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. इस प्रकार “वीरखांण" वास्तव में एक मुसलमान कवि की राजस्थानी भाषा में • लिखित महत्वपूर्ण काव्य कृति है। . . . राजस्थानी काव्य-ग्रंथ "वीरवाण" में वर्णित विषय का सारांश सम्बन्धित विशेष- ताओं सहित इस प्रकार है:-प्रारंभ में कवि ने शारदा और गणपति की वंदना करते हुए वीरमजी और सम्बन्धित वीरों के विषय में यथातथ्य निरूपण करने का अपना अभिप्राय प्रकट किया है (१ । १-३) 3 कवि ने लिखा है
- सुणी जिती सारी कहुँ, लहु न झूठ लगार ।
• मालजेत जगमालरो, वीरम जुध विचार ॥३॥ ___ तत्पश्चात कवि ने जोधपुर राव सलवाजी (वि० स० १४१४-१४३१ और ई० स० . . १३५७-१३७४) के चारों पुत्रों की वीरता का संक्षिप्त वर्णन एक ही नीसाणी में किया है
"सुत च्यारू सलपेसरा, कुल में किरणाला। . राजस बंका राठबड़ वरवीर बड़ाला ।। साथ लिया दल सामठा वीरदा रूखवाला । भिड़ोया भारत भीमसा दल पारथ वाला। देस दसु दीस दाबिया कीया धक चाला।
केवी धस गीर कंदरां वप संक बड़ाला॥"४ फिर जेतसिंह जी की गुजरात पर हुई लड़ाई का वर्णन किया गया है और "माल 'देवजीरो समो” लिखा गया है । इस युद्ध में गुजरात के यवन शासक मुहम्मद बेगड़ा द्वारा किये गये तीजणियों के हरण के बदले में जगमाल जी द्वारा व्यापारी के वेश में चढ़ाई कर ईद के अवसर पर बादशाह की पुत्री "गींदोली" को अन्य लड़कियों सहित लाने का और अपनी "तीनणियो" को मुक्ति दिलवाने का वर्णन है । फिर "रावजी मालदेवजी रो पेलो झगड़ो" लिखा गया है, जिसमें दिल्ली सुलतान और मुहम्मद वेगड़े की भीड़गढ़ पर सम्मिलित चढ़ाई और मालदेव जी की विजय का वर्णन है ।। .....मालदेव जी के गींदोली सम्बन्धी युद्धों का वर्णन करते हुए लिखा गया है
३. पहला अक पृष्ठ का और दूसरा अंक पद्य संख्या का सूचक है। . . . .. ४. राव सलखाजी के मल्लीनाथजी, जेतमलजी, वीरमजी.और शोभासिंहजी
नामक चार पुत्र थे (जोधपुर राज्य का इतिहास भाग १. डा. गोरीशंकरजी हीराचन्दजी श्रोझा पृ. १८४ । जोधपुर, बीकानेर और किशनगढ़ के राठौड राजवंस वीरमजी.से सम्बन्धित है । बीकानेर दुर्ग के सूर्यपोल द्वारा की प्रशस्ति और वैशकुमार ग्रंथ पत्र ४)