Book Title: Vishva Prasiddha Jain Tirth Shraddha evam Kala
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 153
________________ हस्तिनापुर आए थे । प्राप्त सन्दर्भो से ज्ञात होता है कि उस समय यहां भगवान शांतिनाथ, अरहनाथ एवं मल्लिनाथ के मंदिर निर्मित थे। सं. १६२७ में आचार्य जिनचन्द्र सूरि जी का भी हस्तिनापुर पदार्पण हुआ था तब यहां चार मंदिर निर्मित थे। अभी वर्तमान में यहां श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों के विशाल मंदिर हैं । श्वेताम्बर मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार २०२१ में पूरा हुआ था एवं दिगम्बर मंदिर की प्रतिष्ठा सं. १८५३ में हुई थी। श्वेताम्बर मंदिर के पृष्ठ भाग में पारणा मंदिर निर्मित है जहां भगवान ऋषभदेव को पारणा कराते हुए श्रेयांस की भव्य प्रतिमा विराजमान है। इसी मंदिर के बाहर विशाल प्रांगण में वर्षीतप का पारणा होता है। इसके लिए प्रबन्धक समिति ने एक विशाल परिसर में हॉल बना रखा है। यह पारणा-दिवस वास्तव में हस्तिनापुर के लिए एक विशाल मेला धर्मशाला और भोजनशाला के अतिरिक्त भगवान आदिनाथ का एक और मंदिर है, जहां भगवान ने पारणा किया था। उस पावन प्रसंग की स्मृति में वहां भगवान की चरण पादुका स्थापित की हुई है। ईख की समृद्ध खेती से यह क्षेत्र फला-फूला हुआ है। जंबुद्वीप हस्तिनापुर-तीर्थ की एक प्रमुख विशेषता है । जंबुद्वीप की उज्ज्वल धवल रचनात्मक प्रस्तुति के साथ यहाँ निर्मित कमल मंदिर भी अपने आप मे अप्रतिम है। प्राचीन चरण मंदिर कमल मंदिर 136

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