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अब वर्षदिन के उत्सवकी तथा नित्यकी तीन सौ साठ दिनाकीसेवाविधि तथा शृङ्गार, वस्त्र, आभरण तथा सामग्री विस्तारपूर्वक लिखी है । और सामग्री तथा नित्यको शृङ्गार यामें लिख्यो है परन्तु सामग्रीको जहाँ जितनो नेग बन्ध्यो होय ता प्रमाण करनी । तोलको प्रमाण १ सेर रुपीया ८० भरका sill रु. ६० भर 5 || सेर रु. ४० भरका 51 सेर रु. २० भरका आधपाव रु. १० भर छटांक 5 - रु. ५ भर आधीछटांक 5० ॥ रु० २ ॥ पांव छटांक रु० १। और नित्यके शृङ्गारमें यथारुचि करनो अर्थात अपने मनमें आछो लगे सो करनो नित्यकेमें लिखे प्रमाण नेम नहीं इति अलम् ॥ अब वर्षदिनके उत्सव तथा नित्यप्रकार लिख्यते ।
तहाँ प्रथम जातिथिमें जो उत्सव मान्योजाय ता तिथिको निर्णय करि विचारलेनो चाहिये । जैसे जन्मउत्सव आदिक में उदया तिथि लेनी । अब एकादशीसे लेके सब उत्सव वर्ष - दिनाको निर्णय, निर्णयग्रन्थनमेंसूं प्रमाण लेके लिख्यो है सो निर्णय आगे लिख्यो है तामें देखलेनो । इति ॥
अथ श्रीजन्माष्टमी उत्सव विधि ।
प्रथम पञ्चमी के दिन चन्दरवा, टेरा, बन्दनवार, कसना, तकिया झब्वा, बालस्त ये सब बदलने । और छठीके दिन सोने, रूपाके, वासन गादी, तकियाको साज, पेंडा, खेंचमां पङ्गाकी खोलि ये सब बदलनें । सप्तमीके, दिन पिछवाई, पलङ्गपोष, सुजनी, खिलोनां, चोपड़, पङ्खा, मूढा, चमर, आरसी और सब उत्सवको साज बदलनो । तथा एक छाबमें