Book Title: Viveksar
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ गलोक सर्वतीर्थंकरोने नमस्कार कह्यो प्रतिष्ठा कल्पोमां पणि २४ जिननी प्रतिष्ठा करवी कही तेहोंना अलगा अलगा मुहूर्त लख्या राशिमेलनल ख्याने ते स्यांमाटेलख्याने तेमनरतचक्रवतीये २४ नगवाननी प्रतिमानी थापना प्रष्टापदऊपरे स्यां मांटे करी ऋषनदेवजीनी हीज प्रतिमाथापबो जोइये तेनथी २४ तीर्थकरनी करी एहवं ग्रंथो मां लख्यूं ॥ जेहनूं शासन तेहनीज प्रतिमा पू जणी एहवो मारी धारवामां तो प्रलापजे ॥ २४ जिननी प्रतिमा देख पफेले वर्तमान कालमा जे हवी महावीरनी प्रतिमा पूज्य तेम सर्वे तीर्थकरो नी प्रतिमापूज्यने । वली नावहोयतो पूजा करवीए केहवो तो मूर्खपणो केमके नावउपजवा माटेज पूजन करवो कह्योबे द्रव्यपूजनादि नकरसे तो नाब केमथासे कारणविना कार्यकिमथाय ए एह वो विपरीत धर्मदेशना करणारो जिन वचन विरा धक आचार्य थईने सर्वप्राचार्योथी नवीनरीतक रीले केमके पागल जेटला प्राचार्यथया तेणे सर्व गृहस्थावासछोडी दीक्षा लईने गच्छोनी स्थापना करीब ने सा:हेमाचार्येतो दीदा मूकीने गृहस्थावा सग्रहणकरीने गच्छनी स्थापना करी एटलो एस थी वध्यो बीजासर्व प्राचार्यो बलीसाधु उप देश करेले जे गृहस्थाबासकांडी दीक्षाल्यो ब्रतप चखाणल्यो सुपात्रे दानआपो साते क्षेत्रे धनबाव

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 237