Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 48
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates छात्र - फिर....? अध्यापक - महासती सीता ने अग्नि-प्रवेश करके अपनी पवित्रता प्रकट कर दी। भयंकर अग्नि की ज्वाला भी शीतल, शान्त जलरूप परिणमित हो गई। शील की महिमा से देवों द्वारा यह चमत्कार किया गया। छात्र - फिर तो राम ने सीता को स्वीकार कर लिया होगा ? अध्यापक - हाँ, राम तो सीता को स्वीकार करने को तैयार हो गये थे पर सीता ने गृहस्थी की आग में जलना स्वीकार नहीं किया, क्योंकि उसने अच्छी तरह जान लिया था कि भोगों में सुख नहीं है; सुख प्राप्ति का उपाय तो मात्र वीतरागी मार्ग ही है। अतः वे आर्यिका के व्रत धारण कर आत्मसाधना में रत हो गईं। छात्र - और राम.....? अध्यापक - राम भी कुछ काल बाद संसार की असारता देख वीतरागी साधु होगये और आत्मसाधना की चरम स्थिति पर पहुँच कर राग-द्वेष का नाश कर पूर्णज्ञानी ( सर्वज्ञ ) बन गये। छात्र - यह राम कथा तो बड़ी ही रोचक एवं शिक्षाप्रद है। इसमें तो बहुत आनन्द आया और अनेक नई बातें भी समझने को मिलीं। जरा विस्तार से समझाइए न गुरुजी? अध्यापक - विस्तार से सुनाने का समय यहाँ कहाँ है ? यदि विस्तार से जानना चाहते हो तो तुम्हें रविषेणाचार्य द्वारा लिखित पद्मपुराण का स्वाध्याय करना चाहिए। छात्र - वह तो संस्कृत भाषा में होगा? अध्यापक - हाँ, मूल तो वह संस्कृत भाषा में ही है, पर पंडित दौलतरामजी कासलीवाल ने उसका हिन्दी अनुवाद भी कर दिया है। छात्र - वह कहाँ मिलेगा? अध्यापक - मंदिरजी में। भारतवर्ष के प्रत्येक जैन मंदिर में पद्मपुराण पाया जाता है और उसे अनेक लोग प्रतिदिन पढ़ते हैं। प्रश्न १. श्री राम की कथा अपने शब्दों में लिखिये। २. हनुमान आदि को बंदर और रावणादि को राक्षस क्यों कहा जाता है ? ३. भगवान् किसे कहते हैं ? राम और हनुमान भगवान हैं या नहिं ? यदि हाँ, तो कारण दीजिये। ४५ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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