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________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [४] ---------- मूलं [२१] --------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं प्रत सूत्राक २१] दीप अनुक्रम [११५] 15 पदिलए अगुजाणह मत : मिजोगाई अहालन्द पुर्व नितिय मिच्छायज उष्ट्रिय, तो पच्छा अपसंकासं।२१॥ परिथानिय निकायसंपास 31२२.२३॥दो साह जम्बिया एगयत्रो विहरनि, तसेहे व राइगिए य, तत्य सेइतराए पलिच्छिन्ने राइनिए अपलिभिडन्ने, नत्य सेहतरापूर्ण राबणीए उपसंपशिया, मिस्लोवपार्य च बलयह कप्पागल २४ा दो साहम्मिया एगयओ विहरति, तक-सेहे व राइणिए य, तत्थ राइणिए परिच्छिन्ने सेहनराए अपलिभिडन्ने इच्छा राइणिए सेहतरागं उपसंपरोजाइमा नो पपनेजा, माइया भिक्खोपयायं दलया कप्पाग, इच्छा नो बलया कम्याग १६० १२९। दो मिक्गुणों एगपओ विहरति, नोर कणा अन्नमन्नरस उपसंपतिताण विहरितए, कपा आहाराणिपाए अन्नमन उपसंपमित्तान रिहरिनाए । २६। एवं दोगमावण्ठेडया ।२७। दो आयरियउपमझाया । २८ा महर निस्सुणो निहरितए।२९। बहरे गणापच्छेडया 5.1201 पर आपरिषउपनाया।३१। बहरे मिक्सुणो पहले गणापच्छेड़या पहले आपरिषउवमाया नो गई. कप्पद विहरितए १५७४।३२॥ बायो उसओwो कपा पपत्तिणीए अपशियाए हेमन्तगिम्हासु चारए राकपा क्वनिगीए अपनदयाए हेमन्तगिम्हासु चारए ।२।नो कप्पा गणारफोडणीए अपनायाए हेमन्ननिमासु पाए कप्पद गणावच्छेदणीए अप्पाचजत्थीए हेमन्दगिम्हामु चारए । नो कम्पद पवत्तिगीए अग्यतायाए नासारासंबथए ।५। कप्पा पतिणीए अप्पयनपीए बासागरास बत्त्याए। नो कपागणापच्छेदणीए अप्पपउत्थीए पासापास पत्थए।कणा गणापच्छेदणीए अप्पपंचमीए वासाचा पत्याए।दासेमामलिया जाय निवसति पापर्ण पचिणीर्ण अपनाया बहूर्ण गणापच्छेहमीचं अप्पचउत्पीण बापा हेमन्तमिन्हास चारए अनमचं निसाए 1९1 से गामसि वा जाप संनिससि वा बहूर्ण पात्तिणी अप्पकापील गाणं । गणावपदणीणं अप्पामीण कणा पासायास पत्याए असमर्थ निसाए।१० गामानुगाम दुइनमाणी निमन्त्री यजे पुरजी काउं विहरेगा साथ आइन वीसुभेजा अस्थि पा इत्य काइजमा उपसंपनगारिहा सा उपसंपनियत्रा, नरिव या इत्यकार अशा उपसंपजणारिहानीसे या अपणो कपाए असमत्ता एवं सेकपा एमराइयाए पडिमाए जणं जगणं दिख Mअमाओ साहम्मिणीओ नितिन सय दिस- एचा परिहारे चा११वासाचास पलोसविषा नियन्थी पुरओ कार्ड बिहरेला सा यादव नीरामेबा अस्थि या इत्य का अमा उपसमजणारिहा सा संपनिया मापसेए परिहारे पा।१२। पत्निनीय जिलागमाची अनपर भएमा भए अनो! कालमपाए समानीए समुफरिया'साय समुश समारिहा सासमुफसियत्रा सिया, सायनो समुचसमारिहा नो समुसिया सिया, अस्थि या इत्यकाइ अच्णासमुकरापारिहासा समुफसियत्रा, नथिया इत्य काई अण्णासमुक| सणारिहा सा प समुफसियत्रा, तसिंचन समुकिसि परा बएना-दुस्सामुहिने अनओ निविखवाहि. सीसे मिक्सेपमागीए रिघ केहए या परिहारे पा. जाओ साहमिपीओ जहाणे नो उपहायतिमासिसत्रासिमपलिय गए पा परिहारे वा।१३शपत्तिणीय जोहायमाणी एमपरं पाएमा-ममंसि जमी! ओहायसिएशासमुसिया, समुपसणारिहासा समकसिया सिया,सावनोएमा परिहारेवा'९'|१४४निगन्यस्स नवहतगणगस्स आयारपणेनार्म अजायगे परिमईसिया,सेब पुछियो-कण ते कारण अनो! आपारपकप्पे नाम अमायणे परिस्म १, कि आमाहे उदार पमाएक , से य भएमा 'नो आबाहेणं. पमाएग', जावजीचाए तसा तपत्तिय नो या आपरियल पा M जाच गमापच्छेदय वा उरिसिलए या भारतए पा, सेबपएजा-आचाहेणं, नो पमाए', से य 'संठवेस्सामीति' सेठमेला, एवं से कप्पा आयरियनं या जाप गणापच्नयनंगा उदिमित्तए वा चारेनएचा सेवसंठनेस्सामीतिनो संठवेजा एवं सेनो एप्पडायरियन बाजार गमापच्छेदयत्तं वा उदिसित्तएका धारेतर वा।१५। निमन्धीए गं नपडहस्तकहणियाए आयारपकणे नाम अजायगे परिग्मद सिया, सा य पुषियमा 'केग ते कारर्ण मनो! आपारपकापे नाम अजयणे.',कि आचाई पमाए, सायबएजा-'भो आकार हेम.पमाएण' जापनीचाए तीसेतपत्तिय नोकप्पा परतिषिर्त वागणापच्छेदमियतंचा उहिसिलए पा धारेलए बा.सेयगएमा मामाहेनो पमाए.सा पसंतवेस्सामीविल संठवेना एवं से कपड़ पतिणीसंवा गणापच्छेदनियतं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए मा, साय संतमेस्सामीति नी संठमेला एवं से नो रुपमा गनिमीन या समारोहणियतं पा उरिसित्तए वाधारेत्तएका ।१६। मेरा घरभूमिपत्ता आधारपणे नामं अज्झायगे परिश्महे सिया, कप्पा वेसि संठनेताज बा असंतबेताण वा आयरियतं का जाय गणावच्छेदयतं वा उरिसितए ना धारेत्तएगा।१७रारभूमिपत्ताणं प्राचारपकम्पे नाम अज्झयो परिम्म सिया कप्पा सि संनिसन्माणमा पहाचा उत्तामयायवापासिहायाग: वा आयारपणे नामं जनावणे दोचंपि तपिपडिवित्तए या पहिसारितए वा '४४१८ाजे निग्मन्था व निगान्धीओ बसंमोरया सिया, नोकप्पा तासि अमममस्स अंतिए आरोएनए, अलि पाहत्यको आलोचनादिकप्पह से सि अंतिए जानेएनए, नरिय वा इत्व के बालोवणादि एवं मापा जामपस लिए आलोएलए '५'१९ ९७४ मबहारःपूर्व सी-५ मुनिदीवरलसागर अत्र उद्देशक: ५ आरब्धः ~9~
SR No.004136
Book TitleAagam 36 VYAVAHAAR Moolam evam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages17
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size5 MB
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