Book Title: bhanuchandragani charit
Author(s): Siddhichandra Upadhyay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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भानुचन्द्रगणिचरित-परिशिष्ट
पद्मिनीश, विभावस, विचित्ररथ, पूतारमा, पवित्रात्मा, पूषा, व्योममणि, पीतवासा, पक्षबल, बलभृत् , बलप्रिय, बलवान् , बली, बलिनांबर, पिनाकटक, बिन्दु, बंधु, बंधहा, पुंडरीकाक्ष, पुण्य-संकीर्तन, पुण्यहेतु, पर, प्राप्तयान, परावर, परावरज्ञ, परायण, प्राज्ञ, पराक्रम, प्राणधारक, प्राणवान् , प्रांशु, प्रसन्नात्मा, प्रसन्नवदन, ब्रह्मा, ब्रह्मचर्यवान् , प्रद्योत, प्रयोतन, प्रभावन, प्रभाकर, प्रभंजन, परप्राण, परपुरंजय, प्रजाद्वार, प्रजापति, प्रजन, पर्जन्यप्रिय, प्रियदर्शन, प्रियकारी, प्रियकृत् , प्रियंद, प्रियंकर, प्रयत, प्रीति, प्रयतात्मा, प्रीतात्मा, प्रयतानंद, प्रीतिमना, प्रकाशन । ५००। पुरुषोत्तम, प्रकृति, प्रकृतिस्थिति, प्रलंबहार, परमोदार, परमेष्टी, पुरंदर, प्रणतार्तिहा, प्रणतार्तिहर, परंतप, प्ररेता, प्रशांत, प्रशम, प्रतापन, प्रतापवान् , पृथ्वी, प्रथित, प्रत्यूह, वृषाकपि, पुरुष, वृषध्वज, विश्व, विश्वामित्र, विश्वंभर, पशुमान् , विश्वतापन, पिता, पितामह, पतग, पतंग, पितृद्वार, पुष्कलनिभ, बषटूकार, ज्यायान् , जामदम्यजित्, चारुचरित, जाठर, जातवेदा, छंदवाहन, योगी, योगीश्वरपति, योगनित्य, योगतत्पर, यो(ज्योतिरीश, जय, जीव, जीवानन्द, जीवन, जीवनाथ, जीमूत, जनप्रिय, जेता-जगत्, युगादिकृत् , युग, युगातव, जगदाधार, जगदादिज, जगदानन्द, जगद्दीप, जगजेता, चक्रबंधु, चक्रवर्ति, चक्रपाणि, जगन्नाथ, जगत्, जगतामंतकरण, जगतांपति, जगत्साक्षी, जगत्पति, जगत्प्रिय, जगत्पिता, यम, जनाईन, जनानंद, चंडकर, जनेश्वर, जंगम, जनयिता, चराचरात्मा, यशस्वी, जिष्णु, जितावरीश, जितवपुः, जितेन्द्रिय, चतुर्भुज, चतुर्वेद, चतुर्वेदमय, चतुर्मुख, चित्रांगद, वासुकि, वासरेशिता, वासरस्वामी, वासरप्रभु, वासरप्रिय, वासरेश्वर, वाहनार्तिहर, वायु, वायुवाहन, वायुरत, वाग्विशारद, वाग्मी, वारिधि । ६००। वारण, वसुदाता, वसुप्रद, वसुप्रिय, वसुमान् , विसृज, विहारी, विहगवाहन, विहंग, विहंगम, विहित, विधि, विधाता, विधेय, वदान्य, विद्वान् , विद्योतन, विद्या, विद्यावान्, विद्याराज, विद्युत, विधुत्वान्, विदेताशय, विपाप्मा, विभावसु, विभव, वचसांपति, विजय, विजयप्रद, विजेता, विचक्षण, विवस्वान्, विविध, विविधासन, वज्रधर, व्याधिहा, व्याधिनाशन, व्यास, वेदांग, वेदपारग, वेदभृत्, वेदवाहन, वेदवेद्य, वेदवित्, वैद्य, वेदकर्ता, वेदमूर्ति, वेदनिलय, व्योमग, विचित्ररथ, व्योममणि, वेगवान्, विगतात्मा, वीर, वैश्रवण, विगाही, विघ्नशमन, विघृण, विग्रह, विकृति, वक्ता, व्यक्ताव्यक्त, विगतारिष्ट, विमल, विमलद्युति, विमन्यु, विमी(षी), विनिद्र, विराज, विराट, बृहस्पति, बृहत्कीर्ति, बृहजेता बृहत्तेजा, वरद, वरदाता, वृद्धि, वृद्धिद, वरप्रद, वर्चस, विरूपाक्ष, विरोचन, वरीयान् , वरुण, वरनायक, वर्णाध्यक्ष, वरुणेश, वरेण्य-वरेण्यवृत्त, वृत्तिधर, वृत्तिचारी, विश्वामित्र, वृत्ति, वशानुग, विशाष(ख), विश्वेश्वर, विश्वयोनि, विश्वजित् , विश्ववित्, विशोक, विशेषवित्, विष्णु, विश्वात्मा, विश्वभावन, विश्वकर्मा, विश्वनिलय । ७०० । विश्वरूपी, विश्वतोमुख, विशिष्ट, विशिष्टारमा, विषाद, यज्ञ, यज्ञपति, काक, काल, कालानलद्यति, कालहा, कालचक्र, कालचक्रप्रवर्तक, कालकर्ता, कालनाशन, कालत्रय, काम, कामारि, कामद, कामचारी, कांक्षिक, कांति, कांतिप्रद, कार्यकारणावह, कारुणिक, कार्तस्वर, काश्यपेय, काष्टा, कपि, कुबेर, कपिल, गभस्तिमान् , गभस्तिमाली, कपर्दी, ख, खतिलक, खद्योत, खोल्का, खग, नगसत्तम, धर्माशु, घृणी, घृणिमान्, कवि, कवच, कवची, गोपति, गोविन्द, गोमान् , ज्ञानशोभन, ज्ञानवान्, ज्ञानगम्य, ज्ञेय, केयूर, कीर्ति, कीर्तिवर्द्धन, कीर्तिकर, केतुमान् , गमनकेतु, गगनमणि, कला, कल्प, कल्पांत, कल्पांतक, कल्पांतकरण, कल्पकर, कल्पकृत् , कल्पक, कल्पकर्ता, कल्पितांबर, कल्याण, कल्याणकर, कल्याणकृत्, कलिकालज्ञ, कल्पवपु, कल्मषापह, कमलाकरबोधन, कमलानंद, गुण, गन्धवह, कुण्डली, गणपति, कचकी, गुणवान् , गणेश, गणेश्वर, गणनायक, गुरुगृहद, गृहपुष, ग्रहपति, महेश, महेश्वर, ग्रहनाथ, ग्रहनक्षत्रमंडन, क्रियाहेतु, क्रियावान्, गरीयान् , किरीटी, कर्मसाक्षी, करण, किरण, कर्णसू, कृष्णवासा, कृष्णवर्मा, कृतकर्मा, । ८००। कृताहार, कृतांतसू, कृतातिथि, कृतात्मा, कृतविश्व, कृती, कृत्यकृत्य, कृतमंगल, कृतिनांवर, क्षांति, क्षुधाज, क्षेम, क्षेमस्थिति, क्षेमप्रिय, क्षमा, कश्मलापह, गतिमान् , लोहितांग, लोकाध्यक्ष, लोकालोकनमस्कृत, लोकबंधु , लोकवत्सल, लोकेश, लोककर, लोकनाथ, लोकसाक्षी, लोकत्रयाशय, लय, मासमानिदामा, मांधाता, मानी, मारुत, मात्तंड, माता, मातर, महाबाहु, महाबुद्धि, महाबल, महायोगी, महायशाः, महावैद्य, महावीर्य, महावराह, महावृत्ति, महाकारुणिकोत्तम, महामाय, महामंत्र, महान् , महारथ, महास्वे(श्वे)ताप्रिय, महाशक्ति, महाशनि, महातेजा, महात्मा, मुहूर्त, महोत्साह, महेंद्र, महेच्छ, महेश, महेश्वर, मिहिर, महित, महत्तर, मधुसूदन, मोक्षदायक, मोझ, मोक्षधर, मोक्षहेतु, मोक्षद्वार, मौनी, मेधा, मेधावी, मेधिक, मेध्य, मेरुमेय, मुकुटी, मनुमुनि, मंदार, मंदेहक्षेपण, मनोहर, मनोहररूप, मंगल, मंगलालय, मंगलवान् , मंगली, मंगलकर्ता, मंत्र, मंत्रमूर्ति, मरीचिमाली, मृत्यु, मरुतामीश्वरेश्वर, मरुतांपति, मिष्टाचार, मति, मतिमान् , नाकार, नाकपालि, नागराए, नारायण, नाथ, नभ, नभस्वान् , नभोविगाहन, नभकेतन, नूतन, नोत्तर, नयनैकरूप, नैकरूपारमा, नीलकण्ठ, नीललोहित, नेता, नियतात्मा, निकेतन, निक्षुभापति, नंदिवर्धन, नंदन, नर, निराकुल, निरहंकार, निर्बन्ध, निर्गुण, निरंजन, निर्णय, नित्योदित, नित्य, नित्यगामी, निरंजन, नित्यरथ, राजा, राज्ञीप्रिय, राज्ञीपति, रवि, रविराज, रुचिप्रद, रुद्र, ऋद्धि, रोचिष्णु, रोगहा, रेणु, रेणुक(पा. रेणव), रेवंत, हृषीकेश, रक्षोन, रक्तांग, रश्मिमाली, रि(३)तु । ९००। रथाधीश, रथाध्यक्ष, रथारूढ, रथपति, रथी, रथिनांवर, शांतिप्रिय, शास्त्र(व)त, साष्ठाक्षर, शुद्ध, शुभ, शुभाचार, शुभप्रद, शुभकर्मा, शब्दकर, शुची, शिव, शोभा, शोभन, शुभ्र, सुर, शीघ्रग, शीघ्रगति, शीर्ण, शेप, शुक्र, शुक्रांग, शुक्ररूप, शक्तिमान् , शक्तिमता श्रेष्ठ, शंभु,

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