Book Title: Viveksar
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 12
________________ थी वली टुंढिया धर्मवाला नीकला ते मांथी बली तेरा पंथी निकल्याने इत्यादिक गणा ढोंगी पंथ निकल्याने तेनो विस्तार पणो ढुंढकमत खंडन मां छपाई चुकाबे तेथी अत्रे लखता नथी पण मार त च्छमती प्रमाणे एमतवाला निकायना शिरोमणीजे तदापि नवकार महामंत्रना आराधकबे तेथी संसा र तरे पण जो वीजा ऊपर द्वेष नराखे तो परतु शेष कोईने तर नई आपे ॥ ॥ ॥ हालबर्ष १५ आसरे थया तारे १ रामविजयनामे जती उजेणीना जूना उपासरामां आदेसी हतो ते नी आचार्यने साथे वोलाचाली थई तेथी तेणे पो तानो गच्छ जमावानी मेन करी ते पारपडीने श्री खाचरोद तथा वनगर तथा रतलाम एपरगणामां १००० । २००० मेढर तेना वसपण थईगया तारे पोतानं नाम राजेंद्रसागरसूरी ठेराव्यो ने १० २० जती बीजा पण आप जेवा मिलावी लीधा ने गच्छनी स्थापना करी मको जमावी बेठाने तेनो सं घ दिनदिन वधतो जायजे ॥ ॥ ॥ एटला गच्छ तथा पंथ छता पण साह नीमराजना सपूत साह हेमराजनो मन संतुष्ट थयो नई तेथी व र्ष ७।८ थया तारे तेणे कछ देसमां पोतानो रो ढो चलावीने मको जमावीने ते परगणाना १००० २००० मेढर तेनां वसमां थईगया तारे तेणे पण १ श्वधीनामे गच्छ थापना करी तेनो संघ पण JRam

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