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भी एक साधक के लिए किसी जाग्रत चैतन्य-पुरुष का सान्निध्य पाने के समान है।
जल-मंदिर के पास भगवान महावीर का एक और बड़ा मंदिर है, जहां दिगम्बर आम्नाय के अनुसार परमात्मा की पूजा होती है । कुछ
और आगे बढ़ें, तो एक भव्य समवशरण मंदिर का दर्शन होता है। मान्यता रही है कि यह वह पवित्र स्थल है जहां भगवान ने अपनी अन्तिम देशना दी थी । पावापुरी गाँव के मध्य एक और विशाल मंदिर है। यह वह स्थल माना जाता है जहां भगवान ने अपने महानिर्वाण के लिए देहोत्सर्ग किया। इतिहास में प्रसिद्ध राजा हस्तिपाल की रज्जुकशाला यही वह स्थान है। राजा हस्तिपाल मगध नरेश अजातशत्रु के मांडलिक राजा रहे थे। इस मंदिर के पास ही यात्रियों के आराम करने के लिए विशाल धर्मशाला निर्मित है। सचमुच, पावापुरी की पावन भूमि जन-जन को शान्ति, साधना, त्याग और मुक्ति का संदेश देती है।
तीर्थ पर बिखरता आभामंडल
जल-मंदिर में भगवान महावीर प्रभु के चरण
दर्शन के लिए कतारबद्ध खड़े भक्तगण
समवसरण मंदिर में मूलनायक महावीर
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