Book Title: Viveksar Author(s): Shravak Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 5
________________ ॥ श्रीजिनेन्द्राय नमः ॥ प्रथमतो ग्रंथकारोंना लखवाथी बौछ तथा बौटिक दिगंबरी इत्यादि अनेकमत नीकल्याचे ते सर्वैनि लप्रावचनिक अर्थात् प्रमाणभूत ग्रंथींना भेदथी अलगा अलगा कहबायजे तथापि दिगंबरीने सा थेतो केवल ८४।८५ बोलनो फरकबे ते ग्रंथका रलखे पण तीर्थकरोना नाम तथा जन्मकल्याण कादि तिथी वली चिन्ह एकजमलेचे संदेह ए जेदि गंबरी प्राचार्योये उपासकप्रते एहवो उपदेश की धोबे जे श्वेतांबरीनाजिनबिंब वली साधुनेवांदसो पूजसो तो समकित भ्रष्टथासे तेथी नरके जासो ए मज श्वेतांबरी आचार्योयें उपदेश दीधो दिगंब री जिनबिंबने पूजे बांदे समकित भ्रष्टथासे तेथी उपासकलोग श्वेतांबरी दिगंबरीनो दिगंबरी श्वे तांबरीनो जिनमंदिर आवेतो पराङ्मुखथयी चा ल्याजाय। माराधारवा प्रमाणेतोकस्तूरी फरसेथी सुगंधज आवे दुरगंधि कदापि नावे तिमज जि न बिंबने बांदेपजेथी समकित भ्रष्टनथाय वृछिपा मे किमके दिगंबरी वली श्वेतांबरी जिनबिंब ते सवै पाषाणना माणसोना हातना बनावेल को ईमां तीर्थंकर सदैवे आवी बेठानथी तिम आभूPage Navigation
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