Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 36
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ ८ निश्चय और व्यवहार आचार्यकल्प पण्डित टोडरमलजी ( व्यक्तित्व और कर्तृत्व) आचार्यकल्प पंडित टोडरमलजी के पिता श्री जोगीदासजी खण्डेलवाल दि. जैन गोदीका गोत्रज थे और माँ थी रंभाबाई। वे विवाहित थे। उनके दो पुत्र थे - हरिश्चन्द्र और गुमानीराम। गुमानीराम महान् प्रतिभाशाली और उनके समान ही क्रान्तिकारी थे। यद्यपि उनका अधिकांश जीवन जयपुर में ही बीता, किन्तु उन्हें अपनी आजीविका के लिये कुछ समय सिंघाणा अवश्य रहना पड़ा था। वे वहाँ दिल्ली के एक साहूकार के यहाँ कार्य करते थे। परम्परागत मान्यतानुसार उनकी आयु यद्यपि २७ वर्ष मानी जाती है किन्तु उनकी साहित्यसाधना, ज्ञान व नवीनतम प्राप्त उल्लेखों व प्रमाणों के आधार पर यह निश्चित हो चुका है कि वे ४७ वर्ष तक जीवित रहे। उनकी मृत्यु तिथि वि. सं. १८२३-२४ लगभग निश्चित है, अतः उनका जन्म वि. सं. १७७६-७७ में होना चाहिये। उनकी सामान्य शिक्षा जयपुर की एक प्राध्यात्मिक ( तेरापंथ ) सैली में हुई परन्तु अगाध विद्वत्ता केवल अपने कठिन श्रम एवं प्रतिभा के बल पर ही उन्हों ने प्राप्त की, उसे बांटा भी दिल खोल कर। वे प्रतिभासम्पन्न, मेधावी और अध्ययनशील थे। प्राकृत, संस्कृत और हिन्दी के अतिरिक्त उन्हें कन्नड़ भाषा का भी ज्ञान था। आपके बारे में संवत् १८२१ में ब्र. राजमल ‘इन्द्रध्वज विधान महोत्सव पत्रिका' में लिखते हैं – “ऐसे पुरुष महंत बुद्धि का धारक ईं काल विषै होनां दुर्लभ है। तातें यांसूं मिलें सर्व संदेह दूरि होइ है।" आप स्वयं मोक्षमार्ग प्रकाशक में अपने अध्ययन के बारे में लिखते हैं - " टीकासहित समयसार, पंचास्तिकाय, प्रवचनसार, नियमसार, गोम्मटसार, लब्धिसार, त्रिलोकसार, तत्त्वार्थसूत्र, इत्यादि शास्त्र और क्षपणासार, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, अष्टपाहुड़, आत्मानुशासन आदि शास्त्र और श्रावक-मुनि के प्राचार के प्ररूपक अनेक शास्त्र और सुष्ठुकथासहित पुराणादि शास्त्र - इत्यादि अनेक शास्त्र हैं, उनमें हमारे बुद्धि अनुसार अभ्यास वर्तता है।" ३३ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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