Book Title: Vasudevhindi Sar Author(s): Veerchand Prabhudas Pandit Publisher: Ishvarlal Keshavlal Shah View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir उपरनी शंकाओनु समाधान अने जैन ग्रंथावळीमां वतावेल संदिग्बतार्नु समाधान ग्रंथो जोवाथी बनी शके तेम हतुं.परंतु लंबायली वर्ग कातुने लीये भंडारोमाथी पुस्तको भेळवबा अशक्य हता, अने ग्राहकोनी मांगणी उपराउपर आवी, तेथी ग्रंथने उतावळो बहार पाडबानी फरज पडी आधी विशेष निर्णयो करी शकया नधी. कोइ प्रसंगे ए बाबत हाथ धरीशं. चोथो खंड होवानो संभव छे. अने ते थोडाज बखतमा एटले सो बसो वर्षमाज अदृश्य रह्यो होय एम जणाय छे. केमके अमदाबाद डे लाना उपाश्रयना भंडारनी टीपमा " वसुदेवहींडी चोथो खंड" एम वाचवामां आव्यु. पुस्तक काढतां ते कोइ चर्चानो ग्रंथ हतो. तेना छे घटना भागमा कोइक प्रसंगने अनुसरी प्रमाण तरीके प्राकृत वे चार लाइनोनो फकरो टांकी " इति वसुदेव हिंडी चतुर्थखण्डे " ए लखेल हतु. तेथी एटलं तो समजाय छे के ते चर्चाना ग्रंथनी उत्पत्ति काले चतुर्थ खंडनी विद्यमानता अवश्य | होगी जोइए, अने ते चर्चीनो ग्रंथ बसो अढीसो वपंथी बवारे प्राचीन नथी. नरवाहन चरित्रवाली बृहत्कथामा जेम नरवाहन राजानो प्रवास विगेरे छे. अने बीजी पण मनोरंजक अवान्तर कथाओ छे. || ते प्रमाणे । वसुदेवहिंदी (वसुदेवनी प्रवास) मां पण छे. कोइ कोइ वस्तुओ अला प्रबंध रचना माटे एवी तो बंधवस्ती छे के हज जो कालीदास जेवा कविओ होय तो तेमांनी वस्तुओने जेटली खिलववी होय तेटली खोलवी शकायतेम छे.वसुदेवना प्रबासमा एवा अद्भूत बनावो अवे छ के-बांचतां बांचता वाचकने खूब दूर सूधी खेंची जइ उत्तरोत्तर रसमा वृद्धि करी आश्चर्य उपर आश्चर्यमां हूबाडे छे. आवी अद्भूत कथा मुळ ग्रंथमाथी बांची आनंद मेळवबार्नु सौभाग्य एकाद वे व्यक्ति शिवाय प्रात थर्बु अशक्य छे, पण ते चरित्र जाणवाना १ टीप करनारनी भुल हती. संशोधक. For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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