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________________ आगम (३६) प्रत सूत्रांक [२१] दीप अनुक्रम [१४७] अत्र उद्देशकः ७ आरब्धः “व्यवहार” - छेदसूत्र - ३ ( मूलं ) उद्देश: [५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....... मूलं [२१] - ...आगमसूत्र [ ३६ ], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं जेनिगन्धाय निम्न्यीओ य संभोइया लिया जो तेर्सि कम्प्पड़ अन्नमन्नस्संलिए बेपावडिये करेत्तए, अस्थि या इत्य के वेयाचबकरे कप्पड़ हूं तेर्ण वैयावचं करावेसाए मत्थिया इत्य के वैयावचकरे एवं कप्प अन्नमन्नेनं देयाचचं करावेत्ता ९० २० नाराज वा विद्याले या दीपड़े लूसेजा, इत्यी वा पुरिसस्स आमा पुरिसोवा इत्पी आमजा एवं से कप्प एवं से चिह्न, परिहारं च से न पाउण एस कप्पे बेस्कपिया, एवं से नो कप्पड़ एवं से नो चि परिहार पाउण एस प्या *१४३’॥२१॥ पंचमो उद्देसी ५॥ मिक्सू व इच्छेजा नायविहिं एलए नो से कम्पयेरे अच्छा नायविएसए कप से येरे पुच्छिता नामविहिं एलए, पेराव से विरेश एवं से कल्पनायनिहिं एलए मेरा य से नो वियरेजा एवं से नो कप्पइ नायचिद्दि एए तत्व अन्नानिहिं एह से सन्तरा छेए वा परिहारे वा, नो से कप्पट्ट अप्पयस्स अप्पागमस्सएगानियस्स नायविहि एलए, कसे बागमे ते सदि नायविहिं एनए तत्व से पुष्यानममेणं पुष्याउले पाउनेछ उसे मिलिंग कप्प से चाउलोद पडिग्मात्तए नो से कप्प मिल पहिमाल, तत्थ पु० पु० मिलिंग पाठ कप्प से मिलि पडि० नो से कप्पर पाउ परि०, तत्य से पुत्रागमणेणं दोष पुस्वाउत्ताई कप्पर से दोषि पहिग्गालए तत्व से पुष्षा दोषि पा० नो से क० दोषि प०ि, जे से सत्य पृथ्वा० पुडाउने से कप्प पटि जे से तत्पु०पा० नो से कम्प पडिम्गाहिताए ७२ |१| आयरियउवज्झायरस गणसि पंच असा पं० [सं०] आयरियउवज्झाए तो उबस्सपास पाए निमिज्य २ फोडेमा बापमाणे वा नाइकम आयरिसाए तो उपस्सयस्स उमारं वा पासवर्ग वा विचमाणे वा विसोद्देमागे वा नाइकम, आयरियउवज्झाए प इच्छा वयाबडियं करेजा इच्छा नोकरेला, आपरिपवज्झाए अंती उस्सयस्स (उपरए) एमराय वा दुरायं वा वसमाणे नाइकम, आयरियाए चाहि उबस्सस्स एरायं वा दुरावा स माणे नाइकम | २| गावच्छेइयरस में गणंसि दो अइसेसा पं० [सं० गावडे तो उपस्सस्स एगरा का दुरावा बसमा नाइकम, गमावच्छेइए माहि उपयस्स एग वा दुरावा वसमा नो अइकमइ '२६१' । ३ से गामंसि वा जान संनिवेशसि या एमए एगदुबारा एगनिक्समणपसाए जो कह बहूणं जगाए पत्थ अस्थि बाइ न्ह केंद्र आवश्यकपरे नवि या यह के ए वा परिहारे वा नत्थि याइ ह के आधारकारे सोसिंतेसिं तप्पत्तियं उए वा परिहारे या ४ से गामसिया जा संनिवेसंसि या अभिनितगडाए अभिनिदुवारा अभिनिमणपसणाए जो कप्प बागयो त्यए अस्थिया के आधारपकल्पधरे जे तत्पत्तियं पणि सेक्स नथिया इत्थं केड ए वा परिहारे वा नरिथ या इत्य के आधारपकप्परे जे उत्पत्तियं स्यणि संसदेस सम्पत्तिये डेए वा परिहारे वा २९८ ॥५॥ सेामं वा जावा अभिनयगडाए अभिनिदुराए अभिनिक्स पसाए नो कप्प बहुसुस्स बज्झागमस्स एाणियस्स मिक्स या किमंग पुण अप्पयुयस्स अप्पा भिक्खु । ६ से गामंसिया जाय संणिसंसि वा एगवगडाए एगदुवारा अभिनित्लमपसाए कप्प बस्तु बनएवायमित्याह कालं भाव पडलारमाचस्स '३५७॥ ७ जन्म एए पहने इत्यीओ अ पुरिसा अ पव्हायन्ति तत्थ से सम निर्माचे अक्षयसि अति सोसियोले निपाएमा हृत्यकम्मपतिसेवणपत्ते आज मासि परिहारद्वार्ण अनुग्याइयं निम्पाएमाणे मेहुणपटिसेवणपत्ते आवाइ चाउम्मालियं परिहारहाणं अम्पाइ '३६७॥ ८ नो नियाण या निम्धीण वा निषिणाओ जागयं सुमायारं सबलापारं निचावारं किलिडायारचरितं तस्ठाण उपायाता अपकिमवेत्ता अनिन्दावेता अगरहावेत्ता अाता अभिसोहावेता अकरणाए अणमुद्वाता अहारिहं चायतियोकम्पं अपिलाता उपहास या संझिए का संबसिलए तासि इतरियं दिसं वा अणुदिसं या उदिसिताए या धारेत वा । ९। कप्प निवाण या निम्गंधीण या निम्मंचि अन्नगणाओ मयं सुपाचारं तस ठाण आलोयावेत्ता परिक्रमा निन्दात्ता रहाता वित्ताविसोहावेत्ता अकरणाए अन्मुडावेत्ता अहारिहं पायोकम्पं पडियाला उपावेत्ताए या धारेलए वा '३८८' १० नो कम्पइ० निमार्थ सुयाया अगालोयावेत्ता उदितिए वा धारेचाए वा ११। कप्पइ आलोयावेता उद्दिस्ति वा पारितए वा १२॥ छट्टो उद्देसओ] ६ ॥ जे निम्ान्या य निमान् य संमोहया सियानो कप्प निम्न्धी निम्मन्ये अापुच्छित्ता निम्मन्धि जाओ आगयं सुबाचारं सबलायारं भित्रायार सकिलिहायारचरितं तरस ठाणस्स जातोयाविता० पायपिछले अपविज्ञानेता पुच्छितए वा नाएलए का उपहावेत या संमुत्तिए वा संवसितए वा तीसे इत्तरियं दिसं या अदिसंवा उदितिए वा पारेतएव जे निम्न्यानि न्यीओ य संभोइया सिया, कप्पड़ निम्न्यी निम्यन्ये पुच्छित्ता निम्मन्धि अग्रगणाओ आगयं खुदाया सबलायार मिश्राचारं किाियारचरितं तस्स ताणरस आलोयावेता उसो मुदि ~ 10~
SR No.004136
Book TitleAagam 36 VYAVAHAAR Moolam evam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages17
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size5 MB
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