Book Title: Vishva Prasiddha Jain Tirth Shraddha evam Kala
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 143
________________ तनिक-सा और आगे बढ़ने पर नवमी ट्रंक है । यहाँ नवमें तीर्थकर श्री सुविधिनाथ ने निर्वाण प्राप्त किया था । दसवीं टूक तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु की है। कुछ ही दूरी पर तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी की ग्यारहवीं ट्रंक है। यहाँ ऊंचे शिखर पर एक प्यारी सी ट्रंक दिखाई देती है। यह ट्रंक है तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु की। सचमुच यहाँ पहुँचकर हृदय इतना प्रफुल्लित हो जाता है कि बस यहाँ प्रभु के श्यामवर्णीय चरण हैं। चरण-स्थापना सं. १८२५ में हुई थी। यहाँ एक विशाल गुफा भी है। जो पहाड़ की अन्य गुफाओं से अधिक गम्भीर और अनुकूल है। यहाँ से जल मंदिर २ कि. मी. है। मार्ग में भगवान श्री आदिनाथ की ट्रंक के दर्शन होते हैं । यहाँ से कुछ ही दूरी पर चौदहवीं टुंक है। इस टूंक में चौदहवें तीर्थंकर श्री अनन्तनाथ के चरण प्रतिष्ठित हैं । पन्द्रहवीं ट्रंक तीर्थंकर श्री शीतलनाथ की है। सोलहवीं टुंक श्री संभवनाथ की है। 1 सतरहवीं टूंक भगवान श्री वासुपूज्य की है। चरण सं. १८२५ में विराजमान हुए थे । अठारहवीं ट्रंक तीर्थंकर श्री अभिनन्दन स्वामी की है। यहाँ भी चरण-स्थापना सं. १८२५ में हुई थी। यहाँ से कुछ दूरी पर जल-मंदिर है। पवित्र पहाड़ों की गोद में, हरे-भरे विशाल वृक्षों के मध्य निर्मित यह जिन मंदिर सचमुच सृष्टि को भक्तों की अनुपम भेंट है। सम्पूर्ण सम्मेत शिखर पर्वत पर यही एक ऐसा मंदिर है जिसमें तीर्थकर की प्रतिमाएं विराजमान है। मंदिर QUERADO Jain Education International बीस जिनालय मंदिर का शिखर-दर्शन 126 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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