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________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [१०] -------- -------- मूलं [३६] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं प्रत सुत्राक [३६] | निगान्थे सबसयाणवाई भवइ ८३८।३६) दसविहे बेयावशे पं० २०. आयरियवेयावचे उपजमायचेयावचे थेरवेयावचे तवस्सिवेयावच्चे सेहत्रेयावचे गिलाणवेयायचे साहम्मियवेयावचे । A कनवेयावचे गणवेयावचे सहचेयावचे, आयरियवेयावचं करेमाणे समणे निग्गन्थे महानिजरे महापज्जवसाणे भवइ० सङ्घवेयावर्च करेमाणे समणे निगन्थे महानिजरे महापजब- 12 ID साणे भवड '८५७।३ ॥दसमो उद्देसो १०॥ श्रीव्यवहारच्छेदसूत्रं ३ सिद्धाद्वितलहट्टिकागतशिलोत्कीर्णसकलागम आगममंदिरे शिलायामुत्कीर्ण वीरविभोः २४६८ भाद्रासितदशम्याम् दीप अनुक्रम [२८४] मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादित: (आगमसूत्र ३६) “व्यवहार" परिसमाप्त: ~150
SR No.004136
Book TitleAagam 36 VYAVAHAAR Moolam evam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages17
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size5 MB
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