिंताति वदेज्जा ?, ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स आदी से णं पंचमस्स अभिवहितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरमसमये, तंसमयं च णं सूरे केण ॥ णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुस्सेणं, पुस्सस्स णं एक्कवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठीभागं च सत्तद्विधा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा ★★★७१। एक्कारसमं पाहुडं ११॥ ★★★ता कति णं संवच्छरा आहि० ?, तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पं० २०-णक्खत्ते चंदे उडू आदिच्चे अभिवहिते, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स नक्खत्तसंवच्छरस्स णक्खत्तमासे तीसतिमुहुत्तेणं २ अहोरत्तेणं मिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०?, ता सत्तावीसं राइंदियाइं एक्कवीसं च सत्तटिठभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेज्जा ?, ता अट्ठसए एकूणवीसे मुहुत्ताणं सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेज्जा, ता एएसिंणं अद्धा दुवालसक्खत्तकडा णक्खत्ते संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०?, ता तिण्णि सत्तावीसेराइंदियसते एक्कावन्नं च सत्तट्ठिभागा राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा, तासेणं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेज्जा ?,ता णव मुहुत्तसहस्सा अट्ठ य बत्तीसे मुहुत्तसए छप्पन्नं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुद्दत्तग्गेण आहि०, ता एएसि णं पंचण्डं संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स चंदे मासे फ तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा?, ता एगूणतीसं राइंदियाई बत्तीसं बावट्ठिभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहि०, 明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Mero55555555555555554:55 श्री आगमगुणमंजूषा- ११३३॥5555555555555555555555555OOR Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOO55555555555 (१६) सूरपन्नति पाहुडं - १२ (२९] 国男男男男$$$$$$$280 ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता अट्ठपंचासए मुहुत्ते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तग्गेणं आहिते०, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा चंदे संवच्छरे, ता सेणं केवतिए राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्ना?, ता तिन्नि चउप्पन्ने राइंदियसते दुवालस य बावट्ठिभागा राइंदियग्गेणं आहि०?, तीसे णं० केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०, मता दस मुहुत्तसहस्साई छच्च पणुवीसे, मुहुत्तसए पण्णासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तेणं आहि०, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चस्स उडुसंवच्छरस्स उडुमासे म तीसतिमुहुत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहि० , ता तीसं राइंदियाणं राइंदियग्गेणं आहि० ?, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ताणव मुहुत्तसताई # मुहत्तग्गेणं आहितेति वदेज्जा, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा उडुसंवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०१, ता तिण्णि सढे राइंदियसते राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता दस मुहुत्तसहस्साइं अट्ठ यं सयाइं मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थस्स आदिच्चसंवच्छरस्स आइच्चे मासे तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवइए राइंदियग्गेण आहि०?, ता तीसं राइंदियाइं अवद्धभागं च राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतीए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता णवपण्णरस मुहुत्तसए मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा आदिच्चे संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि० ?, ता तिन्नि छावढे राइंदियसए राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता दस मुहुत्तसहस्साइं णव असीते मुहुत्तसते मुहुत्तग्गेणं आहिते०, ता एएसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स अभिवड्डिते मासे तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहि० १ ता एकतीसं राइंदियाइं एगूणतीसं च मुहुत्ता सत्तरस य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहत्तग्गेणं आहि०१, ता णव एगूणसट्टे मुद्दत्तसते सत्तरस य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा अभिवड्डितसंवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०?, तिण्णि तेसीते राइंदियसते एक्कवीसंच मुहत्ता अट्ठारस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि ?, ता एक्कारस मुहुत्तसहस्साइं पंच य एक्कारस मुहुत्तसते अद्वारस बावद्विभागे मुहत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहिते०७२। ता केवतियं ते नोजुगे राइंदियग्गेणं आहि० ,ता सत्तरस एकाणउते राइंदियसते एगूणवीसंच मुहत्तं च सत्तावण्णे बावट्ठिभागे मुहत्तस्स बावट्ठिभागं चसत्तद्विधा छेत्ता पणपण्णं चुण्णियामागे राइंदियग्गेणं आहिल, तासेणं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता तेपण्णमुहत्तसहस्साई सत्तय उणापन्ने मुहृत्तसते सत्तावण्णं बावट्ठिभागे मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता पणपण्णा चुणिया भागा मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता केवतिए णं ते जुगप्पत्ते राइंदियग्गेणं आहि?, ता अट्ठतीसी राईदियाई दस य मुहुत्ता चत्तारि य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता दुवालस चुणिया भागा राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तम्मेणं आहिक ?, ता एक्कारस पण्णासे मुहुत्तसए चत्तारि य बावट्ठिभागे बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता दुवालस चुण्णिया भागा मुहत्तग्गेणं आहि, ता केवतियं णं जुगे राझंदियाग्गेणं आहि०?, ता अट्ठारसतीसे राइंदियसते राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहत्तग्गेणं आहि०?, ता चउप्पण्णं मुहुलसहस्साई णव य मुहुत्तसप्ताई मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता चउत्तीसं सतसहस्साई अद्वतीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तग्गेणं आहि०७३। ता कता णं. एते आदिच्चचंदसंवच्छरा समादीया समप्पज्जवसिया आहि० ?, ता सढेि एए आदिच्चमासा बावट्ठि एते चंदमासा एस णं अद्धा छखुत्तकडा दुवालसभविता तीसं एते आदिच्चसंवच्छरा एक्कतीसं एते चंदसंवच्छरा तता णं एते आदिच्चचंदसंवच्छरा समादीया समपज्जफसिया आहि०, ता कताःणं एते आदिच्चउडुचंदणक्खत्तसंवच्छरा समादीया समपज्जससिया आहि० ?,ता सर्व्हि एते आदिच्चा मासा एगट्टि एते उडुमासा बाववि एते चंदमासा सत्तहिँ एते नक्खत्ता मासा, एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा दुवालसभयिता सर्टि एते आदिच्चा संवच्छरा एगदि एते उडू संबच्छरा बावढि एते चंदा संवच्छरा सत्तट्टि एते नक्खत्ता संवच्छरा, तता णं एते आदिच्चउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा * समादीया समपज्जवसिया आहि०, ता कताणं एते अभिवड्डियआदिच्चउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपज्जवसिता आहि०?,ता सत्तावण्णं मासा सत्त य र अहोरत्ता एक्कारस य मुहुत्ता तेवीसं बावविभागा मुहुत्तस्स एते पर अभिवडिता मासा सर्टि एते आदिच्चा मासा एगट्टि एते उडमासा बावट्ठी एते चंदमासा सत्तट्ठी एते COMARRIERREsxxxxxsी आणणमंदपा- FFFFFFFFFFFFFFEMOR HOIC$$$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听$50元 OC明明乐乐乐明明明明明明听听听听听听听听听乐乐乐乐国乐师乐乐乐乐听听听听斯蛋蛋蛋听听听听听听听听听听? etesPersonaliser Miainelibrary.o Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KOR95555555555555 (१६) सूरपन्नति पाहुई. १२ [३०] 155555555555555OOK नक्खत्तमासा एस णं अद्धा छप्पणसत्तखुत्तकडा दुवालसभयिता सत्त सया चोत्ताला एते णं अभिवड्डिता संवच्छरा, सत्त सता असीता एते णं आदिच्चा संवच्छरा, सत्त सता तेणउता एते णं उडुसंवच्छरा, अट्ठ सता छलुत्तरा एते णं चंदा संवच्छरा, एकसत्तरी अट्ठ सया एए णं नक्खत्ता संवच्छरा, तता णं एते अभिवहितआदिच्चउडुचंदनक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपज्जवसिया आहि०, ताणयट्ठताए णं चंदे संवच्छरे तिण्णि चउप्पण्णे राइंदियसते दुवालस य बावट्ठिभागे राइंदियस्स आहि०, ता अहातच्चेणं चंदे संवच्छरे तिण्णि चउप्पण्णे राइंदियसते पंच मुहुत्ते पण्णासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०७४। तत्थ खलु इमे छ उडू पं० तं०-पाउसे वरिसारत्ते सरते हेमंते वसंते गिम्हे, ता सव्वेविणं एते चंदउडू दुवे २ मासाति चउप्पण्णेणं आदाणेणं गणिज्जमाणा सातिरेगाई एगूणसट्ठी २ राइंदियाई राइंदियग्गेणं आहि०, तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पं० तं०-ततीये पव्वे सत्तमे एक्कारसमे पन्नरसमे एगूणवीसतिमे तेवीसतिमे पव्वे, तत्थ खलु इमे छ अतिरत्ता पं० तं०-चउत्थे पव्वे अट्ठम बारसमे सोलसमे वीसतिमे चउवीसतिमे पव्वे, 'छच्चेव य अइरत्ता आइच्याओ हवंति माणाइं । छच्चेव ओमरत्ता चंदाहि हवंति माणाहि ॥३०॥७५। तत्थ खलु इमाओ पंच वासिक्कीओ पंच हेमंतीओ आउट्ठीओ पं०, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं वासिक्की आउट्टि चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति ?, ता अभीयिणा, अभीयिस्स पढमसमएणं, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पूसेणं पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुंहुत्तस्स 'बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेत्तीसं चुणिया भागा सेसा, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्वं वासिक्किं आउढेि चंदे केणं०१, ता संठाणाहिं, संठाणाणं एक्कारस मुहुत्ता ऊतालीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेपण्णं चुणिया भागा सेसा, तंसमयं सूरे केणं०?, ता पूसेणं, पूसस्स णं तं चेव जं पढमाए, एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं वासिक्किं आउट्टि चंदे केणं० ?, ता विसाहाहिं, विसाहाणं तेरस मुहुत्ता चउप्पण्णं च बावट्ठिभागा मुंहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता चत्तालीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं०१, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थिं वासिक्किं आउट्टि चंदे केणं०?, तारेवतीहिं, रेवतीणं पणवीसं मुहुत्ता बत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छव्वीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केण?, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव, ता एतेसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं पंचमि वासिक्किं आउट्टि चंदे केणं०?, ता पुव्वाहिं फग्गुणीहिं, पुव्वाफग्गुणीण बारस मुहुत्ता सत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेरस चुणिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं० १, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव ।७६। ता एएसिं कणं पंचण्ह संवच्छराणं पढमं हेमंति आउट्टि चंदे केणं० ?, ता हत्थेणं, हत्थस्स णं पंच मुहुत्ता पण्णासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सट्ठी ॥ चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं चणं सूरे केणं०?, उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं हेमंतिं आउट्टि चंदे केणं०?,ता सतभिसयाहिं, सतभिसयाणं दुन्नि मुहुत्ता अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छत्तालीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं०१, ता उत्तराहिं आसाढाहिं उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्वं हेमंति आउट्टिं चंदे केणं० १, ता पूसेणं, पूसस्स एकूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा, तसमयं च णं सूरे केणं०?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थिं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं० १, ता मूलेणं, मूलस्स छ मुहुत्ता अट्ठावन्नं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठभागं च सत्तद्विधा छेत्ता वीसं चुण्णिया भागासेसा, तंसमयं चणं सूरे केणं०१,ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, म ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमिं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं०?, कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्ठारस मुहुत्ता छत्तीसंच बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता छ चुणिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं० ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए ।७७। तत्थ खलु इमे दसविधे जोए पं० तं०- वसभाणुजोए वेणुयाणुजोते मंचे मंचाइमंचे छत्ते छत्तातिच्छत्ते जुअणद्धे घणसंमद्दे पीणिते मंडकप्पुते णामं दसमे, एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं छत्तातिच्छत्तं जोयं चंदे कंसि देसंसि जोएति?, ताजंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छित्ता दाहिणपुरच्छिमिल्लंसि चउभागमंडलंसिर REEEEEELLLLLLLLLLLLLLLLLL- 1-1-1-1-1-1-1-1-11-1-1-1-1-1-1-1-1-1-1-1-1-1-1-1-Hara CO乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听乐乐乐明明乐乐明乐乐乐乐 Educa www.jainelibrary.orp) Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRC555555%% (१६) सूरपन्नति पाहुडं - १२,१३ [३१] 1555555555555550308 CAC%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐% सत्तावीसं भागे उवादिणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तीहिं भागेहिं दोहिं य कलाहिं दाहिणपुरच्छिमिल्लं चउब्भागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं से चंदे छत्तातिच्छत्तं जोयं जोएति, तं०-उप्पिं चंदो मज्झे णक्खत्ते हेट्ठा आदिच्चे, तंसमयं च णं चंदे केण?, ता चित्ताणं चरमसमए ★★★ ७८॥ बारसमं पाहुडं १२॥★★★ता कहं ते चंदमसो वड्डोवड्डी आहि०?, ता अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स, ता दोसिणापक्खाओ अन्धगारपक्खसमयमाणे चंदे चत्तारि बायालसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे रज्जति तं०-पढमाए पढमं भागं बितियाए बितियं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमसमए चंदे रत्ते भवति, अवसेसे समए चंदे रत्ते विरत्ते य भवति, इयण्णं अमावासा, एत्थ णं पढमे पव्वे अमावासा, ता अंधारपक्खो, ताणं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छातालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स जाइंचंदे विरज्जति, तं०-पढमाए पढमं भागं बितियाए बितियं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमे समये चंदे विरत्ते भवति, अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति, इयण्णं पुण्णमासिणी, एत्थ णं दोच्चे पव्वे पुण्णमासिणी ७९। तत्थ खलु इमाओ बावडिं पुण्णमासिणीओ बावढि अमावासाओ पं०, बावट्ठि एते कसिणा रागा बावट्ठि एते कसिणा विरागा, एते चउव्वीसे पव्वसते एते चउव्वीसे कसिणरागविरागसते, जावतियाणं पंचण्हं संवच्छराणं समया एगेणं चउव्वीसेणं समयसतेणूणका एवतिया परित्ता असंखेज्जा देसरागवि रागसता भवंतीतिमक्खाता, अमावासातो णं पुण्णमासिणी चत्तारि बाताले मुहुत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता पुण्णमासिणितो णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता अमावासातो णं अमावासा अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता पुण्णमासिणीतो णं पुण्णमासिणी अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, एस णं एवतिए चंदे मासे एस णं एवतिए सगले जुगे।८। ता चंदेणं अद्धमासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता चोद्दस चउब्भागमंडलाइं चरति एगं च चउवीसयसतभागं मंडलस्स, ता आइच्चेणं अद्धामासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति, सोलसमंडलचारी तदा अवराइं खलु दुवे अट्ठकाइं जाइं चंदे केणइ असामण्णकाई सयमेव पविट्ठित्ता २ चारं चरति, कतराई खलु ते दुवे अट्ठकाइं० १, इमाइं खलु ते बे अट्ठगाइं० २०-निक्खममाणे चेव अमावासंतेणं पविसमाणे चेव पुण्णमासितेणं, एताइं खलु दुवे अट्ठगाइं जाइं चंदे केणई असामण्णगाइं सयमेव पविद्वित्ता २ चारं चरइ, ता पढमायणगते चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे सत्त अद्धमलाई जाइं चंदे दाहिणाते भागाए पविसमाणे चारं चरति, कतराइं खलु ताई० ?, इमाइं खलु ताइं० १, तं०-विदिए अद्धमंढडले चउत्थे० छढे० अट्ठमे० दसमे० बारसमे० चउदसमे०, एताई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाई जाइं चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे चारं चरति, ता पढमायणगते चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे छ अद्धमंडलाइं तेरसय सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराते भागाए पविसमाणे चारं चरति, कतराइं खलु ताई छ० ?, इमाइं खलु ताई छ० तं०-तईए अद्धमंडले पंचमे० सत्तमे० नवमे० एक्कारसमे० तेरसमे० पन्नरसमद्धमंडलस्स तेरस सत्तट्ठिभागाई, एताई खलु ताइंछ अद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाइं चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे चारं चरति, एतावयाव पढमे चंदायणे समत्ते भवति, ताणक्खत्ते अद्धमासे नो चंदे अद्धमासे चन्दे अद्धमासे नो णक्खत्ते अद्धमासे, ता नक्खत्ताओ अद्धमासातो ते चंदेणं अद्धमासेणं किमधियं चरति ?, एगं अद्धमंडलं चरति चत्तारि य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं च एकतीसाए छेत्ता णव भागाइं, ता दोच्चायणगते चंदे पुरच्छिमाए भागाते णिक्खममाणे सत्त चउप्पण्णाई जाइं चंदे परस्स चिन्नं पडिचरति सत्त तेरसकाइं जाइं चंदे अप्पणा चिण्णं चरति, ता दोच्चायणगते चंदे पच्चत्थिमाए भागाए निक्खममाणे छ चउप्पण्णाइं जाइं चंदे परस्स चिण्णं पडिचरति छ तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणो चिण्णं पडिचरति, अवरगाइं खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असामन्नगाई सयमेव पविद्वित्ता २ चारं चरति, कतराइं खलु ताई दुवे० ?, इमाइं खलु ताई दुवे० सव्वभंतरे चेव मंडले सव्वबाहिरे चेव मंडले, एयाणि खलु ताणि दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणई जाव चारं चरइ, एतावता दोच्चे चंदायणे समत्ते भवति, ताणक्खत्ते मासे नो चंदे मासे चंदे मासेणो णक्खत्ते मासे, UG明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐听听听听听TCH FOR955555555555 R omance $599999999999श्री आगमगुणमंजूषा - ११३६ 545555555555555HSEEKE R Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GO$$$$$$乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐听听 ROSSSSssxxx5555 एकामवच्छ . . श 5555555555ECE ताणक्खत्ताते मासाए चंदेणं मासेणं किमधियं चरति ?, ता दो अद्धमंडलाई चरति अट्ठ य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं च एक्कतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाई, ता तच्चायणगते चंदे पच्चत्थिमाते भागाए पविसमाणे बाहिराणंतरस्स पच्चत्थिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स ईतालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाइंचंदे अप्पणो परस्स य चिण्णं पडिचरति, तेरस सत्तट्टिगाइं जाइं चंदे परस्स चिण्णाइं पडिचरति, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णं पडिचरति, एतावयाव वाहिराणं म तरे पच्चत्थिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवति, तच्चायणगते चंदे पुरच्छिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरतच्चस्स पुरच्छिमिल्लस्स अद्धमंडलस्सईतालीसं सत्तट्ठिभागाई 卐 जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाई पडियरति तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे परस्स चिण्णं पडियरति तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णं पडिचरति, एतावताव बाहिरतच्चे पुरच्छिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवति, ता तच्चायणगते चंदे पच्चत्थिमाते भागाते पविसमाणे बाहिरचउत्थस्स पच्चत्थिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स अट्ठ सत्तट्ठिभागाइं सत्तट्ठिभागं च एक्कतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाइं पडियरति, एतावताव बाहिरचउत्थपच्चत्थिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवइ, एव खलु चंदेणं मासेणं चंदे तेरस चउप्पण्णगाइं दुवे तेरसगाई जाइं चंदे परस्स चिण्णाइं पडिचरति, तेरस तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणो चिण्णाई पडियरति, दुवे ईतालीसगाई दुवे तेरसगाई अट्ठ सत्तट्टिभागं च एक्कतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्सय चिण्णाइं पडिचरति, अवराइं खलु दुवे तेरसगाई जाइं चंदे के णई असामन्नगाई सयमेव पविद्वित्ता २ चारं चरति, इच्चे सो चंदमासो, अभिगमणणिक्खमणवुड्डिणिवुड्डिअणवहितसंठाणसंठितीविउव्वणगिड्डिपत्ते रूवी चंदे देवे २ आहितेतिवदेजा AA८१॥ तेरससमं पाहुडं १३॥★★★ ता कता ते दोसिणा बहू आहि०?, ता दोसिणापक्खेणं दोसिणा बहू आहि०, ता कहं ते दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि०?,ता अंधकारपक्खाओ णं दोसिणा बहू आहि०, ता कहं ते अंधकारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि० ?, ता अंधकारपक्खातो णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे विरज्जति, तं०-पढमाए पढमं भागं बिदियाए जाव पण्णरसीए पण्णरसं भागं, एवं खलु अंधकारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि०, ता केवतिया णं दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि० ?, ता परित्ता असंखेज्जा भागा, ता (२०१) कता ते अंधकारे बहू आहि० ?, ता अंधयारपक्खे णं बहू अंधकारे आहि०, ता कहं ते अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि० ?, ता दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०, ता कहं ते दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि० ?, ता दोसिणापक्खातो णं अंधकारपक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि वाताले मुहृत्तसते छायालीसं च बावट्ठिभागे मुहृत्तस्स जाइं चंदे रज्जति तं०-पढमाए पढमं भागं बिदियाए बिदियं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, एवं खलु दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०, ता केवतिए णं अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०?, परित्ता असंखेज्जा भागा *८२॥चोइसमं पाहुडं १४॥★★★ ता कहं ते सिग्घगती वत्थू आहि०?, ताएतेसिंणं चंदिमसूरियगहगणनक्खत्ततारारूवाणं चंदेहितो सूरा सिग्घगती सूरेहितो गहा सिग्घगती गहेहितो णकखत्ता सिग्घगतीणक्खत्तेहितो तारा सिग्घगती, सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्घगती तारा, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवतियाइं भागसताइं गच्छति?, ताजं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अडसट्ठिभागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवतियाई भागसयाइं गच्छति ?,ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस तीसे भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहत्तेणं णक्खत्ते केवतियाइं भागसताई गच्छति?, ताजं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता ।८३। ता जया णं चंदं गतिसमावण्णं सूरे गतिसमावण्णे भवति सेणं गतिमाताए केवतियं विसेसेति ?, बावट्ठिभागे विसेसेति, ता जया णं चंदं गतिसमावण्णं णक्खत्ते गतिसमावण्णे भवइ सेणं गतिमाताए केवतियं विसेसेइ ?, ता सत्तट्ठिभागे विसेसेति, ता जता णं सूरं गतिसमावण्णं णक्खत्ते 5步步听听听听听听听听听听乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 AG95555555 555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ११३७55555555555555555555FOOK Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOR955555555 (१६) सूरपन्नति । पाहुडं - १५ [३३] म रगतिसमावण्णे भवति से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति?, तापंच भागे विसेसेति, ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं अभीयीणक्खत्ते णं गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते , भागाते समासादेति, पुरच्छिमाते भागाते समासादित्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएतित्ता जोयं अणुपरियति त्ता विप्पजहाति त्ता विगतजोई यावि भवति, ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं सवणे णक्खत्ते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाए भागादे समासादेति त्ता तीसं मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोअंजोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टति त्ता विप्पजहाति त्ता विगतजोई यावि भवइ, एवं एएणं अभिलावेणं णेतव्वं, पण्णरसमुहुत्ताइं तीसतिमुहुत्ताई पणयालीसमुहुत्ताई भाणितव्वाइं जाव उत्तरासाढा, ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं गहे गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता चंदेणं सद्धिं जोगं गँजति त्ता जोगं अणुपरियट्टति त्ता विप्पजहति विगतजोई यावि भवति, ता जया णं सूरं गतिसमावण्णं अभीयीणक्खत्ते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टति त्ता विप्पजहति त्ता विगतजोगी यावि भवति, एवं छ अहोरत्ता एक्कवीसं मुहुत्ता य तेरस अहोरत्ता बारस मुहुत्ता य वीसं अहोरत्ता तिण्णि मुहुत्ता य सव्वे भणितव्वा जाव जता णं सूरं गतिसमावण्णं उत्तरासोढाणक्खत्ते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टइ त्ता विप्पजहति त्ता विगतजोगी यावि भवति, ता जता णं सूरं गतिसमावण्णं गहे गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता सूरेण सद्धिं यथाजोयं जुजति त्ता यथाजोयं अणुपरियट्टति त्ता जाव विप्पजहति त्ता विगतजोगी यावि भवति।८४॥ ताणक्खत्तेणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता तेरस मंडलाइं चरति तेरस य सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ताणक्खत्तेणं मासेणं सूरे कति मंडलाइं चरति ?, तेरस # मंडलाइं चरति चोत्तालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता तेरस मंडलाइं चरति अद्धसीतालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, चोइस चउभागाइं मंडलाइं चरति एगं च चउव्वीससतं भागं मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं सूरे कति मंडलाइ चरति ?, ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाइं चरति एगं च चउवीससयभागं मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाइं चरति छच्च चउवीससतभागे मंडलस्स, ता उडुणा मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता चोद्दस मंडलाइं चरति तीसं च एगट्ठिभागे मंडलस्स, ता उडुणा मासेणं सूरे कति मंडलाइं चरति ?, ता पण्णरस मंडलाइं चरति, ता उडुणा मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाई चरति ?, ता पण्णरस मंडलाइं चरति पंच य बावीससतभागेई मंडलस्स, ता आदिच्चेणं मासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता चोइस मंडलाई चरति एक्कारसय भागे मंडलस्स, ता आदिच्चेणं मासेणं सूरे कति मंडलाइं चरति?, ता पण्णरस चउभागाहिगाइं मंडलाई चरति, ता आदिच्चेणं मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता पण्णरस चउभागाहिगाई मंडलाई चरति पंचतीसं च वीससतभागमंडलाइं चरति, ता अभिवड्डिएणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता पणरस मंडलाइं तेसीतिं छलसीयसतभागे मंडलस्स, ता अभिववितेणं मासेणं सूरे कति मंडलाइं चरति?, ता सोलस मंडलाइं चरति तीहिं भागेहिं ऊणगाई दोहिं अडयालेहिं सएहिं मंडलं छित्ता, अभिवडिढतेणं मासेणं नक्खत्ते कति मंडलाई चरति ?, ता सोलस मंडलाई चरति सीतालीसाए सएहिं भागेहिं अहियाइं चोद्दसहिं अट्ठासीएहिं सएहिं मंडलं छेत्ता।८५। ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति एक्कतीसाए भागेहिं ऊणं णवहिं पण्णरसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं सूरिए कति मंडलाइं चरति?, ता एणं ॐ अद्धमंडलं चरति, ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति दोहिं भागेहिं अधियं बत्तीसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता* एगमेगं मंडलं चंदे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति एक्कतीसाए भागेहिं अधितेहिं चउहिं चोतालेहिं सतेहिं राइंदिएहिं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं सूरे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति, ता एगमेगं मंडलं णक्खत्ते कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति दोहिं भागेहिं ऊणेहि म तिहिं सत्तसढेहिं सतेहिं राइंदिएहिं छेत्ता, ता जुगेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता अट्ठचुलसीते मंडलसते चरति, ता जुगेणं सूरे कति मंडलाइं चरति ?, ता शणवपण्णरसे मंडलसते चरति, ता जुगेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता अट्ठारसपणतीसे दुभागमंडलसते चरति, इच्चेसा मुहुत्तगती Horos59555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११३८5555555555555555555555555556OK 乐乐乐乐听听听听听听乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$$ NO.9%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听FM inelibrery.sal Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडे १५, १६, १७, १८ [३४] ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ Ferok रिक्खातिमासराइंदियजुगमंडलपविभत्ती सिग्घगती वत्थु आहितेत्तिबेमि★★★ ॥ ८६ ॥ पन्नरसमं पाहुडं १५ ॥ ★★★ ता कहं ते दोसिणालक्खणे आहि० ?, ता चंदलेसादी य दोसिणादी य दोसिणाई य चंदलेसादी य के अट्ठे किंलक्खणे ?, ता एकट्ठे एकलक्खणे, ता सूरलेस्सादी य आयवेइ य आतवेति य सूरलेस्सादी य अट्ठे किंलक्ख ?, ता एगट्ठे एगलक्खणे, ता अंधकारेति छायाइ य छायाति य अंधकारेति य के अट्ठे किंलक्खणे ?, ता एगट्ठे एगलक्खणे ★ ★ ★ १८७॥ सोलसं पाहुडं १६ ॥ ★★★ ता कहं ते चयणोववाते आहि० १, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे एव०-ता अणुसमयमेव चंदिमसूरिया अणे चयंति अण्णे उववज्जंति, एवं जहेव हेट्ठा तहेव जाव एगे पुण एव० ता अणुओसप्पिणीउस्सप्पिणीमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्दीआ महाजुतीया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगन्धधरा वराभरणधरा अव्वोच्छित्तिणयट्ठताए काले अण्णे चयंति अण्णे उववज्र्ज्जति आहि० ★★★ । ८८ || सत्तरसं पाहुडं १७॥ ★★★ ता कहं ते उच्चत्ते आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता एगं जोयणसहस्सं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं दिवड्ढं चंदे एगे एव०, एगे पुण०-ता दो जोयणसहस्साइ सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अड्ढातिज्जाई चंदे एगे एव०, एगे पुण० -ता तिन्नि जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धट्ठाई चंदे०, एगे पुण० ता चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धपंचमाई चंदे एगे एव०, एगे पुण०-ता पंच जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धछट्ठाई चंदे एगे एव०, एमे पुण० -ता छ जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धसत्तमाई चंदे एगे एव०, एगे पुण० ता सत्त जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धट्टमाई चंदे एगे एव० एगे पुण०-ता अट्ठ जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धनवमाइं चंदे एगे एव०, एगे पुण०-ता नव जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धदसमाई चंदे एगे एव०, एगे पुण०-ता दस जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धएक्कारस चंदे एगे एव०, एगे पुण०- एक्कारस जोयणसहस्साई सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्घबारस चंदे०, एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, बारस सूरे अद्धतेरस चंदे तेरस सूरे अद्धचोद्दस चंदे चउदस सूरे अद्धपण्णरस चंदे पण्णरस सूरे अद्धसोलस चंदे सोलससूरे अद्धसत्तरस चंदे सत्तरस सूरे अद्धअट्ठारस चंदे अट्ठारस सूरे अद्धएकूणवीसं चंदे एकोणवीसं सूरे अद्धवीसं चंदे वीसं सूरे अद्धएक्कवीसं चंदे एक्वीसं सूरे अद्धवावीसं चंदे बावीसं सूरे अद्धतेवीसं चंदे तेवीसं सूरे अद्धचउवीसं चंदे चउवीसं सूरे अद्धपणवीसं चंदे एगे एव०, एगे पुण० - पणवीसं जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धछव्वीसं चंदे एगे एव०, वय पुण० - एवं वदामो-ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्त णउइजोंयणसए उड्ढं उप्पतित्ता हेट्ठिल्ले ताराविमाणे चारं चरति अट्ठजोयणसते उड़ढं उप्पतित्ता सूरविमाणे चारं चरति अट्ठअसीए जोयणसए उड्ढं उप्पइत्ता चंदविमाणे चारं चरति णव जोयणसताई उड्ढं उप्पतित्ता उवरिल्ले ताराविमाणे चारं चरति, हेट्टिल्लातो ताराविमाणातो दसजोयणाई उड़ढं उप्पतित्ता सूरविमाणे चारं चरति नउतिं जोयणाई उड्ढं उप्पतित्ता चंदविमाणे चारं चरति दसोवरिं जोयणसतं उड्ढं उप्पतित्ता उवरिल्ले तारारूवे चारं चरति, सूरविमाणातो असीतिं जोयणाइं उड्ढं उप्पतित्ता चंदविमाणे चारं चरति जोयणसतं उड़ढं उप्पतित्ता उवरिल्ले तारारूवे चारं चरति, ता चंदविमाणातो णं वीसं जोयणाई उड्ढ उप्पतित्ता उवरिल्लते तारारूवे चारं चरति, एवामेव सपुव्वावरेणं दसुत्तरजोयणसते बाहल्ले तिरियमसंखेज्ने जोतिसविसए जोतिसं चारं चरति आहि० । ८९ । ता अत्थि णं चंदिमसूरियाणं देवाणं हिट्ठपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि समपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि उप्पिंपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि ?, ता अत्थि, ता कहं ते चंदिमसूरियाणं देवाणं हिद्वंपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि समपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि उप्पिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि ?, ता जहा २ णं तेसिं णं देवाणं तवणियबंभचेराइं उस्सिताइं भवंति तहा २ णं तेसिं देवाणं एवं भवंति, तं०- अणुत्ते वा तुल्लत्ते वा, ता एवं खलु चंदिमसूरियाणं देवाणं हिद्वंपि तारारूवा अणुपिं तुल्लावि तहेव । ९०। ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स केवतिया गहा परिवारो पं० केवतिया नक्खत्ता परिवारो पं० केवतिया तारा परिवारो पं० १, ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स अट्ठासीती गहा परिवारो पं०, ता अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो पं०, Education International 2010_03 www.jainelibrary [ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडं - १८ [३५] । 5555555555520 MOR 乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐的乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明5C以, 'छावद्विसहस्साई णव चेव सताई पंचसयराइं। एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडिणं ॥३१।। परिवारो पं०।९१। ता मंदरस्स णं पव्वतस्स केवतियं अबाधाए म जोइसे चारं चरति ?, ता एक्कारस एक्कवीसे जोयणसते अबाधाए जोइसे चारं चरति, ता लोअंतातो णं केवतियं अबाधाए जोतिसे पं० ?, ता एक्कारस एक्कारे ओ जोयणसते अबाधाए जोइसे पं० १९२४ ता जंबुद्दीवे णं दीवे कतरे णक्खत्ते सव्वब्भंतरिल्लं चारं चरति कतरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरति कयरे णक्खत्ते सव्वुवरिल्लं चारं चरति कयरे णक्खत्ते सव्वहिट्ठिल्लं चारं चरइ ?, अभीयी णक्खत्ते सव्वब्भिंतरिल्लं चारं चरति, मूले णक्खत्ते सव्वाबाहिरिल्लं चार चरति, साती णक्खत्ते सव्वुवरिल्लं चार चरति, भरणी णक्खत्ते सव्वहेट्ठिल्लं चारं चरति ।९३। ता चंदविमाणे णं किंसंठिते पं० १, ता अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिते सव्वफालियामए अब्भुग्गयमूसितपहसिते विविधमणिरयणभत्तिचित्ते तधेव जाव पडिरूवे, एवं सूरविमाणे गहविमाणे णक्खत्तविमाणे ताराविमाणेवि, ता चंदविमाणे णं केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं केवतियं बाहल्लेणं पं०?, ता छप्पण्णं एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरयेणं अट्ठावीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पं०, तां सूरविमाणे णं केवतियं आयामविक्खंभेणं पुच्छा, ता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं चउव्वीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पं०, ता गहविमाणे णं पुच्छा, ता अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणियं सविसेसं परिरएणं कोसं बाहल्लेणं पं०, ता णक्खत्तविमाणे णं केवतियं पुच्छा, ता कोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरतेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं पं०, ता ताराविमाणे णं केवतियं० पुच्छा, ता अद्धकोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं पंचधणुसयाइं बाहल्लेणं पं०, ता चंदविमाणं कति देवसाहस्सीओ परिवहति?, सोलस देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरच्छिमेणं सीहरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहति दाहिणेणं गयरूवधारीणं चत्तारि० पच्चत्थिमेणं वसभरूवधारीणं चत्तारि देव० उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं चत्तारि देव०, एवं सूरविमाणंपि, ता गहविमाणे णं कति देवसाहस्सीओ परिवहंति?, ता अट्ठ देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरच्छिमेणं सिंहरूवधारीणं दो देवसाहस्सीओ परिवहंति एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं, ता नक्खत्तविमाणे णं कति देवसाहस्सीओ परिवहंति?, ता चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरच्छिमेणं सीहरूवधारीणं एक्का देवसाहस्सी परिवहति एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं देवाणं, ता ताराविमाणे णं कति ?, ता दो देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०-पुरच्छिमेणं सीहरूवधारीणं पंच देवसता परिवहति एवं जावुत्तरेणं तुरगरूवधारीणं ।९४। एते सिणं चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे २ हितो सिग्घगती वा मंदगती वा?, ता चंदेहितो सूरा सिग्घगती सूरेहितो गहा सिग्घगती गहेहितोणक्खत्ता सिग्धगती णक्खत्तेहितो तारा सिग्घगती, सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्घगती तारा, ता एएसिंणं चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं कयरे २ हिंतो अप्पिड्डिया वा महिड्डिया वा?, ताराहिंतो महड्डिया णक्खत्ता णक्खत्तेहिंतो गहा महिड्डिया गहेहिंतो सूरा महिड्डिया सूरेहिंतो चंदा महिड्डिया, सव्वप्पड्डिया तारा सव्वमहिड्डिया चंदा।९५। ता जंबुद्दीवे णं दीवे तारारूवस्स २ य एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं०?, दुविहे अंतरे पं० तं०-वाघातिमे य णिव्वाघातिमे य, तत्थ णं जे से वाघातिमे से जह० दोण्णि छावढे जोयणसते उक्को० बारस जोयणसहस्साइं दोण्णि बाताले जोयणसते तारारूवस्स २ य अबाधाए अंतरे पं०, तत्थ जे से निव्वाघातिमे से जह० पंच धणुसताई उक्को० अद्धजोयणं तारारूवस्स २ य अबाधाए अंतरे पं०।९६। ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कति अग्गमहिसीओ पं० ?, ता चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०-चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि देवीसाहस्सी परियारो पं०, पभू णं तातो एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवारं विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, ता पभू णं चंदे जोतिसिदै जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए ?, णो इणढे समढे, ता कहं ते णो पभू जोतिसिदै जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ?, ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए माणवए २ चेतियखंभे वइरामएसुगोलवट्टसमुग्गएसुबहवे जिणसकधाओसंणिक्खित्ताओ चिट्ठति, ताओणं चंदस्स जोतिसिंदस्स जोइसरण्णो अण्णेसिंच बहूणं जोतिसिंयाणं Exoxo945441955555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११४०4555555555555555555555FOR GO乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CC Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 虽听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听 Ao95555555555555 त्याला १८.९ (२) 53555555555RRONOR 0 देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जाओ पूयणिज्जाओ सक्कारणिज्जाओ सम्माणणिज्जाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जाओ एवं खलु णो पभू चंदे जोतिसिदै जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए, पभू णं चंदे जोतिसिदै जोतिसराया है चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि चऊहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं तीहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णे हि य बहू हिं जोतिसिएहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडे महताहतणट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइतरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, केवलं परियारणिड्ढीए, णो चेव णं मेहुणवत्तियं, ता सूरस्स णं जोइसिंदस्स जोतिसरण्णो कति अग्गमहिसीओ पं०?, ता चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०-सूरप्पभा आतपा अच्चिमाली पभंकरा, सेसं जहा चंदस्स णवरं सूरवडेंसए विमाणे जाव णो चेव णं मेहुणवत्तिताए ।९७। जोतिसियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिती पं० ?, जह० अडभागपलितोवमं उक्को० पलितोवमं वाससयसहस्समब्भहिंय, ता जोतिसिणीणं देवीणं केवतियं कालं ठिती पं० १, जह० अठ्ठभागपलितोवमं उक्को० अद्धपलिओवमं पन्नासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, चंदविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पं०?, जह० चउभागपलितोवमं उक्को० पलितोवमं वाससयसहस्समब्भहियं, ता चंदविमाणे णं देवीणं केवतियं कालं ठिती पं० ?, जह० चउभागपलितोवमं उक्को० अद्धपलितोवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, सूरविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० ?, जह० चउभागपलितोवमं उक्को० पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं, ता सूरविमाणे णं देवीणं केवतियं कालं ठिती पं०१, जह० चउब्भागपलितोवमं उक्को० अद्धपलितोवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहियं, ता गहविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पं०?, जह० चउब्भागपलितोवमं उक्को० पलितोवमं, ता गहविमाणे णं देवीणं केवतियं कालं ठिती पं०?, जह० चउब्भागपलितोवम उक्को० अद्धपलितोवमं, ता णक्खत्तविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पं०?, जह० चउब्भागपलितोवमं उक्को० अद्धपलिओवम, ताणक्खत्तविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिती पं०?, जह० अट्ठभागपलितोवमं उक्को० चउब्भागपलितोवमं, ता ताराविमाणे णं देवाणं पुच्छा, जह० अट्ठभागपलितोवमं उक्को० चउब्भागपलियोवम, ता ताराविमाणे णं देवीणं पुच्छा, ता जह० अट्ठभागपलितोवमं उक्को० साइरेगअट्ठभागपलिओवमं ।९८ता एएसिं णं चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवाणं कतरे० ?, ता चंदा य सूरा य एते णं दोवि तुल्ला सव्वत्थोवा णक्खत्ता संखिज्जगुणा गहा संखिज्जगुणा तारा संखिज्जगुणा ।९९|| अट्ठारसमं पाहुडं १८॥ ता कति णं चंदिमसूरिया सव्वलोयं ओभासंति उज्जोएंति तवेति पभासेति आहि०?, तत्थ खलु इमाओ दुवालस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता एगे चंदे एगे सूरे सव्वलोयं ओभासति० एगे एव०, एगे पुण०-ता तिण्णि चंदा तिण्णि सूरा सव्वलोयं ओभासेति० एगे एव०, एगे पुण०-ता आहुट्टिं चंदा आहुट्टिं सूरा सव्वलोयं ओभासेति० एगे एव०, एगे पुण०-एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं सत्त चंदा सत्त सूरा दस चंदा दस सूरा बारस चंदा बारस सूरा बातालीसं चंदा० बावत्तरिं चंदा० बातालीसं चंदसतं० बावत्तरं चंदसयं बावत्तरं सूरसयं बायालीसं चंदसहस्सं बातालीसं सूरसहस्सं बावत्तरं चन्दसहस्सं बावत्तरं सूरसहस्सं सव्वलोयं ओभासंतिक एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जंबुद्दीवं केवतिया चंदा पभासिंसु वा पभासिति वा पभासिस्संति वा ?, केवतिया सूरा तविंसु वा० केवतिया णक्खत्ता जोअं जोइंसु० ?, केवतिया गहा चारं चरिंसु वा० ? केवतिया तारागणकोडिकोडिओ सोभं सोभेसुवा०?, ता जंबुद्दीवे दो चंदा पभासेंसु वा० दो सूरिया तवइंसु वा० छप्पण्णं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा० छावत्तरं गहसतं चारं चरिंसु वा० एगं सयसहस्सं तेत्तीसं च सहस्सा णव सया पण्णासा तारागणकोडिकोडिणं सोभं सोभेसु वा० 'दो चंदा दो सूरा णक्खत्ता खलु हवंति छप्पण्णा । छावत्तरं गहसतं जंबुद्दीवे विचारीणं ॥३२।। एगं च सयसहस्सं तित्तीसं खलु भवे सहस्साइं । णव य सता पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥३३|| ता जंबुद्दीवं णं दीवं लवणे नामं समुद्दे वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, ता लवणे णं समुद्दे किं समचक्कवालसंठिते 员听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2 FOLKo5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११२४5555555555555555555555555556YOK Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडे १९ [३७] विसमचक्कवालसंठिते ?, ता लवणे समचक्कवालसंठिते नो विसमचक्कवालसंठिते, ता लवणसमुद्दे केवइयं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० १, ता दो जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पण्णरस जोयणसतसहस्साइं एक्कासीयं च सहस्साइं सतं चऊतालं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं आहि०, ता लवणसमुद्देकेवतिया चंदा पभासेंसु वा० ?, एवं पुच्छा जाव केवतियाउ तारागणकोडिकोडीओ सोभेंसु वा० ?, ता लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासेंसु वा० चत्तारि सूरिया तवइंसु वा बारस णक्खत्तसतं जोयं जोएंसु वा० तिण्णि बावण्णा महग्गहसता चारं चरिंसु वा० दो सतसहस्सा सत्तट्ठि च सहस्सा णव यता तारागणको डीकोडीणं सोभिसु वा०, 'पण्णरस सतसहस्सा एक्कासीतं सतं चऊतालं । किंचिविसेसेणूणो लवणोदधिणो परिक्खेवो ॥ ३४॥ चत्तारि चेव चंदा चत्तार य सूरिया लवणतोये । बारस णक्खत्तसयं गहाण तिण्णेव बावण्णा ||३५|| दोच्चेव सतसहस्सा सत्तट्ठि खलु भवे सहस्साई । णव य सता लवणजले तारागणकोडिकोडीणं ॥३६॥ ता लवणसमुद्दं धातईसंडे णामं दीवे वट्टे वलयाकारसंठिते तहेव जाव णो विसमचक्कवालसंठिते, धातईसंडे णं दीवे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, तां चत्तारि जोयणसतसहस्साइं चक्कयालविक्खंभेणं ईतालीसं जोयणसतसहस्साइं दस य सहस्साइं णव य एकट्ठे जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं आहि०, धातईसंडे दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा, ता धातईसंडे णं दीवे बारस चंदा पभासेंसु वा० बारस सूरिया तवेंसु वा० तिण्णि छत्तीसा णक्खत्तसता जोअं जोएंसु वा० एगं छप्पण्णं महग्गहसहस्सं चारं चरिंसु वा०- 'अट्ठेव सतसहस्सा तिण्णि सहस्साइं सत्त य सयाई । एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीओ ||३७|| सोभं सोभेंसु वा०, 'धातईसंडपरिरओ ईताल दसुत्तरा सतसहस्सा । णव य सता एगट्ठा किंचिविसेसेण परिहीणा ||३८|| चउवीसं ससिरविणो (२०२) णक्खत्तसता य तिण्णि छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पण्णं धातईसंडे ||३९|| अट्ठेव सतसहस्सा तिण्णि सहस्साइं सत्त य सताई । धायइसंडे दीवे तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४०॥ ता धायईसंडं णं दीवं कालोए णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव णो विसमचक्कवाल पंठाणसंठिते, ता कालोए णं समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, ता कालोए णं समुद्दे अट्ठ जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पै० एक्काणउतिं जोयणसयसहस्साइं सत्तरिं च सहस्साइं छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं आहि०, ता कालोये णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा, ता कालोए समुद्दे बातालीसं चंदा पभासेंसु वा० बायालीसं सूरिया तवेंसु वा० एक्कारस छावत्तरा णक्खत्तसता जोयं जोइंसु वा० तिन्नि सहस्सा छच्च छन्नउया महगहसया चारं चरिंसु वा० अट्ठावीसं च सयसहस्साइं बारस सहस्साइं नव य सयाई पण्णासा तारागणकोडिकोडिओ सोभं सोभेंसु वा०, 'एक्काणउई सतराई सतसहस्साइं परिरतो तस्स । अहियासं छच्च पंचुत्तराई कालोदधिवरस्स ॥४१॥ बातालीसं चंदा बातालीसं च दिणकरा दित्ता । कालोदधिमि एते चरंति संबद्धलेसागा ॥ ४२|| णक्खत्तसहस्सं एगमेव छावत्तरं च सतमण्णं । छच्च सया छण्णउया महग्गहा तिण्णि य सहस्सा ||४३|| अट्ठावीसं कालोदहिमि बारस य सयसहस्साइं । णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४४ ॥ ता कालोयं णं समुद्दं पुक्खरवरे णामं दीवे वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, ता पुक्खरवरे णं दीवे किं समचक्कवालसंठिए विसमचक्कवालसंठिए ?, ता समचक्कवालसंठिए नो विसमचक्कवालसंठिए, ता पुक्खरवरे णं दीवे केवइयं चक्कवालविक्खंभेणं केवइअं परिक्खेवेणं ?, ता सोलस जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बाणउतिं च सतसहस्साइं अउणावइं च सहस्साइं अट्ठचउणउते जोअणसते परिक्खेवेणं आहि०, ता पुक्खरवरे णं दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा पुच्छा तधेव, ता चोतालं चंदसदं पभासेंसु वा० चोत्तालं सूरियाणं सतं तवइंसु वा० चत्तारि सहस्साइं बत्तीसं च नक्खत्ता जोअं जोएंसु वा० बारस सहस्साइं छच्च बावतरा महग्गहसता चारं चरिंसु वा, छण्णउतिसयसहस्साइं चोयालीसं सहस्साइं चत्तारि यसयाई तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोमेंसु वा० 'कोडी बाणउती खलु अउणाणउत्तिं भवे सहस्साइं । अट्ठसता चउणउता य परिरओ पोक्खरवरस्स ||४५|| चोत्तालं चंदसतं चोत्तालं चेव सूरियाणं सतं । पोक्खरवरम्मि दीवे चरंति एते पभासंता ॥४६॥ चत्तारि सहस्साइं बत्तीसं चेव हुंति णक्खत्ता । छच्च सता बावत्तर महग्गहा बारहसहस्सा ||४७|| छण्णउति सयसहस्सा चोत्तालीसं खलु भवे सहस्साइं । चत्तारि तह सयाइं तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४८|| ता पुक्खरवरस्स YOYO श्री आगमगुणमंजूषा ११४२ फ्र Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ $$ C乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听乐乐玩玩乐乐玩玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FMC ROASSSSSSSSSSSSS परमूवलपार. १९ वा 1995555555555sSONOM दीवस्स बहुमज्झदेसभाए माणुसुत्तरे णामं पव्वए पं० वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिते जे णं पुक्खरवरं दीवं दुधा विभयमाणे २ चिट्ठति, तं०-अन्भितरपुक्खरद्धं च बाहिरपुक्खरद्धं च, ता अभितरपुक्खरद्धेणं किं समचक्कवालसंठिए विसमचक्कवालसंठिए ?, ता समचक्कवालसंठिए णो विसमचक्कवालसंठिते, ता अभितरपुक्खरद्धे, णं केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, ता अट्ठ जोयंणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं एक्का जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई तीसं च सहस्साइं दो अउणापण्णे जोयणसते परिक्खेवेणं आहि०, ता अब्भितरपुरक्खरद्धे णं केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा, बावत्तरि चंदा पभासिंसु वा० बावत्तरि सूरिया तवइंसु वा० दोण्णि सोला णक्खत्तसहस्सा जोअंजोएंसु वा० छ महग्गहसहस्सा तिन्नि सया छत्तीसा चारं चरेंसु वा० अडतालीससतसहस्सा बावीसं च सहस्सा दोण्णि य सता तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभिंसु वा०, ता समयक्खेत्ते णं केवतियं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहि०?, ता पणतालीसं जोयणसतसहस्साइं आयामविक्खंभेणं एक्का जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं तीसं सहस्साइं दोण्णि य अउणापण्णे जोयणसते परिक्खेवेणं आहि०, ता समयक्खेत्ते णं केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा तधेव, ता बत्तीसं चंदसतं पभासेंसु वा० बत्तीसं सूरियाण सतं तवइंसु वा० तिण्णि सहस्सा छच्च छण्णउता णक्खत्तसता जोयं जोएंसुवा० एक्कारस सहस्सा छच्च सोलस महग्गहसता चारं चरिंसु वा० अट्ठासीति सतसहस्साइं चत्तालीसं च सहस्सा सत्त य सया तारागणकोडीकोडीणं सोभं सोभिसुवा० 'अद्वैव सतसहस्सा अम्भितरपुक्खरस्स विक्खंभो। पणतालसयसहस्सा माणुसखेत्तस्स विक्खंभो।।४९|| कोडी बातालीसा तीसं सहसा दो सया अउणपण्णा । माणुसखेत्तपरिरओ एसेव य पुक्खरद्धस्स ॥५०|| बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेव दिणकरा दित्ता । पुक्खरवरदीवड्ढे चरंति एते पभासेंता ॥५१।। तिण्णि सता छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । णक्खत्ताणं तु भवे सोलाई दुवे सहस्साइं ॥५२॥ अडयालसयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साइं। दो त सया पुक्खरद्धे तारागणकोडिकोडीणं ।।५३।। बत्तीसं चंदसतं बत्तीसं चेव सूरियाण सतं । सयलं माणुसलोअंचरंति एते पभासेंता॥५४॥ एक्कारस य सहस्सा छप्पिय सोला महग्गहाणं तु । छच्च सता छण्णउया णक्खत्ता तिण्णि य सहस्सा ॥५५॥ अट्ठासीइं चत्ताइं सतसहस्साई मणुयलोगंमि । सत्त य सता अणूणा तारागणकोडिकोडीणं ॥५६|| एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोयंमि । बहिता पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखेज्जा ।।५७|| एवतियं तारगं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि | चारं कलंबुयापुप्फसंठितं जोतिसं चरति ॥५८|| रविससिगहणक्खत्ता एवतिया आहिता मणुयलोए । जेसिंणामा गोत्तं न पागताई पण्णवेहिति ।।५९।। छावढेि पिडगाइं चंदादिच्चाण मणुयलोयंमि । दो चंदा दो सूरा य हूंति एक्केक्कए पिडए ॥६०|| छावढि पिडगाइं णक्खत्ताणं तु मणुयलोयंमि । छप्पण्णं णक्खत्ता हुंति०॥६१|| छावहिँ पिडगाइं महागहाणं तु मणुयलोंयंमि । छावत्तरं गहसतं होइ० ॥६२।। चत्तारि य पंतीओ चंदाइच्चाण मणुयलोयम्मि । छावढेिं २च होइ एक्किक्किया पन्ती ॥६३|| छप्पन्नं पंतीओ णक्खत्ताणं तु मणुयलोयंमि । छावढि० ।।६४|| छावत्तरं गहाणं पंतिसयं हवति मणुयलोयंमि । छावटुिं० ॥६५॥ ते मेरूमणुचरंता पदाहिणावत्तमंडला सव्वे । अणवट्ठियजोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य॥६६॥ णक्खत्ततारगाणं अवट्टित्ता मंडला मुणेयव्वा । तेऽविय पदाहिणावत्तमेव मेरूं अणुचरंति ॥६७॥ रयणिकरदिणकराणं उद्धं च अहे व संकमो नत्थि । मंडलसंकमणं पुण सम्भंतरबाहिरं तिरिए ॥६८॥ रयणिकरदिणकराणं णक्खत्ताणं महग्गहाणं च ।चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविधी मणुस्साणं ||६९|| तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वड्ढते णिययं । तेणेव कमेण पुणो परिहायति निक्खमंताणं ॥७०।। तेसिं कलंबुयापुप्फसंठिता हुँति तावखेत्तपहा । अंतो य संकुडा बाहि वित्थडा चंदसूराणं ॥७१।। केणं वड्ढति चंदो ? परिहाणी केण हुंति चंदस्स ? | कालो वा जुण्हा वा केणऽणुभावेण चंदस्स ॥७२।। किण्हं राहुविमाणं णिच्चं चंदेण होइ अविरहितं । चतुरंगुलमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स तं चरति ।।७३|| बावट्टि २ दिवसे २ तु सुक्कपक्खस्स। जं परिवड्ढति चंदो खवेइतं चेव कालेणं ॥७४।। पण्णरसइभागेण य चंदं पण्णरसमेव तं वरति । पण्णरसतिभागेण य पुणोवि तं चेव वक्कमति ॥७५।। है एवं वड्ढति चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स। कालो वा जुण्हा वा एवऽणुभावेण चंदस्स॥७६|| अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा तु उववण्णा । पंचविहा जोतिसिया २ चंदा सूरा गहगणा य ||७७|| तेण परं जे सेसा चंदादिच्चगहतारणक्खत्ता । णत्थि गती णवि चारो अवट्ठिता ते मुणेयव्वा ॥७८॥ एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा torre n EEEEEEEE ITORamcurrrrrrrrrror tra -...------ $$$$$$$$$$$ $$ $$ IOS$$$$ VinEducation international 2010_03 Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) सूरपन्नति पाहुडे १९ [३९] हुति । लावणगा यतिगुणिता ससिसूरा धायईसंडे ॥ ७९ ॥ दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सायरे लवणतोए । धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य॥८०॥ धातइसंडप्पभितिसु उद्दिट्ठा तिगुणिता भवे चंदा । आदिल्लचंदसहिता अणंतराणंतरे खेत्ते ॥८१॥ रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी गाउं । तस्स ससीहिं गुणितं रिक्खग्गहतारग्गं तु ॥८२॥ बहिता तु माणुसनगस्स चंदसूराणऽवट्ठिता जोण्हा । चंदा अभीयीजुत्ता सूरा पुण हुंति पुस्सेहिं ॥ ८३॥ चंदातो सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होई । पण्णाससहस्साइं तु जोयणाणं अणूणाई ॥ ८४॥ सूरस्स य सूरस्स य ससिणो य अंतरं होइ । बाहिं तु माणुसनगस्स जोयणाणं सतसहस्सं ॥ ८५॥ सूरंतरिया चंदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता । चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य ॥८६॥ अट्ठासीतिं च गहा अट्ठावीसं च हुंति नक्खत्ता । एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वच्छा ॥८७॥ छावट्ठि सहस्साइं णव चेव सताइं पंचसतराई । एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं ||८८|| अंतो मणुस्सखेत्ते जे चंदिमसूरियगहगणणक्त्ततारारूवा ते देवा किं उड्ढोववन्नगा कप्पोव० विमाणोव० चारोव० चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावण्णगा ?, ता ते णं देवा णो उड्ढो० नो कप्पो० विमाणो० चारो० नो चारठितीया गइरइया गतिसमावण्णगा उड्ढामुहकलंबुआपुप्फसंठाणसंठितेहिं जोअणसाहस्सिएहिं तावक्रखेत्तेहिं साहस्सिएहिं बाहिराहि य वेउब्वियाहिं परिसाहिं महताहतणट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं महता उक्कट्ठिसीहणादबोलकलकलरवेणं अच्छं पव्वतरायं पदाहिणावत्तमंडलचारं मेरुं अणुपरिट्टेति तातेसिंणं देवाणं जाधे इंदे चयति से कथमिदाणिं पकरेति ?, ता चत्तारिपंच सामाणिया देवा तं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव अण्णे इंदे उववण्णे भवति, ता इंदठाणे णं केवइएणं कालेणं विरहियं उववाएणं पं० ?, ता जह० इक्कं समयं उक्को० छम्मासे, ता बहिता णं माणुस्सखेत्तस्स जे चंदिमसूरियगहजावतारारूवा ते णं देवा किं उड्ढोववण्णगा कप्पो० विमाणो० चारोव० चारद्वितीया गतिरतीया गतिसमावण्णगा ?, ता ते णं देवा णो उड्ढोव० नो कप्पो० विमाणो० णो चारोव० चारठितीया नो गइरइया णो गतिसमावण्णगा पक्किट्टगसंठाणसंठितेहिं जोयणसयसाहस्सिएहिं तावकखेत्तेहिं सयसाहस्सियाहिं बाहिराहिं वेउव्वियाहिं परिसाहिं महताहतनट्टगीयवाइयजावरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति, सुहलेसा मंदलेसा मंदायवलेसा चित्तंतरलेसा अण्णोऽण्णसमोगाढाहिं लेसाहिं कूडा इव ठाणठिता ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासंति उज्जोवेति तवेति पभासेति, ता तेसिं णं देवाणं जाहे इंदे चयति से कहमिदाणिं पकरंति ?, ता जाव चत्तारिपंच सामाणिया देवा तं णं ठाणं तहेव जाव छम्मासे । १०० । ता पुक्खरवरं णं दीवं पुक्खरोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिते सव्व जाव चिट्ठति, ता पुक्खरोदे णं समुद्दे किं समचक्कवालसंठिते जाव णो विसमचक्कवालसंठिते, ता पुक्खरोदे णं समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहि०, ता संखेज्जाई जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं आहि०, ता पुक्खरवरोदे णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा तहेव, ता पुक्खरोदे णं समुद्दे संखेज्जा चंदा पभासेंसु वा० जाव संखेज्जाओ तारागणकोडाकोडीओ सोभं सोमेंसु वा०, एतेणं अभिलावेणं वरूणवरे दीवे वरूणोदे समुद्दे खीरवरे दीवे खीरवरे समुद्दे घतवरे दीवे घतोदे समुद्दे खोतवरे दीवे खोतोदे समुद्दे णंदिस्सरवरे दीवे णंदिस्सवरे समुद्दे अरूणे दीवे अरूणोदे समुद्दे अरूणवरे दीवे अरूणवरोदे समुद्दे अरूणवरोभासे दीवे अरूणवरोभासे समुद्दे कुंडले दीवे कुंडलोदे समुद्दे कुंडलवरे दीवे कुंडलवरोदे समुद्दे कुंडलवरोभासे दीवे कुंडलवरोभासे समुद्दे१४ सव्वेसिं विक्खंभपरिक्खेवो जोतिसाई पुक्खरोदसागरसरिसाई । ता कुंडलवरोभासण्णं समुदं रूयए दीवे वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए सव्वतो जाव चिट्ठति, ता रूयए णं दीवे किं समचक्कवाल जाव णो विसमचक्कवालसंठिते, ता रूयए णं दीवे केवइयं समचक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, ता असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं आहि०, ता रूयगे णं दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा पुच्छा, ता रूयगे णं दीवे असंखेज्जा चंदा पभासंसु वा० जाव असंखेज्जाओ तारागणकोडिकोडीओ सोभं सोभेंसु वा०, एवं रूयगे समुद्दे रूयगवरे दीवे रूयगवरोदे समुद्दे रूयगवरोभासे दीवे रूयगवरोभासे समुद्दे, एवं तिपडोयारा णेतव्वा जाव सूरे दीवे सूरोदे समुद्दे सूरवरे दीवे सूरवरे समुद्दे सूरवरोभासे दीवे सूरवरोभासे समुद्दे, सव्वेसिं विक्खंभपरिक्खेवजोतिसाई रूयवगवरदीवसरिसाई, ता सूरवरोभासोदण्णं समुदं देवे णामं दीवे वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं ॐॐॐॐॐॐॐॐ Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FFFFFFFQ 乐乐安乐乐圳乐乐乐乐乐明明明明明明明明纸听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩% 5C sssssssssssssexorg चिट्ठति जाव णो विसमचक्कवालसंठिते, ता देवे णं दीवे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, ता असंखेज्जाई जोयणसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं आहि०, ता देवे णं दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा पुच्छा, तधेव, ता देवे णं दीवे असंखेज्जा चंदा पभासेंसु वा जाव असंखेज्जाओ तारागणकोडिकोडीओ सोभेसु वा०, एवं देवोदे समुद्दे णागे दीवे णागोदे समुद्दे जक्खे दीवे जक्खोदे समुद्दे भूते दीवे भूतोदे समुद्दे सयंभूरमणे दीवे सयंभूरमणे समुद्दे, सव्वे देवदीवसरिसा ।१०१|| एकूणवीसतिमं पाहुडं १९॥ ता कहं ते अणुभावे आहि० १, तत्थ खलु इमाओ दो पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता चंदिमसूरिया णं णो जीवा अजीवा णो घणा झुसिराणो बादरबोदिधरा कलेवरा, नत्थि णं तेसिं उट्ठाणेति वा कम्मेति वा बलेति वा वीरिएति वा पुरिसकारपरक्कमेति वा, ते णो विज्जू लवंति णो असणि लवंति णो थणितं लवंति, अहे य णं बादरे वाउकाए संमुच्छति त्ता विज्जुपि लवंति असणिपि लवंति थणितंपि लवंति एगे एव०, एगे पुण एव०-ता चंदिमसूरिया णं जीवा णो अजीवा घणा णो झुसिरा बादरबुदिधरा नो कलेवरा अस्थि णं तेसिं उट्ठाणेति वा० ते विज्जुपि लवंति० एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्डिया जाव महाणुभागा (प्र० वा) वरवत्थधरा वरमल्लधरा वराभरणधारी अवोच्छित्तिणयकृताए अन्ने चयंति अण्णे उववज्जति ।१०। ता कहं ते राहुकम्मे आहि०?, तत्थ खलु इमाओ दो पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०अत्थि णं से राहू देवे जेणं चंदं वा सूरं वा गिण्हति एगे एव०, एगे पुण०-नत्थि णं से राहू देवे जेणं चंदं वा सूरं वा गिण्हइ, तत्थ जे ते एव०-ता अत्थि णं से राहू देवे जेणं चंदं वा सूरं गिण्हति से एव०-ता राहू णं देवे चंदं वा सूरं वा गेण्हमाणे बुद्धतेणं गिण्हित्ता बुद्धतेणं मुयति बुद्धतेणं गिण्हित्ता मुद्धतेणं मुयइ मुद्धतेणं गिण्हित्ता मुद्धतेणं मुयति वामभुयन्तेणं गिण्हित्ता वामभुयंतेणं मुयति वामभुयंतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयति दाहिणभुयतेणं गिण्हित्ता वामभुयंतेणं मुयति दाहिणभुयंतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयति, तत्थ जे ते एव०-ता नत्थि णं से राहू देवे जेणं चंदं वा सूरं वा गेण्हति ते एव०-तत्थ णं इमे पण्णरस कसिणा पोग्गला पं० २०सिंधाणए जडिलए खरए खत्तए अंजणे खंजणे सीतले हिमसीयले केलासे अरूणाभे परिज्जए णभसूरए कविलिए पिंगलए राहू, ता जया णं एते पण्णरस कसिणा २ पोग्गला सदा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति तता णं माणुसलोयंमि माणुसा एवं वदंति-एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गेण्हति एवं खलु०, ता जता णं एते पण्णरस कसिणा २ पोग्गला सदा चंदस्स वा सूरस्स वा णो लेसाणुबद्धचारिणो भवंति णो खलु तदा माणुसलोयम्मि मणुस्सा एवं वदंति एवं खलु राहू चंदं वा सूरं गेण्हति एगे एव०, वयं पुणा एवं वदामो-ता राहू णं देवे महिड्ढीए महाणुभावे वरवत्थधरे वरमल्लधरे वराभरणधारी, राहुस्स णं देवस्स णव णामधेज्जा पं० तं०-सिंधाडए जडिलए खरए खेत्तए ढड्ड (ददु) रे मगरे मच्छे कच्छभे कण्हसप्पे, ता राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा पं० तं०-किण्हा नीला लोहिता हालिद्दा सुकिल्ला, अत्थि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे पं० अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पं० अत्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठावण्णाभे पं० अस्थि हालिद्दए राहुविमाणे हलिद्दावण्णाभे पं० अत्थि सुकिल्लए राहुविमाणे भासरासिवण्णाभे पं०, ता जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वेमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेस्सं पुरच्छिमेणं आवरित्ता पच्चत्थिमेणं वीतिवतति तया णं पुरच्छिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति पच्चत्थिमेणं राहू, जदा णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणेणं आवरित्ता उत्तरेणं वीतिवतति तदा णं दाहिणेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति उत्तरेणं राहू, एतेणं अभिलावेणं पच्चत्थिमेणं आवरित्ता पुरच्छिमेणं वीतिवतति उत्तरेणं आवरित्ता दाहिणेणं वीतिवतति, जयाणं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वालेसं दाहिणपुरच्छिमेणं आवरित्ता उत्तरपच्चत्थिमेणं वीईवयइ तया णं दाहिणपुरच्छिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेइ उत्तरपच्चत्थिमेणं राहू, जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपच्चत्थिमेणं आवरित्ता उत्तरपुरच्छिमेणं वीतिवतति तदा णं दाहिणपच्चत्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति उत्तरपुरच्छिमेणं राहू, एतेणं म अभिलावेणं उत्तरपच्चत्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपुरच्छिमेणं वीतिवतति उत्तरपुरच्छिमेणं आवरेत्ता दाहिणपच्चत्थिमेणं वीतिवयइ, ता जता णं राहू देवे आगच्छमाणे 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明听听听听听听听听听听听听听听听听听2 OPanwr 5 5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११४५555555555555555555555555545OR Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRO पाहुडे २० [४१] (१६) सूरपनति वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता वीतीव० तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति - राहुणा चंदे वा सूं वा गहिते, ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता पासेणं वीतीवतति तता णं मणुस्सलोअंमि मणुस्स वदंति चंदेण वा सूरेण वा राहुस्स कुच्छी भिण्णा, ता जता णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता पच्चोसक्कति तता णं मणुस्सलोए मणुस्सा एवं वदंति राहुणा चंदे वा सूरे वा वंते राहुणा०, ता जता णं राहू देवे आगच्छमाणे वा० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता मज्झंमज्झेणं वीतिवतति तता णं मणुस्सलोयंसि मणुस्सा वदंति राहुणा चंदे वा सूरे वा विइयरिए राहुणा० २, ता जता राहू देवे आगच्छमाणे० चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ताणं अधे सपकखं सपडिदिसिं चिट्ठति तता णं मणुस्सलोअंसि मणुस्सा वदंति राहुणा चंदे वा सूरे वा घत्थे राहुणा० २ । कतिविधे णं राहू पं० ?, दुविहे पं० तं० ता ध्रुवराहू य पव्वराहू य, तत्थ णं जे से ध्रुवराहू से णं बहूलपक्खस्स पाडिवए पण्णरसइभागेणं पण्णरसइभागं चंदस्स लेसं आवरेमाणे २ चिट्ठति, तं०-पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसमं भागं, चरमे समए चंदे रत्ते भवति अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, तमेव सुक्कपक्खे उवदंसेमाणे २ चिट्ठति, तं० पढमाए पढमं भागं जाव चंदे विरत्ते य भवइ, अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति, तत्थ णं जे ते पव्वराहू से जहणेणं छण्हं मासाणं, उक्कोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स अडतालीसाए संवच्छराणं सूरस्स । १०३ । ता कहं ते चंदे ससी २ आहि० ?, ता चंदसणं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कंते मियंके विमाणे कंता देवा कंताओ देवीओ कंताई आसणसयणखंभभंडमत्तोवगरणाई अप्पणावि णं चंदे देवे जोतिसिदे जोतिसराया सोमे कंते सुभे पियदंसणे सुरूवे ता एवं खलु चंदे ससी २ आहि०, ता कहं ते सूरिए आदिच्चे २ आहि० ?, ता सूरादिया समयाति वा आवलियाति वा आणापाणूति वा थोवेति वा जाव उस्सप्पिणीओसप्पिणीति वा एवं खलु सूरे आदिच्चे २ आहि० । १०४ । ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कति अग्गमहिसीओ पं० १, ता चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं० - चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा जहा हेट्ठा तं चेव जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं, एवं सूरस्सवि भाणितव्वं, ता चंदिमसूरिया जोतिसिंदा जोतिसरायाणो के रिसे कामभोगे पच्चणुभवमाणा विहरंति ?, ता से जहाणामते केई पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलसमत्थे पढमजोव्वणुट्ठाणबलसमत्थाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्तवीवाहे अत्थत्थी अत्थगवेसणताए सोलसवासविप्पवसिते से णं ततो लद्धट्ठे कतकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि णियगघरं हव्वमागते ण्हाते कतबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे मणुण्णं थालीपाकसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं भोंयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अंतो सचित्तकम्मे बाहिरतो दूमितघट्टमट्ठे विचित्तउल्लो अचिल्लियतले बहुसमसुविभत्तभूमिभाए मणिरयणपणासितंधयारे कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्क धूवमघमघंतगंधुद्ध्याभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूते तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि दुहतो उण्णते मज्झेणतगंभीरे सालिंगणवट्टिए उभओ (पण्णत्तगंड पा० ) बिब्बोयणे सुरम्मे गंगापुलिणवालुयाउद्दालसालिसए सुविरइयरयाणे वियवियखोमियखोमदुगूलपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुयसुंवडे सुरम्मे आईणगरूतबूरणवणीततूलफासे सुगंधवरकुसुमचुण्णसयणोवयारकलिते ताए तारिसाए भारियाए सद्धिं सिंगारागारचारूवेसाए संगतगतहसितभणितचिट्ठितसंलावविलासणिउणजुत्तोवयारकुसलाए अणुरत्ताविरत्ताए मणोणुकूलाए एगंतरतिपसत्ते अण्णत्थ कत्थई मणं अकुव्वमाणे इट्ठे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविधे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरिज्जा, ता से णं पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसए सातासोक्खं पच्चणुभवमाणे विहरति?, उरालं समणाउसो !, ता तस्स णं पुरिसस्स कामभोगेहिंतो एत्तो अनंतगुणविसिट्ठतराए चेव वाणमंतराणं देवाणं कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहिंतो अणंतगुणविसिद्रुतराए चेव असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं कामभोगा, असुरिंद० देवाणं० अणंतगुणविसिट्टतरा चेव असुर० इंदभूयाणं देवाणं कामभोगा, असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहिंतो० गहणक्खत्ततारारूवापं कामभोगा, गहगणणक्खत्ततारारूवाणं कामभोगेहिंतो अनंतगुणविसिट्ठयरा चेव चंदिमसूरियाणं देवाणं कामभोगा, ता एरिसए णं चंदिमसूरिया जोइसिंदा जोइसरायाणो कामभोगे पच्चणुभवमाणा विहरंति । १०५ | तत्थ खलु इमे अट्ठासीती महग्गहा पं० तं०-इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे आहुणिए पाहुणिए कणे कणए कणकणए कणविताणए १० कणगसंताणे सोमे सहिते अस्सासणी कज्जोव ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ११४६ TOK Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EC%$$$$历历明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听国乐。 HOO5555555555555 205853355amamaen कव्व (प्र० च्छ) रए अयकरए दुंदुभए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कंसे कंसणाभे कैसवण्णाभे णीले णीलोभासे रूप्पे रूप्पोभासे भासे भासरासी 30 तिले तिलपुप्फवण्णे दगे दगवण्णे काये वंधे इंदग्गी धूमकेतू हरी पिंगलए 40 बुधे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवए कामफासे धुरे पमुहे वियडे 50 विसंधिकप्पेल्लए पइल्ले जडियालए अरूणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवत्थिए वद्धमाणगे 60 पलंबे णिच्चालोए णिच्चुज्जोते सयंपभे ओभासे सेयंकरे खेमंकरे आभंकरे पभंकरे अरए 70 विरए असोगे वीतसोगे य (प्र० विमले) विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुव्वते अणियट्टी (203) एगजडी 80 दुजडी कर करिए रायऽग्गले पुप्फकेतू भावे केतू, संगहणी- 'इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे चेव / आहुणिए पाहुणिए कणकसणामावि पंचेव ||89|| सोमे सहिते अस्सासणे य कज्जोवए य कव्वरए। अयकरए दुंदुभए संखसणामावि तिण्णेव // 90|| तिन्नेव कंसणामा णीले रूप्पी य हुंति चत्तारि | भास तिल पुप्फवण्णे दगवण्णे काय वंधे य // 91|| इंदग्गी धूमकेतू हरि पिंगलए बुधे य सुक्के य / बहसति राहु अगत्थी माणवए कामफासे य // 92|| धुरए पमुहे वियडे विसंधिकप्पे नियडि पयले य / जडियालए य अरूणे अग्गिल काले महाकाले।।९३|| सोत्थिये सोवत्थिये वद्धमाणग तधा पलंबे य। णिच्यालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव ओभासे॥९४॥ सेयंकर खेमंकर आभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा असोग तह वीतसोगे य॥९५|| विमले वितत विवत्थे विसाल तह साल सुव्वते चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बिजडी य बोद्धव्वो / / 96 / / कर करिए रायऽग्गल बोद्धव्वे पुप्फ भाव केतू य / अट्ठासीति गहा खलु णेयव्वा आणुपुव्वीए // 97 // 106||20 पाहुडं || इति एस पाहुडत्था + अभव्वजणहिययदुल्लहा इणमो। उक्कित्तिता भगवती जोतिसरायस्स पन्नत्ती॥९८॥ एस गहितावि संती थद्धे गारवियमाणिपडिणीए। अबहुस्सुए ण देया तन्विवरीते भवे देया // 99|| सद्धाधितिउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खिओवि संतो अभायणे परिकहे (प्र० क्खिवे) जाहि // 100 // सो पवयणकुलगणसंघबाहिरोणाणविणयपरिहीणो। अरहंतथेरगणहरमेरं किर होति वोलीणो॥१०१॥ तम्हा धितिउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरियसिक्खणाणं / धारेयव्वं णियमा ण य अविणएस दायव्वं // 102 / / वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स / वदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए॥१०३||१०७) इति श्रीसूर्यप्रज्ञप्त्युपागंज LATED9555555555555555555श्री आगमगुणमजूषा - 114755555555555555555555555555557