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पार्श्वनाथ की ट्रॅक है । सम्पूर्ण विश्व में इससे ऊँचा जैन मंदिर का कोई भी शिखर नहीं है इसलिये यह शिखर भगवान पार्श्वनाथ का ही नहीं सम्पूर्ण जैनत्व का शिखर है। इसकी ऊँचाई इतनी है कि कभी-कभी तो पूरा मंदिर बादलों से ढक जाता है इसलिए इसे मेघाडम्बर ट्रॅक कहा जाता है। मंदिर का शिखर ३० कि. मी. दूर से भी दृष्टिगोचर होता है। यहां तीर्थंकर पार्श्वनाथ के श्यामवर्णीय चरण प्रतिष्ठित हैं । समुद्र तल से ४४७९ फुट ऊपर है यह ट्रॅक । सम्मेत शिखर की यह अंतिम ढूंक है।
सम्मेत शिखर पर्वत की तलहटी को मधुवन कहा जाता है। इसके चारों ओर मधु बिखेरती विशाल वृक्ष घटाएं हैं। सम्भवत: इसीलिए इसे मधुवन कहा जाता है ।यहाँ अन्य भी कई दर्शनीय स्थल
जैन म्युजियम में निर्मित मनोरम झांकी
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श्वेताम्बर कोठी एवं मंदिर कोठी में प्रवेश करते ही तीर्थ रक्षक श्री भोमियाजी महाराज का मंदिर है । मंदिर काफी नयनाभिराम है। कोठी में ही ग्यारह मंदिरों के समूह रूप विशाल जिन मंदिर हैं। इसे तलहटी मंदिर भी कहा जा सकता है । इसमें मूलनायक के रूप में शामलिया पार्श्वनाथ भगवान की ९० से.मी. की प्रतिमा विराजमान है। धर्मशाला के पृष्ठभाग में दादावाड़ी है, जो दर्शनीय है।
दिगम्बर जैन तेरह पंथ कोठी– इसके मध्य में श्री चन्द्रप्रभु भगवान का भव्य मंदिर है। इसी मंदिर के तृतीय द्वार के बांयी ओर समवसरण मंदिर निर्मित है।
चौबीस टूक- यहाँ प्रवेश करते ही सर्वप्रथम बाहुबली की २५ फुट की भव्य प्रतिमा है। यहाँ चौबीस तीर्थंकर की चौबीस टके बनी हुई हैं । इस मंदिर क्षेत्र में समवसरण मंदिर निर्मित है ।
कच्छी भवन- इसमें बावन जिनालय निर्मित है। मंदिर में अनेक जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं विराजमान हैं। मंदिर का शिखर काफी सुहावना है।
जैन म्यूजियम- शिखर जी तीर्थ के दर्शनीय स्थलों में यह प्रमुख है । म्यूजियम का निर्माण गणिवर श्री महिमाप्रभ सागर जी म. की प्रेरणा से श्री जितयशा फाउंडेशन, कलकत्ता ने किया है । म्यूजियम के प्रथम तल में जैन धर्म से सम्बन्धित विविध सामग्री संकलित है। विशाल हॉल में सामने ही भगवान पार्श्वनाथ की ६ फुट की भव्यतम ध्यानस्थ प्रतिमा विराजमान है। चारों ओर दीवारों पर जैन स्थापत्य कला को दर्शाने वाली चित्र-प्रदर्शनी लगी है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में यही एक मात्र ऐसा म्यूजियम है, जहां जैन-धर्म पर प्रसारित समस्त डाक टिकिटों का संकलन है।
प्रथम तल में ही प्राचीन हाथी दांत एवं चंदन की कलाकृतियों का संकलन है । म्यूजियम के द्वितीय तल में जैन-धर्म के विशेष घटना क्रम को दर्शाती ५० झांकियां निर्मित हैं। झांकियां इतनी जीवन्त हैं कि आप दिल दे बैठेंगे।
इनके अतिरिक्त धर्ममंगल विद्यापीठ, भोमिया भवन, मध्य लोक आदि भी दर्शनीय हैं।
समवसरण मंदिर : अतीत की नवीनतम प्रस्तुति
जैन ग्यजियम
कला का केंद्र : जैन म्यूजियम
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