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शिक्षा मिलती है। छोटे छोटे वाक्यों में ये शिक्षायें भरी पड़ी हैं । जीवन में आई हुई उलझनों से निस्तार कैसे हो सकता है यह इससे अच्छी तरह सीखा जा सकता है । ऐसी यह उपयोगी पुस्तक है | यह क्या पड़े लिखे, क्या मूर्ख सबके उपयोग की है । एक बार जो इसे अपने हाथों में लेगा उसे छोड़ने को जी नहीं चाहेगा ऐसा सुन्दर इसका संकलन हुआ हैं 1
सकलयिता प्रिय भाई नरेन्द्र कुमार जी जैन हैं । पूज्य श्री वर्णी जी का साहित्य यत्र-तत्र बिखरा पड़ा है। अभी वह न तो एक जगह संकलित ही हो पाया है और न अभी पूरा प्रकाशित ही हुआ है । फिर भी भाई नरेन्द्र कुमार जी ने पूरा श्रम करके इस काम को सम्पन्न किया हैं । वे इस काम में पूर्ण सफल हुए हैं. इसमें जरा भी सन्देह नहीं । उन्होंने जिस आधार से इसका संकलन किया है उसका निर्देश अन्यत्र किया ही है ।
अन्त में मेरी यही भावना है कि जो पुनीत सिद्धान्त इसमें ग्रथित किये गये हैं उनका घर घर में प्रचार हो और बिना किसी. भेद भाव के सब इससे लाभ उठावें ।
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ता० ३०-४-४९ भदैनीघाट बनारस
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फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री
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