Book Title: Vasudevhindi Sar
Author(s): Veerchand Prabhudas Pandit
Publisher: Ishvarlal Keshavlal Shah

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ता. १०-१०-१९१७. आश्चर्य तो मात्र एटलुंज के आवा पिताने मनुष्य तरीके वर्णव्या अने तेना पुत्रने इश्वर के इश्वरावतार तरीके वर्णव्या. पण शी विशेपता छे ? ते समजी शकातुं नथी. केमके जे जे अन्य गुणो श्रीकृष्णमांथी मळी आवशे ते वधा गुणो बीजाओ मां पण मळी आव कदाच सामान्य बुद्धीथी मनुष्योए मनुष्य मां संभवता संपूर्ण उच्च गुणाश्रय इश्वर कल्पी तेनुं रूपक योज्यु हशे ? आ बाबतनो विचार साक्षरवर्गे करवो जोइए. श्रीकृष्ण पण बीजाओनी माफक उच्चकोटीना मनुष्य हता ए वातमां अमे बेमत नथी. अस्तु. बीजी प्रतनो अभाव, अने एक पण वळी सामान्यतः अशुद्ध, तेथी शोधतां मुश्केली पडे एजाणीतुंज छे. अने तेथी के दृष्टि दोषथी कोइ स्खलना जणाय तो सज्जन पुरुषों सुधारी लेशो. एज विनंति. पाटग. For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ली० संशोधको.

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