Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Vajrasenvijay, Bhagyeshvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 314
________________ ३२-४४ ३२-५७ ३२-७० ३२-८३ ३२-९६ ३३-८ ३६-२६८ १५-८ ४-१२ मा य चंडालियं कासी माया पिआ ण्उसा भावा मायावुइअमेअंतु मायावि मे महाराय मासे मासे उ जो बालो माहणकुलसंभूओ मा हु तुमं सोअरिआण मिअचारिअं चरिस्सामि मिउमद्दव संपन्ने मिएछुभित्ता हयगओ मिगचारिअं चरिस्सामि मिगचारिअं चरिस्सामि मिच्छादसणरत्ता मिच्छादंसणरत्ता मित्तवं नाइवं होइ मिउमद्दवसंपन्ने मिहिलाए चेइए वच्छे मिहिलं सपुरजणवयं मुग्गरेहि मुसंढीहिं मुसं परिहरे भिक्खू मुहपोति पडिलेहित्ता मुहुत्तद्धं तु जहन्ना मुहुत्तद्धं तु जहन्ना मुहत्तद्धं तु जहन्ना मुहुत्तद्धं तु जहन्ना मुहत्तद्धं तु जहन्ना मुहुत्तद्धं तु जहन्ना - मुहुत्तद्धं तु जहन्ना मुहं मुहं मोहगुणे जयंत मोक्खमग्गगई तच्चं मोक्खाभिं खिस्स मोणं चरिस्सामि समेच्च धम्म मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य [३०१] १-१० मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ६-३ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य १८-२६ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य २०-२५ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ९-४४ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य २५-१ मोहणिज्जंपि दुविहं १४-३३ मंताजोगं काउं १९-८५ मंतं मूलं विविहं २७-१७ मंदा य फासा बहुलोहणिज्जा (र) १९-८५ रण्णो तहिं कोसलिअस्स १९-८६ रति पि चउरो भाए ३६-२६१ रमए पंडिए सासं ३६-२६३ रयणाभा सक्कराभा ३-१८ रयणाइ गुत्तओ चेव २७-१७ रसओ अम्बिले जे उ रसओ कडुए जे उ ९-४ रसओ कसाए जे उ १९-६२ रसओ तित्तए जे उ १-२४ रसओ परिणया जे उ २६-२३ रसओ महुरे जउ ३४-३४ रसस्स जिब्भं गहणं वयंति ३४-३५ रसाणुगासाणुगए अ जीवे ३४-३६ रसाणुरत्तस्स नरस्स एवं ३४-३७ रसाणुवाएण परिग्गहेण ३४-३८ रसापगामं न निसेविअव्वा ३४-३९ रसे अतित्ते अपरिग्गहे अ ३४-४६ रसे विरत्तो मणुओ विसोगो ४-११ रसेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं २८-१ रसंतो कंदुकुम्भीसु ३२-१७ रहनेमी अहं भद्दे १५-१ राइअंच अईयारं ३२-३१ । राईमई विचिंतेड १२-२० २६-१७ १-३७ ३६-१५७ ३६-१५९ ३६-३२ ३६-३० ३६-३१ ३६-२९ ३६-१८ ३६-३३ ३२-६२ ३२-६६ ३२-७१ ३२-६७ ३२-१० ३२-६८ ३२-७३ ३२-६३ ११-५२ २२-३७ २६-४८ २२-२९

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