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__ श्रीनृसिंहचतुर्दशीको केशरी कुल्हे, केशरी बागा सबं जगे धरे है और श्रीगोकुलचन्द्रमाजी केशरी छापा तथा चोवाके
पाके पिछोरा पागको शृङ्गार होय है । श्रीमदनमोहनी श्वेतकुल्हेधरे वस्त्र छापाके स्नानयात्राके ज्येष्ठाभिषेकमें, जहाँ ठाढे स्वरूप विराजतहोंय । तहाँ सोनेके आभूषण, तिलक, कड़ा, नूपुर, कटिमेखला, श्रीकण्ठी, बेसर, सब धारणकरे। श्रीबालकृष्णजीको छोटो स्वरूप होय तो श्रीकण्ठमें कण्ठी तथा तिलक धरे। ऐसेही जन्माष्टमीके पञ्चामृतस्नान समय आभूषण रहै।
रथ यात्रा। रथयात्राको और सब जगे राज भोग पीछे रथमें विराजे है। श्रीगोकुलनाथजी तथा श्रीविठ्ठलनाथजी तथा श्रीगोकुलचन्द्रमाजी श्रीमदनमोहनजी । ये स्वरूप शृङ्गारमें ही रथमें विराजेहैं। और कोई मन्दिरनमें रथमें घोड़ा लगे हैं। और कोई मन्दिरनमें शनय समय घोड़ा लगे हैं और श्रीनवनीतप्रियजीके रथमें घोड़ा नहीं लगे हैं। और सावन में जादिन हिंडोरा बिराजे तादिनते आभूषन जड़ाऊके धरावे हैं । लाल बागो तथा पागक शृङ्गार होय है । श्रीगोकुलनाथजी तथा श्रीगोकुलचन्द्रमाजी श्रीमदनमोहनजीमें कुल्हेको शृङ्गार होय है । सोई शृंगार सब ठिकाने पहले दिनको सोई हिंडोराविजय होय ता दिन होय है। और उत्सवके भोगमें और सब ठिकाने धूप, दीप शंखोदक होय हैं। और श्रीगोकुलनाथजी तथा श्रीगोकुलचन्द्रमाजीमें राजभोगमें होय है । और एक जन्माष्टमीके महाभोगमें होय है और कोई। भोगमें नहीं होय है॥
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