Book Title: Veervaan
Author(s): Rani Lakshmikumari Chundavat
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 7
________________ सञ्चालकीय वक्तव्य राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानकी स्थापनाके साथ ही हमारी कामना रही है कि राजस्थानसे सम्बद्ध विविध भाषानिबद्ध साहित्यिक ग्रन्थोंके संग्रह और संरक्षणके साथ ही महत्त्वपूर्ण ग्रन्थोंका प्रकाशन भी किया जाये। इसी उद्देश्यकी पूर्तिके लिये हमने ‘राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला' का कार्य प्रारंभ किया है जिसमें अब तक ३५ ग्रन्थ प्रकाशित किये जा चुके हैं। - प्रस्तुत काव्य ग्रन्थ राजस्थानी भाषामें रचित है और इतिहास-प्रसिद्ध राठोड वीर वीरमजीसे सम्बद्ध है। ढाढी बादर नामक मुस्लिम कविकी यह कृति साहित्यिक और ऐतिहासिक दृष्टिसे विशेष महत्त्वपूर्ण है। बादर अर्थात् बहादुर कविने प्रस्तुत काव्यमें विपक्षियोंका वर्णन भी पूर्ण निष्पक्षता और उदारतासे किया है किन्तु साहित्यिक क्षेत्रमें यह कृति प्रायः उपेक्षित रही है। इतिहास-प्रसिद्ध चूण्डावत राजवंशोत्पन्न विदुषी लेखिका श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारीजी चूण्डावतने कुछ साहित्यिक कृतियोंके साथ प्रस्तुत काव्य ''वीरवांण' हमें बताया तो हमने सहर्ष इसका प्रकाशन स्वीकार कर लिया। साहित्यिक सेवाओंके कारण श्रीमती रानी चूण्डावतजीको हम धन्यवाद देते हैं। साथ ही यह आशा व्यक्त करते हैं कि राजस्थानके राजवंशोंसे सम्बद्ध अन्य व्यक्ति भी श्रीमती रानी चूण्डावतजीके विद्यानुरागका अनुकरण कर अपने संग्रहकी साहित्यिक रचनाओंको शीघ्र ही प्रकाशमें लानेका उपक्रम करेंगे। राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुर दशहरा, २०१७ वि०सं० मुनि जिनविजय संमान्य सञ्चालक

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