Book Title: Aagam 36 VYAVAHAAR Moolam evam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ' [३६] श्री व्यवहार (छेद)सूत्रम् । नमो नमो निम्मलदसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । “व्यवहार" मूलं [मूलं एव] [आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.।। (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | ' 12/02/2015, गुरुवार, २०७१ महा कृष्ण ८ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[३६], छेदसूत्र-7 “व्यवहार" मूलं Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: --------- ---------- मूलं [-]---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी संशोधित: संपादितश्च व्यवहार सूत्र मुद्रित पृष्ठरुपं - शत्रुजयतीर्थे शीलोत्कीर्ण: -सुरतनगरे तामपत्रोत्कीर्ण "आगममंजुषा या: उद्धृत-छेदसूत्रम् वीर संवत २४६८ विक्रम संवत १९९८ सन् १९४२ व्यवहार -छेदसूत्रस्य "टाइटल पेज" Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूलाका ३५+. मूलांक: ००१ ०९५ १६० २४९-२८५ +319 उद्देश: प्रथमः चतुर्थः सप्तमः दशम: पृष्ठांक: ००४ ००८ ०११ ०१४ 'व्यवहार' छेदसूत्रस्य विषयानुक्रम मूलांक: ०३६ १२७ १८७ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित... उद्देश: द्वितियः पंचमः अष्टमः पृष्ठांकः ००६ ०१० ०१२ ~2~ मूलांक: ०६६ १४८ २०३ ..आगमसूत्र [ ३६ ], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं दीप-: प-अनुक्रमाः २८५ उद्देश: तृतीय: षष्ठः नवमः पृष्ठांक: ००७ ०१२ ०१३ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ['व्यवहार' - मूल] इस प्रकाशन की विकास-गाथा पूज्यपाद आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरानंदसूरिजी) के संशोधन एवं संपादन से सन १९४२ (विक्रम संवत १९९८) में ४५ आगम+वैकल्पिक दो आगम+ पांच नियुक्तिओ एवं कल्पसूत्र को मिलाकर "आगममंजुषा" नाम से करीब १३०० पृष्ठ छपे, जिसकी साइज़ 20x30 इंच थी | इस संपादनमें ६+१ छेदसूत्र भी पूज्यश्रीने मुद्रित करवाए | यहीं "आगममंजुषा" पूज्यश्री की प्रेरणा से श्री शत्रुजयतीर्थ की तलेटीमें आगममंदिरमें आरस के पट्ट पर भी उत्कीर्ण हुई और सुरतनगरमे ताम्रपत्र पर भी अंकित हुई | हमने उसी ६+१ छेदसूत्रो को फोटो-स्केन करवाया, फोटो-स्केन कोपी को पहले 'A-4' साइज़ मे लेजाकर अलग-अलग ६+१ किताबो के रुपमे रखा, फ़िर उसी को इन्टरनेट पर भी अपलोड करवाया और हमारे प्रकाशनो कि DVD मे भी उनको स्थान दे दिया | हमारा ये प्रयास क्यों? : आगम की सेवा करने के हमें तो बहोत अवसर मिले, ४५-आगम सटीक भी हमने ३० भागोमे १२७०० से ज्यादा पृष्ठोमें प्रकाशित करवाए है किन्तु लोगो की पूज्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी के प्रति श्रद्धा तथा आदर देखकर हमने इसी ६+१ छेदसूत्रो को प्रत-स्वरुपमें यहां सम्मिलित कर दिया, ताँकी भविष्यमे को यह न कहे कि इस संपुटमें ३९ आगम हि है, और ६ आगम कम है। एक स्पेशियल फोरमेट बनवा कर हमने बीचमे पूज्यश्री संपादित पृष्ठो को ज्यों के त्यों रख दिए, ऊपर शीर्षस्थानमे आगम का नाम, फिर अध्ययन या उद्देशक तथा मूलसूत्र या गाथाजो जहां प्राप्त है उसके क्रमांक लिख दिए, ताँकि पढ़नेवाले को प्रत्येक पेज पर कौनसा अध्ययन या उद्देशक तथा सुत्र या गाथा चल रहे है उसका सरलता से ज्ञान हो शके, बायीं तरफ आगम का क्रम और इसी प्रत का सूत्रक्रम दिया है, उसके साथ वहाँ 'दीप अनक्रम भी दिया है, जिससे हमारे प्राकृत, संस्कृत, हिंदी गुजराती, इंग्लिश आदि सभी आगम प्रकाशनोमें प्रवेश कर शके | हमारे अनुक्रम तो प्रत्येक प्रकाशनोमें एक सामान और क्रमशः आगे बढ़ते हुए ही है, इसीलिए सिर्फ क्रम नंबर दिए है, मगर प्रत में गाथा और सूत्रो के नंबर अलग-अलग होने से हमने जहां सूत्र है वहाँ कौंस - दिए है और जहां गाथा है वहाँ ||-|| ऐसी दो लाइन खींची है या फिर गाथा शब्द लिख दिया है। हमने एक अनुक्रमणिका भी बनायी है, जिसमे प्रत्येक अध्ययन आदि लिख दिये है और साथमें इस सम्पादन के पृष्ठांक भी दे दिए है, जिससे अभ्यासक व्यक्ति अपने चहिते अध्ययन या विषय तक आसानी से पहँच शकता है । अनेक पृष्ठ के नीचे विशिष्ठ फूटनोट भी लिखी है, जहां उस पृष्ठ पर चल रहे ख़ास विषयवस्तु की, मूल प्रतमें रही हुई कोई-कोई मुद्रण-भूल की या क्रमांकन-भूल सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है | अभी तो ये jain_e_library.org का 'इंटरनेट पब्लिकेशन' है, क्योंकि विश्वभरमें अनेक लोगो तक पहुँचने का यहीं सरल, सस्ता और आधुनिक रास्ता है, आगे जाकर ईसि को मुद्रण करवाने की हमारी मनीषा है। ......मुनि दीपरत्नसागर..... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "बृहत्कल्प” मूलं ~3~ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [१] -------- -------- मूलं [१] ---------- मनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [9] "व्यवहार" मूलं 4 श्रीव्यवहारच्छेदमत्रमः १८२ भाष्ये पीठिकागाथाः,जे भिक्ख मासिय परिहारहाण पडिसेबित्ता आलोएजा, अपलिउत्रियं आलोएमाणम्स मासिय पलिमुचियं आलोण्मा. परगस दोमासिय ३२२।१।जे भिक्खू दोमासियं परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउत्रिय(प्र०य) आलोएमाणम्स दोमामियं पलिउंचिययं | आलोएमाणस तेमासियं ।। जे भिक्खू तेमासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचिययं आलोएमाणस्स तेमासियं पलिउंचिययं आलोएमाणम्स चाउम्मालियं ३ जे भिक्खू चाउम्मासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचिययं आलोएमाणम्स चाउम्मासियं पलिउंचिययं आलोएमाणम्स पंचमासियं । ४ । जे भिक्खू A पंचमासिय परिहारद्वाणं पड़िसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचिययं आलोएमाणम्स पंचमासियं पलिउंचिययं आलोएमाणम्स छम्मासियं, तेण पर पलिउचिए वा अपलिउंचिए वा ते चेत्र छम्मासा '३४३।५। जे भिक्खू बहुसोवि मासिय परिहारठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउधियं आलोएमाणस मासियं पलिउंचियं आलोएमाणस्स दोमासियं ।।। ९६९ व्यवहारःसूत्र, उदेश-१ मुनि दीपरतसागर अत्र उद्देशक: १ आरब्धः ~4 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [१] -------- -------- मूलं [७] --------- मनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [9] "व्यवहार" मूलं प्रत सुत्राक दीप अनुक्रम मिल परसोनिदोमानिय परिहारहाण परिसविता भालोएमा अपलिजशिय आलोएमागस बोमासिय पलितत्रिय आलोएमाणस मासिय ७१ बरसोचिरोमालियं । परिहारहार्य पनिसेविऊन आलोएजा अपलिउशिर्य आलोएमाणस तेमासियं पलिउशिर्ष आलोएमाणस्स पाउम्मासियं । थाबहुसोषि बाजम्मासिय परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिडत्रिय आलोएमाणमा चाउमासिर्व पतिउत्रिय जालोएमाणस्त पञ्चमासियं ।९।०बहुसोवि पञ्चमासियं परिहाराण परिसेविता आरोएजा अपलिरिचय आरोएमाणस्स पचमासिय पलितप्रिय बालोएमाणस्स सम्मालियं, तेण परं पलिउत्रिय वा अपलिउत्रियं वा ते भेष सम्मासा ।१०। मासिय वा बीमासिय मा तेमासिब ना चाउम्मासिब या पत्रमासिव वा एएसि परिहारहाणार्ण अन्नपरं परिहारहाणं पटिसेविता आलोएमा अपलिउत्रिययं आठोएमाणस्स मासिय या दोमासिय मा मासिय मा चाउ-15 म्मासिय वा पशमासिय बा, पलिचियर्य आरोएमाणस्ता बोभासियं वा तेमासियं वा चाउम्मासिय मा पंचमासिय वा छम्मासियं वा, तेस पर पलिवंचिए या अपरिचिए या ते पेष छम्मासा । ११॥ जे पहुसोचि मालियं या दोमासिब चा छम्मासा ५१०१।१२।जे भिक्षु चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासिव वा पंचमासिय मा सारेगपंचमासिय पा एएसि परिहारहाणा अभयर परिहारहाण पडिसेमिना बालोएगा, अपलिउंधियय आलोएमाणस चाउम्मासियं या साइरेगचाउम्यासियं या पंचमासिय मा सारेगपंचमासिय मा पलिचियर्थ जालोएमाणस पंचमासियं वा साइरेगपंचनासिब बा उम्मासियं वा, तेम पर पलिचिए वा अपलिउंथिए पा से चेष सम्मासा । १३॥ जे मिक्स् मासोवियाउमासिय बा.९४१ साइरेगचाडम्यासिय मा। १५० पंचमासिथ मारा साइरेगपंचमासिर्ष मा।१७ एवं चेष माणियां जा एम्मासा ५३५१११८ाजे भिक्यू पाउमासियं मा लापरे गाउम्मासि या पंचमासियं वा साइरेगपंचमासि वा एएस परिहाहाणार्ण अभय परिहारवा पडिसेवित्ता आलीएजा, अपलिडचिव आलोएमागस उपषियं पाता करणिय वाचढिय, उपिएपि पटिसेविया सेवि कलिने सत्येष आहेय सिया पुष्टि पटिसेपियं पुरिजालोइयं, पुर्षि पढिसेवियं पणा आलोय, पच्या परिसेविय पुरिजालोर पच्या पहिलेविध पच्छा आलोवर्ग, अपरिचिए अपलिजविर्थ, अपलिभिएपरिचिय, पलिथिए अपलिलचिय, पलिउँचिए पलिउँचिय, आलोएमाणस्स सामेयं सकर्ष साहणिय जे एयाए पदवणाए पहथिए निधिसमाणे पहिसेवेद सेविकसिने नत्येन आम्हेयो लिया। १९॥ एवं बहसोधिजे मिक्स चाउम्यासिय वा साइरेगचाउम्मासिय गा पंचमासिय था साइरेगपंचमासिष वा एएसि परिहारहाणाणं जन्मपरं परिहारहाणं पडिसेविचा बालीएजा पलिउंचियं आलोएमाणस्त उपविगं ठहत्ता कामिन बेवापदिय जाप पच्छा पडिसेविध पच्छा पालोय जाप पलिथिए आलोएमागरस सबमे सकर्य साहम्पिर्ष आम्हेपाई शिया, एवं अपलिउंचिए ६०१११२०1जे मिक्स्चाउम्यासिय मा आलोएमा पनि चिर्य जालोएमाणसः परिचिए पलिजविर्य, पलिचिए पलिउचिव आलोएमाणस्त आव्हेयके शिया २१॥ जे भिक्ख मधुसोषिचाउम्मासिय वा बहसोविसाजरेगा आदि यो सिवा ६२।२२ मा पारिहारिया बहवे अपारिहारिया योगा एगयओ अनिनिसेज वाजमिनिसीहिय या पालए मो से कप्पाह परे अमाश्चिात्ता एमयमओ अमिनिसेज। ना अभिनिसीहिय या पेहत्तए, कापडसेमेरे आपुनिछत्ता एगपो अमिनिसेल वाजमिनिसीहियं चाहतए, पेशवाई से पियरेना एवं पंकणा एनयओ अभिनिरोज या अभिनिसीहियं वा पेशवए, पेरा यई से नो वियरेजा एवंनो कणाद एगवजो अभिनितेजपा अभिनिसीहिया चहत्तए, जो बेरोहिं अविहन अमिनिसेवा समिनिसी. हियं वा एड से सन्तराए वा परिहारे वा '६९३।२३। परिहारकप्पहिए भिषण पहिया बेरार्ण गेयाचडियाए गच्मा , राय से सरेना कह से एमरावमाए पकिमाए जण जर्ण विसं अने साहम्मिया विहरति तय सणं दिसे उबलिनए, नो से कप्पा तत्व निवारयनिय पत्याए, कपासे तत्व कारणबत्ति बाधाए, संसिपणं कारपंसि मिद्वियसि पोर वएना 'वसाहि असो! एगराध वा दुराया एवं से कप्पड एगरायं वा दुराय वा वायए, नो से कप्त एगरायायो वा दुरागाओ वा पर पसिनए, जो वत्य एम. दुराः परं कसा से सन्तरा ए वा परिहार या ।२४ा परिहारक पहिए भिक्यू बहिया घेराम याचडियाए गशेजा, भेना य से नो सरेशा, कणा से निविसमाणस एगशाचाए परिमाए जन्म जगणं दिसं जाच नस्य एगरायाओ या बुरायाओ पर बसाइ से सन्तरा ए बा परिहारे वा '७६७।२५/ परिहारकापडिए मिक्सपहिया राय थावडिपाए गोला मेराय से सरेशा बानो सरेना मा कापा से निविसमाणस एगराइयाए जाप ए वा परिहारे वा ।२६ मिक्सू परणामो अवधम्म एकाविहारपडिम उपसंपविताण विहरेजा, सेयजा बोय. पितमेष गणं उपसंपनिलार्ग निहरितए, पुणो बालोएमा पुगो पडिकमेजा युगो जेवपरिहाररस उवदाएजा ।२७। एवं गणावयाए पा॥२८एवं आपरिए । २५॥ एवं उपसाए मिषलूचगणाओ अचम्म पासायनिहारे विहरेजा, से वाहनांना दोमंपि तमेव गर्ष उपसंपजिवाणं चिरितए, अस्थि पाई थ से पुनो भाटोएमा पुनो परिकमेमा पुगी मुनिटीपरमार कककककककर पर Shl.bad+STHAT ~5~ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) प्रत सूत्रांक [३१] दीप अनुक्रम [२५] अत्र उद्देशकः २ आरब्धः “व्यवहार” - छेदसूत्र - ३ ( मूलं ) उद्देश: [१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....... मूलं [३१] ...आगमसूत्र [ ३६ ], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं - परिहारस्स उपाएमा ३१ एवं सोसतो '८९१ । ३२ गाओ कम परपासंहपटिम उपसंपत्ति विहरेजा परलिंग च से य इच्छेजा दोपि तमेव गणं उपजिलाहिरिए, नत्थि तस्स उप्पसियं केइ ए वा परिहारे वा, मन्नत्व एमाए आलोचनाए । ३३ भिक्खू व मणाओ जयकम्म ओहाज से इच्छेजा दोपि तमेव गणं उपज्जितानं विलिए, नत्य तस्स सम्पत्तियं के छेए वा परिहारे या नन्नत्व एगाए सेहो बहाबनाए '९९४ । ३४ । मिक्यू य अन्नपर अभिवद्वाणं परिसेवित्त इज्जाबालोएचए जत्थेव अपनी शायरियउवज्झाए पासज्जा कप्प से तत्संलिए आलोएसए वा परिक्रमेस वा निन्दितए वा गर हिए या विहिर या विलोनिया अकराए अम्ल या अहारिक पाय पति वा नो अपनी जाि साहम्मि सूर्यागमं पासेज्जा तस्संलिए कम्प आएर वा जान परिवज्जेस वा नो मोह समागमं पान इमं पातेमा पसे तरसलिए आलोएसए वा जान पडिवजेता वा नो जन्मोत्सव सागपात कम से लिए आए बानो सारुवियं वज्झाग पाजा जत्येष समयोवा पच्छाकडे मस्तु बज्झाग पासेज्जा कम्प से तरसंवियं बालो या पतिमेवा जावपापविएवा नो चेन समास पच्छा वस्तु झागमं पातेजा जत्येव सम्मभावियाई पेइवाई पासज्जा कम्पइसे तस्संलिए ए बाजा पायपिडिज्जितएवा नो सम्मानियाई चेयाई पाजा बहिया गामस्सया जान संनिवेस वा पाणामिमुहे या उदीनामिमुहे या करपलपरिण हियं सिरसायनं यत्पर अंजलि कम से एवं एवइया मेरा एव अहं अपरो अरहंताणं सिद्धानं अतिए आलोएज्जा परिक्रमेनिन्जा जय पाय पडवाससिमि ९७३ ॥३५॥ पढो उसओ] १॥ दो साहिति, एगे सत्य अपरं असणं पडिसेवित्ता आलोएमा पनि पा पा१ि] दो समय एमओ तो अक्षय अणं पडिसेविता] जालोएगा एवं तत् कप्पा बनाएगं निविसेला, अह पच्छा से निि तेजा। २। मढ्ये साहम्मिया एमओ विहति एमे तत्य अयरं अकिबाणं पडिसेविता आलए उचितारणावटि ३ महने सामिया गो रेति स से अक्षरं अकिबट्टा पढिसेवित्ता आलोएमा एतप्पा असा निश्जिा, वह पच्छासेऽनि निश्जिा ५७१४] परिहारकम्पडिए मिक्यू मिलाय मागे अया पाएमा से या उणि उपसा करण यावदियं से वनो संरेखा अपरिहारिएणं करण देपावदियं से अनुपरिहा रिणं कीरमार्ण यावदियं साइज सेवि कसिने तत्येव आयडेसिया ७२' 141 परिहारपट्टियं भिक्खु मानो कप्प तस्माच्छेस् निहित, अमि लाए तस् करण पाडि जान जो रोगापट्टाओ चिपको, तो पच्छा तर बहाल नाम महारे पट्टविय सिया पारशिलामा जाप पयित्रेलिया, लित्तचित्तं दित्तचित्तं जस्लाइ उम्बायपत० उपसम्प०, साहिगरणं० [सपायच्छितं मत्तपाणपडियाइनिखतं जायं पिच सिया '२२६' । ७-१७। जगद्वयंभू नो कम्प तस्स गावच्छेदयस उपद्वात्तिए १८ जगन भिक्खु हि कम्प तस्स गणाच्छे उपाए । १९। पारस्चियं भिं] अगिहि नो कप्प तस गणाच्छेचस उपावित २ पारंचियं मिक्सुं निहि कम्प वस्स गणाच्या २१० अमिहिनूर्य या मिह वा कप्पर तरस गणाच्यस्स उद्वातिए जहा तस्स गणस्स पतियं सिया २२ पारंचियं नि अनिहि या निहिप्परगणाइयउक्ावित्तए जहा तस्स गणस्स पतियं शिया '२५८।२३। विहन्ति एतत्य अपर चिट्ठाण परिसेविताना 'अहं मन्ये अमुगेर्ण साहुया सर्व इमन्त्रिय इममिव कारणमि पडिलेवी से सत्य पुष्यिव्ये 'किं पद्धिसेवी अपडितेची सेवा पडिलेवी' परिहारपले सेवा डिसेबी'नो परि हारपले, जसे पमाणं वय से पमाणको बलिया से किमाहु भन्ते १, सबमा सहारा २७०' ।२४। विस्तृव भगाओ कम्म ओहाणुमेह से इ अगोहाइए, सेव इच्छेजा दोपि तमेव गणं उपसंपत्तिणं विलिए तत्य येरा इमेवाकये विवाद समुप्यमित्याह में अज्जो जगह किं पडिसेविं उपडि सेव पुच्छिमध्ये 'किं पडिसेवी अपडिलेवी?" से या 'पडिसेबी' परिहारपत्ते से वा 'नो पडिलेवी' नो परिहारपले. असे मार्ग वह से पमाणको चेतने से किमा मन्ते, बन्ना बधद्वारा '३१९।२५ एमपक्लियस मिक्स कम्पयरियाया इसरियं दिसं या अणुविसंवा उदितिए वा पारितए वा जहा या तस्स गणस्स पतिर्य १७१ व्यवहा मुति दीपसागर ~6~ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) प्रत सूत्रांक [२६] दीप अनुक्रम [६१] अत्र उद्देशकः ३ आरब्धः “व्यवहार” - छेदसूत्र - ३ ( मूलं ) उद्देश: [२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .......... मूलं [२६] ...आगमसूत्र [ ३६ ], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं - शिया ३५५।२६ चे परिहारिया पहने अपरिहारिया इच्छेजा एगयो एगमा वा दुमा वा निमास वाचमा वा पंचमार्स वा उम्माया पत् ते अन्नम मनोजति मासे, तो पच्छासमे एगओ मुंजन्ति '३६४' २७ परिहारकपट्ठियस्त मिक्स नो कप्प असणं पादादा तुम एस देह वा अनुष्पदेहि वा' एवं से कप्प दाउँ वा अनुष्पदा वा कप्प से अनुजा 'अनुजा मन्ते लेवाए' एवं से कप्प समासेबेलए '३७२' । २८।] परिहारकम्पडिए मिक् सएर्ण पहिणं पहिया अन्यनो नेपावडियाए गण्डेला, मेरा व पडा मिलामि मा पाहामा एवं से कप्प पडियार, तत्यो अपरिहारिएवं परिहारियस्त पडियासिस वा भोत्ता पाएका कप्प से सति वा पति सा पति सि वासात सर्वति या पाणिति उद्धट उदद मोरवा पाया था. एस कन्ये बरिहारियरस परिहारियाज २९ परिहारकम्पए मिलू बेरा पड बहिया राणं यावडियाए मच्छेजा, रावणं पापाहि जो तुमपि पच्छा मोक्लति वा पाहिसिया एवं से कप पनि त्यो परिहारिणं अपरिहारियरस पग्मित असणं या बोल वा पाय वा कप्प से सति पदसि का सागंता०स० स०पाणितिया बद्ध एवा पाया एस कप्पे परिहारियरस अपरिहारियाओलिनेमि ३७८ ॥ ३० ॥ विवो उसी २॥ क्विइच्छेशा गर्म धारेल, असे अलि एवं नो से कम्पग धारेत मगच से पति एवं से कप्प पारे ११०१ मिक्लु व इच्छेला गर्न पाए नो से कप्प मेरे जनापुच्छित गर्भ पारेर से येरे जसा गर्न पारेर मेरा व सेवा एवं से कप्प नगं धारेसाए मेरा य से भी विरेगा एवं से नो कम्प गए, जबेरे गरेमा से स एवा परिहारे बाजे से साया उडाए विनित्थिसि एवा परिहारे वा ११६ । २ विवासपरिपाए समने निचे आपारसले जमलेले पत्र सिकुसले संगह कुराले उपकुले (सु) यायारेजारे सारे अलिहायारपरिप सागमे जण आपापकपरकम्प आयरियायता उदि सितए । ३ । सचेषणं से निवासपरिचाए समने निर्माये नो आधार कारपरिने अन्य अन्याय नो कम्प आयरियायता उरित्तिए 18 एवं पंचापरिचाए सम निर्णयास जाव अकिलिहायार पारिने बहुये झागमे जहन्ने इसाकारको कप्प आयरियामा पनि उरित्तिए ५ स से पचासपरियाए समणे निम्मन्थे भी आधारसले जान अप्पर अप्पागमे नो कम्प आयरिसाए पर उरित्तिए ६ अवासपरिवार सम निम्मन्ये आचारकुने जाणताकम्प से आपरियाए उपसत्ता पतिताए बेरलाए मनिता ममाचच्छेयसाए उत्तिए ७ सच में से अट्टयासपरियाए समन्नि आधार नो परियता जाप गावच्छेयता उतिए १८२८ निपरिचाए सम निम्यन्ये कम्प दिवस परिवार उदिसिए से किमा भने अस्थि [रा तहाचाणि कुलाई काणि पत्तियाणि शाणि वेसासियाणि संमयाणि सम्मुकराणि अनुभवाणि बहुमानमन्ति तेहिं कहिं तेहि पनि तेहि हि तेहि सासिएहिं हि संमह सम्मुइरे से निरुद्धपरियाए समनि कप्प आपत्ति उदितिर तदिवस ९ नितियासपरिचाए समनिमान् कप्पारिकामा उनिए समुच्चयम्पंसि तस्साकस्से अए अहिजिए नवइ सेसे 'अहिनिस्सामि एवं से पाय लाए उनिए, सेमिनो अहिले एवं सेमो प्वायत्ताए उद्दित्तिए २१६।१०। आरियाए - भेजा से पायरियावर होत. कप्प से पूर्व आरि उदिसानेता ती पच्छा उपाय से किमा भने दुसंगहिए सम निम्मं० कम्प ११ नम्बीए में नरुनिपाए आयरिया पीव विभेज्जानो से कप्पड़ जायरिया पाए अपनाए होए कप्प से पुि पर उसासा तो पच्छ उज्झायें तो पाप से किमा भने तिसंगहिया समणी निम्बन्धी, सं०-जायरिएर्ण उपज्झाए पसिनीए व '२३५।१२। भिक्खू गाओ अम्म मेम्मं पडिवेजा विधि प्राणितस्तम्पत्तियं नो कप्प आपरिवर्त पा जायगावच्या उदिति वा पारेका सीि चिन्हं उत्पति सि पडियंसि ठियस्स उपसन्तस्स उपयस्स पतिविश्वस्त निविगार एवं से कम्पयरिया जायगावच्या उरित्तिए वा पारेर वा '२५१' । १३ । गणाचा अक्सिविता मे पहिलेजा जावजीचाए तरसवप्पत्ति नो कम्प आयरिया जाय गणावतेय या उत्तर या धारेल वा १४ मनाइए ममावच्छेय निक्खिविता मेहुणधम्मं पडिले तिमिराणि गमावत पारेतए वा १५ एवं आयरिए उपाए- (२४३) ९७२ उरेस-र मुति दीपसागर ~7~ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ----------- उद्देश: [३] ----- मूलं [१७] -------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं प्रत सूत्राक [१७] दीप अनुक्रम [८२]] HTRANSTARNATAAS दो आलाचगा '२५६०।१६-१७ भिक्यू व गणाओ अपचम्म जोहाया तिषिण संवच्छराणिक धारेसए था। १८॥ एवं गणापचय अनिक्लिपित्ता ओहाएजा जापजीपाए। हा निविसरिता विणि संपाराई १९-२०एवं जापरिए उवमाएवि २७५२१-२२श मिषम्य बहुपए ममागमे बहुसो बहुआगाढानागासु कारणेस मावमुसाबाई असई पाच जीची जामजीपाए तरसतपत्तिय नोकप्पा भापरिवर्स बाजार गणापच्छेययन या उदिसित्तर वा धारेत्तएमा२शएवं गावचोदएवि० धारेत्तए वातावरियतवमाएवि.२५ बहरे मिक्सुणो गुस्सुपापयाममा गएसी जीपाए तेसि तप्पत्तिय नोकाया जाच उरिसित्तए वा धारेत्तए बा२६॥ एवं गणावोदयापि, पारसए था।२७ एवं आधरिपतवमायाविना धारेलए पारिता मह मिक्सुणी मागणावप्नचा पहने बापरिवउपसाचा पत्त्या मागमा एसो. भापरिपतं या उपशाय या पतित पा पर या गणवाया गणापच्योदय या उदिसित्तए पा धारेचए का ३६९।२९॥ नमो उदेसमोनो कन्या आपरिषउकसायरस एगामियरस हेमन्तपिपास चरित्सए । १।कन्या भावरियामशायरस अपनीयस्ता हेमन्तमिदास चरित्तए ।रानो कप्पा गणापच्योदयस्स अपवीयस्स हेमन्तगिम्दास चरित्तए।३। कम्य गमावावरका अपतयस्सा हेमन्तगिम्हास परिसए । नो या आधरिषयमापस अपविश्यमा पासासासं बत्पए । ५। कपत्र आवरिषउवमायरस अप्पायरल वासापास पत्थए ।६। नो कप्पा गजावणोदयस्स अप्पतायत बासाचासं वत्पए।कापा गमावच्छेनयस्सअपचडत्यस्स पासाबास पत्याए '६५'टा से गामंसिवा नगरसिना जारसंनिसियामार्ण भापरिषउपसाधाणं अप्पणिया मपूर्ण गणापोदया अपनायाणं कप्पा हेमन्तामिम्बासु चरितए अचमचं निस्साए।९। से गामंसिया जाच सनिससि मा पूर्ण आमरियमझाया अस्पतायाण पूर्ण गणापया अपात्याकाणा पासावासं चरितए असमर्थ निस्साए १६२१११मामाणुगाम इनाणे भिवान ज पुरओं का विरेना से आइप बीसुम्भेजा अस्थि या प्रत्य अचे कई उपसंपनचादि (कप्पा) से उपसंपजियो लिया, बत्ति बाइप बजे के उपसंपनणारिद अप्पमो कपाए असम कप्पा से एगराइयाए पतिमाए जण जन्य विसं अनेसाहमिया पिहरंतितम् तम्य दिसं उपलितए, नो से कप्पा तत्य विहारवत्तियं पत्थर, कपट से कारणपत्तियं पत्थर, सिंचर्ण कारणसि निहिषसि परी पाना-शाहि असो! एगरायचा एरायं पा एवं से कन्या एगराचा दुरावं या पत्याए, नो कप्पन एगरायात्रो वा दुराचाओ या परं पत्थए, ने तत्त्व एगरायाओ वा बुरायाओ वा पर पसल से संतरा ए मा परिवारका सपासापास पानोसपिए मिक्सू.एचा परिहारे वा '२१२२।१२। बाबरियउबझाए गिलायमाणे अनपर वएमा-ममंसि यं कालमर्यसि समापंसि अयं समुसिया, सेवा समुभाणादि समुफसियो, से वनो समुझसणारिद नो सनुक्कासियो, अस्थि या इत्य जगे केर समुसणारिहे से समुत्रसियो, नस्थि था इत्य अन्ने केर समुसणादि से चेष सम्म रसिया, सिवर्ण समुकिहसि परी पएमा दुस्समुचिट्ट ते अजी!, निरिसवाहितस्म निक्सिबमाणस्थ नलिव कम छेए मा परिहारे बा, जे त साहम्मिया महाकप्पे नो अलि सोसिनसिनपत्तिय ए वा परिहार वा २९०।१३। आयरियनजमाए ओहायमाणे ओहावियसि अयं समुसियो जाब सोसि सि सम्पसिय ए वा परिहारे । पा'३०३१शभापरिषउपमाए सरमाणे परं चउरामपंचाचाओ कमार्ग मिा नो उपहाड, कप्पाए अस्थि पाई से न माणणिजे कप्पाए, मरिच थाई से नए या परिहारे वा, नस्थि बाई से केइ मानगिजे कपाए से संतरा ठेए वा परिहारे वा । १५/आपरिषउनजमाए असरमाणे परं चउराबाओ वा पंचराचाओ कापाए वा परिहारे मा। १६॥ आयस्थिमझाए सरमाणे बा असरमाणे यावर दसरावकणाओ कमार्ग निक्यु नो उक्दावेद, कमाए अस्थि याई से केद्र माणपिजे कल्याए नस्थि पाई से केव ए मा परिहारे मा. मस्थियाई से केद्रमाणागिणे पाए संपच्छरं तस्स तप्पत्तिय नोकप्पा आपरिवर्स या जाच गमावच्छड्यन मा उरिसित्तए पा.२३५१७७मिक्नुप गणाओ अनकम्मा गर्ण उपसंपजिला विहरेजा, तब कई साहम्मिया पासित्ता बएजा' के जजो! उपसंपजिचाणं विहरसि?' जे तस्य सबरामणिए ले गएमा, अब मत करस कप्पाए. साथ पएसए ने पएजा, जपा से भगवं वारण तस्स जागाउपाययणनिरसे चिहिस्सामि ३४६११८ बहने साइम्मिया इच्छेजा एगयो अभिनिचारिय परिसए, मोरया 17 मेरे अमाधुच्छिता एगयो अभिनिचारियं चरित्तए, कप्पा हंधेरे आधुचिकत्ता एगयो अभिनिचारियं चारित्तए, घेरा य से वियरेजा एवई कपडएगो अभिनिचारियं चरितए, घेरा पण नो विपरेजा एवं र नो कप्पड एगवसओ अमिनिचारियं परिसर, जे तत्व थेरेहिं अविवन्ने एगयो अभिनिचारियं वरंति से संतरा ए का परिहारे बा ।१९।चरियापबिट्टे मिक्लू जाच चउरायपशरापाजो मेरे पासेजा सबेव आलोपमा सचेच पदिकमणा सचेव जोग्याहस्त पुमायुषचा चिव, महालन्दमवि ओमाहे । २०॥ चरियापविढे मिक्यू पर चउरायपरायाजो मेरे पासेला पुणो आलोएडा पुणी पदिकमेजा पुणो सेयपरिहारस्त उपहाएजा, मिनभावस्स अहाए दोमंपिओमाहे अयुग्मवेयो सिया, कापति से एवं ९७३व्यवहारामू, उ - मुनि दीपरतसागर अत्र उद्देशक:४ आरब्धः ~8~ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [४] ---------- मूलं [२१] --------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं प्रत सूत्राक २१] दीप अनुक्रम [११५] 15 पदिलए अगुजाणह मत : मिजोगाई अहालन्द पुर्व नितिय मिच्छायज उष्ट्रिय, तो पच्छा अपसंकासं।२१॥ परिथानिय निकायसंपास 31२२.२३॥दो साह जम्बिया एगयत्रो विहरनि, तसेहे व राइगिए य, तत्य सेइतराए पलिच्छिन्ने राइनिए अपलिभिडन्ने, नत्य सेहतरापूर्ण राबणीए उपसंपशिया, मिस्लोवपार्य च बलयह कप्पागल २४ा दो साहम्मिया एगयओ विहरति, तक-सेहे व राइणिए य, तत्थ राइणिए परिच्छिन्ने सेहनराए अपलिभिडन्ने इच्छा राइणिए सेहतरागं उपसंपरोजाइमा नो पपनेजा, माइया भिक्खोपयायं दलया कप्पाग, इच्छा नो बलया कम्याग १६० १२९। दो मिक्गुणों एगपओ विहरति, नोर कणा अन्नमन्नरस उपसंपतिताण विहरितए, कपा आहाराणिपाए अन्नमन उपसंपमित्तान रिहरिनाए । २६। एवं दोगमावण्ठेडया ।२७। दो आयरियउपमझाया । २८ा महर निस्सुणो निहरितए।२९। बहरे गणापच्छेडया 5.1201 पर आपरिषउपनाया।३१। बहरे मिक्सुणो पहले गणापच्छेड़या पहले आपरिषउवमाया नो गई. कप्पद विहरितए १५७४।३२॥ बायो उसओwो कपा पपत्तिणीए अपशियाए हेमन्तगिम्हासु चारए राकपा क्वनिगीए अपनदयाए हेमन्तगिम्हासु चारए ।२।नो कप्पा गणारफोडणीए अपनायाए हेमन्ननिमासु पाए कप्पद गणावच्छेदणीए अप्पाचजत्थीए हेमन्दगिम्हामु चारए । नो कम्पद पवत्तिगीए अग्यतायाए नासारासंबथए ।५। कप्पा पतिणीए अप्पयनपीए बासागरास बत्त्याए। नो कपागणापच्छेदणीए अप्पपउत्थीए पासापास पत्थए।कणा गणापच्छेदणीए अप्पपंचमीए वासाचा पत्याए।दासेमामलिया जाय निवसति पापर्ण पचिणीर्ण अपनाया बहूर्ण गणापच्छेहमीचं अप्पचउत्पीण बापा हेमन्तमिन्हास चारए अनमचं निसाए 1९1 से गामसि वा जाप संनिससि वा बहूर्ण पात्तिणी अप्पकापील गाणं । गणावपदणीणं अप्पामीण कणा पासायास पत्याए असमर्थ निसाए।१० गामानुगाम दुइनमाणी निमन्त्री यजे पुरजी काउं विहरेगा साथ आइन वीसुभेजा अस्थि पा इत्य काइजमा उपसंपनगारिहा सा उपसंपनियत्रा, नरिव या इत्यकार अशा उपसंपजणारिहानीसे या अपणो कपाए असमत्ता एवं सेकपा एमराइयाए पडिमाए जणं जगणं दिख Mअमाओ साहम्मिणीओ नितिन सय दिस- एचा परिहारे चा११वासाचास पलोसविषा नियन्थी पुरओ कार्ड बिहरेला सा यादव नीरामेबा अस्थि या इत्य का अमा उपसमजणारिहा सा संपनिया मापसेए परिहारे पा।१२। पत्निनीय जिलागमाची अनपर भएमा भए अनो! कालमपाए समानीए समुफरिया'साय समुश समारिहा सासमुफसियत्रा सिया, सायनो समुचसमारिहा नो समुसिया सिया, अस्थि या इत्यकाइ अच्णासमुकरापारिहासा समुफसियत्रा, नथिया इत्य काई अण्णासमुक| सणारिहा सा प समुफसियत्रा, तसिंचन समुकिसि परा बएना-दुस्सामुहिने अनओ निविखवाहि. सीसे मिक्सेपमागीए रिघ केहए या परिहारे पा. जाओ साहमिपीओ जहाणे नो उपहायतिमासिसत्रासिमपलिय गए पा परिहारे वा।१३शपत्तिणीय जोहायमाणी एमपरं पाएमा-ममंसि जमी! ओहायसिएशासमुसिया, समुपसणारिहासा समकसिया सिया,सावनोएमा परिहारेवा'९'|१४४निगन्यस्स नवहतगणगस्स आयारपणेनार्म अजायगे परिमईसिया,सेब पुछियो-कण ते कारण अनो! आपारपकप्पे नाम अमायणे परिस्म १, कि आमाहे उदार पमाएक , से य भएमा 'नो आबाहेणं. पमाएग', जावजीचाए तसा तपत्तिय नो या आपरियल पा M जाच गमापच्छेदय वा उरिसिलए या भारतए पा, सेबपएजा-आचाहेणं, नो पमाए', से य 'संठवेस्सामीति' सेठमेला, एवं से कप्पा आयरियनं या जाप गणापच्नयनंगा उदिमित्तए वा चारेनएचा सेवसंठनेस्सामीतिनो संठवेजा एवं सेनो एप्पडायरियन बाजार गमापच्छेदयत्तं वा उदिसित्तएका धारेतर वा।१५। निमन्धीए गं नपडहस्तकहणियाए आयारपकणे नाम अजायगे परिग्मद सिया, सा य पुषियमा 'केग ते कारर्ण मनो! आपारपकापे नाम अजयणे.',कि आचाई पमाए, सायबएजा-'भो आकार हेम.पमाएण' जापनीचाए तीसेतपत्तिय नोकप्पा परतिषिर्त वागणापच्छेदमियतंचा उहिसिलए पा धारेलए बा.सेयगएमा मामाहेनो पमाए.सा पसंतवेस्सामीविल संठवेना एवं से कपड़ पतिणीसंवा गणापच्छेदनियतं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए मा, साय संतमेस्सामीति नी संठमेला एवं से नो रुपमा गनिमीन या समारोहणियतं पा उरिसित्तए वाधारेत्तएका ।१६। मेरा घरभूमिपत्ता आधारपणे नामं अज्झायगे परिश्महे सिया, कप्पा वेसि संठनेताज बा असंतबेताण वा आयरियतं का जाय गणावच्छेदयतं वा उरिसितए ना धारेत्तएगा।१७रारभूमिपत्ताणं प्राचारपकम्पे नाम अज्झयो परिम्म सिया कप्पा सि संनिसन्माणमा पहाचा उत्तामयायवापासिहायाग: वा आयारपणे नामं जनावणे दोचंपि तपिपडिवित्तए या पहिसारितए वा '४४१८ाजे निग्मन्था व निगान्धीओ बसंमोरया सिया, नोकप्पा तासि अमममस्स अंतिए आरोएनए, अलि पाहत्यको आलोचनादिकप्पह से सि अंतिए जानेएनए, नरिय वा इत्व के बालोवणादि एवं मापा जामपस लिए आलोएलए '५'१९ ९७४ मबहारःपूर्व सी-५ मुनिदीवरलसागर अत्र उद्देशक: ५ आरब्धः ~9~ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) प्रत सूत्रांक [२१] दीप अनुक्रम [१४७] अत्र उद्देशकः ७ आरब्धः “व्यवहार” - छेदसूत्र - ३ ( मूलं ) उद्देश: [५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....... मूलं [२१] - ...आगमसूत्र [ ३६ ], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं जेनिगन्धाय निम्न्यीओ य संभोइया लिया जो तेर्सि कम्प्पड़ अन्नमन्नस्संलिए बेपावडिये करेत्तए, अस्थि या इत्य के वेयाचबकरे कप्पड़ हूं तेर्ण वैयावचं करावेसाए मत्थिया इत्य के वैयावचकरे एवं कप्प अन्नमन्नेनं देयाचचं करावेत्ता ९० २० नाराज वा विद्याले या दीपड़े लूसेजा, इत्यी वा पुरिसस्स आमा पुरिसोवा इत्पी आमजा एवं से कप्प एवं से चिह्न, परिहारं च से न पाउण एस कप्पे बेस्कपिया, एवं से नो कप्पड़ एवं से नो चि परिहार पाउण एस प्या *१४३’॥२१॥ पंचमो उद्देसी ५॥ मिक्सू व इच्छेजा नायविहिं एलए नो से कम्पयेरे अच्छा नायविएसए कप से येरे पुच्छिता नामविहिं एलए, पेराव से विरेश एवं से कल्पनायनिहिं एलए मेरा य से नो वियरेजा एवं से नो कप्पइ नायचिद्दि एए तत्व अन्नानिहिं एह से सन्तरा छेए वा परिहारे वा, नो से कप्पट्ट अप्पयस्स अप्पागमस्सएगानियस्स नायविहि एलए, कसे बागमे ते सदि नायविहिं एनए तत्व से पुष्यानममेणं पुष्याउले पाउनेछ उसे मिलिंग कप्प से चाउलोद पडिग्मात्तए नो से कप्प मिल पहिमाल, तत्थ पु० पु० मिलिंग पाठ कप्प से मिलि पडि० नो से कप्पर पाउ परि०, तत्य से पुत्रागमणेणं दोष पुस्वाउत्ताई कप्पर से दोषि पहिग्गालए तत्व से पुष्षा दोषि पा० नो से क० दोषि प०ि, जे से सत्य पृथ्वा० पुडाउने से कप्प पटि जे से तत्पु०पा० नो से कम्प पडिम्गाहिताए ७२ |१| आयरियउवज्झायरस गणसि पंच असा पं० [सं०] आयरियउवज्झाए तो उबस्सपास पाए निमिज्य २ फोडेमा बापमाणे वा नाइकम आयरिसाए तो उपस्सयस्स उमारं वा पासवर्ग वा विचमाणे वा विसोद्देमागे वा नाइकम, आयरियउवज्झाए प इच्छा वयाबडियं करेजा इच्छा नोकरेला, आपरिपवज्झाए अंती उस्सयस्स (उपरए) एमराय वा दुरायं वा वसमाणे नाइकम, आयरियाए चाहि उबस्सस्स एरायं वा दुरावा स माणे नाइकम | २| गावच्छेइयरस में गणंसि दो अइसेसा पं० [सं० गावडे तो उपस्सस्स एगरा का दुरावा बसमा नाइकम, गमावच्छेइए माहि उपयस्स एग वा दुरावा वसमा नो अइकमइ '२६१' । ३ से गामंसि वा जान संनिवेशसि या एमए एगदुबारा एगनिक्समणपसाए जो कह बहूणं जगाए पत्थ अस्थि बाइ न्ह केंद्र आवश्यकपरे नवि या यह के ए वा परिहारे वा नत्थि याइ ह के आधारकारे सोसिंतेसिं तप्पत्तियं उए वा परिहारे या ४ से गामसिया जा संनिवेसंसि या अभिनितगडाए अभिनिदुवारा अभिनिमणपसणाए जो कप्प बागयो त्यए अस्थिया के आधारपकल्पधरे जे तत्पत्तियं पणि सेक्स नथिया इत्थं केड ए वा परिहारे वा नरिथ या इत्य के आधारपकप्परे जे उत्पत्तियं स्यणि संसदेस सम्पत्तिये डेए वा परिहारे वा २९८ ॥५॥ सेामं वा जावा अभिनयगडाए अभिनिदुराए अभिनिक्स पसाए नो कप्प बहुसुस्स बज्झागमस्स एाणियस्स मिक्स या किमंग पुण अप्पयुयस्स अप्पा भिक्खु । ६ से गामंसिया जाय संणिसंसि वा एगवगडाए एगदुवारा अभिनित्लमपसाए कप्प बस्तु बनएवायमित्याह कालं भाव पडलारमाचस्स '३५७॥ ७ जन्म एए पहने इत्यीओ अ पुरिसा अ पव्हायन्ति तत्थ से सम निर्माचे अक्षयसि अति सोसियोले निपाएमा हृत्यकम्मपतिसेवणपत्ते आज मासि परिहारद्वार्ण अनुग्याइयं निम्पाएमाणे मेहुणपटिसेवणपत्ते आवाइ चाउम्मालियं परिहारहाणं अम्पाइ '३६७॥ ८ नो नियाण या निम्धीण वा निषिणाओ जागयं सुमायारं सबलापारं निचावारं किलिडायारचरितं तस्ठाण उपायाता अपकिमवेत्ता अनिन्दावेता अगरहावेत्ता अाता अभिसोहावेता अकरणाए अणमुद्वाता अहारिहं चायतियोकम्पं अपिलाता उपहास या संझिए का संबसिलए तासि इतरियं दिसं वा अणुदिसं या उदिसिताए या धारेत वा । ९। कप्प निवाण या निम्गंधीण या निम्मंचि अन्नगणाओ मयं सुपाचारं तस ठाण आलोयावेत्ता परिक्रमा निन्दात्ता रहाता वित्ताविसोहावेत्ता अकरणाए अन्मुडावेत्ता अहारिहं पायोकम्पं पडियाला उपावेत्ताए या धारेलए वा '३८८' १० नो कम्पइ० निमार्थ सुयाया अगालोयावेत्ता उदितिए वा धारेचाए वा ११। कप्पइ आलोयावेता उद्दिस्ति वा पारितए वा १२॥ छट्टो उद्देसओ] ६ ॥ जे निम्ान्या य निमान् य संमोहया सियानो कप्प निम्न्धी निम्मन्ये अापुच्छित्ता निम्मन्धि जाओ आगयं सुबाचारं सबलायारं भित्रायार सकिलिहायारचरितं तरस ठाणस्स जातोयाविता० पायपिछले अपविज्ञानेता पुच्छितए वा नाएलए का उपहावेत या संमुत्तिए वा संवसितए वा तीसे इत्तरियं दिसं या अदिसंवा उदितिए वा पारेतएव जे निम्न्यानि न्यीओ य संभोइया सिया, कप्पड़ निम्न्यी निम्यन्ये पुच्छित्ता निम्मन्धि अग्रगणाओ आगयं खुदाया सबलायार मिश्राचारं किाियारचरितं तस्स ताणरस आलोयावेता उसो मुदि ~ 10~ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) प्रत सूत्रांक [२] दीप अनुक्रम [१६१] अत्र उद्देशकः ८ आरब्धः "व्यवहार" - उद्देश: (७) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......... छेदसूत्र - ३ ( मूलं ) मूलं [२] ... आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं - किमाता जाव उवडावेत या संजिताए वा संवसिनए या वीसे इसरियं दिसं वा अमुदिसं या उदिसितए वा धारितए वा २ जे नियन्याय निम्न्धीजय समोइया सिया कप्प निम्न्या निम्मी व आपुच्छिता निम्न्धी अपनाओ आगयं सुपाया जाय तस्स ठाणस्स जालोयाचिता पढिकमायेत्ता जाय उक्ावित्ताए या संमुत्तिएका संच तीसे इत्तरियं धारेतर या तं च निम्न्धीओ इच्छेला यमेन नियंठा जान उदात्त वा संजिताए या संवसिताए या तीसे इसरियं दिसं या अणुदिसं या उदिसित्ताए वा धारेत वा '४४ । ३ । जे निगन्धाय निगन्धीओ य संभोइया लिया, नो व्हे कप्पड़ पारोक्लं पाहिएकं संमोहवं विसंभोग करेलाए, कप्प हुं पाडिएक संभो संभोग करे व अमन्नं पासे तत्व एवं 'तुमाए सद्धि इमम्मिय २ कारणम्पिक्स पाहिएक संभोग चिसंभोग करेमि से व पति एवं से जो कप्प पचलं पाहिएकं संमोहयं विसंभोग करेनए से नोपविला एवं से कप्पर पचास पाढिएवं संभोइयं विभोग करेत्तए ८६।४। जाओ निम्बन्धीओ वा माया संभोइया सिया नो व्हें कप्पड़ निम्बन्धि पचलं पाहिएक संमोहयं विसंभोग करेला, कप्प पारोप पाढिएकं संभोदयं विसंभोग करेल, जनताओ अपनी पासे सत्येव एवं एना 'अहं ते अमुगीए जाए सद्धिं इमम्मि कारणम्मि पारोक्लं पाठिएक संभोग विसंभोग करेमि सा वसे पडितजा एवं से नो कप्पड़ पारो पाटिएकं संभोइयं विसंभोग करेला, साय से जो पति एवं से कप्पड़ पारोक्वं पाडिएकं संमोह विसंभोग करेल ९४५ नो कप्पइ निमार्ण निम्न अाए पडावेत या मुण्डावेत्ता वा सिक्खानित्तए वा सहावेतए वा उपद्वावेन वा संभुजिताए या संवलिलाए या तीसे इसरियं दिसं या अणुदितं वा उदिखित्तए वाचा वा ६ कप्प निम्मन्यार्ण निग्मन्धि अति अट्टाए पडावेत्तए वा धारेतए वा ११८ । ७ नो कप निधी निमगन्धि अपनो अडाए पहावेत या मुंडा वा पारिवा८प्प निम्बीणं निम्मंचि बढाए पचास वा जाय पारिए वा ९। नो कम्पनी विडिय दिसं या अनुदिसं या उरित्तिए वा धारेलए वा १० ०१४४|११ नोकपनि चिकाई पाहुटाई दिए १२ कम्पनि विफाई पाडाई विओतए १७९१३ नो कप निर्मा चावा निर्माण वा चिकिद्वयं कालं सज्झायं उदिसिनाए या करेल या १४ कप निर्माण किए काले सजाय करेल नियनिस्साए २६४ । १५ नो कम्पनि निवास सझा करेस १६ कप्प निर्माण वा नियीण या सझाइए सझाय करेल १७ नो कम्पनिया निर्माण वा अप्पणी असझाइए सार्य करेल. कप्प हे अन्नमन्नरस वा ददत्तए ४०३ १८। निवासपरियाए समये निर्माचे तास परियायाए समणीए निधी कम्प उवज्झायत्ताए उदितिए १९। पञ्चनासपरिपाए समये निर्माचे सहवासपरियायाए समणीए निमबीए कम्प परियार उदितिए ४१६२० मा जमाने निषसू अपी मेजा से सरीर के साथ पासेज, कप्प से से सरीर मा सामारिमिसिरी ए अभिहुए पंडिले पडियम परिसर, अस्थिया मिलिए उपगराए परिहरणारि कप्प से सामारकडे गहाय दोपि जग्गा अन्नवेत्ता परिहार परिहरेत्लए '४७२ २१ सारिए उसका से ब इदमन्हि व जोनासे समणा निम्गन्धा परिवर्तति से सामारिए परिहारिए से वनोपजाएगा. इस ममय ओमासे समणा निम्नन्धा परिवसन्तु से सागारिए परिहारिए, दोष से अति २ ओबासे समया निम्मन्या परिवलन्तु दोष से सामारिया परिहारिया २२ सामारिए उवस्त्रयं विकणेला से य कइयं इयमय वासे समणा निम्म्या परिवसन्ति से सामारिए पारिहारिए से य नो एवं जयंति वा समया निम्मा परिवस से सामारिए पारिहारिए से पा अति २ जनासेसमा निम्मा परिन् दोषि सामारिया परिहारिया ॥२३॥ हिया नायकुलवासिनी सावधानि ओहं अनुया मिया माया वा पुणे या से य दोषि ओई ओहिया । २४ पहिए जो अनय ५१७ [२५] से रम (राय) परिस परपरिहिए अाम्हाला चिट्टा २६ से परिपरप रिहिए सुभास अाए दो जो अनयत्रेसिया ५४५ ॥ २७॥ सन ७॥उस ताए गए एएए ताए उपासन्तराष्ट्र जमावार भेजा तमि ममेन सिया, मेरा प से अजामे तसे लिया पेरा से नोएवं से कपड़ आहारथिया थार पहिया १] से सजायारा पक्रिया एवं त्वं गयि जाएगा या सुधा वानिया या परिलिए एस मे मन्नन्हा महि 123] से हाल चार चकिया मे इत्येवं जग जाय एगाई या दुयाई वा नियाई वा उधाणं परिवहिलाए एस मे बासना भविस्स (२४४) ९०६ व्यवहार देखो मुनि दीपरतसागर ~ 11~ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) --------- उद्देश: [८] ----- --------- मूलं [४] .....---- मनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [9] "व्यवहार" मूलं प्रत दीप जहालसन सेना परिचा एमेण हत्येण जोगिनिमय जाब एगाहं वा दुयाह वा तिपाहं वा पाउपाहवा पंचपाहवा वरमवि अवार्ण परिवाहित्तर, एस में पुवावासात भरिस्सा ९२' राण घरभूमिपता कप्पा देबए पा भगए चा उत्तए वा मत्तए चालहिया वा भितिचा चेलमा मेलमिलिमिलिया ना मम्मे ना पायकोसएबापमापरियो। पणए वा अविरहिए ओवासे ठवेत्ता माहाकुलं मनाए वा पाणाएवा पविसित्तए पा निक्समिसाए पा, कापड से संनियहचारिस्त दोषि ओलाई अन्नवेत्ता परिहरिसए '५२३१ गानो कणा निगन्याण पा निग्मन्बीण वा पाविहारियं वा सागारियर्सतिय वा सेवासंथारग दोचंपि ओगई अपनवेत्ता पहिया नीहरिए । कणा अन्नवेत्ता. १७॥ पानो कापा निगन्यागमा निमन्बीण या पविहारियं चा सागारिपसंनियं वा संवासंघारगं पचप्पिणिता दोचंपि तमेव ओग्गाहं जगन्नता अहिद्विगए । बाप्पा अणुन्नवेशा. रानो कापड निम्मन्याम मा निम्मन्बीण वा चामेब ओमई ओगिनिहला तओ पच्छा अशुन्नवेत्तए । १०। कणा निम्गन्धाण वा निम्गन्धीण वा पुधामेव ओमाई अगुणवेत्ता सओ पच्छा ओगिष्हित्तए,जह पुण एवं जामेजा-मह खलू निगन्याण वा निग्गन्धीणवानो सुतमे पाटिहारिए सेजासंचारएत्तिकटुएवंम्हंकप्पड़ पुरामेन जोगह ओनिमित्ता तो पष्ठा अणुभोतए, मा बहउ अजो ! चितवं, अनुलोमेणं अणुलो मेयो सिया १५३।११। निग्गन्धरसणं गाहावाकुल पिण्डवायपडियाए अणुपपिहरस हालसए उपरणजाए |H परिभ सियाच केई साहम्मिया पासेवा पह हंसे सागारकई गहाय जत्येव ते अन्नमग्न पाजा सत्येष एवं वएना-इमे ते अनो! कि परिन्नाए.से बचएगा-परिन्नाए, तस्सेर पडिभिजाएको सिया,से पवएना-नो परिन्नाए, नो अप्पमा परिभुजा, नो अन्नोसि दाबए, एगते बहुफामए पारसे पण्डिले पडि पम० परिहया सिया । १२॥ निग्गन्धस्स गं पहिया विद्यारभूमि वा विहारभूमि वा निक्वंतरस बहालहसाए परिबेयो सिया । १३३ निगन्नारस में गामागुगाम दुराजमानस अन्नयरे उपगरपजाए परिभ । सियान कई साहम्मिया पासेगा, कप्पद से सागारकडं गहाय दूरमधि अडाणं परिवहितए,जस्थेष अन्नमन्नं पालेता तत्व- परिहयो सिया '२१०९शकप्पा निम्यान्माण वा निग्गन्धीण वा अरेगपडिमाई अचमन्नस्स अट्टाए रमचि अदार्ग परिवाहित्तए पा धारेलाए पा परिहरिलए 'सो वा धारेस्सद वा धारेस्लामि असो वाणं धारेस्सइनो से पहले अगाणिय अणामन्तिय अन्नमग्नेसि दार्ड या अगुपचाउँ वा, कन्या से ते आपुचिठय आमन्तिम अशमशेसि दानं वा अगुपयाउँमा '२०७।१५। आकृतिअहगापमाणमेले काले आहार आहारमाणे निग्गन्थे अप्पाहारे दुवालसडिजण्डागप्पमाणमेले काले आहारं आहारमाणे निमान्ये असरदोमायरिया सोलमा एमागपत्ते चा. बीस ओमोपरिया तिमागपत्ते सिया एगलीसं विचूगोमोबरिया बत्तीस पमाणपते. एतो एमेणवि कालेणं कण आहार आहारेमाणे समणे निगन्ये नो पकामरसभोलि बसर्व सिया ३३०१८॥ अनमो उदेसओटा सागारिया आएसे जस्तो बगडाए भुजाइ निहिए निसले पाहिहारिए, तम्हा गए नो से कापा पहिगाहेत्तए । सागारिपस्स। आएसे असो वढाए मुना निहिए निसले अपाविहारिए तम्हा दाए एवं से कप्पा पडिगाहेत्तए ।२। सागारियस आएले चाहि बगाए मना निहिए निसडे पाहिहारिए तमा बापए, नो से काया पहिगाहेनएससास्विस आएसे बाहि बगडाए मुंजा निहिए निसट्टे अपाटिहारिए सम्हादावए एक से कप्पर पडिगाईलए।सारियस्स दासेज वा पेसेव वा 15 भवएत या महणाएर वा अंतो० पावि अंतो• अपाटि बाहि पाहि पाहि अपाडिक १५-८1 सारिचरस नापए लिया सारिवसा एमाए अंतो सागारिपसा एगपयाए सारिय बोरजीह सम्हा दावए नो से कप्पड पडिगाहेत्तए।रासारिखस्स नायए सिया सारियस एगवगवाए वो सामारियस अभिनिषमाए सारियं बोक्जीपद सम्हा दावए, नो सेकपा पडिगाहेलए।१०। सारिवस्स नायए सिया सारियस्त एगवडाए पाहिसागारियरस एमपचाए सारियं भोपजीवह तम्हा दापए नो से कापड पडिगाहेलाए।११ सारियस्स नायर सिया सास्विरस एगवगवाए बाहिं सागारियस अभिनिपयाए सारियं चोपजीपड तन्हा दायए नो से कह पडिगाहेत्तए । १२॥ सारियरस नाबए सिमा सारिवस्स अभिनिगवाए एगदुवाराए एगनिक्समगपवेसाए अनी सागारियरस एगपयाए सारिय चोपजीवनम्हा दाएनी सेकय पहिगाहेगए।१३। सारियस नायए सिया सारियरस अभिनिगडाए एमनुवाराए एगनिफ्लमणपसाए सागारियस्स अभिनिपपाए सागारियं घोषजीवदनम्हा दाबए नो से कप्पर पडिगाईलए।शमारियस नायए सिया सारियरस अभिनित्रयदाए एगदुवाराए एगनिक्समापनेसाए पाहि सागारियस एमपयाए सारिवं बोरजीचा सम्हा दावए नो से कण पडिगाईलए । १५ । सारियस नापाए सिया सारिखस्स अमित निवगहाए एगद्वाराए एमनिपलमणपसाए बाहिंसागारियस अभिनिपयाए सारियं घोषजीवनम्हा दापए नोसे मापा पहिगाहेत्तए'२.१६सारिया कपसालासाहारणवकया उत्ता सम्हा दापए नो से कप्त पहिगाहेलए।१७। सारियस पयसाला निस्साहारगावयपरत्ता सम्हा बापए एवं से कणव पडिमाईलएटा सारियस्स गोलियसासा. १७७ महार-मूत्र उदो सुनिदीवरजसागर अनुक्रम [१९०] TANVg अत्र उद्देशक: ९ आरब्ध: ~12~ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ----------- उद्देश: [९] ------- ---------- मूलं [३०] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं H प्रत सूत्राक [३०] दीप अनुक्रम [२३२] AMARPRASHANTARNAMAATARATE पोपियसाला रोपिसाला सोसियतालाबोडिपसाला गन्धियमाला से कप्पा पबिगाहेत्तए ।१९.३७ । सामारियल सोडियसाला ३१-१२सारिपसोसहीमो श संपात्रो, कमा रापए, नो से कमर पडिगाइनए। सारिया ओसहीजो असंपदाओ, सम्हा रावए, एवं से कप्पा पहिमाईलए ।३४ सारिवस्म अमला एक माश पहिगाहेनए '1३५-३६ सत्तसत्तमिया में मिक्लुपतिमा में एगणपचाए राईविएहिं एगेणं उसाउएर्ण निषसासएक हासुतं अहारूपं महामणे मार सकाएन पासिया पालिया सोहिया तीरिया किडिया आपाए अगुपालिया मद।३७ अहमहमिया मिक्सुपडिमा बसहीए राईदिएहि दोहिया अवासीएहि मिक्सासएहि जहा. सुर्त अगुवालिया मगह । ३८ा नवनवमिया गं भिक्सुपडिमा एमासीएहिं राइदिएपिउहि य पन्युत्तरेवि मिक्सासएहि महामुन जाय अपालिया मा । ३९। इसदसमिया भिसुपरिमाक एगेन राईदिवसएन अबछडेहि व निफ्यासएहि महासुन जाव भव''11दो परिमाओ 4.-मुडिया व मोगपतिमा महलिया र मोयप. हिमा, साहित्य मोपपहिम पतिपन्नस अगगारस कपद से पदमसात्यकालसमति पाचरिमनिदाहकालसमयसि वा, महिया ठाया गामस बाजार समिसरसा का पति पापविमोतियापासिया पायचितुम्गसिपा, मोचा आरुमा चोरसमेणं पारद जभोचा आरुमा सोलसमे पास जाए जाए मोर दिया आगारिया र आपले आमच्छानो भाषणे, सपाणे पसे आगच्छह नो आइयच्ने, अपाणे मले आगच्छदाइयो, एवं सनीए ससिगिने ससरस्से मते आमच्या मो आइयो, अपीए अतिमिलेगा ससे मने आगचा आपने, आए जाए मोए मायने में अर्थ वा पाए पा, एवं सल सा सडिया मोक्पडिमा हासुतं जात अपालिया मरा१सिपणे मोय हिमपामार आप पापयचिति वा, भोचा आरमा सोलसमे पारेड, अमोचा आरुमा अहारसमेनं पारे जाए जाए मोए. आइयचे आगाए अपालिया मा २015 संसानियतन मिश्रम पडिग्गहधारिस गाहावाकुल विश्वावपडियाए अणुप्पविहरमा जारतिय २ अन्तो परिमहंसि उचात बलएमा तारायाओ सीमा पर सिया. तत्य से कह उपएक बारएन वा चालएन वा अन्तो पहिम्मईसि उबिना इलाजा समाविणं सा एगा बत्ती बत्तम लिया, गाय से पहरे भजमाणा लेते समय पिण् साहमियर अन्नो पहिम्महसि उपिता बलएना समाविण सा एगा इनीति पर्व सिया।संसादसियरस मिस्स पानिपहिग्याहिपमा जापाय जन्तो पाणिनि पहिगाईलि पल सिया ११५' लिपि उपहडे प...सुबोचहले कालिओचहडे संसहोपाडेलिबिद जोमहिए पं० त०-जोगिया जंच साहस जपाससि परिसा एवं एमाइंग, एगे पुण एकमारंग-रहि ओमहिए पं. जप ओगिधा जपत्रासमसि परिसपा '१२८।४६॥नामी डेसओ ९॥ दो पहिमाली 4.0 अपमानापन पडिमा बहरमनराय चनपडिमा, जमनाम् चन्दपदिय पदिवास्स अपगारस्समासं बोसकाए चियत्तदेहे जे के उपसमा समुप्पा तितक-दिवा या मागुस्समा या तिरिक्सजोणियाना अणुन्नीमा वा पडिलोमा वा, नत्थाणुलोमा तार दिन पानसेनमा सकारेज वा सम्मान पा का मंगल देव चहर्ष यजुवासेज या, सत्य पहिलोमा जन्नयरे दंडेण वा अहिणाबाजओनेम ना तेण वा कसेण पा काए आउडेजा पाते सो उपन्ले सम्म सहेजा खोजा तिइलेजा दिया जा, जनमज्म चंपादिम पतिमन्नस्स अपगारम्स सुपाससा पादिवए कपड़ एगा बत्ती मोषणा पतिमाहेचए एगा पाणरस, सहिषयचउप्पयाइएहिं आहारकंतीहि सोहि पडिमियत्तेहिं अन्नायउन्य सुबोपहर्ड, कम्पह से एमसमजमानस्स पडिगाईलए.नो दोनो तिनोपउन्इंनो पार्टनो गुत्रिणीए नोपालवत्याए नो दारग पेजमानीए,नोकप्पह अंतो एलयस्सदोपि पाए साइट दलमाणीए पडिमाहिलाए, नोचाहिं एलपस्स दोषि पाए साहट बलमाचीए पडिमाहेत्तए, ह पुष एवं जाणेना-एमं पार्थ अंती किचाएग वार्य बाहिं किया एवं विक्सम्माता, एपाए एसगाए एसमाणे सभेजा जाहारेजा, एपाए एसजाए एसमाणे नो सम्भेजा णो आहारज्जा, विदयाए से कप्पा होमिनीओ भोयणास परिगाहेत्तए दोणि पाणला, काया। जापनो आहारेजा, एवं पाए तिमि जाप पारसीए पारस, बहुपक्सस्स पाहिए कप्पति पोदस जाव चोरसीए एका दनी भीषणता एका पाणगस्त सोहिश्याप्पय जाप नो आहारमा, समाचासाए सेप अमनले महएवं खलु एसा जनमज्जादपडिमा भागु हाकर्ण जाम अपालिया मति ।पारमक वापहिम पहिलस - गारस मा अहियासेजा, पहरमा चरपडिम परिवारा अनमारस्स बहुलपमयस्स पाटिनए कप्पा पारस दसीओ भोषणा परियादिलाए पन्नास पानास सविण्य. पउपय०.पीयाए रोकाया चोरस, एवं पन्नस्सीए एगा दसी, पदिपए से कप्पा दो दनीजओ बीयाए विग्नि जाच पारसीए परमारस पुगिमाए अमत्त भवन, एवं खलु एसा बारमजावपडिमा अहासुन बहाकार्य जाच अणुपालिया मा ५०१२॥ पंचविहे पहारे पं. आगमे सुए आणा धारणा जीए, नत्य भागमे सिया आगमेण चहारे पदवियोमो ९७८ व्यव्हारसूर्य उदेश-10 मुनि दीपरतसागर अत्र उद्देशक: १० आरब्धः ~13~ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ----------- उद्देश: [१०] -- ---------- मूलं [३] ---.----- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं प्रत सत्राका [३] दीप मासे तत्व आगमे सिया सएन बहारे पट्टवियों सिया, नो से तत्व सुए सिया जहा से तस्य आणा सिया आणाए पयहारे पट्टवेयव्ये सिया, नो से तस्थ आणा सिया महा से तस्य धारणा सिपा धारणाए सहारे पापच्चे सिया, णो से तत्वधारणा सिया जहा से तत्थ जीए सिया जीएणं ववहारे पदवेयने लिया, एपद पंचहि पहारेहि महारं पाहवेजा, संजहा-आगमेन सुएवं आगाए धारमाए जीएन, जहा २ आगमे सुए आणा धारणा जीए कहा २पहार पविजा, से किमाहु भन्ने ,आगमवलियासमणा निम्यन्या, इचय पंचविपरहार जया २ जहि २ जहा २ नहि २ अणिस्सिओचस्सिय बहार बहरमाणे समणे निमान्ये आगाए आराहए मबति'७१५/ पत्तारि पुरिसजाया 4.10 अहको नाम एगे नो मागको मागकरे नाम एगेनो बहकरे एगे अहकरेषि मागकरेवि एवं नो अडको नो माणको '७२९॥४॥ चत्तारि परिसजाया पले- गहने नाम एगे जो माणको माणको नाम एगे नो गणहकरे एगे गगहकोवि माणकरेषि एगेनी गणहकरे नो माणकरे ७३३॥५॥ चत्तारि पुरिसमाया प०० गणासंगहको नाम एगेनोमाणको मापको नार्म एवं नो गणसंगको एमे गणसंगहरेचि माणकरेबि एगे नो गलसंगहने नो मागको ७३५ वाचतारि परिसजाया पं० सं०-गणसोही नाम एगे नो माणको मागको नाम एगे नो गणसोहको । एक गणसोहकोरिमाणकोपि एमे मो गणसोहकरे नो माणकरे। अचत्तारि परिसजाया 4००-गणसोहिको नाम एगेनो मागकर माणक नाम एगेनो गणसोहिको एगे मनसोहि करेपि माणकरेवि एगेनी गणसोहिकरे नो माणकरे '७३९।८। चत्तारि पुरिसजाया 4. नामेंगे जहा मो धम्म धम्म नामेमे जहा नोक एगे रुचि जा धम्मपि जहा एगे नो कप जहइ नो पम्मं जहद ७४३१९ पचारि पुरिसजाया पं० तं-धम्म नामेंगे जहइनो गणसंठिई गणतंठिई नामेगे जहइ नो धम्म एगे गणसंठाईपि जहा धम्मपि जहा एगे नो मगठिा जानो चम्म जहा ७४७।१० पत्तारि परिसजाया पं०२०-पिषधम्म नामेगे नो दायम्मे दधम्मे नामेगे नो पियधम्मे एगे पियधम्मेवि बदधम्मेचि एगेनो पिषधम्मे नो बधामे '७५१।११। चत्तारि आयरिया प.त-पचापणायरिए नामेगे नो उपहारणायरिए उपद्वापणायरिए नामेगे नो पापणायरिए एगे पचाषणायरिएगि उपहावणायरिएगि एगे नो पापणायरिए नो उपहारणायरिए, धम्मायरिए ७५६११२॥ यत्तारि आबरिया ६००- उदसणायरिए नामेमे मो वायगायरिए बापणाचरिए नामेगे नो उसपायरिए एगे उदसणायरिएपि वायणायरिएवि एगेनो उदेसणायरिए नो वायणायरिए, धम्माचारिए ७५७।१३॥ यत्तारि अतिवासी 4.-पानणर्जतवासी मामेमे गो उपहारमतवासी उपहारपनिवासी मामेंगे गो पचापणनेवासी एगे पचा उपहा एगेनो पचा नो उब०, पम्मतवासी १चनारि अंतवासी पं० सं०-उदेसणन्तेवासी नायगे मो पापणनवासी वायणन्नेपाली नामोनो उदेशमन्नेवासी एने उदेशमन्तेवासीविनायगन्लेवासीवि एवं नो उदेसमन्नेवासी मो भाषणलेपासी, धमत्तेपासी १९1१५तो घरभूमीओ पं० २० जाइयरे सुयधेरै परियायधेरे, सद्विवासजायए समणे निगन्ये जाइयेरे ठाणसमवायचरे समजे निग्मन्ये सुपपरे बीसवासपरिवाए समणे निमान्य परियाययो ७६४ १६ओ सेहभूमीओ पं० सं०-सत्ताईदिया चाउम्मासिया छम्मासिया, उम्मासिथा उकोसिया चाउम्मासिथा मनिममिया सत्तरान्निया जहचिया '८०७१1१७ नो कप्पा । निग्गन्धाण वा निग्गन्धीच चा सुवर्ग या सुदिव्यं वा ऊसहवासजाय उपहावेत्तए वा समुचितए वा । १८ापा निम्न्याण वा निग्गन्थीम वा सर्ग वा सदिय वा साइरेगहबासजाय उपहावेत्तए चा संभुञ्जित्तए का '८१४।१९। नो कप्पा निग्गन्धाण वा निग्मन्बीण वासुदगरस वा सुहिड्याए वा पणजायस आधारपकच्ये नाम अज्झयने उरिसिप्लए ।२०। कम्पा निग्गन्धाण वा निग्गन्थीम वा सुडमस्स चा खुटियाए वा बणजायस आधारपकप्पे नाम अग्झयणे उहिसिलए '८१४।२९ । विपासपरियायता समणस्स निग्गन्धस्स कप्पा आयारपकणे नामं अजायणे उदिसिनए रशपाबासपरियामरस समगस निम्मन्यता कप्पा चमडे नार्म अओ उदिसित्तए ।२३ पचासपरियायस समणस निम्गन्धस्स कप्पा साकप्पाहारा नाम अवर्ण उरिसित्तए।२४ा महुवासपरियायरस समस्त निगन्यस ठाणसमवाए नार्म बजे उदिसित्तए।२५। बसचा. सपरिया कप्पा पियाहे नाम जो उदिमित्तए ।२६। एकारसवासपरिया कप्पा मुडिया विमाणपविभत्ती महतियारिमाणपचिमती आलिया गण(प)पूलिया विषादतिया नाम अजायगे उदिसित्तए।२७वारसवासपरिया कप्पा अरुणोपचाए गस्तीपाए चरणोपचाए पेसमणोक्वाए संघरोनाए नाम अजायगे उरिसित्तए।२८ा नेस्सपासपरिया. कप्पा उदाणमुए समुहानमुए देखिोपाए नामपरिधावणि(लि)या नाम अजमायणे उदिमित्तए।२९। चोरसवासपरिया कप्पा सुमिणभाषणानाम अजायणे उरिसिताए ।३० पा. रसवासपरिया कप्पड़ पारणभावणा नामं अजायणे उदिसित्तए ।३१। सोलसवासपरिया० कप्पा नेपनिसर्गा३श सत्तावासपरिया आसीविसभावना नामं अज्मय उरिसिनए।। अहारसपासपरिया का विडीविसभापणा नाचं अाया३श एगृणवीसहवासपरिया-कपड़ विहिवार नाम जो उदिसितए ।३५ बीसवासपरिवाए समणे मुनि दीपरत्नसागर अनुक्रम [२५१] ~14~ Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [१०] -------- -------- मूलं [३६] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं प्रत सुत्राक [३६] | निगान्थे सबसयाणवाई भवइ ८३८।३६) दसविहे बेयावशे पं० २०. आयरियवेयावचे उपजमायचेयावचे थेरवेयावचे तवस्सिवेयावच्चे सेहत्रेयावचे गिलाणवेयायचे साहम्मियवेयावचे । A कनवेयावचे गणवेयावचे सहचेयावचे, आयरियवेयावचं करेमाणे समणे निग्गन्थे महानिजरे महापज्जवसाणे भवइ० सङ्घवेयावर्च करेमाणे समणे निगन्थे महानिजरे महापजब- 12 ID साणे भवड '८५७।३ ॥दसमो उद्देसो १०॥ श्रीव्यवहारच्छेदसूत्रं ३ सिद्धाद्वितलहट्टिकागतशिलोत्कीर्णसकलागम आगममंदिरे शिलायामुत्कीर्ण वीरविभोः २४६८ भाद्रासितदशम्याम् दीप अनुक्रम [२८४] मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादित: (आगमसूत्र ३६) “व्यवहार" परिसमाप्त: ~150 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः | 36 पूज्य आगमोध्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरेण संशोधित: संपादितश्च। “व्यवहार-छेदसूत्र" [मूलं एव] (किंचित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: “व्यवहार" मूलं” नामेण परिसमाप्त: Remember it's a Net Publications of jain_e_library's' ~16~