Book Title: Vyakhya Pragnapti Sutra Author(s): Dharmchand Jain Publisher: Z_Jinavani_003218.pdf View full book textPage 3
________________ | 168 जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङ्क इस सूत्र के वयं विषय का अनुमान हो जाता है- १. नमस्कार महामंत्र २ ब्राह्मीलिपि ३. गणधर गौतम ४. ज्ञान और क्रिया ५. कर्मबंध और क्रिया ६. निर्जरा ७. संतजीवन की महिमा और प्रकार ८. पाप और उसका फल ९. आध्यात्मिक शक्ति १०. प्रत्यारल्यान ११. प्रायश्चित १२. तप एवं ध्यान १३. परीषह १४. मृत्यु की कला १५. ईशानेन्द्र एवं चमरेन्द्र १६. शिवराजर्षि १७. कालद्रव्य १८. पौषध १९. विभज्यवाद और अनेकान्तवाद २०. उदायन राजा २१. धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय २२. सोमिल ब्राह्मण के प्रश्न २३. अतिमुक्तकुमार २४. मोह २५. देवानन्दा ब्राह्मणी २६. जमालि एवं गोशालक २७. द्रव्यविषयक चिन्तन २८. आत्मा के आठ प्रकार २९. जीव के १४ भेद ३०. शरीर ३१ इन्द्रियाँ ३२. भाषा ३३. मन और उसके प्रकार ३४. भाव और उसके प्रकार ३... योग और उसके प्रकार ३६. कषाय ३७. उपयोग और उसके प्रकार ३८. लेश्या ३९. कर्म ४०. पुद्गल '४१. समवसरण ४२.कालास्यवेशी। इन बिन्दुओं से विदित होता है कि भगवतीसूत्र की विषयवस्तु वैविध्यपूर्ण है। ___ व्याख्याप्रज्ञप्ति में जीव, अजीव, जीवाजीव, स्वसमय, परसमय, स्वपरसमय, लोक, अलोक, लोकालोक विषयक विस्तृत व्याख्या की गई है। इसमें कई रोचक विषय प्रश्नोत्तर शैली में स्पष्ट किए गए हैं, यथा- रोह अनगार के प्रश्न और भगवान् महावीर के उत्तर (शतक १, उद्देशक ६) प्रश्न- भगवन् पहले अण्डा है और फिर मुर्गी? अथवा पहले मुर्गी है या - अण्डा ? भगवान्-रोह ! वह अण्डा कहाँ से आया? रोह- भगवन् ! वह मुर्गी से आया। भगवान्. वह मुर्गी कहाँ से आई? रोह. भगवन् ! वह अण्डे से आई। भगवान्-इसी प्रकार हे रोह! मुर्गी और अण्डा पहले भी हैं और पीछे भी है। ये दोनों शाश्वत है । हे रोह ! इनमें पहले पोछे का क्रम नहीं है। इसी प्रकार लोक एवं अलोक को तथा जीव और अजीव को भगवान् ने शाश्वत बताया है। पिंगल निर्ग्रन्थ द्वारा पूछे गए पाँच प्रश्नों का जब स्कन्दक परिव्राजक उत्तर न दे सका तो वह भगवान महावीर की सेवा में उपस्थित हुआ। भगवान ने उसकी शंकाओं को अपने ज्ञान से जान लिया एवं उनका संतोषप्रद समाधान पाकर स्कन्दक परिव्राजक भगवान महावीर का शिष्य बन गया। दे पाँच प्रश्न थे- १. लोक सान्त है या अनन्त? २. जीव सान्न है या अनन्त ३. सिद्धि सान्त है या अनन्त? ४. सिद्ध सान्त है या अनन्त ५. किस मरण से मरता हआ जीव संसर बढ़ाता है और किस मरण से मरता हुआ जीव संसार घटाता है? भगवान् द्वारा दिए गए इन प्रश्नों के समाधानों में से प्रथम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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