Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 4
Author(s): R P Poddar
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur

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Page 9
________________ 13 19 36 53 TA 1. गरिमाविहीन आज की वैशाली -डॉ० जगदीशचन्द्र जैन 2, प्राकृत : एक अवलोकन -डा० देवनारायण शर्मा 3. प्राकृत और संस्कृत का समानान्तर भाषिक विकास -डा० श्रीरंजन सुरि देव 4. वज्जिगण राज्य पालि साहित्य के आलोक में -डा० नन्दकिशोर प्रसाद आचार्य विद्यानन्द का एक विशिष्ट चिन्तन "नियोग भावना विधि" । ___-डा० लालचन्द्र जैन ___ मलयसुन्दरी चरित्र की प्राकृत पाण्डुलिपियाँ -डा. प्रेम सुमन जैन 7. जैनधर्म में अहिंसा और ब्रह्मचर्य -जगदीश नारायण शर्मा 8. 'युक्त्यानुशासन' का 'सर्वोदय-तीर्थ' । -प्रोफेसर रामजी सिंह 9. ऋग्वेद की कुछ सामाजिक-आर्थिक प्रवृत्तियाँ __ --डा० हरिश्चन्द्र सत्यार्थी __ बाहुबली-कथा का विकास एवं तद्विषयक साहित्य : एक सर्वेक्षण -डा० विद्यावती जैन जैन शास्त्र के कुछ विवादास्पद पक्ष -डा० दरबारीलाल कोठिया ज्ञान और कथन की सत्यता का प्रश्न-जैनदर्शन के परिप्रेक्ष्य में -डा० सागरमल जैन जैनदर्शन में आत्मा और पुनर्जन्म --विश्वनाथ चौधरी 14. सत् का लक्षण : अर्थ क्रियाकारित्व -राजकुमार छावड़ा 15. श्रमणधर्म और समाज --डा० रामप्रकाश पोद्दार Appendix I List of Ph. D Scholars Working at the Institute ..... Appendix II List of Successful Research Scholars Appendix III List of Publications 109 127 136 139 151 159 161 164 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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