Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Vajrasenvijay, Bhagyeshvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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३६-१६९ ३६-२४७ १४-२४ १४-२५ १३-११ ३४-५४ ३४-५० ३४-५५ २५-२१ २७-१६ १९-७४ १९-३६
[२९१] जहा य किंपागफला० ३२-२० जा चेव उ आउठिई जहा य तिणि वण्णिआ ७-१४ जा चेव य आउठिई जहा य भोइ तणुअं भुअंगभो १४-३४ जा जा वच्चइ रयणी । जहा लाहो तहा लोहो
८-१७ जा जा वच्चइ रयणी जहा वयं धम्ममयाणमाणा १४-२० जाणासि संभूअ महाणुभागं जहा संखंमि पयं निहित्तं ११-१५ जा तेऊए ठिई खलु जहा सागडिओ जाणं
जा नीलाए ठिई खलु जहा सा दुमाण पवरा ११-२७ जा पम्हाइ ठिई खलु जहा सा नईण पवरा ११-२८ जायरूवं जहामिटुं जहा सुणी पूइकण्णी
१-४ जारिसा मम सीसा उ जहा से उडुवई चंदे
११-२५ जारिसा माणुसे लोए जहा से कं बोआणं
११-१६ जावज्जीवमविस्सामो जहा खलु से उरब्भे
७-४ जाव न एइ आएसे जहा से चाउरते
११-२२ जावंतविज्जा पुरिसा जहा से तिक्खदाढे
११-२०
जा सा अणसणा मरणे जहा से तिक्खसिंगे
११-१९ जिणवयणे अणुरत्ता जहा से तिमिरविद्धंसे ११-२४ जिणे पासे त्ति नामेणं जहा से नगाण पवरे
जीमुतनिद्धसंकासा जहा से वासुदेवे
११-२१ • जीवा चेव अजीवा य जहा से सयंभूरमणे ११-३० जीवाजीवविभत्ति जहा से सहस्सक्खे ११-२३ जीवाजीवा अ बन्धो अ जहा से सामाइआणं ११-२६ जीविअतं तु संपत्ते जहित्ता पुव्वसंजोगं . . २५-२९ जीविअंचेव रूवं च जहित्तु संगं च महा० २१-११ जीहाए रसं गहणं वयंति जहेह सीहो व मिअंगहाय. १३-२२ जे अमग्गेण गच्छंति . जाई सरित्तु भयवं
जे अवेअविऊ विप्पा जाई जरामच्चुभयाभिभूआ ... १४-४ जे आययसंठाणे जाईपराजिओ खलु
१३-१ जे इंदियाणं विसया जाईमयपडित्थद्धा
१२-५ जे केइ उपव्वईए जाईसरणे समुप्पण्णे
१९-८ जे केइ पत्थिवा तुब्भं जा उ अस्साविणी नावा २३-७१ | जे केइ पव्वइए जा किण्हाइ ठिई खलु ३४-४९ | जे केइ सरीरे सत्ता
६-१ ३०-१२ ३६-२६४
२३-१
११-२९
३४-४ ३६-२ ३६-१ २८-१४ २२-१५ १८-१३ ३२-६१ २३-६१
२५-७ ३६-४६ ३२-२१ १७-१
९-३२ . १७-३
६-१२

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