Book Title: Vishva Prasiddha Jain Tirth Shraddha evam Kala
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 131
________________ अलावा यहां पर बौद्ध स्तूप तथा गर्म पानी का बह्मकुंड भी विख्यात है। यहां शिक्षा, सेवा और कला के लिए वीरायतन भी निर्मित है। यह तीर्थ कुल पांच पर्वतों पर निर्मित है। सर्वप्रथम तलहटी पर बनी जैन धर्मशाला से कुछ ही दूरी पर विपुलगिरी पर्वत है। लगभग २ कि.मी. की चढ़ाई चढ़ने पर विपुलगिरी की ट्रंक है । पर्वत पर श्वेताम्बर दिगम्बर दोनों परम्पराओं के मंदिर हैं। विपुलाचल पर्वत से लगभग २ कि. मी. उतरने और २ कि. मी. पुनः चढ़ने पर द्वितीय रत्नागिरी पर्वत आता है। इस रत्नगिरी पर्वत पर श्री श्वेताम्बर व दिगम्बर मंदिर निर्मित हैं । रत्नागिरी पर्वत के सामने गृधकूट पर्वत पर भगवान बुद्ध का विशाल मंदिर है। रत्नागिरी पर्वत से करीब ४ कि. मी. पर उदयगिरी पर्वत है । पर्वत की चढ़ाई काफी क्लिष्ट है । चौथा पर्वत स्वर्णगिरी है। इसे श्रमणगिरी भी कहा जाता है। यह पर्वत धर्मशाला से पांच कि. मी. दूर है। चढ़ाई लगभग ३ कि. मी. है । इस पर्वत के दक्षिण भाग में दो गुफाएं हैं । गुफाओं में दीवारों पर जिन प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं। यहां से २ कि. मी. पर वैभारगिरी पर्वत है। पर्वत पर जिन मंदिर के अतिरिक्त शालिभद्र का मंदिर है। इस मंदिर की बायीं और एक प्राचीन भग्न मंदिर है। इसमें अनेक प्राचीन तथा कलात्मक प्रतिमाएं हैं। पर्वत यात्रा के अतिरिक्त यहाँ अन्य कई प्राचीन अर्वाचीन भव्य जिनालय हैं। तीर्थ की यात्रा अन्तर्यात्रा में सहायक हो सकती है। वीरायतन में निर्मित महावीर की मनोरम झांकी Jain Education International विपुलाचल पर्वत 114 For Private & Personal Use Only राजगृह पर्वत पर स्थित मंदिर पर्वत पर आसीन भगवान महावीर की दिव्य प्रतिमाएं www.jainelibrary.org

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