Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Vajrasenvijay, Bhagyeshvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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१८-२८ १८-९ १८-७ ३०-२१
३०-१३
असीहिं अयसीवण्णाहि असुरा नाग सुवण्णा असंखकालमुक्कोसं असंखकालमुक्कोसं असंखकालमुक्कोसं असंखकालमुक्कोसं असंखकालमुक्कोसं असंखकालमुक्कोसं । असंखभागो पलिअस्स असंखयं जीविय मा पमायए अस्संखेज्जाणोसप्पिणीण अस्सकण्णी अ बोधव्वा अस्सा हत्थी मणुस्सा अस्से इइ के वुत्ते अह अट्टहिं ठाणेहिं अह अनया कयाइ अह आसगओ राया अह ऊसिएण छत्तेण अह कालम्मि संपत्ते अह केसरंमि उज्जाणे अह चउदसहि ठाणेहि अह जे संवुडे भिक्खू अह तत्थ अइच्छंतं अह तायओ तत्थ मुणीण अह तेणेव कालेणं अह तेणेव कालेणं अह ते तत्थ सीसाणं अह पच्छा उइज्जंति अह पंचर्हि ठाणेहि अह पण्णरसहि ठाणेहिं अह पालिअस्स घरणी अह भवे पइण्णा उ
[२८२] १९-५६ | अहमासि महापाणे ३६-२०८ अह मोणेण सो भयवं ३६-१३ अह राया तत्थ संभंतो ३६-८१ अहवा तइयाए पोरिसीए ३६-८९ अहवा सपरिक्कम्मा ३६-१०४ अह सा भमरसन्निभे ३६-११४ अह सारही तओ भणइ ३६-१२३ अह सारही विचिंतेह ३६-१९४ अह सा रायवरकण्णा
४-१ अह सा रायवरकण्णा ३४-३३ अह से तत्थ अणगारे ३६-९९
अह सो तत्थ निज्जंतो २०-१४
अह सो वि रायपुत्तो २३-५७
अह सो सुगंधगंधिए ११-४
अहाह जणओ तीसे २१-८
अहिज्ज वेए परिविस्स विप्पे १८-६
अहिवेगंतदिट्ठीए २२-११
अहिंस सच्चं च अतेणगंच ५-३२
अहीणपंचिंदिअत्तं पि १८-४
अहे वयइ कोहेणं ११-६
अहो ते अज्जवं साहु ५-२५
अहो ते निज्जिओ कोहो १९-५
अहो वण्णो अहो रूवं १४-८
अहं च भोगरायस्स २३-५
अहं पि जाणामि जहेह साहू २५-४
(आ) २३-१४ आउकायमइगओ २-४१ आउत्तया जस्स य नत्थि काई ११-३ आगए कायवुस्सग्गे ११-१० अगारिसामाइअंगाइ
२१-४ आगासे गंगसोओव्व २३-३३ । आगासे तस्स देस्से अ
२२-३० २२-१७ २७-१५
२२-७ २२-४०
२५-५ २२-१४ २२-३६ २२-२४ २२-८ १४-९ १९-३९ २१-१२ १०-१८ ९-५४ ९-५७ ९-५६ २०-६ २२-४४ १३-२७
१०-६ २०-४० २६-४७
५-२३ १९-३७
३६-६

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